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    टी टाइम 170216(अनिल और चंद्रिमा)
    2017-02-20 18:38:09 cri

    टी-टाइम

    अनिलः लीजिए दोस्तो, प्रोग्राम शुरू करते हैं।

    सबसे पहले आपको बताते हैं एम्बेसेडर कार के बारे में।

    कुछ दशक पहले तक देश के प्रधानमंत्री से लेकर आम आदमी की पसंदीदा कार मानी जाने वाली एम्बेसेडर के ब्रांड को फ्रेंच कार कंपनी प्यूजो ने खरीद लिया है। फ्रैंच कंपनी और सीके बिड़ला ग्रुप के मालिकाना हक वाली हिंदुस्तान मोटर्स के बीच यह सौदा करीब 80 करोड़ रुपए में हुआ है। गौरतलब है कि साल 2013 के बाद इस कार का उत्पादन बंद कर दिया गया था।

    बिड़ला ग्रुप के प्रवक्ता ने बताया कि 'हमने प्यूजो एसए ग्रुप के साथ अपने ब्रांड और ट्रेडमार्क एम्बेसेडर को बेचने के लिए समझौता किया है। एम्बेसेडर एक लोकप्रिय ब्रांड है और हम इसे बेचने के लिए एक सही खरीददार देख रहे थे। फ्रेंच कंपनी एक सही खरीददार है। इस सौदे के बाद हम कर्मचारियों ड्यूज व अन्य देनदारियां देंगे।

    इन दोनों कंपनियों के बीच भले ही यह सौदा पूरा हो गया हो, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि प्यूजो भारत में अपनी कारों के लिए एम्बेसेडर ब्रांड का प्रयोग करेगा या नहीं क्योंकि इस संबंध में फ्रेंच कंपनी ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।

    गौरतलब है कि एम्बेसेडर ब्रांड को सात दशक पहले भारत में लॉन्च किया गया था। 1980 के दशक के मध्य में हर साल 24,000 एम्बेसडर बिकती थी, वहीं 2013-14 में यह संख्या घटकर केवल 2500 यूनिट रह गई।

    चंद्रिमाः वहीं एक अजीबोग़रीब घटना में पति-पत्नी के बीच तलाक हो गया। अब इस तलाक के लिए पति ने उबर कैब को जिम्मेदार ठहरा दिया है। साथ ही पति ने उबर कंपनी से करीब 34 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की है।

    आप सोच रहे होंगे कि पति-पत्नी के बीच तलाक के लिए एक कैब कैसे जिम्मेदार हो सकती है। दरअसल, पति का आरोप है कि ऐसा हुआ है उबर एप की वजह से। इसकी वजह से फ्रेंच बिजनेसमैन के अफेयर के बारे में उसकी पत्नी को पता चल गया और इसके बाद पत्नी ने अपने पति से तलाक ले लिया।

    इसके बाद गुस्साए बिजनेसमैन ने उबर पर 40 करोड़ पौंड यानी करीब 34 करोड़ रुपए का मुआवजा देने की मांग करते हुए मुकदमा कर दिया है। बिजनेसमैन का कहना है कि उबर के एप में गड़बड़ी के कारण ऐेसा हुआ है।

    उन्होंने कहा कि जब भी वो बाहर जाते थे तो ट्रिप के लिए उबर को हायर करता थे। इसके बाद उनकी पत्नी के मोबाइल पर एक नोटिफिकेशन आ जाता था। इसी नोटिफिकेशन की वजह से उसकी पत्नी को ये लगने लगा कि उनका किसी अन्य महिला के साथ अफेयर चल रहा है।

    बिजनेसमैन का आरोप है कि उबर अकाउंट से लॉग आउट करने के बावजूद भी उसकी यात्रा के बारे में पत्नी के मोबाइल पर नोटिफिकेशन आता रहा। इसके बाद शक की वजह से पत्नी ने पति को तलाक दे दिया। अब पति ने उबर कैब से मुआवजा मांग लिया है। वहीं उबर ने इस मामले में शिकायतकर्ता से मिलने की बात कही है।

    अनिलः अब दूसरी जानकारी से आपको रूबरू करवाते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने लोगों में रक्त की कमी की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए गेहूं की एक नई किस्म तथा संतृप्त वसा के सेवन से हृदय पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सरसों की एक नई किस्म विकसित की है। संस्थान ने पिछले साल धान, गेहूं, सरसों और दलहनों की 13 किस्में विकसित की जिनमें गेहूं की एक ऐसी किस्म है जो लोगों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पूरा करेगी तथा सरसों की एक किस्म का तेल हृदय रोग का प्रभाव कम करेगा।

    कई वर्ष के अनुसंधान के बाद विकसित कनोला गुणवत्ता वाली सरसों की किस्म पूसा डबल जीरो सरसों 31 देश की पहली उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है। इसमें तेल में पाए जाने वाले ईरुसिक अम्ल (संतृप्त वसा) की मात्रा दो प्रतिशत से कम तथा खली में पाई जाने वाली ग्लूकोसिनोलेट्रस की मात्रा मानव एवं पशु स्वास्थ्य के अनुकूल है। अधिक मात्रा में संतृप्त वसा के सेवन से हृदय पर इसका प्रतिकूल असर होता है। संस्थान की निदेशक रविन्दर कौर ने बताया कि इस संस्थान के शिमला केन्द्र ने गेहूं की एचएस 562 किस्म विकसित की है जिसमें सूक्ष्म पोषक तत्व - लौह 38.4 पीपीएम और जस्ता 34.5 पीपीएम है । लौह तत्व की कमी से लोगों में खून की कमी होती है और एनीमिया की बीमारी हो जाती हैं।

    यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली रोटी और ब्रेड बनाने के लिए उपयुक्त है। नई किस्मों में धान की लीफ ब्लास्ट प्रतिरोधी पूसा बासमती 1637, चने की पूसा 3043 , मूंग की 1371 एवं मसूर की एल- 4714 शामिल हैं । इसके अलावा गेहूं की पूसा उजाला एचआई 1605 एवं पूसा तेजस एचआई 8759 क्षेत्रीय केन्द्र इंदौर द्वारा विकसित की गई है । ये किस्में संचित अवस्था में देश के मध्य क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं। ये किस्में अधिक उत्पादकता, बेहतर गुणवत्ता के साथ-साथ जैविक एवं अजैविक दबाव प्रतिरोधी हैं।

    चंद्रिमाः पूसा द्वारा सब्जियों की पांच नई किस्में भी विकसित की गई है, इनमें लौकी की पूसा संतुष्टि, मटर की पूसा श्री, कद्दू की पूसा सब्जी पेठा, बैंगन की डीबीएल-2, गोभी की पूसा अश्वनी तैयार की गई है । इसके अतिरिक्त अन्य सब्जियों की 14 किस्में जिनमें प्याज पूसा रिद्धि, गुच्छे वाली प्याज पूसा सौम्या, बाकले की पूसा उदित, चप्पन कद्दू की पूसा पसंद, खीरे की पूसा बरखा, धारीदार तोरई की पूसा नूतन, गोभी की पूसा कार्तिकी, गाजर की पूसा रुधिरा एवं पूसा असिता, मूली की पूसा श्वेता,पूसा जामुनी एवं पूसा गुलाबी, करेले कीपूसा रसदार, पूसा पूर्वी, एवं गाजर की संकर किस्म पूसा वसुधा आदि दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए जारी की गई है । खाद्यान्न एवं सब्जियों के साथ पुष्पीय फसलों में ग्लेडियोलस की पूसा सिंदूरी, गुलदाउदी की पूसा गुलदस्ता एवं गेंदे की पूसा बहार किस्मों को विकसित किया गया है। गुलाब की तीन संकर किस्में भी विकसित की गई है।

    तकनीक

    गर्भ धारण करने से बचने के लिए फ़र्टिलिटी ट्रैकिंग ऐप्स के असर को लेकर यौन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इस पर और रिसर्च की ज़रूरत है. इस ऐप के ज़रिए मासिक धर्म को लेकर चेतावनी आती है. इसे गर्भनिरोधक के तौर पर इस्तेमाल करने की बात कही गई.

    2015 की क्लिनिकल स्टडी से साफ़ है यह ऐप किसी गर्भनिरोधक गोली की तरह प्रभावी था. यह ऐप महिला के शरीर के तापमान, अंडाणु परीक्षण के नतीजे और मासिक धर्म की तारीख़ के आधार पर काम करता है.

    यह ऐल्गरिदम (समस्या को सुलझाने के लिए स्थापित एक नियम जिसे कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर से संचालित किया जाता है) के माध्यम से निर्धारित करता है कि उस दिन महिला में प्रजनन की क्या स्थिति है.

    इससे असुरक्षित सेक्स करने को लेकर फ़ैसले लेने में मदद मिलती है. यौन विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि फर्टिलिटी एवेयरनेस ऐप से गर्भनिरोधक चुनाव का प्रसार बढ़ेगा. गुरुवार को तीन संस्थाओं ने चेतावनी दी है कि इस मेडिकल डिवाइस की कोई गारंटी नहीं है कि वह गर्भ धारण की प्रक्रिया को प्रभावी रूप से रोक दे.

    सेक्शुअल हेल्थ चैरिटी एफपीए, फैकल्टी ऑफ़ सेक्शुअल ऐंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ ऑफ रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्स्ट्रटिशन ऐंड गाइनोकॉलजिस्ट (एफएसआरएच) और यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफोर्ड ऐंड फर्टिलिटी यू के डॉक्टर सिसिलिया पाइपर का कहना है कि इस तरह के ऐप्स के अक्सर जटिल निर्देश होते हैं और ये प्रभावी होते हैं तो उन्हें सख्ती से पालन करना होता है.

    नैचुरल साइकल्स की सह-संस्थापक डॉ. एलिना बर्गलुंड ने कहा, ''दुनिया भर की महिलाएं नॉन हार्मोनल गर्भनिरोधक उपायों की तलाश कर रही हैं. हमारी उच्चस्तरीय क्लिनिकल स्टडीज के मुताबिक़ हमलोग महिलाओं को हर जगह गर्भनिरोध के लिए एक विकल्प मुहैया करा सकते हैं.''

    लेकिन क्या प्राकृतिक गर्भनिरोध ही अनचाहे गर्भ से बचने के लिए सबसे बेहतर उपाय है? यह बहुत महत्वपूर्ण है जब महिला गर्भनिरोध के बारे में सोचती है तो उसे नॉन-हॉर्मोनल गर्भनिरोध को लेकर भटकाया नहीं जाए क्योंकि आईयूडी, कॉन्डम और प्रजनन जागरूकता हमेशा से हॉर्मोनल गर्भनिरोध के मुकाबले बेहतर विकल्प रहा है.

    फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन का कहना है कि हॉर्मोनल गर्भनिरोध में साइड-इफ़ेक्ट और सेहत से जुड़े ख़तरों की आशंका रहती है. इसमें मासिक धर्म में ब्लीडिंग को रोकने में मदद मिल सकती है. इससे पीएमएस के लक्षणों को कम करने और मुहांसे पर काबू पाने में भी मदद मिलती है.

    फ़र्टिलिटी यूके की डॉक्टर सिसिलिया पाइपर ने कहा कि फ़र्टिलिटी रिसर्च पर अभी और शोध की ज़रूरत है. अभी सैकड़ों फ़र्टिलिटी ऐप्स और पीरियड ट्रैकर हैं, लेकिन इनमें मूल्यांकन करने वाली टेक्नोलॉजी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इनमें से ज़्यादातर ऐप्स व ट्रैकर महिलाओं के प्रजजन के दिनों को लेकर बेख़बर होते हैं.

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    एक अंतरराष्ट्रीय टीम ऐसे रोबोट बनाने में जुटी हुई है जो बुज़ुर्गों की बेहतर तरीके से देखभाल करेंगे.

    जापान और यूरोपीय संघ की 20 लाख पाउंड की इस परियोजना में तैयार किए जा रहे रोबोट सांस्कृतिक और संवेदनशील होंगे.

    उम्मीद है कि ये रोबोट तीन साल के भीतर बना लिए जाएंगे.

    इस प्रोजेक्ट से जुड़े जानकारों के मुताबिक इन रोबोटों से बुजुर्गों के लिए बनाए गए केयर सेंटर्स, आवासों और आश्रमों पर दबाव कम होगा.

    इंसानों जैसे दिखने और उनकी तरह के तौर-तरीके जानने वाले इन रोबोटों को पेप्पर रोबोट कहा जा रहा है.

    ये बुजुर्गों को दवाएँ खाने, पानी देने और उनके रोज़मर्रा ज़रूरत के कई कामों में मदद करेंगे.

    इन रोबोटों को संवेदनशील बनाने में ब्रिटेन की मिडलसेक्स यूनिवर्सिटी और बेडफोर्डशर यूनिवर्सिटी के शोधविज्ञानी मदद कर रहे हैं.

    प्रोजेक्ट में शामिल प्रोफ़ेसर आइरीना पैपेडोपूलस कहती हैं, "आज लोगों की उम्र बढ़ गई है जिससे सेहत से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ रही हैं."

    वे कहती हैं, "अकेले ब्रिटेन में 15000 लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 100 साल से अधिक है. ये संख्या आगे और बढ़ेगी."

    उनके मुताबिक़,"यदि बुजुर्गों के लिए मदद करने वाले बुद्धिमान रोबोट तैयार किये जा सकें तो इससे केयर होम और अस्पतालों पर दबाव कम होगा."

    पेप्पर रोबोट को सॉफ्टबैक रोबोटिक्स नाम की कंपनी बना रही है. इसे जापान के हज़ारों घरों में इस्तेमाल करके देखा जा चुका है.

    इससे मिलते जुलते रोबोट की मदद पहले से जापान के अस्पतालों में मरीजों को उठाने, खाना परोसने जैसे कामों में ली जा रही है.

    कंपनी के मुख्य वैज्ञानिक अमित कुमार पांडे का कहना है कि कंपनी एक ऐसी दुनिया बनाना चाहती है जहां इंसान और रोबोट दोनों साथ-साथ रह सकें. और सेहतमंद, सुरक्षित और खुशहाल जीवन बिताएं.

    प्रोजेक्ट के आखिरी वर्ष में इस रोबोट को ब्रिटेन के एडवीनिया हेल्थकेयर के केयर होम्स में जांचा-परखा जाएगा.

    कंपनी के एक्जेक्यूटिव चेयरमैन डॉक्टर संजीव कानोरिया कहते हैं कि कंपनी चाहती थी कि बुज़ुर्गों की देखभाल कर रहे कर्मचारियों की मदद करने के काम में एक क्रांति आए.

    वे कहते हैं, "रोबोट उन लोगों की मदद कर सकते हैं जो घरों या आश्रमों में बुजुर्गों की देखभाल करते हैं. इनकी मदद से बुजुगों की सहायता करने, सेहत की देखभाल करने में तकनीकी रूप से मदद मिलेगी."

    हेल्थ ...

    सेहत के लिए फायदेमंद लहसुन जानिए कब और कैसे कर सकता है आपको बीमार...लहसुन खाने के बाद दूध या दूध से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए वर्ना बुखार, त्वचा संबंधी समस्या हो सकती है। साथ ही गन्ना या गन्ने से बनी चीजें, चीनी, गुड़ आदि खाने से भी बचें, ये पेट के फूलने की समस्या का कारण बनते हैं।

    लहसुन खाते समय बासी सब्जी, चपाती या अन्य कोई खाद्य सामग्री न खाएं। हाल ही सर्जरी हुई हो या एलर्जी है तो इसे न खाएं, ये रक्तस्त्राव की वजह बन सकता है।

    दस लहसुन की कलियां, एक चम्मच देसी घी व थोड़ा शहद मिलाकर रोज खा सकते हैं। ध्यान रहे लहसुन भोजन के पच जाने पर ही खाएं।

    इन रोगों में लाभ

    हड्डी अपनी जगह से खिसक जाए या टूट जाए व अन्य अस्थि रोग, महिलाओं की समस्या, चक्कर आना, खांसी, त्वचा संबंधी रोग, पेट में कीड़े होना, त्वचा की रंगत में बदलाव, श्वास रोग, रात के समय दिखाई न देना, पुराना बुखार, शरीर में जकडऩ, पथरी, ल्यूकोरिया, यूरिन में जलन, प्लीहा रोग, गठिया आदि में लहसुन को रोजाना खाने से फायदा होता है।

    सर्दी के मौसम में लहसुन का प्रयोग व्यक्ति को निरोगी रखकर आयु में वृद्धि करता है। इससे भूख बढऩे के साथ याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता में भी इजाफा होता है। त्वचा की चमक और रंगत में सुधार करने के अलावा यह बालों को मजबूती भी देता है।

    कुष्ठ रोगी, श्वास, प्लीहा व अर्श के रोगियों को लहसुन खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए। ये मरीज लहसुन खाने के बाद कुछ दिन दाल के पानी का प्रयोग करें। अगर कच्चा लहसुन न खा पाएं तो इसे घी में भूनकर या इसकी पत्तियों की पकौडिय़ां बना लें।

    जोक्स...

    पहला जोक

    एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट छत पर खड़ा था…

    तभी पड़ोस के अंकल:

    'तो बेटा अब आगे क्या सोचा है'.?

    स्टूडेंट:"बस अंकल, टंकी भरते ही, मोटर बंद कर दूंगा".

    दूसरा जोक...

    संता को फांसी की सजा सुनाई

    गयी

    जज ने पूछा- कोई आखिरी ख्वाहिश?.

    संता – हमारी जगह तुम लटक जाओ।।

    तीसरा और अंतिम जोक...

    हिंदी का पीरियड था.

    मास्टर ने पूछा--कविता और निबंध मैं क्या अंतर है

    स्टूडेंट--

    प्रेमिका के मुंह से निकला एक शब्द भी कविता होता है

    ...और पत्नी का एक ही शब्द निबंध के समान होता है

    मास्टर के आंख मैं आंसू आ गए, गला भर आया

    उन्होने उस लड़के को क्लास का मानीटर बनाया।

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