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    आइएमएफ़ः चीन व अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर को उन्नत किया गया
    2017-02-20 09:01:12 cri

    अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन यानी आइएमएफ़ नेहालमें विश्व आर्थिक ऑटलुक नामक एक रिपोर्ट जारी की, जिस में इस साल चीन व अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर को उन्नत किया गया।

    आइएमएफ़ के प्रथम आर्थिक अर्थशास्त्री मोराइस ओबस्टफेल्ड ने हाल में एक न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि 2016 की आर्थिक मंदी गुजरने के बाद 2017 व 2018 में वैश्विक आर्थिक विकास गति तेज़ी होगी। उन के अनुसार,"2016 के अक्तूबर माह के अनुमान की तुलना में अब हम मानते हैं कि आर्थिक विकास की प्रोत्साहन शक्ति अमेरिका, चीन, यूरोप व जापान की आर्थिक विकास से आएगी। "

    आईएमएफ ने इस साल चीन की आर्थिक विकास दर को 0.3 प्रतिशत उन्नत कर 6.5 प्रतिशत तक तेय किया। ओबस्टफेल्ड ने समझाया,"नवोदित आर्थिक इकाइयों में चीन अभी भी विश्व आर्थिक विकास की प्रमुख प्रेरणा शक्ति रहा है। हमारे विचार है कि 2017 चीन की आर्थिक वृद्धि दर की उन्नति वैश्विक आर्थिक पुनरुत्थान का कुंजीभूत कारण है। चीन की आर्थिक वृद्धि दर के उन्नत करने के अनुमान से जाहिर है कि हमें विश्वास है कि चीन निरंतर वैश्विक आर्थिक विकास को समर्थन दे सकता है।"

    लेकिन रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि चीन को कदम उठाकर क्रेडिट के तेज़ विस्तार की प्रवृत्ति से रोकना चाहिए, साथ ही कारोबारों की ऋण समस्या का हल करना चाहिए। रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया कि 2018 में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6 प्रतिशत होगी।

    अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज बढ़ने से वैश्विक वित्तीय वातावरण पर असर पड़ा गया है। आईएमएफ ने भारत, ब्राजिल व मैक्सिको आदि नवोदित आर्थिक इकाइयों की वृद्धि दर को कम किया।

     साथ ही आईएमएफ ने आगामी 2017 व 2018 में अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर को उन्नत किया, जो अलग अलग तौर पर करीब 2.3 प्रतिशत एवं 2.5 प्रतिशत तेय की गयी। कारण यह है कि अमेरिका की नयी सरकार वित्तीय प्रेरणा का विस्तार एवं कर कटौती की नीति लागू करेगी। ये नयी नीतियां अमेरिका के आर्थिक विकास को आगे बढ़ा दे सकती होंगी। लेकिन अमेरिका में घाटा के विस्तार, अमेरिकी डॉलर की कीमत के बढ़ने और आर्थिक मंदी आदि कुप्रभाव के परिवर्तन भी हो सकते हों। इसलिए रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका पर लगाया गया अनुमान निश्चित नहीं है। साथ ही ओबस्टफेल्ड ने कहा कि यदि अमेरिकी नयी सरकार व्यापार युद्ध छेड़ती, तो वैश्विक अर्थतंत्र को नुकसान पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा,"व्यापार के रुकने की समस्या विश्व अर्थतंत्र के विकास के लिए एक जोखिम है, और प्रमुख जोखिम भी है। लेकिन अंततः विभिन्न देश यह समझेंगे कि अन्य देशों की जवाबी धमकी का सामना करने के लिए व्यापार युद्ध विभिन्न क्षेत्रों के हितों में नहीं है। दूसरी तरफ़, व्यापार युद्ध भी पैदा हो सकता है। व्यापार युद्ध से सभी देश हारेंगे।"

    अमेरिका की नीति में परिवर्तन होने से पैदा होने वाली अनिश्चितता को छोड़कर रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गयी कि आर्थिक एकीकरण की सहमति के कमजोर होने, विनिमय दर का तीव्र परिवर्तन, संरक्षणवादी का प्रसार करने, वैश्विक व्यापार व प्रवासियों पर ज्यादा प्रतिबंध लगाने और भौगोलिक राजनीतिक परिस्थिति के तनाव होने से बाजार में कुप्रभाव की भावना फैलायी जाएगी।

    संक्षेप्त में कहे, विश्व आर्थिक ऑटलुक रिपोर्ट में विकसित देशों के आर्थिक भविषय के प्रति आशावान का रुख प्रकट किया जाता है। जबकि विकासमान आर्थिक इकाइयों के विकास के प्रति खुशी व चिंता के रवेये मिश्रित हैं। ओबस्टफेल्ड ने कहा हालिया वैश्विक आर्थिक परिवर्तन को मद्देनजर समावेशी विकास अति मूल्यवान है।"भूमंडलीकरण यहां तक तकनीक सुधार से पैदा हुआ सामाजिक अव्यवस्था प्रमुख चुनौती है, जो भविषय में और तीव्र होगी। जिन में से एक परिणाम है कि अमेक देशों में असमानताओं का विस्तार किया जाएगा। हमें यह मान्यता देनी चाहिए कि अनवरत विकास को भी समावेशी विकास होना चाहिए।"

    गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन आम तौर पर हर साल के वसंतकालीन सम्मेलन और शरतकालीन सम्मेलन के दौरान साल की पहली छिमाही व दूसरी छिमाही की विश्व आर्थिक ऑडलुक रिपोर्टें जारी करता है और साल के मध्यम में और दूसरे साल की शुरूआत में उपरोक्त दो रिपोर्टों का संशोधन करता है।

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