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    संयुक्त राष्ट्र संघःविश्व के 53 करोड़ बच्चे युद्धरत स्थल या आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में रहते हैं
    2017-02-14 14:24:06 cri

    संयुक्त राष्ट्र संघ के आंकड़े बताते हैं कि हाल में विश्व के 53 करोड़ बच्चे युद्धरत स्थल या आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में रहते हैं। विश्व के करीब हर चार बच्चों में एक की जान की सुरक्षा को धमकी मिली है। उनकी अच्छी तरह देख-भाल नहीं की जाती है और अच्छी शिक्षा नहीं दी जाती।

    1990 से अब तक विश्व में 5 की उम्र से कम वाले बच्चों की मृत्यु संख्या में आधा कटौती आयी। लाखों बच्चों ने गरीबी से छुटकारा पाया। 1990 से 2014 के बीच बच्चों की स्कूल दाखिला दर में कम से कम 40 प्रतिशत इजाफ़ा हुआ। लेकिन संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने चेतावनी दी कि आज सबसे कमजोर बच्चों की स्थिति इस संगठन के पिछले कई वर्षों में प्राप्त उपलब्धियों को कम कर सकती है।

    संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा हाल में जारी रिपोर्ट में बताया गया कि अफ्रीका के सहारा के दक्षिणी क्षेत्र में करीब तीन चौथाई बच्चे हिसंक मुठभेड़ों या आपदा के शिकार बने हैं, जिनकी संख्या 39 करोड़ से ज्यादा है। मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के बच्चे भी मुठभेड़ से जूझ रहे हैं। जिनकी संख्या विश्व की कुल संख्या की 12 प्रतिशत है।

    सीरिया में हिंसक कार्रवाईयां तेज होने की वजह से युद्धरत क्षेत्रों में ग्रस्त बच्चों की संख्या एक साल में दोगुनी हो चुकी है। अब विश्व में करीब 5 लाख बच्चे 16 युद्धरत क्षेत्रों में फंसे हैं। उनकी मानवीय सहायता या बुनियादी देख-भाल नहीं है।

    नाइजीरिया के उत्तर पूर्व में करीब 18 लाख लोग बेघर हो चुके हैं, जिन में करीब 10 लाख बच्चे हैं। अफगानिस्तान में आधे बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। यमन में करीब 1 करोड़ बच्चों की जान युद्ध की धमकी में है। दक्षिण सूलडान में 59 प्रतिशत के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और मुठभेड़ क्षेत्र में एक तिहाई स्कूल बंद हैं।

    संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के कार्यकारिणी प्रधान रेख ने कहा कि अभी भी विश्व में 50 करोड़ बच्चे बेघर हैं, जिनमें आधे से ज्यादा युद्ध से बचाने के लिए जन्मस्थान से निकालकर शरणार्थी बने हैं।उनकी जान व भविष्य चिंताजनक है।

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