चीन के छींगहाई प्रांत के गोलोक(गोलो) तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र राजा गेसार की जन्मभूमि माना जा रहा है । गोलो सरकार की स्थापना की साठवीं जयंती पर आसपास के हजारों तिब्बती लोग त्योहार के वेशभूषा में पहनकर घासमैदान पर इकट्ठे हुए गाते नाचते दिल की खुशियां व्यक्त कर रहे थे ।
चिगमे ट्रिनले छींगहाई प्रांत के गोलोक तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की मातो काउटी में जन्म हुआ है । उस के चहरे पर उज्ज्वल मुस्कान और ईमानदार चरित्र दिखते रहे हैं । चिगमे मातो काउटी के कला मंडल में गायक के रूप में इधर उधर प्रदर्शन करता है । उन के लिए सबसे पसंद की बात है यानी गाना गाने से अपनी जन्मभूमि के प्रति प्यार की भावना व्यक्त करना है ।
चिगमे ने संवाददाता को बताया कि गायन करना उन के लिए खान-पान की जैसी अनिवार्य है । तिब्बती जाति कलात्मक जाति ही है । गाना और नाचना तिब्बती लोगों के लिए सबसे बड़ा शौक है । तिब्बती बच्चे आम तौर पर अपने बचपन से ही गाना नाचना सीखना शुरू करते हैं । चिगमे भी दूसरे बच्चों के जैसे बचपन से ही अपने माता-पिता के साथ गाना सीखते रहे । और यह भी चर्चित है कि चिगमे को विशेष अद्भुत क्षमता प्राप्त है, इस तरह वह बचपन से ही गायन से प्यार की भावना में फंसे हुए थे ।
चिगमे ने कहा,"गीत-संगीत तिब्बती जाति के खून में मौजूद है । ऐसा बोलना है कि तिब्बती लोग जो बोलते हैं वह गाना गा सकते हैं, जो चलते हैं वह नृत्य नाच सकते हैं । गायक होने के नाते मैं ने इसमें बहुत सी बातें सोचा था । मेरा ख्याल है कि एक समर्थ गायक सभी किस्म वाले गाना गा सकते है । इसलिए मैं ने न सिर्फ लोकप्रिय गीत या पॉप गीत सीखा है, बल्कि दूसरे अनेक गीत-संगीत और यहां तक कि पेइचिंग ओपेरा भी सीख लिया है । इन के अतिरिक्त मैं ने क्रोसटाल्क और कॉमेडी आदि का अध्ययन भी कर दिया है ।"
चिगमे उत्तर पश्चिमी चीन के लैनचाओ विश्वविद्यालय में स्नातक हुए थे । कालेज़ में पढ़ते समय चिगने ने गायन की प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता था । बाद में वह खुद भी दूसरी गायन प्रतियोगिताओं का न्यायकर्ता बना था । ऐसा काम करने से उन्हें सिर्फ सम्मान ही नहीं, बल्कि कुछ आय भी प्राप्त हुआ था । इसतरह उसने अपने परिवार पर बोझ कम बनाया था ।
अपनी आपबीती की याद करते हुए चिगमे ने कहा,"जब मैं कालेज में पढ़ता था तब मेरे घर की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, ट्यूशन फीस देने में भी मुश्किल था । मुझे खुद भी पैसा कमाना पड़ता था । सो मैं शहर के बार में गाने जाता था । शुरू में कुछ कठिनाइयाँ मिली थीं पर धीरे धीरे सबकी आदत होने लगी । मैं भिन्न भिन्न बारों में प्रदर्शन करने जाता था और अपना रहन खर्च बहुत आराम से मिल सकता था ।"
लानचाओ शहर के बारों में गाना गाने के तीन सालों ने चिगमे के दिमाग में गहरी छाप छोड़ी है और उसी तरह गीत-संगीत चिगमे का सबसे अच्छा दोस्त और सबसे बड़ा सहारा बन गया । पर चिगमे ने कहा कि शहर में गाने की तुलना में घास मैदान में गायन करना बिल्कुल अलग है ।
चिगमे ने कहा,"शहर के पोडियम पर जब मैं गाना गा रहा था तो मुझे मानकीकृत तौर पर प्रदर्शन करना पड़ता था । लेकिन जब घासमैदान में गाना गा रहे हैं, तो हम मनमाने ढंग से गा सकते हैं । उदाहरण के लिए इतालवी बेल सर्ग के अनुसार तिहरा और बास का फर्क है । लेकिन तिब्बती जाति में लोक गीत गाते समय ऐसा नियम नहीं है, जितना ऊँचा गा सकते हैं तो उतना ही गाइये । मेरे ख्याल में तिब्बती शैली अच्छी है । मैं बाहर को अपनी जातीय संस्कृति का परिचय करना चाहता हूं और बाहर के लोगों को अपनी जन्मभूमि की सुन्दरता दिखाना चाहता हूं ।"
कालेज़ में स्नातक होने के बाद चिगमे अपना होमटाउन वापस लौटे । लेकिन शहर से बिदा लेने के बावजूद चिगमे ने संगीत को नहीं छोड़ दिया । उन के दिमाग में संगीत का एक स्वप्न उभरने लगा ।
उन्हों ने कहा, "मेरा एक विशेष सपना है । मैं भीतरी इलाकों में आयोजित गायन प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहता हूं । क्योंकि मैं कभी भी घासमैदान पर अकेले गायन करता था, पर आसपास में कोई सुनने वाला नहीं । इसलिए मैं राजधानी पेइचिंग जाना चाहता हूं और वहां की गायन प्रतियोगिता में भाग लेकर अपने होमटाउन के अच्छे अच्छे गीत-संगीत सुनाना चाहता हूं । मेरा होमटाउन मातो काउटी पीली नदी का स्रोत है । यहां के सुंदर दृश्यों का प्रसारण करने की आवश्यकता भी है ।"
चिगमे ने कहा कि वह हमेशा देश के भीतरी इलाकों में आयोजित गायन प्रतियोगिताओं पर ध्यान लगाते रहे हैं । उन की आशा है कि एक दिन वे खुद भी पेइचिंग के पोडियम पर खड़े हो जाएंगे । लेकिन ऐसी प्रतियोगिताओं में शिरकत करने के लिए केवल जातीय गीत गाना काफी नहीं है, इसलिए चिगमे ने दूसरे किस्म वाले गीत-संगीत सीखने में अथक प्रयास किया । अब चिगमे सिर्फ तिब्बत के जातीय लोक गीत नहीं, चीनी भाषा में अनेक पॉप गीत गाने में भी कुशल हो चुके हैं ।
अपने सपना के साथ पेइचिंग जाना चिगमे की जीवन योजना का एक हिस्सा है । तिब्बती पठार के घासमैदान पर चिगमे जैसे बहुत से युवक हैं जो गीत-संगीत का प्यार करते हैं और शहरों के विशाल पोडियम में अपना प्रदर्शन करना चाहते हैं । आशा है कि इससब का स्वप्न साकार हो जाएगा ।
मातो काउटी के बारे में कुछ जानकारियां
मातो काउटी छींगहाई प्रांत के गोलोक तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के उत्तर पश्चिम में स्थित है । तिब्बती भाषा में मातो का मतलब ही है पीली नदी का स्रोत । मातो काउटी का क्षेत्रफल 25 हजार 253 वर्ग किमोमीटर विशाल है । मातो काउटी की औसत ऊँचाई 4200 मीटर है और औसत तापमान माइनस 4 डिग्री तक रहती है । मातो काउटी की वार्षिक औसत वर्षा मात्रा 300 मिलीमीटर है । चीन की मशहूर पीली नदी का स्रोत यहां स्थित है और अलिंग झील और जेडलिंग झील आदि असंख्य झीलें भी मातो में फैली हुई हैं ।
सन 2013 के आंकड़ों के अनुसार मातो काउटी की जनसंख्या केवल 14 हजार पाँच सौ थी और इस काउटी के कुल छह टाउनशिपों में सब से बड़े क्षेत्र की जनसंख्या भी दो हजार से कम है । जनसंख्या के 92 प्रतिशत भाग तिब्बती जाति के हैं और अस्सी प्रतिशत लोग किसान या चरवाहे होते हैं । तिब्बती के सिवा मातो काउटी में हान जाति, मंगोलियाई जाति, सारा जाति और म्याओ जाति आदि आठ जातियां भी मौजूद हैं ।
वर्ष 2013 के आंकड़ों के अनुसार मातो काउटी में कुल चार प्राइमरी स्कूल और एक मिडिल स्कूल स्थापित हैं और स्कूल में सभी निवासियों के बच्चों की भर्ती दर शत प्रतिशत तक जा पहुंची है । मातो काउटी अपने सुंदर प्राकृतिक दृश्यों से सुप्रसिद्ध है । आज यहां भी अनेक पर्यटन स्थल निर्मित हो गये हैं जो देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है ।
( हूमिन )