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    आप की पसंद 170204
    2017-02-06 15:39:19 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों नववर्ष 2017 में हम आपका स्वागत करते हैं और कामना करते हैं कि आप सभी पहले से अधिक खुशहाल रहें, पहले से ज्यादा समृद्ध रहें, आपके सारे अरमान पूरे हों और आप पहले के मुकाबले एक बेहतर जीवन जियें... इसी के साथ हम शुरु करने जा रहे हैं आज का आपकी पसंद कार्यक्रम, मित्रों पहले की ही तरह आज भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है .... शनिवार पेठ बीड शहर माहाराष्ट्र से पोपट कुलथे, हनुमंत कुलथे, समर्थ कुलथे, पी बी कुलथे और समस्त कुलथे परिवार ने इनके साथ ही हमें पत्र लिखा है नारेगांव औरंगाबाद महाराष्ट्र से दीपक आडाणे, श्याम आडाणे और इनके परिजनों ने आप सभी ने सुनना चाहा है प्यार का मौसम (1969) फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 1. नी सुल्ताना रे....

    पंकज - हमारे देश में दुनिया भर की ही तरह पर अलग अलग राज्यों और जातियों में अलग अलग तरह की मान्यताएं हैं, आज हम आपको कुछ बातें ऐसी की मान्यताओं को बारे में बताने जा रहे हैं, सबसे पहले बात करते हैं कि उत्तरी भारत में खासकर हिन्दू समुदाय के लोगों में मरने को लेकर क्या मान्यताएं मानी जाती हैं।

    इंसान के मरने के बाद यहां आती है आत्मा, अदृश्य दरवाजे बने हैं रहस्य

    दिल्ली से 500 किमी दूर एक ऐसा मंदिर है जहां इंसान के मरने के बाद उनकी आत्मा जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यहां चित्रगुप्त मरने वालों के कर्मों का लेखा जोखा करते हैं। जानिए कौन सा है ये मंदिर...

    - हम बात कर रहे हैं हिमाचल के चम्बा जिले के भरमौर शहर में मौजूद यमराज मंदिर की।

    -ये मंदिर एक घर जैसा दिखता है। लोग इस मंदिर के अंदर जाने से भी डरते हैं। अक्सर बाहर से ही हाथ जोड़ कर चले जाते हैं।

    - यहां ऐसा मानते हैं कि इस मंदिर में यमराज रहते हैं। ये मंदिर यमराज को समर्पित है।

    क्या है मान्यता

    इस मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा कहते है। चित्रगुप्त जो यमराज के सचिव हैं, हर इंसान के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। मान्यता है कि मरने के बाद इंसान पहले यहां आता है, जहां चित्रगुप्त उस इंसान को उसके कर्मों के बारे में बताते हैं। फिर सामने के कमरे में यमराज के सामने ले जाते हैं। इस कमरे को यमराज की कचहरी कहते हैं। यहां यमराज उसके कर्मों के हिसाब से उसे सजा सुनाते हैं।

    अंजली – वैसे अलग अलग क्षेत्रों और देशों के लोग अलग तरह की मान्यताओं में विश्वास करते हैं। पुराने समय में मानव सभ्यता कबीलों में रहा करती थी और हर कबीले का एक कुल देवता होता था, कबीले की अपनी आस्था, अपनी मान्यता होती थी। आज भी हम अगर कबीलाई इलाकों में जाएं तो हमें पता चलेगा कि हज़ारों वर्षों पुरानी मान्यताओं और आस्था को आज भी उन लोगों ने सहेजकर रखा है। तो चलिये मित्रों इसी बात पर कार्यक्रम का अगला गाना हो जाए, जिसके लिये हमें अगला पत्र लिखा है चंदा चौक अंधराठाढ़ी, ज़िला मधुबनी, बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन और इनके परिजनों ने इनके साथ ही हमें पत्र लिखा है मेन रोड मधेपुर, ज़िला मधुबनी से ही प्रमोद कुमार सुमन, रेनू सुमन और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है रेशमा और शेरा (1971) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं उद्धव कुमार और संगीत दिया है जयदेव ने, गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 2. इक मीठी सी चुभन, इक ठंडी सी अगन ....

    पंकज - यहां है चार अदृश्य दरवाजे

    ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में चार अदृश्य दरवाजे हैं। ये सोना, चांदी, तांबे और लोहे के बने हैं। यमराज सजा के अनुसार इंसान को किसी एक दरवाजे से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं। गरुड़ पुराण में भी इन दरवाजों के बार में उल्लेख किया गया है।

    कैसे पहुंचे

    By Air

    यहां का नजदीकी एयरपोर्ट धर्मशाला में गग्गल एयरपोर्ट है जो यहां से 185 किमी है। चंडीगड़, दिल्ली और कुल्लू से यहां डायरेक्ट फ्लाइट्स आती हैं।

    By Train

    पठानकोट यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो यहां से 118 किमी दूर है। यहां अहमदाबाद, जम्मू, दिल्ली, भटिंडा से रेग्युलर ट्रेनें आती हैं।

    By Road

    चंबा के लिए आसपास की सिटी से बसें चलती हैं।

    इसके बाद अब हम आपको इसी तरह की अगली मान्यता बताने जा रहे हैं मध्यप्रदेश में एक मंदिर है जहां पर खीर खाने के बारे में कहा जाता है कि संतान पैदा होती है।

    अंजली – मित्रों कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं पढ़ने जा रही हूं हमारे अगले श्रोता का पत्र जिसे हमें लिख भेजा है विश्व रेडियो श्रोता संघ चौक रोड कोआथ, रोहतास बिहार से सुनील केशरी, डीडी साहिबा, संजय केशरी, प्रियंका केशरी और इनके मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है बहारों के सपने (1967) फिल्म का गाना जिसे गाया है मन्ना डे और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 3. चुनरी संभाल गोरी .....

    पंकज - इस मंदिर की खीर खाने से पैदा होती हैं संतानें, देश दुनिया से आती हैं महिलाएं

    मध्य प्रदेश के रतलाम से 17 किमी दूर एक छोटे से शहर बिलपांक में प्राचीन विरुपाक्ष महादेव मंदिर है, जो एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। कहा जाता है कि इसके गर्भगृह में जो शिवलिंग है उसमें चमत्कारी शक्तियां है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां होने वाले यज्ञ में बनी खीर जो महिलाएं खाती हैं उन्हें संतान प्राप्ति होती है। इस यज्ञ में शामिल होने लोग देश-विदेश से हर साल यहां आते हैं।

    संतान प्राप्ति के लिए होता है यज्ञ

    हर साल ठंडियों में यहां बड़ा यज्ञ होता है। ऐसी मान्यता है कि ये यज्ञ संतान प्राप्ति के लिए कराया जाता है। इस यज्ञ में शामिल होने देश-विदेश से हजारों महिलाएं आती हैं। कहा जाता है कि अब तक ऐसे 3000 कपल्स यहां आ चुके हैं जिन्हें यहां आने से संतान प्राप्ति हुई। ये यज्ञ 7 दिन तक चलता है। हवन के उपर एक बर्तन में खीर बनाकर लटका दी जाती है जो पूरे सात दिन वहीं रहती है। यज्ञ समाप्त होने पर इस खीर को बाकी प्रसाद के साथ मिलाकर उन महिलाओं को दिया जाता है जिन्हें संतान प्राप्ति में कठिनाई आ रही हो। इस बार ये यज्ञ फरवरी 2017 में होगा। इस धरोहर को भारतीय पुरात्तव विभाग अपने अधीन लेने के लिए तैयार है लेकिन संस्कृति विभाग से अभी इस बात की परमिशन नहीं मिली है।

    क्या है इतिहास...

    विरुपाक्ष महादेव मंदिर 2000 साल पुराना है, जो एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। इस मंदिर के नाम पर ही इस शहर का नाम पड़ा। विरु (बिल) और पाक्ष (पंख)। कहा जाता है कि ये एक ज्योर्तिलिंग है। ये मंदिर परमार-चालुक्य शैली में बना है। मंदिर में चालुक्य राजा जयसिंह का शिलालेख लगा है जो 1198 का है और इस पर देवनागिरी लिपि में लिखा गया है। चालुक्य शासन के समय मंदिरों के द्वार छोटे होते थे। इस मंदिर का भी द्वार छोटा है। गर्भगृह के द्वार पर गंगा, जमुना, द्वारपाल और सुंदरियों की मूर्तियां बनी हैं। यहां गर्भगृह में प्राचीन काल के शिवलिंग है।

    अंजली – श्रोता मित्रों बहुत सारी परंपराओं की शुरुआत भी बहुत दिलचस्प होती है लेकिन समय के साथ साथ वो परंपराएं और मान्यताएं मज़बूत होती जाती हैं, इतनी मज़बूत हो जाती हैं कि उन्हें तोड़ना या उनसे बाहर आना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन वैज्ञानिक युग में हम जिन परंपराओं या मान्यताओं को मानें तो उसे पहले तर्क की कसौटी पर कस लें फिर उसपर यकीन करें, वैसे भी अगर कोई मान्यता मानने में आपका कुछ नुकसान न हो तो भी आप उसे मान सकते हैं। इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिखा है हमारे पुराने और चिर परिचित श्रोता मंदार श्रोता संघ, बांका, बिहार से कुमोद नारायण सिंह, बाबू, गीतांजली, सनातन, अभय प्रताप गोलू, कृष भूटानी और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मुस्कुराहट (1992) फिल्म का गाना जिसे गाया है उदित नारायण, कविता कृष्णमूर्ति और एम जी श्रीकुमार ने, गीतकार हैं सूरज सनीम और संगीत दिया है रामलक्ष्मण ने, गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 4. अपनी जेब में लाखों होंगे .....

    पंकज - शिवलिंग के पास है रेडियोएक्टिव एरिया

    प्रसिद्ध वैज्ञानिक श्री कृष्णन के एक साथी ने बताया कि सूर्य की ही तरह इसके शिवलिंग के आसपास हीलियम और न्यूट्रॉन का घेरा है जिस वजह से ये एरिया रेडियोएक्टिव है। एंथ्रोपोलिस्ट्स के अनुसार ये तांत्रिकों का मिलन स्थान रहा है जहां अमावस्या पर वे साधना करते थे। ये शिवलिंग विजिटर्स के लिए नहीं खुला है, इसे बंद कर दिया गया है। उसी जगह के ऊपर दूसरा शिवलिंग बना है जहां सब शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं।

    मंदिर के चारों कोनों में सहायक मंदिर बने हैं। इस मंदिर में 64 स्तंभ हैं, लेकिन इसका आर्किटेक्चर ऐसा है कि हर बार गिनने से ये अलग नंबर में आते हैं। इस स्तंभों में मुगल काल, मौर्य काल और बौद्ध काल के चिन्ह मिलते हैं। ये इस मंदिर की प्राचीनता के प्रमाण हैं। मुगलों ने अपने शासन काल में यहां अपनी उपस्थिति के रुप में एक स्तंभ का डिजाइन अपने तरीके से बनाया है, उसी तरह मंदिर के शिखर पर मस्जिद की तरह डिजाइन भी बनी है। इस मंदिर के मंडप में नृत्यांगनाओं की अलग-अलग मुद्राएं बनी हैं जो प्राचीन काल की खूबसूरत कला का प्रदर्शन करती है।

    विरुपाक्ष मंदिर का मूलशिखर मुगल आक्रमण के समय नष्ट कर दिया गया था। बाद में इसका जीर्णोद्धार सैलाना के राजाओं द्वारा किया गया। इस मंदिर की नींव नहीं है, इसे जमीन पर उपर से रखा गया है लेकिन इसके पत्थर इतने मजबूत हैं कि मुस्लिम आक्रमण में बस कुछ ही मूर्तियां खंडित हुई हैं।

    अंजली - श्रोता मित्रों बहुत दिनों के बाद हमारे पास एक पुराने श्रोता का पत्र आया है और ये श्रोता हैं परमवीर हाउस, आदर्श नगर, बठिंडा, पंजाब से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीती ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर और समस्त ग्रोवर परिवार, आप सभी ने सुनना चाहा है मिस्टर इंडिया (1987) फिल्म का गाना जिसे गाया है कविता कृष्णामूर्ति ने गीतकार हैं जावेद अख्तर और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 5. हवा हवाई .....

    पंकज - और अब रुख करते हैं अगली मान्यता का ....

    ध्यान रखें जूतों से जुड़ी ये बातें, शनिदेव बिगाड़ सकते हैं बनते काम

    ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत मानव जीवन से जुड़ी हर वस्तु को किसी न किसी ग्रह से जोड़ा गया है। कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति की कुण्डली का आठवां भाव पैरों के तलवों से संबंधित है। आठवें भाव से भोग विलासिता और जीवन में व्यक्ति कितनी उन्नति करेगा, यह पता लगता है।

    आठवा भाव पैरों से जुड़ा होने के कारण इसका असर जूतों पर भी पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में जूते शनि से संबंधित माने गए हैं। कई बार जूतों के कारण ही हमारे बनते काम बिगड़ जाते हैं और हम इस बात से अंजान रहते हैं। 26 जनवरी 2017 को शनि राशि परिवर्तन कर तुला से मकर में प्रवेश करेगा। इस मौके पर हम आपको जूतों से संबंधित कुछ ऐसी ही कुछ खास बातें बता रहे हैं, जो भविष्य में आपके काम आ सकती हैं।

    कभी तोहफे में मिले जूते या फिर चुराए हुए जूते नहीं पहनना चाहिए इससे प्रमोशन और दूसरे कामों में रुकावट हो सकती है। फटे और उधड़े जूते पहनकर नौकरी ढूंढने न जाएं इससे असफलता मिलने का भय बना रहता है। ऑफिस या कार्यक्षेत्र में भूरे रंग के जूते पहनकर जाने से व्यक्ति के कार्य में बाधाएं पैदा होती हैं। मेडिकल फील्ड और लोहे से जुड़े काम करने वालों को सफेद जूते पहनने से बचना चाहिए। बैंक कर्मियों और शिक्षकों को कॉफी रंग के जूते नहीं पहनने चाहिए। पानी से संबंधित और आयुर्वेदिक कामों से जुड़े लोगों को नीले रंग के जूते नहीं पहनना चाहिए।

    अंजली – श्रोता मित्रों हमें अगला पत्र लिखा है नारनौल हरियाणा से उमेश कुमार शर्मा, प्रेमलता शर्मा, सुजाता, हिमांशु और नवनीत ने आप सभी ने सुनना चाहा है विजय (1988) फिल्म का गाना जिसे गाया है सुरेश वाडकर और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं निदा फाज़ली, और संगीत दिया है शिव-हरि ने गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 6. बादल पे चल के आ ....... .

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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