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    आप की पसंद 170121
    2017-02-03 13:33:47 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है .... मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश से मोहम्मद इरशाद, शमशाद अहमद, गुफ़रान अहमद, नेयाज़ अहमद, इरशाद अहमद अंसारी अब्दुल वासे अंसारी रईस अहमद, शादाब अहमद, शारिक अनवर, दिलकशां अनवर ने आप सभी ने सुनना चाहा है खूबसूरत (1999) फिल्म का गाना जिसे गाया है जिसे गाया है कुमार शानू और कविता कृष्णामूर्ति ने गीतकार हैं संजय छैल संगीत दिया है जतिन ललित ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 1. घूंघट में चांद होगा ....

    पंकज - आज हम बात करेंगे एक लातिन अमरीकी देश पेरू की जहां पर पिछले एक दशक में ही गरीबी दर घटकर आधी रह गई है।

    लातिन अमरीकी देश पेरू आर्थिक तरक्की की नज़ीर पेश कर रहा है.

    पिछले एक दशक में पेरू ने अपनी गरीबी दर को पचास फीसदी से कम कर दिया है.

    इस तरक्की ने वहां की पचास से 22 फीसदी जनसंख्या के जीवन को प्रभावित किया है.

    पेरू में पिछले पांच वर्षों में सत्तर लाख लोगों की गरीबी कम या खत्म हुई है.

    यह दावा तो नहीं किया जा सकता कि वहां गरीबी पूरी तरह से खत्म हो गई है लेकिन इतना तो माना जा सकता है कि वहां लाखों लोगों की जिंदगी पहले से बेहतर जरूर हुई है.

    पेरू के शहरों में इस असर को साफ देखा जा सकता है.

    लीमा के एक ज़िले के विला अल सालवाडोर के एक गांव में रहने वाले टोनी पॉलोमीनो के अनुसार,' पहले इसकी गिनती अभागे गांवों में होती थी लेकिन आज यहां पर वह सब सुविधाएं मौजूद हैं जिनका ख्वाब कभी हम देखा करते थे.'

    टोनी के मुताबिक उन्होंने अपने भाई—बहनों को गरीबी के कारण मरते देखा है.

    टोनी बताते है कि,'पहले यहां जीवन काफी कठिन था.यहां पानी और बिजली नहीं थे. लोगों को भोजन हासिल करने के लिए मीलों पैदल जाना पड़ता था.'

    पेरू के राष्ट्रपति पेडरो पैबलो क्यूचिंस्की कहा कि,' कई लिहाज से देखा जाए तो आज हम पेरू को पहचान नहीं पाएंगे. आज दस वर्ष पहले ट्रक चला रहे कई लोगों का नाम आज पेरू के प्रमुख उद्योगपतियों में शुमार होता है. आज पेरू का व्यापारी वर्ग अपने अतीत से पूरी तरह से अलग है और यह अच्छे बदलाव का संकेत है.

    'कैसे शुरु हुई बदलाव की कहानी

    अंजली – श्रोता मित्रों 1990 का दशक तो भारत के लिये भी बदलावों से भरा था, जब डॉक्टर मनमोहन सिंह ने नरसिम्हा सरकार के दौरान भारत के आर्थिक दरवाज़े विश्व के लिये खोले थे और उसका असर आज हमें दिखाई दे रहा है जहां पर भारत विश्व में दूसरी सबसे तेज़ उभरती हुई अर्थव्यवस्था बन गया है जिसकी गति इस समय विश्वमें सबसे अधिक है। वैसे भी कोई भी अर्थव्यवस्था सिर्फ़ पांच या दस वर्षों में तेज़ी से विकास नहीं कर सकती लेकिन अगर उसका आधार बीस या पच्चीस वर्ष तैयार किया गया हो तो फिर उसके बहुत अच्छे नतीजे देखने को मिलने लगते हैं, उदाहरण के तौर पर चीन में ही 1978 में आर्थिक परिवर्तन शुरु किये गए थे जिनका असर 1990 के दशक से ही देखने को मिलने लगा था। खैर अब मैं उठाती हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है नारनौल हरियाणा से उमेश कुमार शर्मा, प्रेमलता शर्मा, सुजाता, हिमांशु, नवनीत और इनके सभी मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म प्यार तो होना ही था (1998) का गाना जिसे गाया है उदित नारायण और आशा भोंसले ने गीतकार हैं समीर और संगीत दिया है जतिन ललित ने और गीत के बोल हैं -------

    सांग नबंर 2. अजनबी मुझको इतना बता .......

    पंकज - इस बदलाव की कहानी 1990 के दशक से शुरू होती है.

    इसी दशक में इस देश में विश्व बैंक के ढांचागत बदलाव कार्यक्रम के तहत अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया गया.

    नए बाज़ारों के लिए अपने दरवाजे खोलने के चलते पेरू को अपने खनिजों की रिकॉर्ड निर्यात कीमतें मिली.

    चीन ने इन खनिजों की खरीद में अहम भूमिका निभाई.

    बाज़ारों के खुले दरवाजों ने विदेशी निवेश को भी आकर्षित किया.

    इसके चलते वहां पर सार्वजनिक कर्ज़ और मंहगाई की दर कम हुई और घरेलू बचत बढ़ी.

    पेरू को आज लातिन अमरीकी देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक में गिना जाता है.

    आज पेरू में पैसा बरस रहा है. पेरू में 1990 में निर्यात तीन हजार मिलियन डॉलर था जो 2010 में बढ़कर 36 हज़ार मिलियन डॉलर हो गया.

    लेकिन सिर्फ सरकारी नीतियों की बदौलत पेरू ने यह मुकाम हासिल नहीं किया है.

    जनता की भागीदारी

    इसमें जनता की भी सक्रिय और अहम भागीदारी रही है.

    अल्बर्टो फुजीमोरी के सरकार के समय पेरू की अर्थव्यवस्था स्थिर हुई और इसका विकास हुआ.

    फुजीमोरी फिलहाल 'इंसानियत के खिलाफ़ किए अपराधों ' के लिए सजा काट रहे हैं.

    सरकारी नीतियों के कारण बजट और नौकरियों में कटौती को बढ़ावा मिला. इसके प्रतिरोध में पेरू की जनता सड़कों पर उतर गई.

    अंजली – मित्रों आप पंकज की बातों को सुनें उससे पहले मैं आप सभी को एक और मधुर गीत सुनवाने जा रही हूं जिसके लिये हमें पत्र लिखा है परमवीर हाऊस, आदर्श नगर, बठिंडा, पंजाब से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीति ग्रोवर, पवनीत ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर और समस्त ग्रोवर परिवार ने आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म बुड्ढा मिल गया (1971) का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले और किशोर कुमार ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 3. भली भली सी इक सूरत ......

    पंकज - टोनी के अनुसार,''हमें शुरू से पता था कि कोई बाहरी मदद हमें मिलने वाली नहीं हैं. पानी,बिजली... इन सबके लिए हमें मालूम था कि लड़ना होगा. हमारे यहां यह कहावत चल गई थी कि 'क्योंकि हमारे पास कुछ नहीं ,सो हमें हर चीज़ करनी पड़ेगी.' सो हमने स्कूल से लेकर खेलने के मैदान तक खुद बनाए और यह सब तब हुआ जब हमने इन सुविधाओं को लेकर सरकारी दफ्तरों के सामने बड़े प्रदर्शन आयोजित किए। सरकार हमारे पास कुछ देने के लिए नहीं आई ,यह जनता की मांग का दबाव था। इस दबाव को डालकर ही हमने अपने लिए यह सब हासिल किया है।''

    जनता के गुस्से में थी और उसने सही वक्त पर इसे दिखाया. सरकार को जनता के समर्थन की जरूरत थी सो उसने जनता की मांग को पूरा किया।

    पंकज - मित्रों भारत में तमिल सुपरस्टार के अलावा भी एक और प्रादेशिक फिल्म स्टार है जिनकी फिल्म लगने पर विदेशों में कई कंपनियों और सरकारों ने अपने कर्मचारियों को छुट्टी दे दी है।

    दुनिया के हर मुल्‍क में भारतीय दर्शक अपने चहेते स्‍टार की फिल्‍में देखने के लिए वैसे तो समय निकाल ही लेते हैं लेकिन यदि कंपनियां उनको इस‍के लिए छुट्टी की सौगात दें तो बात ही निराली हो जाती है. वैसे तो आमतौर पर रजनीकांत की फिल्‍मों के लिए दुनिया भर में इस तरह का क्रेज देखने को मिलता है लेकिन ताजा मामला तेलुगु सुपरस्‍टार चिरंजीवी की नई फिल्‍म से जुड़ा है.

    चिरंजीवी की नई फिल्‍म 11 जनवरी यानी बुधवार को खाड़ी देशों में रिलीज होने जा रही है और उनके क्रेज को देखते हुए वहां की कई कंपनियों ने बुधवार को छु्ट्टी का ऐलान कर दिया है. हालांकि सरकार की तरफ से किसी खाड़ी देश में ऐसा ऐलान नहीं हुआ है, बस कंपनियों ने अपनी तरफ से ऐसा किया है.

    चिरंजीवी की इस फिल्‍म की सबसे बड़ी खासियत यह मानी जा रही है कि इसके जरिये 10 वर्षों के बाद पहली बार यह तेलुगु सुपरस्‍टार रुपहले पर्दे पर दिखेगा. दूसरी बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि यह चिरंजीवी की 150वीं फिल्‍म है. ऐसे में इसको उत्‍सव की तरह मनाने के लिए इस तरह की तैयारियां की जा रही हैं. संभवतया इसीलिए इस फिल्‍म का नाम 'खिलाड़ी नंबर 150' है.

    अंजली – मित्रों हमारे कार्यक्रम के अगले श्रोता हैं मंदार श्रोता संघ, बांका, बिहार से कुमोद नरायाण सिंह, बाबू, गीतांजली, सनातन, अभय प्रताप गोलू, कृष भूटानी और इनके ढेर सारे साथी आप सभी ने सुनना चाहा है गर्दिश (1993) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले और एस पी बालासुब्रमण्यम ने गीतकार हैं जावेद अख्तर और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -------

    सांग नंबर 4. रंग रंगीली रात गाए आ झूम ले ......

    पंकज - उल्‍लेखनीय है कि खाड़ी देशों बहरीन, ओमान, सऊदी अरब, कतर, कुवैत और यूएई में चार लाख तेलुगु भाषी रहते हैं. इनमें से ज्‍यादातर कामगार हैं. हालांकि कुछ लोगों ने अपनी मेहनत से ऊंचा मुकाम भी हासिल किया है. यह फिल्‍म भारत के अलावा ऐसे मुल्‍कों में रिलीज होने जा रही है जहां तेलुगु भाषियों की संख्‍या अपेक्षाकृत ज्‍यादा है. खाड़ी देशों के 500 थिएटरों में इसको रिलीज किए जाने की संभावना है. केवल संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई) के 20 थिएटरों में इसको रिलीज किए जाने की संभावना है.

    गौरतलब है कि फिल्‍मों से दूर होने के बाद चिरंजीवी ने राजनीति में अपनी किस्‍मत आजमाई। उन्‍होंने अपनी एक पार्टी भी बनाई थी जिसका बाद में कांग्रेस में विलय हो गया। वे यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे।

    पंकज - जिस आइडिए पर मां को आईं थी शर्म, आज उसी से खड़ी की 270 करोड़ की कंपनी

    नई दिल्ली. महिलाओं के लिए बाजार में कई बार दुकान से अंडरगार्मेंट खरीदना काफी मुशकिल होता है। यदि दुकानदार पुरुष हो तो ये और कठिन हो जाता है। इसी समस्या को समझते हुए रिचा कर ने शुरुआत की ऑनलाइन साइट जिवामे की। हालांकि रिचा ने जब अपने इस आइडिया को घर में शेयर किया तो, सबसे पहले उनकी मां ने ही विरोध किया।

    अंजली – श्रोता दोस्तों काम कोई भी हो छोटा नहीं होता... लेकिन कोई भी काम करने के लिये समझदारी के साथ साथ मज़बूत इरादों की हमेशा ज़रूरत होती है। अगर आपके इरादे मज़बूत हैं तो यकीन मानिये कि रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं। वैसे भी आजकल का ज़माना किसी की चाकरी करने का नहीं है बल्कि खुद का काम शुरु करने का दौर है। ऐसा करके आप खुद तो देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देते ही हैं साथ ही कुछ लोगों को रोज़गार भी देते हैं। हमारे अगले श्रोता हैं विश्व रेडियो श्रोता संघ, चौक रोड, कोआथ, रोहतास, बिहार से सुनील केशरी, डीडी साहिबा, संजय केशरी, प्रियंका केशरी और इनके ढेर सारे मित्र, आप सभी ने सुनना चाहा है ब्लैकमेल (1973) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं राजेन्द्रकृष्ण, संगीत दिया है कल्याणजी आनंदजी ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 5. मैं डूब जाता हूं .....

    पंकज - मां ने कहा- अपनी दोस्तों को कैसे बताउंगी कि बेटी ब्रा-पैंटी बेचती है...

    - रिचा का जन्म जमशेदपुर के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। उन्होंने बिट्स-पिलानी से पढ़ाई की।

    - रिचा के मुताबिक उनकी मां ने कहा कि मैं अपनी दोस्तों को कैसे बताउंगी कि मेरी बेटी ब्रा-पैंटी बेचती है।

    - वहीं उनके पिता को तो समझ ही नहीं आया कि वो कौन सा काम करना चाहती हैं। इसके अलावा लोग उनके बिजनेस पर हंसते थे।

    छोड़नी पड़ी नौकरी, शुरुआत में आई काफी मुशकिलें

    - रिचा ने 2011 में जिवामे की शुरुआत 35 लाख रुपए में की। इसे उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार वालों से जुटाया। इसमें उनकी अपनी सेविंग्स भी शामिल थी।

    - रिचा को बिजनेस की शुरुआत करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। उन्हें अपनी तक नौकरी छोड़नी पड़ी।

    - रिचा बतातीं हैं कि जब लैंडलॉर्ड से जगह के लिए बात कर रही थीं तो वे अपने बिजनेस के बारे में बताने से पहले चुप हो गईं और फिर बोलीं कि वे ऑनलाइन कपड़े बेच रही हैं।

    - इसके बाद उन्हें ऑफिस के लिए स्पेस मिला। इसी तरह उन्हें पेमेंट गेटवे हासिल करने के लिए काफी परेशानी हुई।

    देश के हर पिन कोड पर करती है डिलवरी

    - रिचा की कंपनी की वेल्यू आज 270 करोड़ रुपए है। उनका रेवेन्यू सालाना आधार पर 300 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।

    - जिवामे के ऑनलाइन लॉन्जरी स्टोर में फिलहाल 5 हजार लॉन्जरी स्टाइल, 50 ब्रांड और 100 साइज हैं। कंपनी ट्राई एट होम, फिट कंसल्टेंट, विशेष पैकिंग और बेंगलुरु में फिटिंग लाउंज जैसी ऑफरिंग्स दे रही है।

    - कंपनी इस समय भारत में सभी पिन कोड पर डिलिवरी करती है। इस सफलता के लिए रिचा को साल 2014 में फॉर्च्यून इंडिया की 'अंडर 40' लिस्ट में शमिल किया गया। वाह रिचा आपने तो कमाल ही कर दिया, खुद का काम शुरु किया और अपने माध्यम से ढेर सारे लोगों को रोज़गार भी दिया।

    अंजली - मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं चंदा चौक अंधराठाढ़ी ज़िला मधुबनी बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन, इनके साथ ही मेन रोड मधेपुरा मधुबनी से ही प्रमोद कुमार सुमन, रेनू सुमन और इनके ढेर सारे मित्र, आप सभी ने सुनना चाहा है परिंदा (1989) फिल्म का गाना जिसे गाया है सुरेश वाडकर और आशा भोंसले ने गीतकार हैं खुर्शीद हल्लूरी संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. प्यार के मोड़ पे .....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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