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    तिब्बती विशेष व परंपरागत उत्पाद नीमू धूपबत्ती
    2017-01-06 15:04:11 cri

     

    चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में अनेक विशेष उत्पाद हैं जो तिब्बत के इतिहास, संस्कृति और समाज के विकास से घनिष्ठ तौर पर जुड़े हुए हैं । नीमू धूपबत्ती तिब्बत के विशेष व परंपरागत उत्पादों में से एक भी है जिसका 1300 साल का इतिहास है । नीमू धूपबत्ती तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की नीमू काउटी का विशेष उत्पाद है, इस के उत्पादन में तीन सौ से अधिक विशेष चीज़ों व दवाइयों की शामिली भी है । दीर्घकाल तक की सूक्ष्मता से उत्पादित नीमू धूपबत्ती अपनी असाधारण गुणवत्ता से पूरे तिब्बत में सुप्रसिद्ध हो गया है ।

    नीमू धूपबत्ती बनाने वाले हस्त शिल्पियों का कहना है कि धूपबत्ती बनाते समय सर्वप्रथम सरू पेड़ के लकड़ी को छोटे छोटे टुकड़े काटकर पाउडर बनाये जाते हैं । इस के बाद लकड़ी के पाउडर में तरह तरह की सुगंधित सामग्रियों को साथ-साथ मिश्रित किया जाता है । फिर किसी रूप की भुकड़ियों में नीमू धूपबत्ती का अंतिम रूप दिया जा सकता है । आम तौर पर नीमू धूपबत्ती का आकार या तो पट्टी, टॉवर या पाउच के रूप में दिखता है । ऐसे सुगंधित चीज़ें लेकर कीटों व प्रदूषण को रोकने की भूमिक भी साबित है । अब नीमू धूपबत्ती देश के गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की नामसूची में भी शामिल कराया गया है । और ऐसे धूपबत्ती के उत्पादन पर काफी ध्यान आकर्षित हो गया है ।

    नीमू धूपबत्ती तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की नीमू काउटी का एक विशेष उत्पाद है जिसका 1300 साल पुराना इतिहास है । नीमू धूपबत्ती का उत्पादन अड्डा नीमू काउटी के टूनबा कस्बे में रहता है । सैकड़ों वर्षों से पहले यहां के लोगों ने स्वच्छ पानी, सुहावना जलवायु और पर्याप्त संसाधनों के सहारे अपनी अद्भुत कौशल से सुप्रसिद्ध नीमू धूपबत्ती का उत्पादन करना शुरू किया था ।

    नीमू काउटी में एक टूनबा गांव है जिसके पास टूनबा नदी कलकल से बहती रहती है । यहां के गांववासी बीते एक हजार वर्षों के समय में नीमू धूपबत्ती बनाने की कौशल में संलग्न होते रहे हैं । गांववासी सेरिंग दोरजे को नीमू धूपबत्ती बनाते दसेक वर्ष हुए हैं । दोरजे ने कहा कि उन्हों ने भी अपने पिता जी के हाथ से नीमू धूपबत्ती बनाने की कौशल सीखी थी । अब नीमू धूपबत्ती बनाना उन के रोज़ाना जीवन का अंक हो गया है । दोरजे ने नीमू धूपबत्ती के उत्पादन का परिचय देते हुए कहा कि इस धूपबत्ती बनाने में अनेक प्राकृतिक सुगंधित सामग्रियों का मिश्रण करना होता है । तब इसे सूर्य धूप में सुखाये जाने लगता है । अंत में इसे कमरे के तापमान में रखकर सूखा बनाया जाता है ।

    धार्मिक गतिविधियों में नीमू धूपबत्तियों का खूब इस्तेमाल होता है । इसके अलावा नीमू धूपबत्ती के प्रयोग से बैक्टीरिया और दाग को हटाने की क्षमता भी मौजूद है । कहना है कि नीमू धूपबत्तियों के इस्तेमाल से जुकाम और अनिद्रा को रोकने की भूमिका भी साबित है । इससब का श्रेय नीमू धूपबत्तियों में मिश्रित सुगंधित सामग्रियों और तिब्बती दवाओं तक जाता है । आम तौर पर नीमू धूपबत्तियों में कुसुम, संदल, लौंग, एंजेलिका सहित तीस से अधिक दवाओं का मिश्रण किया जाता है । बाजार में बाजार में बिक्री हो रही नीमू धूपबत्तियों में जो उतना अधिक महंगा है, उस में मिश्रित दवा भी ज्यादा शामिल हुए हैं ।

    तिब्बत में अनेक मशहूर धूपबत्तियां हैं, नीमू धूपबत्ती उन में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है । नीमू धूपबत्तियों के निर्माण में अपना विशेष फार्मूला है और इसमें यह नियम भी है कि नीमू धूपबत्ती के उत्पादन की प्रक्रिया में किसी भी जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है । मिसाल है कि गांव के पास बहती टूनबा नदी में कोई मछली नहीं है । इसके बारे में एक सुन्दर कहानी भी है कि नीमू धूपबत्ती के सबसे पुराने उत्पादकों ने धूपबत्ती बनाने में पानी का प्रयोग करना पड़ता था, पर उन्हों ने इस नदी में मेंढक और मछली को चोट न करने के लिए टूनबा नदी और याच्यांग नदी के संगम पर पत्थर का एक बोर्ड खड़ा दिया जिस पर यह लिखा था कि मछली इस नदी में मत आओ । तब से अभी तक टूनबा नदी में कोई मछली भी मौजूद नहीं है ।

    समय के परिवर्तन के साथ-साथ टूनबा गांव का विकास करना भी अनिवार्य हुआ था । वर्ष 2011 में तिब्बत सवायत्त प्रदेश की सरकार ने चीनी शहरी योजना और डिजाइन अकादमी के विशेषज्ञों को टूनबा गांव के लिए विकास योजना बनाने का काम सौंप दिया । योजनानुसार गांव में दूसरे क्षेत्रों के जैसे नये नये सुन्दर मकानों और सीमेंट मार्गों का निर्माण किया गया है । पर्यटन के विकास से अधिकाधिक पर्यटक यहां का दौरा करने आते रहे हैं । पर्यटक यहां मनोहर दृश्य का आनंद लेते समय अपने परिवारजनों के लिए तैयार उपहार के रूप में नीमू धूपबत्ती खरीद लेते हैं । पर्यटकों का कहना है कि नीमू धूपबत्ती का नाम उन्हें भीतरी इलाकों में ही सुनाया जाता है । टूनबा गांव का दौरा करते हुए जरूर ही ऐसा विशेष उपहार खरीदना चाहिये ।

    टूनबा गांव में केवल धूपबत्ती नहीं है , यहां के सुंदर घास मैदान पर लाल व सफेद रंग वाले तिब्बती मकान खड़े रहते हैं । चरवाहे अपने पशुओं के साथ गांववासी मार्गों पर चलते नज़र आ रहे हैं । यही नहीं , यहां चीन का प्रथम तिब्बती शब्द लिपि संग्रहालय भी स्थापित है । लकड़ी से बने इस संग्रहालय में तिब्बती गाइड पर्यटकों के लिए तिब्बती लिखावट की जानकारी देते रहते हैं । टूनबा गांव के मुखिया फूनछोक ने कहा कि हमारे यहां पर्यटक रिसेप्शन क्षेत्र, दृश्यों का आनंद लेने वाला क्षेत्र, तिब्बती संस्कृति प्रदर्शनी और नीमू धूपबत्ती बिक्री केंद्र आदि भी स्थापित हैं । पर्यटक यहां से प्राकृतिक दर्श्यों का आनंद लेने के साथ साथ नीमू धूपबत्ती के उत्पादन की जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं ।

    आर्थिक वृद्धि और पर्यटन के विकास के साथ टूनबा गांव में बहुत से लोग पर्यटन उद्योग में शामिल हुए हैं । तिब्बती गांववासी त्सोमो ने बताया कि खेती कम होने के कारण उन के घर का जीवन इतना अच्छा नहीं था । पर्यटन के विकास से परिवार के सभी लोगों को नौकरी मिल चुकी है । अब उन की बेटी ट्रैवल कंपनी में तिब्बती ओपेरा का प्रदर्शन करती है, बेटा भी गाइड का काम कर रहा है । त्सोमो ने गांव में एक दुकान खोला है और वो एक साल में भी कई हजार युवान कमा सकते हैं । पर्यटकों के आने से गांवासियों का विचार भी पहले से अलग हो गया है ।

    हाल ही में चीनी शहरी योजना और डिजाइन अकादमी के विशेषज्ञों को टूनबा गांव के लिए एक दीर्घकालीन विकास योजना बनायी है । अब गांव का निर्माण योजनानुसार कदम ब कदम किया जा रहा है । टूनबा गांव के मुखिया फूनछोक ने कहा कि गांव में रेस्टोरेंट सड़क, फल वाटिका, शॉपिंग सेंटर का निर्माण भी किया जाएगा । तब पर्यटक हमारे यहां भोजन खा सकते हैं , खेतों में खुद सब्जियां और फूल ले सकते हैं , और इस के बाद शॉपिंग सेंटर में नीमू धूपबत्ती जैसे उपहार खरीद सकते हैं ।

    चर्चित है कि टूनबा गांव के सामने ल्हासा-चिगाज़े रेल मार्ग का निर्माण जोरों पर किया जा रहा है । बाद में टूनबा गांव में भी एक रेल स्टेशन खड़ा हो जाएगा । तब हजारों पर्यटक देश विदेश से आकर नीमू धूपबत्तियों की सुगंध सारी दुनिया तक फैलाएंगे ।

     

    नीमू काउटी के बारे में कुछ जानकारियां

    नीमू काउटी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के मध्यम भाग और यालुचांगबू नदी के उत्तर तट पर स्थित है । नीमू नगर तिब्बत की राजधानी ल्हासा से 147 किलोमीटर की दूरी पर है । नीमू काउटी 3275 वर्ग किलोमीटर विशाल है जबकि इस की जनसंख्या केवल 34 हजार तक रही है, उन में अधिकांश लोग तिब्बती जाति के हैं ।

    नीमू का तिब्बती भाषा में मतलब है गेहूं । प्राचीन काल के युवान राजवंश के समय ही नीमू क्षेत्र में शासनीय संस्था स्थापित हुई थी । सन 1959 में नीमू काउटी की स्थापना की गयी ।

    नीमू काउटी की औसत ऊंचाई 3800 मीटर ऊंची है और काउटी में अधिकांश क्षेत्र घासमैदान और जंगल है । नीमू काउटी में समृद्ध प्राकृतिक संसाधन मौजूद है जिनमें शामिल हैं कॉपर, संगमरमर और अनेक किस्म वाले जंगलात पशु । भीतरी इलाकों की मदद से नीमू काउटी में आर्थिक विकास बड़ी तेज़ी से किया जा रहा है और जन जीवन का सुधार करने में भी भारी प्रगतियां हासिल हो चुकी हैं ।

    स्थानीय सरकार ने शिक्षा के विकास में गति देने के लिए सभी गरीब किसान व चरवाहों के छात्रों को सहायता प्रदान की । किसान व चरवाहे परिवारों के बच्चों को सब निशुल्क तौर पर स्कूल में दाखिल करवाया गया है । अब काउटी में एक अस्पताल, 8 क्लीनिक और 26 गांववासी चिकित्सालय स्थापित हो गये हैं । सभी किसानों व चरवाहों को सहयोग चिकित्सा व्यवस्था में शामिल करवाया गया है ।

    नीमू काउटी के सभी 22 मंदिरों में दो सौ से अधिक भिक्षु रहते हैं । सरकार ने महत्वपूर्ण मंदिरों में सब सांस्कृतिक अवशेषों का अच्छी तरह संरक्षण किया है । अब नीमू काउटी में भी एक टीवी स्टेशन और एक रेडियो स्टेशन स्थापित हैं , शत प्रतिशत परिवारों को टेलिफोन सर्विस प्राप्त हो गया है । काउटी में एक संस्कृति केंद्र तथा दर्जनों गांववासी सांस्कृतिक स्टेशन भी हैं ।

    सरकार की मदद से अब नीमू काउटी में सभी टाउनशिपों तक जाने वाले डामर सड़कों का निर्माण किया गया है । नीमू से ल्हासा और चिगाज़े तक जाने का राज मार्ग भी प्रशस्त हो चुका है । परिवहन के सुधार से नीमू काउटी में पर्यटन उद्योग का बड़ी तेज़ी से विकास किया जा रहा है । अब नीमू काउटी धूपबत्ती, तिब्बती शब्द लिपि संग्रहालय तथा देशभक्ति शिक्षा अड्डे से देशभर में सुप्रसिद्ध हो गया है ।

    ( हूमिन )

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