दोस्तो, हाल ही में चीन में विभिन्न स्तरीय सरकारों के सांस्कृतिक विभाग गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों पर बड़ा ध्यान देते हैं। और इसकी रक्षा से संबंधित नीति-नियम भी लागू किया जा रहे हैं। लेकिन रक्षा के अलावा पुरातन गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों का विकास कैसा होगा?यह एक मुश्किल व जटिल समस्या है। चीन के हाएनान प्रांत के सानया क्षेत्र के एक छोटे से गांव में सीआरआई के संवाददाता ने सौभाग्य के साथ प्राइमरी स्कूल में एक दिलचस्प संगीत कक्षा सुनी। यहां हम न सिर्फ़ हाएनान द्वीप में रहने वाली जनता के हंसमुख व आशावादी चरित्र को महसूस कर सकते हैं, बल्कि स्थानीय पुरातन गीतों में उन का प्राकृतिक जोश व प्रेम तथा गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के कारगर विकास में उन की कोशिश भी गहन रूप से महसूस कर सकते हैं।
हाएनान का अक्तूबर गर्म होता है। सानया शहर के याचो क्षेत्र में स्थित बाओफिंग गांव चीन के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल पृथ्वी के छोर से 20 किलोमीटर दूर है। यहां याचो लोकगीत का जन्मस्थान है। सुबह अध्यापक माई ईबिन पुरातन शैली की एक इमारत में पहुंचे। यहां याचो लोकगीत का प्रशिक्षण व अभ्यास केंद्र है, जहां वे अकसर छात्रों को संगीत कक्षा देते हैं।
53 वर्षीय माई ईबिन प्राइमरी स्कूल के एक अध्यापक हैं। वे जन्म से ही बाओफिंग गांव में रहते हैं, और याचो लोकगीत के उत्तराधिकारी भी हैं। वर्ष 2006 के मई में याचो लोकगीत पहले खेप वाले चीन के राष्ट्रीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों के नामसूची में शामिल किया गया। बीते कई सालों में याचो लोकगीत लोगों के ख्याल से अप्रचलित हो गये। इसलिये माई ईबिन को इस क्षेत्र में कोई साथी नहीं मिला। लेकिन तीन साल पहले उन्होंने सरकार व स्कूल से समर्थन पाकर बाओफिंग गांव के कांगशी प्राइमरी स्कूल में चीनी भाषा सीखाने के साथ साथ याचो लोकगीत को भी सिखाना शुरू किया। उन्होंने कहा,आज हम एक लोरी गाएंगे। इस गीत के बोल ऐसे हैं:मां बच्चे के सोने के लिए गीत गाती हैं, और बच्चे को बताती हैं कि हमारे घर के सामने केले के पेड़ उगाये जाते हैं, और दादा के घर के पीछे गन्ना उगाया जाता है। केला मीठा है, और गन्ना ठंडा है। तुम्हारे सोने के बाद मां तुम्हें लेकर उन्हें खिलाऊंगी। क्योंकि यह एक लोरी है, इसलिये हमें शांतिपूर्ण व स्नेहपूर्ण रूप से इसे गाना चाहिये।
याचो लोकगीत चीन के सून राजवंश में पैदा हुए। और छिंग राजवंश के अंत में वे बहुत लोकप्रिय हैं, जो हाएनान द्वीप के दक्षिण व पश्चिम क्षेत्रों के इतिहास का एक चिन्ह है। माई ईबिन द्वारा सिखाया गया लोरी याचो लोकगीतों में शांतिपूर्ण व सौम्य संगीत शैली वाला एक गीत है। जिन गीतों के विषय मुख्य तौर पर अपने जन्मस्थान की सुन्दरता की प्रशंसा और कृषि उत्पादन से जुड़े हुए हैं। माई ईबिन के परिचय के अनुसार यह लोरी हाएनान द्वीप में स्थानीय पुरातन गीत और हान जाति की संस्कृति से जोड़ने के बाद एक उत्पाद है। उन्होंने कहा,इतिहास के अनुसार इस लोरी में याचो क्षेत्र के एक पुरातन लोरी का प्रभाव शामिल हुआ। पुरातन समय में हम हाएनान द्वीप में मुख्य तौर पर ली जाति के लोग रहते थे। और सूङ राजवंश से हान जाति के कुछ लोग यहां स्थानांतरित किये गये। इसलिये उन के गीत के ताल व बोल भी याचो लोकगीत में दिखते हैं।
उन में सबसे प्रत्यक्ष प्रभाव तो गीत के बोल हैं। उन के कविता जैसे ताल विद्यार्थियों के गाने के लिये बहुत उचित हैं। हालांकि गीतों की शैली पुरातन काल से जुड़ी हुई है, लेकिन ये गीत आसानी से सिखाये जा सकते हैं। अध्यापक माई को सिखाने के बाद प्राइमरी स्कूल के दूसरे साल के एक छात्र जल्द ही पूरी तरह से एक लोरी गा सकते हैं।
माई ने कहा कि अब मैं स्कूल में याचो लोकगीत की शिक्षा दे रहा हूं। मैं बूढ़े कलाकारों द्वारा रचे गये गीतों में से विद्यार्थियों के प्रति उचित वाले गीतों को चुनकर पढ़ाता हूं। और शिक्षा देते समय बच्चों को कुछ तकनीक भी बतायी जाती हैं। इस सेमेस्टर में मैं स्कूल के दूसरे साल के बच्चों से पांचवें साल के विद्यार्थियों तक लोकगीत सिखाता हूं। एक गीत में साढ़े चार वाक्य शामिल हैं। केवल दो कक्षाओं के बाद वे एक गीत गा सकते हैं। इसलिये एक हफ्ते में बच्चे एक गीत सीख पाते हैं।
इस बार माई ईबिन ने बच्चों के लिये प्रदर्शन देने के लिये गांव में बच्चों की मां को भी आमंत्रित किया। हालांकि उन युवा माताओं को अपने अपने काम होते हैं, कुछ लोग खेती का काम करती हैं, और कुछ लोग गांव में छोटे दुकान खोलती हैं। लेकिन माई ईबिन की कक्षा में वे सभी गीत गाने में मज़ा ले सकती हैं। एक युवा मां ने कहा कि,मैं बैठी हुई गीत गाती हूं, चलती हुई गीत गाती हूं। हम सभी याचो लोकगीत को गाना पसंद करती हैं। हम सभी किसान हैं। बचपन से ही मां-बाप ने हमें याचो लोकगीत सिखाया। हमें भी अपने आप से यह लोकगीत पसंद है। इसलिये अध्यापक माई के यहां आकर हम बहुत खुश हैं।
जीवन बिताने का पुरातन तरीका धीरे धीरे से मिट जाएगा, लेकिन लोकगीत गाने में गांव वासियों द्वारा प्राप्त खुशी व सुखी अभी तक बाकी हैं। खेत में, यार्ड में, या हर दिवस पर वे पुरातन याचो भाषा में लोकगीत गाते हैं। वे अपने जीवन के बारे में गीत गाते हैं। यह आवाज़ पृथ्वी के छोर तक गुंज रही है। माई ईबिन ने कहा कि खास तौर पर हम लोरी को सुनते ही अपनी मां-बाप की याद करते हैं। चीन में सुधार व खुलेपन के बाद तीस वर्ष से अधिक समय बीत चुके हैं। भिन्न-भिन्न केटीवी, डेन्स हाल, और पॉप गीत, फिल्म व टीवी नाटक आदि समृद्ध संस्कृति हमारे जीवन में आ गयी। लेकिन याचो लोकगीत हमारे याचो लोगों के मन में रहता है, जो हमारे लिये एक अपरिहार्य आध्यात्मिक भोजन बन गया है।