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    टी टाइम 161215(अनिल और नीलम)
    2016-12-15 18:12:47 cri

    अनिलः भारत में पासपोर्ट बनवाने में होने वाली परेशानी को देखते हुए विदेश मंत्रालय आम लोगों के लिए एक अच्छी पहल करने जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्लान के मुताबिक जल्‍द ही पोस्‍ट ऑफिस से आप अपना पासपोर्ट बनवा सकेंगे।

    कोशिश है कि आने वाले दिनों में भारतीय डाक सेवा में पासपोर्ट आवेदनों और डिलीवरी सर्विसेज का विस्‍तार हो। साथ ही विदेश मंत्रालय टाटा कंसलटेंस सर्विसेज (टीसीएस) के साथ भी अपना कॉन्‍ट्रैक्‍ट बढ़ाना चाहती है। मंत्रालय चाहता है कि टीसीएस अगले दो वर्षों तक पासपोर्ट सेवा केंद्रों का प्रबंधन करता रहे।

    टीसीएस वर्ष 2020 तक पासपोर्ट सेवा केंद्र का जिम्‍मा संभालेगा और इस कांट्रैक्‍ट को वर्ष 2012 में छह वर्ष तक बढ़ाया गया था। विदेश मंत्रालय की ओर से सेवाओं के विस्‍तार के बाद रियल टाइम आवेदकों का डाटा भी सहेजा जा सकेगा।

    एक संबंधित अधिकारी ने बताया कि हम पासपोर्ट सेवाओं की आपूर्ति के लिए डाकघरों का उपयोग करना चाहते हैं। अगर यह व्यवस्था सफल रही तो आगे इसका विस्तार किया जाएगा।

    वहीं, अब आपको दूसरी ख़बर से रूबरू करवाते हैं। पिछले दिनों रिलायंस जियो ने अपने उपभोक्ताओं को एक बड़ा तोहफा देते हुए ऐलान किया कि जिओ 4जी सिम के सभी ग्राहकों के लिए 31 मार्च तक सभी सेवाएं फ्री कर देगी। अब उसके बाद अब बीएसएनएल अपने मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए एक जबरदस्त प्लान लेकर आने की तैयारी में है। जिसमें कस्टमर्स 149 रुपए में पूरे महीने अनलिमिटेड लोकल और एसटीडी कॉल कर सकते हैं।

    नए ऑफर के बारे में बताते हुए कंपनी के चैयरमैन अनुपम श्रीवास्तव कहा कि, इस प्लान से बीएसएनएल को रिलायंस के जियो प्लान से मुकाबले करने में सहायता मिलेगी। जिसकी आने से देश की सभी टेलिकॉम कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।

    बीएसएनएल के इस नए ऑफर में 149 रुपये के प्लान में उपभोक्ताओं को 28 दिनों के लिए अनलिमिटेड वॉयस कॉल के साथ 300 एमबी डेटा और 100 लोकल और नेशनल एसएमएस बिलकुल फ्री दिए जाएंगे।

    इस नए प्लान को 1 जनवरी 2017 से लागू किए जाने की संभावना है। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) का अपने ग्राहकों को नए साल में जबरदस्त तौहफा देना चाहता है।

    नीलमः अब एक और नई जानकारी बताते हैं। पॉल एंडरसन को दुनिया का सबसे ताकवर शख्स माना जाता है. वे अपनी पीठ पर एक साथ आठ लोगों को उठा सकते थे.कहा जाता है कि 1957 में एंडरसन ने 2.8 टन वजन अपनी पीठ पर उठाया था. इससे कुछ वक़्त के लिए एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी उनके नाम हो गया था. बाद में सबूतों की कमी के चलते ये रिकॉर्ड उनसे छिन गया। बहुत से लोगों ने कोशिश की, मगर कोई भी पॉल एंडरसन के कारनामे को दोहराना तो क्या, उसके क़रीब भी नहीं पहुंच सका. मगर बहुत से जानवर हैं, जो भारी वज़न उठाने के लिए जाने जाते हैं. मसलन घोड़े. घोड़ों की बहुत सी नस्लें हैं जो भारी सामान उठाने के काम में लाई जाती रही हैं. जैसे पैकहॉर्स, शायर हॉर्स और क्लाईडेसडेल वगैरह.वैज्ञानिकों ने घोड़ों की अलग-अलग नस्लों की क्रॉस ब्रीडिंग कराकर ये नई नस्लें तैयार की हैं, जो भारी वज़न उठा सकते हैं. वज़न उठाने वाले इन घोड़ों को अंग्रेज़ी में 'ड्रॉट हॉर्सेज़' कहते हैं.

    कहते हैं कि इन घोड़ों की मदद से ही इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति कामयाब हुई. जब ये घोड़े ट्रेन के डिब्बों से लेकर लट्ठे और वैगन तक खींचकर एक जगह से दूसरे जगह ले गए.यहां तक कि जब इंग्लैंड में जेम्स वाट ने भाप का पहला इंजन बनाया, उन्होंने इसकी ताक़त नापने के लिए हॉर्स पावर को ही पैमाना बनाया. जेम्स वाट के मुताबिक एक घोड़ा एक मिनट में 15 टन वज़न उठा सकता है. पहले तो लोगों ने इस नाप को ग़लत बताया. मगर 1993 में हुई एक रिसर्च में जेम्स वाट का अंदाज़ा सच के बेहद क़रीब पाया गया.अभी भी शराब के बहुत से कारखानों में ड्रॉट हॉर्सेज़ का इस्तेमाल होता है. इंग्लैंड में वन विभाग भी इन घोड़ों को कई तरह के काम में लाता है. बहुत से लोग इन घोड़ों की ताक़त देखने के लिए आते हैं.घोड़ों के अलावा हाथी भी भारी वज़न उठाने के लिए जाने जाते हैं. सदियों से इंसान, हाथियों के ज़रिए भारी सामान की ढुलाई करता रहा है. पूर्वी एशियाई देश हों या भारत और श्रीलंका, बहुत सी जगहों पर हाथियों के ज़रिए माल ढुलाई की जाती है.

    अनिलः भारत में तो रेलवे का पूरा नेटवर्क हाथियों के ज़रिये बिछाया गया. यही उनके सफ़ाए की वजह भी बना. ज़्यादातर स्तनधारी जीवों के शरीर के वजन का दस फ़ीसद हिस्सा, उनका कंकाल होता है. मगर हाथियों में ये तादाद 20 फ़ीसद होती है. यही वजह है कि वे ज़्यादा वज़न उठा सकते हैं.फिर भारी सामान उठाने में हाथियों की सूंड़ भी काफ़ी काम आती है जो डेढ़ लाख मांशपेशियों से बनी होती है. कहते हैं कि हाथी अपनी सूंड से ही 300 किलो वज़न उठा सकता है. एशियाई हाथियों के मुक़ाबले अफ्रीका के हाथी ज़्यादा बड़े होते हैं. इसीलिए वो और भी ज़्यादा वज़न उठा सकते हैं. मगर आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि वज़न उठाने के मामले में हाथी, कुछ छोटे-छोटे जानवरों से भी बहुत पीछे है. इस मामले में चींटियां बहुत आगे हैं. वो अपने शरीर से दस से पचास गुना तक ज़्यादा वज़न उठा लेती हैं. चींटी की एक नस्ल, 'ओकोफिलिया समाराडिना' के बारे में कहा जाता है कि वो अपने वज़न से 100 गुना भारी वज़न उठा सकती है.

    इंसान, घोड़े या हाथी अपनी पीठ के ज़रिए वज़न उठाते हैं. वहीं चींटियां इसके लिए अपने जबड़ों का इस्तेमाल करती हैं, जो बेहद ताक़तवर होते हैं.चींटियों के अलावा गुबरैले भी अपने से कई गुना ज़्यादा वज़न उठाने के लिए जाने जाते हैं. जैसे हर्कुलस बीटल नाम का गुबरैला अपने शरीर से 850 गुना ज़्यादा वज़न उठाने के लिए जाना जाता है. हालांकि इस दावे की तस्दीक नहीं की जा सकती. अमरीका के कोलोरैडो यूनिवर्सिटी के रोजर क्राम ने इस दावे की सच्चाई का पता लगाने की कोशिश की. उन्होंने पाया कि हर्कुलस बीटल अपने वज़न से सिर्फ़ 100 गुना भारी सामान उठा सकता है. ये भी हैरान करने वाली बात है.

    साल 2010 में गुबरैले की एक और नस्ल ओंथोफैगस टॉरस को दुनिया के सबसे ताक़तवर बीटल का रिकॉर्ड हासिल हुआ. गोबर में रहने वाले ये कीड़े, अपने से 1141 गुना भारी सामान खींच सकते हैं. लंदन यूनिवर्सिटी के रॉब नेल ने इस बात का पता लगाया था.

    गुबरैले के मुक़ाबले कोई और जीव खड़ा हो सकता है तो वो है दीमक. जो सिर्फ़ 100 माइक्रोग्राम वज़न के होते हैं. 2007 में हुई एक रिसर्च के मुताबिक़ दीमक अपने वज़न से 1180 गुना भारी बोझ सह सकता है और अपने से 540 गुना भारी सामान खींच सकता है.

    इन कीड़ों के इतना ताक़वर होने की वैज्ञानिक वजह का पता इटली के वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीली ने लगाया था.

    उनके मुताबिक़, इनका आकार छोटा होता है, तो इन जीवों को अपना वज़न संभालने में उतना ज़ोर नहीं लगाना पड़ता. इसीलिए ये छोटे-छोटे जीव अपने से कई गुना ज्यादा वज़न उठा लेते हैं या खींच लेते हैं.

    वैसे जानवर इंसानों या दूसरे जानवरों के आकार के हो जायेंगे तो इन्हें भी ज़्यादा वज़न उठाने में दिक़्क़त होगी. शायद ये अपने शरीर का बोझ ही न उठा सकें.

    कहने का मतलब यह कि आज के सबसे ताक़तवर जानवरों से भी पहले धरती पर बेहद ताक़तवर जानवर रह चुके हैं. जैसे कि डायनासोर. लेकिन वो भी अपने शरीर के आगे लाचार होते होंगे.

    नीलमः अब वक्त हो गया है, एक और रोचक जानकारी का। शादी समारोह में हर्ष फायरिंग और शराब पीने का शौक रखने वाले कृपया हमारे यहां शादी में शामिल न हों। यह चेतावनी भरी लाइन किसी सरकारी तंत्र ने नहीं बल्कि, वाजिदपुर गांव के एक रिटायर्ड फौजी ने अपनी शादी के निमंत्रण कार्ड पर छपवाई । लोगों को जागरूक करने की मुहिम चला रहे फौजी ने यह अनोखी पहल की।

    उत्तर प्रदेश में बागपत जिले के वाजिदपुर गांव के रिटायर्ड फौजी सुभाष चंद कश्यप (38) की 8 दिसंबर को शादी होनी थी। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, कश्यप जागृति चेतना और कई अन्य जागरूकता अभियान चलाने वाले कश्यप ने अपनी शादी को भी जागरूकता का अनोखा तरीका बना लिया।

    उन्होंने शादी का कार्ड इस चेतावनी भरे लहजे में छपवाया कि लोग एक बारगी तो जाने से भी गुरेज करेंगे। हालांकि, कश्यप के अनुसार उनका यह तरीका बिल्कुल सही है।

    उन्होंने कार्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में नोट लिखकर छपवाया है कि '' शादी में हर्ष फायरिंग और शराब समेत किसी भी अन्य नशीले पदार्थ का सेवन करने वाले मेहमान को आने की जरूरत नहीं है। ''

    कश्यप का कहना है कि यदि समारोह में कोई इस तरह की हरकत करता पाया जाता है तो वह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। दूसरी ओर कश्यप के इस निर्णय को कुछ लोगों ने सराहा भी है।

    प्रो. बीबी सिंह का कहना है कि इस तरह यदि सभी लोग जागरूक हो जाएं तो शादियों में हर्ष फायरिंग और शराब पीने की गलत सोच पर अंकुश लग पाएगा। गौरतलब है कि आये दिन शादी एवं अन्य खुशी के अवसर शराब पीने के बाद कुछ लोग हर्ष फायरिंग करते हैं जबकि प्रदेश सरकार ने हर्ष फायरिंग पर पाबंदी लगा रखी है ।

    अनिलः उधर विवाह के समय अगर दूल्हा या दुल्हन में से किसी एक को अकेले ही विवाह की रस्में निभानी पड़े तो इससे बुरा और क्या होगा। लेकिन चीन में एक दुल्हन ने अकेले ही विवाह की सभी रस्में निभायी और ऐसा करते हुए वह बिल्कुल भी दुखी नही थी। शायद आपको ये बात सुनकर अजीब लग रहा हो लेकिन ये सच है।

    दरअसल, क्वेईचोउ प्रांत की 'झांग डोंगफांग' को पिछले माह अकेले ही विवाह की रस्में पूरी करनी पड़ी क्योंकि उनकी शादी के दिन ही उनके मंगेतर को शहर से बाहर किसी प्रतियोगिता में भाग लेने जाना पड़ा। दुल्हन भी इस बात से बिल्कुल भी आहत नही थी। मजे की बात तो ये है कि इस विवाह समारोह में आने वाले मेहमान भी दूल्हे की जगह छोड़कर दुल्हन के साथ ही फोटो खिंचवा रहे थे।

    गौरतलब हो कि इस दुल्हन के मंगेतर ने साल 2010 में तोंग्रेन शहर स्थित पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो में स्वात फोर्स ज्वाइन की थी। इस फोर्स में रहकर 'झू जुनजाई' ने कई संदिग्धों, अपराधियों को पकडऩे के साथ ही बंधकों को छुड़ाने जैसे कई अहम मिशन को अंजाम दे चुका था। इसके बाद दोनों ने दो साल पहले ही एक-दूसरे के साथ विवाह करने का फैसला लिया था। लेकिन झू की व्यस्तता के चलते शादी का कार्यक्रम बार-बार टलता रहा। इन सबके बाद भी झांग ने इस बारे में कभी कोई शिकायत नहीं की।

    चीन की परंपरा को ध्यान में रखते हुए इस प्रेमी युगल ने 14 नवंबर 2016 का दिन शादी के लिये तय किया था। लेकिन ऐसी स्थिति बनने के बाद दोनों के घरवाले हैरानी में पड़ गए, पर दुल्हन बनी झांग ने अपने घरवालों को इस शादी के लिए मना ही लिया। जिसके बाद चीन की परंपरा के अनुसार दुल्हन ने सारे रस्मों और रिवाजों को अकेले ही निभाया। इस दुल्हन को अपने बहादुर पति पर गर्व है और शादी की रस्में निभाकर वह बेहद खुश है।

    नीलमः वहीं अब आपको बताते हैं एक चौकाने वाली जानकारी। स्कॉटलैंड में रहने वाली केट हावर्ड नाम की एक लड़की ने 13 वर्ष तक एक घोड़े की तरह अपना जीवन व्यतीत किया। वह एक घोड़े की तरह ही जमीन पर चलती थी और खाने में घास ही खाती थी।

    इस लड़की का कहना है कि जब वह 6 वर्ष की थी तो उसे एहसास हुआ कि उसके शरीर में किसी घोड़े की आत्मा का वास है। इसके बाद से ही वह घोड़ा बन गई। राजस्थान पत्रिका के अनुसार स्कॉटलैंड की रहने वाली केट का पूरा बचपन खेतों में घूमते हुए बीता। यह सब करते समय वह सहज महसूस करती थी। उसकी बहन सारा उसे घोड़े की तरह जीने में पूरी मदद करती थी। उम्र बढऩे के साथ-साथ अब वह अपनी ये आदत छोड़ चुकी है। लेकिन अभी भी उसका लगाव घोड़ों के प्रति कम नही हुआ है। उसने एक घोड़ा भी पाला था जिसकी मौत हो चुकी है।

    केट ने अभी शादी भी नही की है। उसके पिता ने उसे समझाया कि इस तरह से रहना एक बचपना है अब तुम्हें बदलना होगा।

    केट का कहना है कि उसके पालतू घोड़े व उसके पिता की मौत के बाद उसे उनकी आत्माएं बादलों में नजर आती हैं। लेकिन उम्र के साथ वह अपने इस बचपने वाले व्यवहार को हमेशा के लिये छोड़ चुकी है।

    अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यही संपन्न होता है। अब समय हो गया है श्रोताओं की टिप्पणी शामिल करने का।

    पहला पत्र हमें आया है, झालावाड़ राजस्थान से राजेश कुमार मेहरा का। वह लिखते हैं, 8 दिसंबर को टी-टाइम प्रोग्राम सुना। कार्यक्रम की शुरुआत में पुणे के वैज्ञानिक थानू पद्ममनाभन द्वारा ब्रह्मांड के डार्क मैटर जो कि एक गणितीय स्थिति है, ज्ञानवर्धक लगी। साथ ही भौतिकी के क्षेत्र में उनके योगदान पर हमें गर्व महसूस हुआ। जबकि अगली जानकारी में किसानों द्वारा रोबोट और ड्रोन का इस्तेमाल काफ़ी रोचक लगा। साथ ही जापान के मियाजी प्रांत में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माता कंपनी सोनी द्वारा 25 हज़ार वर्ग फीट में इंडोर खेती शुरूआत की गयी। वहीं झारखंड के एक गांव में हाथियों के आतंक की वजह से लोगों को पेड़ों पर सोना पड़ रहा है। यह जानकर दुख हुआ। वहीं अन्य जानकारियों से भी हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। इसके अलावा कार्यक्रम में गीत-संगीत भी बहुत शानदार लगा। धन्यवाद अच्छी प्रस्तुति के लिए।

    राजेश जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

    नीलमः लीजिए अब पेश है, प्रोग्राम का दूसरा पत्र। जो भेजा है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं कि कार्यक्रम "टी टाइम" की शुरुआत पुणे के सैद्वांतिक भौतिकविद् थानु पद्मनाभन की चर्चा के साथ किया जाना अच्छा लगा। उन्होंने दस साल पहले डार्क मैटर के बारे में अपने विचार रखकर पूरी दुनिया को चौंकाया था, लेकिन तब उनकी बातों पर विज्ञान जगत सहज नहीं था। यह जान कर आश्चर्य हुआ कि थानु ने अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत की कमियों को रेखांकित किया है। हाल ही में थानु ने साबित किया है कि ब्रह्मांड का डार्क मैटर असल में ब्रह्मांड की स्थिरता है, जो एक गणितीय स्थिति है। कार्यक्रम में आगे खेती-किसानी में आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी के इस्तेमाल सम्बन्धी नवीनतम जानकारी का दिया जाना भी ज्ञानवर्द्धक लगा। इमारतों के ऊपर खेती करने का ही एकमात्र विकल्प बचेगा, जानकारी भी कुछ सोचने पर मज़बूर कर गयी।

    जानकारियों के क्रम में आगे अमेरिका में 20 साल के ओलिओ रोजास नामक एक नशेड़ी युवक द्वारा स्वयं को सड़क से फेसबुक पर लाइव जोड़ कर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति से गाड़ी चला कर उस पर से नियंत्रण खो बैठने और एक ट्रक से जा टकराने और गम्भीर रूप से घायल होने का किस्सा शरीर में सिहरन सी दौड़ा गया। वहीं झारखंड की राजधानी रांची के पास एक गांव के 15 से अधिक परिवारों द्वारा हाथियों के खौफ़ से पेड़ों पर अपनी जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होने का समाचार भी एक दिल दहलाने वाली घटना कही जायेगी। पिछले कुछ सालों में 154 हाथियों की मौत का आँकड़ा स्वयं में पूरी कहानी बयान कर जाता है। सोशल मीडिया पर दुनिया की सबसे उम्रदराज शख्स एमा मोरानो का 117वां जन्मदिन ट्रेंड कर रहा है। उनके जीवन से जुड़ी तमाम जानकारी भी काफी दिलचस्प लगी।

    आज के हेल्थटिप्स में -आयुर्वेद में दांतों, जीभ और मुंह के अंदर वाले हिस्से को स्वस्थ रखने के लिए दी जाने वाली ऑयल पुलिंग सलाह सम्बन्धी जानकारी भी अत्यन्त सूचनाप्रद लगी। ऐसा लगभग 3 हजार से ज्यादा वर्षों से किया जा रहा है। इस ऑयल पुलिंग कई अन्य फायदे भी हैं। आज के कार्यक्रम में पेश तीनों जोक्स भी हमें गुदगुदाने में कामयाब रहे। धन्यवाद् फिर एक सरस प्रस्तुति हेतु ।

    अनिलः अब पेश है, प्रोग्राम का आखिरी पत्र। भेजने वाले हैं, पश्चिम बंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु। लिखते हैं कि

    आज के कार्यक्रम की शुरुआत में वैज्ञानिक प्रो.थानु पद्मनाभन के बारे में अपने जो जानकारी दी वह बहुत सूचनाप्रद लगी। प्रो. थानु ने सैद्धांतिक भौतिकी और नक्षत्र विज्ञान के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान किया है। रिपोर्ट में सुना है कि हाल ही में थानु ने साबित किया है कि ब्रह्मांड का डार्क मैटर असल में ब्रह्मांड की स्थिरता है, जो एक गणितीय स्थिति है।

    खेती के काम में ड्रोन एवं रोबोट के उपयोग को लेकर एक रिपोर्ट सुनने को मिली । बताया गया कि ब्रिटेन के लगभग 60 प्रतिशत किसान सेंसर और सैटेलाइट जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। दुनिया के कुछ हिस्सों में खेती में इन अति उन्नत तकनीकों की मदद भी ली जा रही है, जिससे यह पता चलता है कि भविष्य की खेती कैसी होगी। पूर्वी जापान के मियागी राज्य में दुनिया की नामी इलेक्ट्रानिक उपकरण निर्माता कंपनी सोनी ने 25 हजार वर्ग फीट में इंडोर खेती की शुरुआत की है। वहीं फेसबुक पर लाइव होकर 20 वर्षीय ओनेसी ओलिओ रोजास का 160 किलोमीटर प्रति घंटा की तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के बारे में सुनकर मेरे होश उड़ गये । वहीं झारखंड में हाथियों द्वारा लोगों को परेशान करने वाली जानकारी सुनकर दुख हुआ। दुनिया की सबसे उम्रदराज शख्स एमा मोरानो के बारे में दी गई जानकारी रोचक लगी । हेल्थ सेगमेंट में मुंह के अंदर ऑयल पुलिंग की जानकारी भी काफी अच्छी लगी। धन्यवाद ।

    अब समय हो गया है, जोक्स यानी हंसगुल्लों का।

    शिक्षक – 15 फलों के नाम बताओ …

    छात्र – आम !

    शिक्षक – शाबाश !

    छात्र – अमरुद …

    शिक्षक – गुड !

    छात्र – सेब …

    शिक्षक – वैरी गुड ! तीन हो गए .. बाकी 12 और बताओ ?

    छात्र – 1 दर्ज़न केले !!

    दूसरा जोक..

    एक सरदार को तेज गाडी चलाकर 20 लोगों को जान से मारने के इल्जाम मे गिरफ्तार किया गया.

    पुलिस: तुमने 20 लोगो को कैसे मारा?

    सरदार: मै गाडी तेज चला रहा था पर जब मैने ब्रेक लगाया, तो पता चला के ब्रेक फेल हो गये है....

    फिर मै सामने देखा तो 2 आदमी जा रहे थे और दूसरी तरफ 1 बारात जा रही थी... अब तुम ही बताओ मै गाडी किधर मोड़ता.......?

    पुलिस: ऑफकोर्स, जिस तरफ 2 आदमी थे.... नुकसान कम होता...

    सरदार: Exactly..... मैने भी यही सोचा था, पर वो 2 आदमी मेरी गाडी देखकर बारात मे घुस गए.....

    तीसरा और अंतिम जोक...जिसे भेजा है, केसिंगा उड़ीसा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल ने।

    पति पेप्सी की बोतल को सामने रख उदास बैठा था।

    पत्नी आयी और पेप्सी पी गयी और बोली।

    आज आप उदास क्यों हैं।

    पतिः आज तो दिन ही खराब है।

    सुबह तुमसे झगड़ा हो गया, रास्ते में कार खराब हो गयी। ऑफिस लेट पहुंचा। बॉस ने नौकरी से निकाल दिया.....

    अब सुसाइड करने के लिए पेप्सी में ज़हर मिलाया, वो भी तुम पी गयी.....

    दोस्तो, इसी के साथ आज के प्रोग्राम में जोक्स यही संपन्न होते हैं। दोस्तो, आपको आज के प्रोग्राम में जोक्स कैसे लगे, हमें जरूर बताइएगा। अगर आपके पास भी कोई जोक या चुटकुला हो

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