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    टी टाइम 161208(अनिल और नीलम)
    2016-12-08 19:45:46 cri

    अनिलः प्रोग्राम शुरू करते हैं। दोस्तो, पुणे के सैद्वांतिक भौतिकविद् थानु पद्मनाभन का नाम इन दिनों विज्ञान की दुनिया में चर्चा में हैं। उन्होंने दस साल पहले डार्क मैटर के बारे में अपने विचार रखकर पूरी दुनिया को चौंकाया था, लेकिन तब उनकी बातों पर विज्ञान जगत सहज नहीं था। थानु ने अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत की कमियों को रेखांकित किया है। हाल ही में थानु ने साबित किया है कि ब्रह्मांड का डार्क मैटर असल में ब्रह्मांड की स्थिरता है, जो एक गणितीय स्थित है।

    वैसे थानु का जन्म, 10 मार्च 1957 को हुआ था। वह पुणे स्थित इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रॉनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के कोर अकादमिक कार्यक्रम के डीन हैं। और सैद्धांतिक भौतिकी और नक्षत्र विज्ञान के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान। उनके अंतर्राष्ट्रीय जर्नलों में 160 से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके साथ ही ब्रह्मांड और अंतरिक्ष की दुनिया के बारे में 6 पुस्तकें लिख चुके हैं।

    आकाशगंगा निर्माण की प्रक्रिया समझाने के क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए प्रो. थानु पद्मनाभन को कई पुरस्कारों से नवाजा गया। थर्ड वल्र्ड अकादमी ऑफ साइंस, इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन, जेसी बोस नेशनल फैलोशिप समेत 2007 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

    थानु ने आकाशगंगाओं की निर्माण प्रक्रिया समझने के लिए पूर्ण कम्प्यूटर प्रोग्राम विकसित किया है। उनका प्रोग्राम और किताब "स्ट्रक्चर फॉर्मेशन इन द यूनिवर्स" इस विषय पर दुनिया भर में सराही जाती रही है। वैज्ञानिक इसे मानक संदर्भ के रूप में प्रयोग करते हैं।

    1984 में थानु को 'इंडियन नेशनल साइंस अकादमी' की ओर से यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से नवाजा गया था। इसी साल ग्रेविटी रिसर्च फाउंडेशन ने भी रिसर्च के लिए पुरस्कृत किया। ग्रेविटी ने उन्हें सात बार पुरस्कृत किया। इसमें 2008 में पहला ग्रेविटी रिसर्च पुरस्कार भी शामिल है।

    दोस्तो, अब बात करते हैं, खेती की। खेती भले ही प्राचीन उद्यम हो, लेकिन विज्ञान की प्रगति ने इसके परिदृश्य में काफी बदलाव ला दिया है। ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक मशीनें हल-बैल की जगह ले रही हैं।

    कई देशों के किसान रोबोट व ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। फोर्ब्स की मानें तो ब्रिटेन के करीब 60 फीसदी किसान सेंसर व सैटेलाइट जैसी अति उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

    इससे भविष्य की खेती की झलक मिल जाती है। आइए डालते हैं भविष्य की खेती के तौर-तरीकों और तकनीकों पर नजर। ड्रोन अब सिर्फ पिज्जा डिलिवरी व जंग के मैदान में बम बरसाने का ही काम नहीं कर रहे। अब वह खेती में काम आ रहे हैं।

    इसके साथ ही दुनियाभर के प्रगतिशील किसान पारंपरिक खेती से निकलकर इंडोर खेती या ग्रीन हाउस खेती की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। पूर्वी जापान के मियागी प्रांत में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माता कंपनी सोनी ने 25,000 वर्ग फीट में इंडोर खेती की शुरुआत की है।

    इंडोर फार्म्स में फ्लोरोसेंट या एलईडी प्रकाश का इस्तेमाल किया जाता है। प्रकाश से ही वह फॉम्र्स की तापमान, आर्द्रता और सिंचाई को नियंत्रित करते हैं। सोनी की 15 मंजिलों वाली इस फॉर्म में वनस्पतियों को उपजाने के लिए 18 रैक लगाए गए हैं। इसमें 17 हजार 500 एलईडी बल्ब लगाए गए है। वहीं रोबोट व ड्रोन से बड़े-बड़े फार्महाउसों में उर्वरकों और कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है। स्मार्टफोन से नियंत्रित होने वाले ये खेती का एनालिसिस भी करते हैं।

    इसके अलावा सेंसर की मदद से कई देशों के किसान फसल की रियल टाइम जानकारी जुटा रहे हैं। इससे पौधों को कब, कितने खाद-पानी की जरूरत है, किसानों घर बैठे इसकी जानकारी ले लेते हैं।

    जबकि ड्राइवरलेस ट्रैक्टर तकनीक को रोबोटिक फॉर्मिंग में अहम पड़ाव साबित हुआ है। इन्हें स्मार्टफोन या लैपटाप के जरिये दूर से ही नियंत्रित किया जा सकता है। कई देश इसका प्रयोग कर रहे हैं।

    उधर एक अनुमान है कि 2050 तक 80 प्रतिशत आबादी शहरों में रह रही होगी। तब खेती का रकबा सिकुड़ चुका होगा। ऐसे में इमारतों के ऊपर खेती करने का ही एकमात्र विकल्प बचेगा।

    दोस्तो, यह जानकारी आपको कैसी लगी, हमें प6 के जरिए जवाब भेज सकते हैं।

    नीलमः वैसे आजकल युवा अक्सर रफ्तार के नशे में अपना होशो हवास खो बैठते हैं और दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। जिसके बाद के नतीजों को देख वहां मौजूद लोगों का रुह तक कांप उठता है। अमेरिका में एक यवक अपने इसी नशे का शिकार होकर अपना ही नहीं बल्कि दूसरे वाहन चालक के जान को खतरा में डाल गया। इस युवक के कारनामें ऐसे है जिसको देख शायद आपके भी होश उड़ जाए।

    दरअसल अमेरिका का रहने वाला यह युवक सड़क पर खुद को फेसबुक पर लाइव जोड़ने कर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति से अपना गाड़ी चलाने लगा। इसके बाद वो इस जुनून में इतना खो गया कि उसका अपने गाड़ी पर नियंत्रण नहीं रहा और वो एक ट्रक से जा भिड़ा। जिसके बाद उसे उसे गंभीर चोटें भी लगी हैं।

    राज्य पुलिस के मुताबिक 20 साल के ओलिओ रोजास ने पावटुकिट में अपनी गाड़ी का नियंत्रण खो दिया। इस वीडियो को ओलियो रोजास ने अपने फेसबुक पेज पर भी पोस्ट किया है, जिसमें वो ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करते हुए 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाते हुए पाया गया है।

    अनिलः अब दूसरी जानकारी से रूबरू करवाते हैं। झारखंड की राजधानी रांची के पास एक गांव के 15 से अधिक परिवार पेड़ों पर अपनी जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर हैं। दरअसल, हाथियों ने इस पूरे के पूरे गांव की फसलें तबाह कर दी है। उनके घर बर्बाद कर दिये। ऐसे में पूरा गांव अपनी जमीन छोड़ने के लिए मजबूर हो गया है।

    गांव के कुछ लोग काम की तलाश में शहर आ गए हैं वहीं गांव में जिंदगी गुजार रहे लोगों को हाथियों से अपनी जान का खतरा है। रांची से 45 किलोमीटर दूर बुंडु गांव के लोहराटोला में रहने वाले 15 परिवारों ने अपनी जान बचाने के लिए पेड़ों पर अपना घर बनाया है। खुद को हाथियों से बचाने के लिए ये लोग पेड़ों पर सोते हैं। हाथियों के एक झुंड ने पिछले साल उनके घरों को बर्बाद कर दिया था। पिछले कुछ सालों में 154 हाथियों की मौत हो चुकी है।

    विशेषज्ञों की माने तो हाथियों के आने-जाने के रास्ते पर लोगों ने घर बना लियें हैं। इसी वजह हाथी गुस्‍से में इंसानी बस्‍ती बर्बाद कर रहे हैं। झारखंड के वन एवं पर्यावरण सचिव सुखदेव सिंह ने कहा हम लोग पेड़ों पर रहने वाले परिवारों को हर संभव मदद के लिए तत्काल एक वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम भेजेंगे। रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से यात्रा करने वाले लोगों के बीच हाथियों के झुंड ने डर पैदा कर दिया है। हाथियों के इधर-उधर भटकने के कारण राजमार्ग कई घंटे तक जाम रहता है।

    गौरतलब है कि किस तरह से झारखंड हाथियों के उत्पात की तबाही से जूझ रहा है। इन हाथियों का झुंड खड़ी फसलों और घरों को बर्बाद कर लोगों को भी मार डालते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 के नवंबर में बिहार से अलग राज्य झारखंड के गठन के बाद यहां अब तक हाथियों के उत्पात की वजह से 1000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

    नीलमः वहीं सोशल मीडिया पर दुनिया की सबसे उम्रदराज शख्स एमा मोरानो का 117वां जन्मदिन ट्रेंड कर रहा है। मोरोनो 18वीं शताब्दी में पैदा होने वाली दुनिया की आखिरी इंसान हैं। उनका जन्म साल 1899 में हुआ था।

    अच्छी लाइफ स्टाइल और बढ़िया खाना खाने को हम अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र होने का कारण समझते हैं लेकिन आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि हाल ही में अपना 117वां जन्मदिन मनाने वाली दुनिया की सबसे उम्रदराज शख्स एमा मोरानो की जिंदगी में ऐसा कुछ भी मौजूद नहीं रहा।

    मोरानो के मुताबिक उनका जीवन ज्यादा अच्छा नहीं रहा। उनका मंगेतर शादी से पहले ही विश्वयुद्ध में मारा गया। इसके बाद 26 वर्ष की उम्र में उनका एक अन्य व्यक्ति ने उनसे जबरदस्ती धमकाकर विवाह कर लिया लेकिन यह विवाह ज्यादा नहीं चल सका और कुछ समय बाद उन्होंने खुद अपने पति को तलाक दे दिया।

    मोरानो के मुताबिक इटली में वे तलाक देने वाली पहली महिला थीं। उनको 65 साल की उम्र तक एक फैक्टरी में मजदूरी करनी पड़ी। इटली में रहने वाली मोरानो दो कच्चे अंडों की दैनिक खुराक को अपनी लंबी उम्र का राज मानती हैं। हालांकि इसका कारण जेनेटिक भी हो सकता है क्योंकि उनके परिवार के अन्य सदस्यों की भी उम्र लंबी थी।

    मोरानो ने अपने जीवन में कभी भी बैलेंस्ड डाइट को फॉलो नहीं किया और हमेशा गैर परंपरागत भोजन ही लिया लेकिन इसके बावजूद वे इतनी लंबी उम्र तक जीने में सफल रहीं। मोरानो अब अकेली रहती हैं और उनके सभी आठ भार्इ-बहन अब इस दुनिया में नहीं हैं।

    अनिलः अब बात करते हैं हेल्थ संबंधी जानकारी की।

    आयुर्वेद में दांतों, जीभ और मुंह के अंदर वाले हिस्से को स्वस्थ रखने के लिए ऑयल पुलिंग करने की सलाह दी जाती है। ऐसा लगभग 3 हजार से ज्यादा वर्षों से किया जा रहा है। इस ऑयल पुलिंग कई अन्य फायदे भी हैं। कुछ खास तेल से ही इसको किया जाता है।

    तिल, जैतून या नारियल के तेल को मुंह में लेकर 10-15 मिनट के लिए घुमाया जाता है। इसके बाद जब तेल पतला हो जाता है तो इसे थूककर मुंह की अच्छी तरह से सफाई कर ली जाती है।

    इसे करते समय ध्यान रखें कि तेल निगले नहीं क्योंकि 15 मिनट की प्रक्रिया में मुंह में मौजूद तेल में बैक्टीरिया, वायरस व विषाक्त पदार्थ बढ़ जाते हैं। साथ ही ध्यान रखें कि सुबह के समय खाली पेट तेल से कुल्ला करने से ज्यादा फायदा होता है। इसे करने के बाद आप नमक से दांतों और मसूढ़ों की मसाज भी कर सकते हैं।

    ऑयल पुलिंग से मुंह के बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा दांतों की सेंसिविटी कम होने के साथ-साथ इससे सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, दांतदर्द, अल्सर, पेट, किडनी, आंत, हार्ट, लिवर, फेफड़ों के रोग और अनिद्रा से भी राहत मिलती है। साथ ही बैक्टीरिया के बाहर निकलने से पाचन क्षमता भी दुरुस्त होती है।

    नीलमः प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यही संपन्न होता है। अब समय हो गया है, श्रोताओं के पत्रों का। पहला पत्र हमें आया है, केसिंगा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का। उन्होंने लिखा है कि कार्यक्रम "टी टाइम" के अन्तर्गत रोटी फूलने का विज्ञान समझाने का शुक्रिया। कार्यक्रम में आगे एक अनूठे एयरपोर्ट पर दी गई जानकारी काफी आश्चर्यजनक लगी। चीन में मोटापे से परेशान 146 किलोग्राम वज़नी बालक ली हंग की दास्तान काफी मार्मिक लगी, विशेषकर, डॉक्टर्स द्वारा किये जाने वाले उसके इलाज़ का तरीक़ा काफी पीड़ादायक प्रतीत हुआ। फ़ेसबुक द्वारा अपने यूज़र्स के लिये किये जा रहे फ्री वाई-फ़ाई हॉटस्पॉट परीक्षण का समाचार काफी उत्साहवर्द्धक लगा। बॉलीवुड की ख़बरों में आगामी 23 दिसम्बर को रिलीज़ होने वाली अपनी फ़िल्म "दंगल" को प्रोमोट करने अभिनेता आमिर खान द्वारा किसी का सहारा न लेने की बात भी काफी अच्छी लगी। पूर्व क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग द्वारा महेन्द्र सिंह धोनी और विराट कोहली के कॅरियर को बचाने सम्बन्धी रहस्य को खोलने की ज़रुरत उन्हें क्यों आन पड़ी, समझ से परे है। स्वास्थ्य सम्बन्धी समाचारों में अमेरिका की 29 वर्षीय महिला को अपने पति से ही एलर्जी होने के समाचार पर कोई टिप्पणी न करना ही उचित होगा। हाँ, बथुए की पौष्टिकता एवं उसके औषधीय गुणों पर दी गई जानकारी अत्यन्त उपादेय प्रतीत हुई। जब कि आज पेश जोक्स में -'कभी बकरे या घोड़े को चश्मा लगाये देखा है' जोक सब से उम्दा लगा। धन्यवाद् फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    सुरेश जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका शुक्रिया।

    अनिलः अब बारी है, अगले पत्र की। जिसे भेजा है, दरभंगा बिहार से शंकर प्रसाद शंभू ने। लिखते हैं कि टी-टाइम प्रोग्राम में हैरान करने वाली जानकारी दी गयी। बताया गया कि कार्बन डाईऑक्साइड गैस की वजह से पककर फूलने के बाद रोटी की दो परतें बन जाती हैं । आटे में पानी मिलाकर उसे गूंथते हैं, तब गेहूं में विद्यमान प्रोटीन एक लचीली परत बना लेती है, जिसे लासा या ग्लूटेन कहते हैं। आटे में लासा के कारण गेहूं की रोटी खूब फूलती है।

    अगली जानकारी में बताया गया कि मोटापे से परेशान, चीन के 11 साल के एक लड़के का वजन करीब 146 किलो है। तीन साल की उम्र से वह एक दुर्लभ स्थिति का सामना कर रहा है, जिसके कारण उसका शरीर फूलता जा रहा है।

    वहीं न्यूजीलैंड के गिसबॉर्न एयरपोर्ट एक ऐसा एयरपोर्ट है, जहां पर प्लेन को उड़ान भरने से पहले ट्रेन का इंतजार करना होता है। इसके साथ ही फेसबुक अब एक नए फीचर का परीक्षण कर रहा है। इसके जरिए लोग अपने नजदीकी वाई-फाई हॉटस्पॉट के बारे में पता लगा सकेंगे। ये जानकारियां बहुत अच्छी लगी। इसके अलावा प्रोग्राम में पेश जोक्स और गीत-संगीत भी अच्छा लगा। धन्यवाद। एक बेहतरीन कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए।

    अब पेश है प्रोग्राम का अंतिम पत्र। जिसे भेजा है, बकानी खुर्द राजस्थान से, राजेश कुमार मेहरा ने । लिखते हैं, गुरुवार का टी-टाइम प्रोग्राम सुना। आपने बताया कि रोटी पकने पर दो परतों में क्यों फूल जाती है। यह जानकारी बेहद ज्ञानवर्धक लगी। इसके साथ ही बताया गया कि न्यूजीलैंड एक एयरपोर्ट ऐसा है, जहां प्लेन उड़ान भरने से पहले ट्रेन का इंतजार करते हैं। यानी वहां ट्रेन और प्लेन एक ही जगह पर खड़े होते हैं। यह जानकारी वाकई हैरान करने वाली थी। इसके साथ ही मोटापे का शिकार 11 साल के बच्चे के इलाज के तरीके के बारे में भी जाना। वहीं फिल्मी ख़बर में दंगल फ़िल्म में आमिर ख़ान ने पहलवानी के गुर सीखे। इसके साथ ही प्रोग्राम में पेश तीनों जोक्स भी शानदार थे।

    धन्यवाद एक अच्छी प्रस्तुति के लिए।

    इसी के साथ कार्यक्रम में श्रोताओं की टिप्पणी यही संपन्न होती है। आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया। अब समय हो गया है, जोक्स यानी हंसगुल्लों का।

    जोक्स....

    पहला जोक...

    पत्नी- खिड़की के परदे लगवा दो, नया पड़ोसी

    मुझे बार-बार देखने की कोशिश करता है।

    पति- एक बार ठीक से देख लेने दो,

    वह खुद ही परदे लगवा लेगा।

    दूसरा जोक...

    पप्पू पार्टी से रात को घर देर से आया।

    अगले दिन दोस्तों ने उससे पूछा- बीवी ने कुछ कहा तो नहीं?

    पप्पू- न न, कुछ खास नहीं...ये दो दांत तो मुझे वैसे भी निकलवाने थे।

    तीसरा जोक...

    रमेश- बच्चे क्या कर रहे हैं आजकल?

    सुरेश- बड़ा बेटा SBI में,

    उसकी पत्नी AXIS में,

    छोटा बेटा PNB में,

    उसकी पत्नी HDFC में और बेटी YES बैंक में है।

    रमेश- अच्छा तो सब सेटल हो गए?

    सुरेश- नहीं, लाइन में लगे हैं मेरे भाई।

    इसी के साथ, हंसगुल्ले यहीं संपन्न होते हैं। शुक्रिया।

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