मध्य सितंबर में चीन के होपेइ प्रांत के कई विश्वविद्यालय, मिडिल स्कूल व प्राइमरी स्कूल में कुछ विशेष मेहमान आये। वे ब्राजील के पुर्तगाली व चीनी दोनों भाषाओं की मिडिल स्कूल की फुटबाल टीम के सदस्य हैं। वहां की दो हफ्ते की यात्रा के दौरान उन्होंने चीनी छात्रों के साथ कई फुटबाल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। साथ ही फुटबाल के माध्यम से ब्राजीली बच्चों ने चीनी संस्कृति से घनिष्ठ संपर्क रखा, और चीनी संस्कृति से प्यार शुरू किया।
ब्राजील के पुर्तगाली व चीनी दोनों भाषाओं वाली मिडिल स्कूल की स्थापना 2015 में रियो डी जनेरियो के निटेरोई शहर में हुई, जो पीयूसी-रियो के कंफ्यूशियस कॉलेज की एक शाखा है। यह कहा जा सकता है कि यह मिडिल स्कूल विदेशों में चीनी भाषा सिखाने का एक नया प्रयास है। ब्राजील में पहली बार ऐसे स्कूल की स्थापना हुई।
वर्ष 2013 से पीयूसी-रियो के कंफ्यूशियस कॉलेज ने रियो डी जनेरियो सरकार से संपर्क रखना शुरू किया, और इस स्कूल की स्थापना की चर्चा की। शुरू में कंफ्यूशियस कॉलेज ने रियो शहर के एक व्यवसायिक स्कूल में एक प्रायोगिक कक्षा स्थापित की। क्योंकि इसका परिणाम बहुत अच्छा रहा। इसलिये स्टेट की सरकार ने विशेष तौर पर एक दोनों भाषाओं वाले स्कूल की स्थापना करने का फैसला किया। स्कूल का स्थापना कार्य संभालने वाले कंफ्यूशियस के चीनी महानिदेशक छाओ चेनचिन ने यह आशा जताई कि इस स्कूल की स्थापना से चीन व ब्राजील दोनों देशों के युवाओं के बीच आदान-प्रदान का एक पुल स्थापित हो सकेगा। साथ ही वे यह समझती हैं कि यह एक लंबा रास्ता है। उन्होंने कहा,वास्तव में मुझे आशा है कि इस कार्यक्रम से चीन व ब्राजील के बीच एक मंच की स्थापना की जा सकेगी। यह काम बच्चों से शुरू होना चाहिये। क्योंकि वे बच्चे चीन-ब्राजील के बीच विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले युवा बनेंगे। यह एक तीस या चालीस वर्षों का एक कार्यक्रम है।
पुर्तगाली व चीनी दोनों भाषाओं वाले मिडिल स्कूल की स्थापना को रियो में तेज़ प्रतिक्रिया मिली। ब्राजील के तमाम बच्चों ने पहली बार चीनी भाषा और चीन की संस्कृति से संपर्क रखा। क्योंकि यह एक सार्वजनिक सरकारी स्कूल है, इसलिये कुछ ग़रीब परिवारों के बच्चों को भी यहां शिक्षा पाने का मौका मिला। पर ब्राजीली विद्यार्थियों में चीनी भाषा सीखने का शौक कैसे बढ़ाया जाए? स्कूल लगातार शिक्षा देने का उचित तरीका ढूंढ़ता रहता है। बाद में उन्होंने फुटबाल को चुना।
इसी कारण चीन के होपेइ प्रांत के नॉर्मल विश्वविद्यालय के खेल विषय मेंमास्टर डिग्री ग्रेजुएट फांग शूफंग इस वर्ष के मार्च में इस स्कूल में आया। हालांकि फुटबाल विद्यार्थियों का शौक प्रोत्साहित कर सकता है, लेकिन ब्राजील फुटबाल का राज है, यहां एक चीनी प्रशिक्षक का ब्राजील की फुटबाल टीम को प्रक्षिशण देना, एक बहुत मुश्किल बात है। वास्तव में यह सचमुच बहुत कठोर है। फांग शूफंग ने कहा,जब मैं अभी अभी इस स्कूल में पहुंचा, तो उस समय बहुत मुश्किलें आयी। 3 अप्रैल को हमने फुटबाल टीम की स्थापना की। स्थापना की प्रक्रिया थोड़ा आसान रही। लेकिन जब सुश्री छाओ ने बच्चों के सामने मेरा परिचय दिया कि ये तुम्हारे प्रशिक्षक हैं। तो सभी बच्चों ने अजीब नज़र मुझ पर डाली। क्योंकि वे ब्राजीली हैं, पर उन्हें एक चीनी प्रशिक्षक क्यों चाहिये?
इसके बाद फांग शूफंग ने इस फुटबाल टीम में शामिल होने की कोशिश शुरू की। क्योंकि ब्राजीली बच्चों का अनुशासन अच्छा नहीं है, इसलिये फांग धीरे धीरे उन का सुधार करते हैं। साथ ही फांग की व्यावसायिक तकनीक व गंभीर रुख ने बच्चों में सम्मान भी जीत लिया। बच्चे इस चीनी प्रशिक्षक की बातों का पालन करते हैं। और उनका अनुशासन भी दिन-ब-दिन बेहतर हो रहा है।
स्कूल के नियम के अनुसार अगर बच्चे फुटबाल खेलना चाहते हैं, तो उनकी पढ़ाई भी अच्छी होनी चाहिये। सुश्री छाओ के अनुसार कुछ बच्चों को शुरुआत में सीखना अच्छा नहीं लगता था, लेकिन वे फुटबाल टीम में शामिल होना चाहते हैं, तो उन्हें सीखने की बड़ी कोशिश करनी पड़ती है। फुटबाल टीम के कप्तान चिर्यामई तो उनमें से एक है। पहले उन्हें सीखने से नफ़रत थी। उनके मां-बाप ने उन्हें बदलने के लिये तमाम कोशिश की। लेकिन सभी बेकार हुए। लेकिन जब वे पुर्तगाली व चीनी दोनों भाषाओं वाले मिडिल स्कूल में आये, खास तौर पर फुटबाल टीम के कप्तान बने। उनका रुख बिल्कुल बदल गया। उनके अनुसार स्कूल ने उनकी जिन्दगी में सुधार किया। उन्होंने कहा,जब मैंने इस स्कूल में प्रवेश किया, तो मैंने नहीं सोचा था कि यहां मेरे जीवन व संभावना बिल्कुल बदल जाएगी। मुझे आशा है कि आगामी दिनों में मैं और आगे बढ़ सकूंगा। कुछ लोगों ने मुझ से कहा कि चीन की यात्रा करने का मौका बहुत मूल्यवान है। और मुझे यह मौका पाकर बहुत खुशी हुई। इस बार की यात्रा से मुझे बड़ा प्रोत्साहन मिला। और मेरे विचार बदलने और भविष्य की परियोजना बनाने के लिये बड़ी मदद भी मिली। इस स्कूल ने मेरे भविष्य को बदल दिया।
चिर्यामई के अलावा और कई बच्चों की जिन्दगी भी इस दोनों भाषाओं वाले स्कूल में जाने के बाद बदल गयी। सुश्री छाओ ने कहा कि इस स्कूल में डिप्रेशन से ग्रस्त एक बच्चा भी पढ़ता है। पहले वह किसी से बात करना पसंद नहीं करता था। उसे केवल अकेले रहना पसंद था। पर इस स्कूल में आने के कुछ समय के बाद अध्यापकों द्वारा दिये गये प्रेम की वजह से उनका मन धीरे धीरे खुल गया, और अन्य लोगों के साथ आदान-प्रदान का समय भी दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। हालांकि वह फुटबाल नहीं खेलता है। पर सुश्री छाओ ने उन्हें चीन आने का मौका भी दिया।
रियो में दोनों भाषाओं वाला स्कूल दिन-ब-दिन प्रसिद्ध हो रहा है। और इसमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ रही है। शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर उन्नत करने के लिये, और बच्चों को सीधे से चीनी भाषा व चीन की संस्कृति से संपर्क रखने के लिये स्कूल ने कुछ आदान-प्रदान गतिविधियों का आयोजन करने का फैसला किया। इस बार फुटबाल टीम की चीन यात्रा उनमें से एक है। इस बार की यात्रा में फुटबाल के अलावा ब्राजील के विद्यार्थियों ने कई स्कूलों का दौरा भी किया, और चीन के बारे में खूब जानकारियां प्राप्त कीं।