लेखक – चुन्नीलाल कैवर्त
'छिंगहाई-तिब्बत पठार'को 'विश्व की छत' के रूप में जाना जाता है। जहां पहले बाहरी लोगों के लिए पहुंचना बहुत मुश्किल होता था। छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग विश्व में समुद्री सतह से सबसे ऊंचे पठार पर गुज़रने वाली सबसे लंबी रेल लाइन है, जिसके निर्माण से विश्व रेलवे निर्माण के इतिहास में करिश्मा हुआ है। चीन ने समुद्र तल से लगभग 5100 मीटर ऊँचाई पर छिंगहाई तिब्बत रेलवे का निर्माण करके पूरी दुनियाँ को आश्चर्य में डाल दिया है। छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात 1 जुलाई 2006 को शुरू हुआ था। इसे अब 10 वर्ष हो चुके हैं। रेल मार्ग से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में पर्यटन और अर्थव्यवस्था के विकास में तेज गति आ गई है। इस रेलवे को छिंगहाई प्रांत और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न जातियों के लोग "सुख का स्वर्ग रास्ता" कहते हैं।
छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग की कुल लम्बाई 1956 किलोमीटर है। आंकड़ों के अनुसार अब तक रेल मार्ग से 11.5 करोड़ यात्रियों और 44.8 करोड़ टन के माल का परिवहन किया जा चुका है। छिंगहाई-तिब्बत मार्ग यानी विश्व के सबसे ऊंचे और सबसे लंबे पठार पर दस साल पहले रेल लाइन शुरू होने के बाद तिब्बती लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव आया है। रेलमार्ग शुरू होने का सबसे अधिक लाभ स्थानीय तिब्बती लोगों को मिला है।। रेल से यात्रा करना न केवल सुरक्षित है, बल्कि तेज़ और सस्ता भी। छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग के शुरू होने के बाद वस्तुओं का परिवहन बहुत सुविधाजनक हो गया है। इसकी वजह से लोगों के रोजमर्रा के खर्च में भी कमी आ चुकी है। मसलन, चावल, तेल, आटा और अन्य खाद्य सामग्री के दाम कम हो गए हैं। छिंगहाई-तिब्बत रेलवे ने देश की भीतरी इलाकों से तिब्बत की यात्रा का समय बहुत कम कर दिया है। इसके साथ ही यात्रा खर्च में भी कमी आयी है। रेल यातायात ने स्थानीय उद्योगों के विकास में बहुत मदद की है। रेलवे के खुलने से स्थानीय अर्थतंत्र के विकास में नयी जान आ गयी है और देश के दूसरे क्षेत्रों से अधिक पूंजीनिवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है । छिंगहाई -तिब्बत रेलवे लाइन और रसद केंद्र की स्थापना से नागछु क्षेत्र में आर्थिक विकास का उल्लेखनीय विकास होने लगा है । अब यहां प्रसंस्करण उद्योग का बड़ी तेज़ी से विकास किया जा रहा है । और अधिक रोजगार मिलने से स्थानीय लोगों के जीवन में भी सुधार हो रहा है ।रोजगार बढ़ने से लोगों की आय में भी इजाफा हुआ है। इधर के वर्षों में छिंगहाई-तिब्बत रेलवे कंपनी ने छिंगहाई व तिब्बत के पर्यटन विभागों के साथ मिलकर कई पर्यटक ट्रेनें चलायी हैं। रेलवे की बड़ी परिवहन क्षमता और सुविधाजनक फायदे से पठार का पर्यटन लोकप्रिय हो रहा है। इसके साथ इन क्षेत्रों में जाने वाले पर्यटकों , व्यापारियों, तीर्थयात्रियों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
चीन बहुजातीय और अनोखी संस्कृतियों वाला एक विशाल देश है । चीन सरकार अल्पसंखयक जातीय क्षेत्रों में आर्थिक ,सांस्कृतिक व शैक्षिक प्रगति को बढ़ावा देने ,सभी अल्पसंख्यक जातीय जनता के जीवन स्तर को उन्नत करने के साथ-साथ अल्पसंख्यक जातियों के धार्मिक विश्वास का सम्मान करने तथा उनके सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा करने पर विशेष ध्यान देती है । इसका सटीक और सुंदर उदाहरण है-चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ,जहाँ तिब्बती जाति के अलावा तिब्बत में लोबा,मनबा,नाशी ,ह्वी ,त्वुलुंग आदि दसेक जातियाँ बसी हुई हैं । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में तिब्बत की जनता समूची चीनी जनता के साथ मिलकर जातीय स्वशासन क्षेत्र के आर्थिक व सांस्कृतिक विकास को गति दे रही है ।
इस वर्ष चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की शांतिपूर्ण मुक्ति की 65 वीं वर्षगांठ है। पिछले 65 वर्षों में चीन की केंद्र सरकार के नेतृत्व में और तिब्बती जनता के परिश्रम के बलबूते आज तिब्बत में भारी परिवर्तन आया है। जनवादी सुधार ने सामंती जागीरदारों और भूदासों के बीच के संबंध को तोड़ा , दस लाख भूदास जमीन और अन्य उत्पादन संसाधन के मालिक बन गए, उन्होंने शारीरिक मुक्ति व धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता हासिल की और मानव बनने का हक प्राप्त किया । दस लाख भूदास पीढ़ी दर पीढ़ी सामंती भूदास व्यवस्था में जीवित साधन बन गये थे । उन के साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जाता था । तिब्बत में जनवादी सुधार किए जाने के पूर्व ज़मीन, वन और जल संसाधन समेत सभी उत्पादन सामग्री तत्कालीन तिब्बत की जनसंख्या में पांच प्रतिशत भिक्षुओं व कुलीनों के पास थी । बाकी जनता के पास कुछ नहीं था ।इन 65 सालों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का चतुर्मुखी विकास हुआ है ।
शांतिपूर्ण मुक्ति पाने के बाद तिब्बत में न केवल आर्थिक क्षेत्र में बल्कि शैक्षिक जगत में भी भारी परिवर्तन आया है। देश भर में 15 वर्षों के अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू करने वाले पहले प्रांत के रूप में तिब्बती लोगों के शिक्षा पाने का औसत समय 8.8 साल हो चुके हैं। वर्तमान में तिब्बत में निरक्षरता दर 1 प्रतिशत से कम हो गई है। जाहिर है कि तिब्बत में शैक्षिक स्तर बड़े हद तक उन्नत हुई है। गौरतलब है कि वर्ष 1985 से तिब्बत में निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था शुरू हुई। इसके आधार पर किसानों और चरवाहों के बच्चों के लिए निःशुल्क भोज, निःशुल्क निवास और निःशुल्क पढ़ाई खर्च समेत तीन निःशुल्क नीतियां अपनाई जाती है। अब तक कुल 5 लाख 25 हज़ार तिब्बती छात्रों को लाभ मिला है। अब तक तिब्बत में प्रारंभिक तौर पर पूर्व स्कूली शिक्षा, आधारभूत शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा और विशेष शिक्षा समेत संपूर्ण आधूनिक शिक्षा व्यवस्था कायम हुई।
गौरतलब है कि तिब्बती चिकित्सा और दवा का इतिहास 2300 से अधिक वर्ष प्राचीन है। जिसकी संपूर्ण सैद्धांतिक प्रणाली और समृद्ध क्लीनिकल अनुभव है। वह अभी तक चीन में सबसे संपूर्ण और सबसे प्रभावित जातीय चिकित्सा व्यवस्था है। तिब्बती चिकित्सा चीनी परंपरागत चिकित्सा, पुरातन भारतीय चिकित्सा और पुरातन अरबी चिकित्सा के साथ विश्वभर में चार महान परंपरागत चिकित्सा माना जाता है। अब वह संयुक्तराष्ट्र संघ में मानव गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों में शामिल होने की प्रतीक्षा में है। तिब्बती दवा और चिकित्सा, शिक्षा, विज्ञान और अध्ययन में सतत विकास के साथ साथ वर्ष 2020 तक तिब्बत के 95 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों और 100 प्रतिशत गांवों और कस्बा स्तरीय अस्पतालों में तिब्बती चिकित्सा क्लिनिकों और तिब्बती दवा दुकानों की स्थापना होगी। साथ ही 75 प्रतिशत से अधिक गांव स्तरीय क्लिनिक तिब्बती चिकित्सा सेवा देने में सक्षम होंगे।
दूरसंचार उद्योग के तेज़ विकास से लाभ उठाते हुए विश्व की छत के नाम से मशहूर तिब्बत पठार ,चीन के भीतरी इलाकों , यहां तक कि दुनिया के साथ ज्यादा घनिष्ठ संपर्क कायम रहा है। हाल के वर्षों में तिब्बत में दूरसंचार उद्योग का जोरदार विकास हुआ है। इंटरनेट की व्यापकता 60 प्रतिशत से अधिक रही, जिससे सामाजिक विकास और नागरिकों के जीवन में भारी सुविधा मिली । आज के समय में मोबाइल फोन बुनियादी जरूरत बन गई है। जिसे देखो, उसी के पास मोबाइल फोन है। चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के संचार प्रबंधन ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के अंत तक तिब्बत में टेलीफोन ग्राहकों की संख्या 32 लाख 77 हजार तक पहुंच गई है। देखा जाए तो हर 100 लोगों के पास 107 फोन है।
तिब्बत में मोबाइल फोन का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। 20 सालों के विकास से लेकर अब तक तिब्बत में केबल, उपग्रह और लंबी दूरी वाले टेलीफोन नेटवर्क पूरे स्वायत प्रदेश में फैल चुके हैं। हर गांव में इंटरनेट ब्रॉडबैंड और फोन का इस्तेमाल होने लगा है। अधिक से अधिक तिब्बती किसानों और चरवाहों को फोन की सुविधा देने के लिए दूरसंचार विभागों और संबंधित कंपनियों ने तिब्बती भाषा वाले ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर का बाजार में उतारा है, जिससे लोग अपने मोबाइल फोन पर तिब्बती भाषा में देसी-विदेशी ख़बरों का जायजा ले सकें और विभिन्न प्रकार की सूचनाएं प्राप्त कर सकें। अभी तक तिब्बत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 21 लाख 70 हजार के करीब है। तिब्बत में 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।
सरकार ने तिब्बती धार्मिक संस्कृति के संरक्षण में बड़ी पूंजी लगायी है। गतवर्ष सरा मंदिर को लामाओं के आवास के जीर्णोद्धार के लिए 23 लाख 90 हजार युआन आवंटित किये गए हैं। उन्होंने कहा कि अब सभी तिब्बती लामाओं के लिये चिकित्सा बीमा, वृद्धा बीमा और न्यूनतम जीवन गारंटी उपलब्ध है। हर मंदिर में पानी, बिजली, रास्ता और पुस्तकालय है। सरा मंदिर में वृद्धाश्रम भी स्थापित हुआ है। चीन सरकार तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित नहीं करती है। बल्कि सरकार ने कुछ धार्मिक गतिविधियों को लेकर बड़ी आजादी है।
तिब्बत के ल्हासा शहर को सोलर सिटी भी कहा जाता है। इस शहर में अन्य शहरों की तुलना में धूप तेज होती है। धूप के नीचे विशाल पठार हैं, पठार पर पहाड़, झील, पेड़ और घास बहुत साफ दिखती है। ल्हासा में प्रसिद्घ शानदार पोताला पैलेस और स्वच्छ ल्हासा नदी के अलावा केंद्रीय ल्हासा के बाखुओ सड़क में भी ल्हासा की विशेषता देखी जा सकती है। ल्हासा की सड़कों पर कुछ लोग मक्खन चाय पीने के साथ-साथ बातचीत करते हैं, कुछ नागरिक सूत्र चक्र घुमाते हैं। यह एक शांति शहर है, बड़े नगर की चहल–पहल से दूर रहने के लिए ल्हासा एक सबसे अच्छी जगह है।
चीनी जनता दलाईलामा गुट द्वारा किए अपराधों का विरोध करती है। इतिहास का सच नहीं बदलेगा। दलाई लामा गुट जो भी तोड़फोड़ करेगा, चीन की समृद्धि पर इसका कोई भी असर नहीं पड़ेगा। तिब्बत चीन का एक हिस्सा है। तिब्बती लोग देश की एकता का संरक्षण करेंगे। तिब्बत का विकास एक नई अवधि में पहुंच गया है। भविष्य में तिब्बत अपनी विशेषतायुक्त विकास करते हुए स्थिर और शांतिपूर्ण प्रगति करता रहेगा।