प्रारंभिक आंकड़े बताते हैं कि 2016 में संभवतः विश्व में सबसे ऊंचा औसत तापमान वाला साल होगा।
इस साल के पहले नौ महीनों में आंकड़े से जाहिर है कि वैज्ञानिकों को पक्का विश्वास है कि 2016 पिछले साल के रिकॉर्ड को तोड़कर सबसे गर्म साल होगा।
विश्व मौसम संगठन (WMO) ने कहा कि इस साल जनवरी से सितंबर तक विश्व में औसत तापमान औद्योगिकीकरण से पहले के औसत स्तर से 1.2 डिग्री ऊँचा था। इस संगठन का मानना है कि इस साल के बाकी दिनों का तापमान पहले के सब से ऊंचे तापमान रिकॉर्ड को भी तोड़ेगा।
हालांकि एल नीनो का असर पड़ता है, फिर भी तापमान ऊंचा होने का सबसे मुख्य तत्व कार्बन डाइऑक्साइड की निकासी है। 2016 में विश्व मौसम स्थिति का अस्थायी वक्तव्य इस साल के कुछ समय पहले जारी किया जा चुका है। इस वक्तव्य के अनुसार इस साल जनवरी से सितंबर तक वैश्विक औसत तापमान 1961 से 1990 के औसत तापमान की तुलना में 0.88 डिग्री ऊँचा है, जबकि वह विश्व मौसम विज्ञान संगठन
की बेसलाइन है। हालांकि इस साल के और दो महीने बाकी हैं, फिर भी अक्तूबर माह की प्रारंभिक संख्या से जाहिर है कि 2016 में तापमान संभवतः 2015 का औसत तापमान रिकॉर्ड तोड़ेगा।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेट्रिट्स टारस ने कहा कि रूस के अंटार्कटिक क्षेत्र में तापमान औसत तापमान से 6-7 डिग्री ऊँचा होता है। और तो और आर्कटिक क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र और रूस व कनाडा के कई उत्तरी क्षेत्रों में औसत तापमान कम से कम पहले से 3 डिग्री ऊँचा है।
संबंधित रिपोर्ट में यह भी जोर दिया गया है कि अन्य कुछ लम्बा मौसम सूचकांक भी तोड़ा गया है। विद्वानों को पक्का विश्वास है कि एल नीनो से करीब 0.2 डिग्री का असर पड़ता है, जबकि सबसे मुख्य कारण है ग्रीन हाउस गैसों का जमा होना।