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    संडे की मस्ती 2016-12-04
    2016-12-04 18:11:06 cri

    अखिल- हैलो दोस्तों...नमस्कार...नीहाओ...। आपका स्वागत है हमारे इस चटपटे और laughter से भरे कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में। मैं हूं आपका दोस्त और होस्ट अखिल पाराशर

    सपना- और मैं हूं आपकी दोस्त सपना

    (Music)

    अखिल- दोस्तों, हर बार की तरह आज के इस कार्यक्रम में होंगे दुनिया के कुछ अजब-गजब किस्से और करेंगे बातें हैरतंगेज़ कारनामों की.... इसी के साथ ही हम लेकर आये हैं मनोरंजन और मस्ती की सुपर डबल डोज, जिसमें होंगे चटपटे चुटकुले, ढेर सारी मस्ती, कहानी और खूब सारा फन और चलता रहेगा सिलसिला बॉलीवुड और चाइनिज गानों का भी।

    (Music)

    अखिल- चलिए दोस्तों, प्रोग्राम शुरू करने से पहले, हम सुनते हैं यह चीनी गीत।

    सपना- इस चीनी गीत का नाम है…"किसी की याद है अकेलेपन की वजह"

    (Chinese Song)

    अखिल- वैल्कम बैक दोस्तों, आप सुन रहे हैं संडे के दिन, मस्ती भरा कार्यक्रम संडे की मस्ती Only on China Radio International

    (Music)

    अखिल- चलिए दोस्तों... आज हम आपको ले चलते हैं हमारे संडे स्पेशल की तरफ, जहां आज सपना जी पेश करेंगी एक विश्व संवेदनशील कहानी

    (सपना जी की कहानी)

    अखिल- दोस्तों, यह था हमारा संडे स्पेशल। चलिए... दोस्तों, अभी हम चलते हैं अजीबोगरीब और चटपटी बातों की तरफ।

    (Music)

    अखिल- चलिए, मैं अजीबोगरीब के सेगमेंट में बताता हूं कि 'हाइब्रिड चावल' के जनक युआन लांगपिंग ने बनाया नया विश्व रिकार्ड

    दोस्तों, हाइब्रिड चावल के जनक के रूप में मशहूर चीन के एक कृषि वैज्ञानिक ने अभूतपूर्व उत्पादन के जरिये विश्व रिकार्ड कायम किया है। हुनान की प्रांतीय सरकार ने बताया कि युआन लांगपिंग की टीम ने साल की शुरुआत में युन्नान, सिचुआन, शानक्सी, गुआंगडोंग, चूंगचींग समेत 16 प्रांतीय क्षेत्रों में हाइब्रिड चावल के 42 खेतों में परीक्षण के तौर पर खेती की।

    सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, दक्षिणी चीन के गुआंगडोंग में चावल के दो गुना उत्पादन से नया विश्व रिकार्ड बना है। इस दौरान प्रति एमयू (करीब 0.07 हेक्टेयर) कृषि भूमि पर 1,537.78 किलोग्राम चावल का उत्पादन हुआ। वहीं हेबेई में प्रति एमयू 1,082.1 और युन्नान में प्रति एमयू 1088 किलोग्राम चावल का उत्पादन किया गया। खबर में कहा गया है कि दोनों ने उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों और 100 एमयू कृषि क्षेत्र में उत्पादन के पिछले विश्व रिकार्ड को ध्वस्त कर दिया।

    सपना- चलिए दोस्तों, मैं बताती हूं कि एक शख्स पहुंच गया सिक्के लेकर कार खरीदने, फिर क्या हुआ, ये सुनिए

    दोस्तों, अक्सर आपने देखा होगा कार, स्कूटर जैसी चीज खरीदने पर ग्राहक हमेशा बड़े नोटों में या चेक के जरिए उसकी पेमेंट करता है। लेकिन चीन के चंगचोऊ में एक अजीबोगरीब मामला देखने को मिला। दरअसल क्वो नाम का एक शख्स टोयटा प्राडो कार खरीदने के लिए शोरूम पहुंचा और उसने अपनी नई कार खरीदने के लिए लाखों की रकम कैश में तो चुकाई लेकिन ये रकम सिक्कों और छोटे नोटों में थी, जिसे गिनने में ही स्टाफ के लोगों को 12 घंटे का समय लग गया। सोशल मीडिया पर क्वो की कहानी और शोरूम में रकम गिनने की फोटोज काफी वायरल हो रही हैं।

    मैं आपको बता दूं कि क्वो कई पैकेट में सिक्के और नोटों के काटन लेकर शोरूम पहुंचा था। उसने रकम चुकाने के लिए 50 और 100 सेंट के एक लाख सिक्के दिए।

    अखिल- चलिए, अब मैं बताता हूं कि दुनिया की पहली स्काई ट्रेन चलाने की तैयारी में चीन

    दोस्तों, चीन टैक्नोलॉजी में सदा से ही काफी आगे रहा है और उसमें एक और आयाम जोड़ते हुए चीन स्काई ट्रेन चलाने की तैयारी कर रहा है। सिचुआन प्रांत के चेंगदु शहर में इससे इस ट्रेन का परीक्षण किया जा रहा है। यह ट्रेन 60 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है। इस ट्रेन की खास बात यह है कि इसे पांडा रूप में डिजाइन किया गया है। यह स्काई ट्रेन बैटरी से चलेगी और यह आम ट्रेनों की तुलना कम खर्चीली होगी।

    इस ट्रेन का निर्माण चाइना रेलवे रोलिंग स्टॉक कॉरपोरेशन द्वारा किया जा रहा है। अभी हाल ही में कंपनी ने इस ट्रेन से जुड़ी कई तस्वीरें जारी की हैं। 2 कंपार्टमैंट वाली इस ट्रेन में 200 से ज्यादा लोग एक साथ सफर कर सकते हैं। यह ट्रेन पूर्ण रूप से हाई विंड रेजिस्टैंस और घुमाव की क्षमता से परिपूर्ण है। जर्मनी और जापान में पहले से ही स्काई ट्रेन चल रही है।

    सपना- चलिए दोस्तों, अभी हम सुनते हैं यह हिन्दी गाना... उसके बाद आपके ले चलेंगे हमारे मनोरंजन के दूसरे सेगमेंट की तरफ...

    (Hindi Song)

    अखिल- दोस्तों, आपका एक बार फिर स्वागत है हमारे इस मजेदार कार्यक्रम संडे की मस्ती में... मैं हूं आपका दोस्त एन होस्ट अखिल।

    सपना- और मैं हूं आपकी दोस्त सपना....

    (Music)

    सपना- चलिए दोस्तों, अभी हम अखिल जी से सुनते हैं एक प्रेरक कहानी। आज की कहानी है इंडिया हॉकी के जादूगर धनराज पिल्लै पर। इस कहनी में आप जानेंगे धनराज पिल्लै का टूटी हॉकी से शुरुआत कर भारत का कप्तान बनने तक का सफ़र।

    (Music)

    अखिल- दोस्तों, सपने देखने पर किसी तरह की रोक नहीं है। कोई भी इंसान कैसा भी सपना देख सकता है। और लाखों-करोड़ों लोग खुद को लेकर, पर कुछ गिने-चुने ही होते हैं जो इन्हें पूरा करने के लिए अपनी जान लगा देते हैं। और इन्ही गिने-चुने लोगों में एक नाम आता है महान हॉकी ख़िलाड़ी धनराज पिल्लै का।

    भारतीय हॉकी के इस महान सितारे का जन्म पुणे के निकट खिड़की में 16 जुलाई, 1968 को हुआ था। धनराज बहुत ही सामान्य परिवार से हैं, उनके माता-पिता मूलतः तमिलनाडू से थे लेकिन रोजी-रोटी की तलाश वे खिड़की आ गए थे। माता-पिता ने पैसों के अभाव में जन्मे अपने चौथे पुत्र का नाम इस उम्मीद में "धनराज" रखा कि वो उनकी किस्मत बदल सके…और जैसा कि हम जानते हैं; आगे चलकर हुआ भी यही।

    धनराज का बचपन Ordinance Factory Staff Colony में बीता, जहां उनके पिता बतौर ग्राउंड्समैन काम करते थे। बड़ा परिवार और सीमित आय के कारण धनराज का परिवार सुख-सुविधाओं के अभाव में ही रहता था। खुद धनराज टूटी हुई हॉकी और फेंकी हुई बॉल से खेला करते थे और ऐसे करने की प्रेरणा उन्हें उनकी माँ से मिलती थी। तमाम तकलीफों के बीच भी उनकी माँ हमेशा अपने पाँचों बेटों को हुई खेलने के लिए प्रोत्साहित किया करती थीं।

    जब धनराज छोटे थे तब भारत में हॉकी ही सबसे लोकप्रिय खेल था और अक्सर बच्चे यही खेल खेला करते थे। शाम को सभी लड़के चोल में हॉकी खेलने के लिए इकठे हो जाते थे। दुसरे लड़के तो अच्छी हॉकी लेके आते पर पिल्लै परिवार के पास पांच-पांच हॉकी स्टिक खरीदने की क्षमता नहीं थी। उसमे भी धनराज तो छोटे थे इस वजह से उन्हें यदा-कदा ही अच्छी स्टिक हाथ में पकड़ने का मौका मिलता था।

    धनराज के बड़े भाई उनको टूटी हुई हॉकी स्टिक गुंदर और सुतरी से बांध के देते थे और साथ ही एक बेकार सी बॉल भी खेलने के लिए दिया करते थे । धनराज से कहा जाता- तू इसी से प्रैक्टिस कर और जब तू अच्छा खेलने लगेगा तब तुझे अच्छी स्टिक मिलेगी और बड़े लोगों के साथ खलने का मौका भी मिलेगा।

    धनराज को तब ये सब उतना अच्छा नहीं लगता था, कई बार वो इस खेल को छोड़ने का भी बोलते थे पर हर बार उनकी उनकी माँ उन्हें समझातीं कि- हॉकी कभी मत छोड़ना। तू और ज्यादा प्रैक्टिस कर और जब तेरा खेल बहुत अच्छा हो जायेगा तब तू हॉकी टीम में खेलेगा।

    माता के यह शब्द धनराज को वापस हॉकी खेलने के लिए प्रोत्साहित करते और वह पहले से ज्यादा अच्छा करते। शुरू से इस तरह की गयी प्रैक्टिस आगे चलकर उनके बहुत काम आयी। शायद आपको जानकार हैरानी होगी कि धनराज के बड़े भाई रमेश भी हॉकी के बहुत अच्छे खिलाडी थे और वे भी इंटरनेशनल मैचों में भारत की और से खले।

    धनराज 1985 के आस-पास अपने बड़े भाई के पास मुंबई चले गए, और उनके गाइडेंस में प्रशिक्षण लेने लगे। धनराज शुरू से ही महान फॉरवर्ड खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद से प्रभावित थे और उन्हें अपना आदर्श मानते थे। वे उन्हीं को कॉपी करने की कोशिश करते थे और मुंबई आकर वे एक खुद को एक द्रुत गति वाले बेहतरीन स्ट्राइकर के रूप में विकसित करने लगे। जब आपके अन्दर टैलेंट होता है और उसे निखारने में आप दिन रात एक कर देते हैं तो दुनिया भी उसे अनदेखा नहीं कर पाती। धनराज के निखरे खेल ने उन्हें महिंद्रा एंड महिंद्रा क्लब में जगह दिला दी जहां उन्हें भारत के तत्कालीन कोच J.M. Carvalho द्वारा बेहतरीन प्रशिक्षण मिला।

    धनराज को पहली बार 1989 में भारतीय हॉकी टीम में स्थान मिला और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा 1989 से 2004 तक के 15 साल के अपने करियर में उन्होंने 339 इंटरनेशनल मैच खेले और करीब 170 गोल किये। वो दुनिया के एक मात्र खिलाडी हैं जिसने– चार ओलम्पिक, चार वर्ल्ड कप, चार चैंपियनस ट्रॉफी, और चार एशियाई गेम्स में खेलने का कीर्तिमान बनाया है। उनकी कप्तानी में भारत ने 1998 और 2003 में एशिया कप जीता।

    इस तरह एक के बाद एक सफलता के शिखर पर चढ़ते हुए उन्होंने अपने नाम को सार्थक कर दिखाया। केवल देश में ही नहीं दुनिया भर में धनराज के खेल को वाहवाही मिलने लगी । ब्रिटन , फ्रांस, चीन के होंगकोंग , मलेशिया और जर्मनी के अलावा भी कई देशों में धनराज क्लब हॉकी खेल चुके हैं। भारतीय हॉकी खिलाड़ी अर्जुन हलप्पा का कहना है- आज तक धनराज जैसा कोई कप्तान नहीं रहा है.. उनकी जगह कोई नहीं ले सकता।

    दोस्तों, आज जब धनराज इंटरनेशनल हॉकी से रिटायर हो चुके हैं, बावजूद इसके वो किसी न किसी रूप में इस खेल से जुड़े रहते हैं और अपने स्तर पर भारतीय हॉकी की सेवा करने में तत्पर रहते हैं। एक टूटी हुई हॉकी स्टिक से शुरू हुए सफ़र को 300 से ज्यादा इंटरनेशनल मैचों तक ले जाना कोई साधारण उपलब्धि नहीं है । धनराज पिल्लै की बॉल पर नियंत्रण रखने और सामने वाले खिलाडी को बीट करने की क्षमता आज भी बेजोड़ मानी जाती है । धनराज इनती उपलब्धियां हासिल कर के भी कभी संतुष्ट नहीं हुए और अपने करियर के अंत तक अपना खेल सुधारने में लगे रहे यहाँ तक की इतना सीनियर होने के बावजूद उनकी फिटनेस टीम के जूनियर खिलाडियों से भी ज्यादा अच्छी थी।

    हॉकी का यह महान खिलाड़ी हम सबके लिए एक प्रेरणा स्रोत है और उसके संघर्ष और सफलता की कहानी विश्वास दिलाती है कि ये मायने नहीं रखता कि हम आज कितनी तकलीफ में आगे बढ़ रहे हैं…. मायने ये रखता है कि हम लगातार आगे बढ़ते रहें… और जब हम ऐसा करेंगे तो एक दिन हमें सफलता ज़रूर मिलेगी।

    सपना- तो दोस्तों, ये थी अखिल जी द्वारा प्रस्तुत प्रेरक कहानी जिसमें बताया गया धनराज पिल्लै का टूटी हॉकी से शुरुआत कर भारत का कप्तान बनने तक का सफ़र। चलिए दोस्तों, हर बार की तरह इस बार भी हम आपको नई रिलिज हिन्दी फिल्मों के बारे मे बताएंगे और फिल्म का प्रोमो भी सुनवाएंगे। हम आपको बताते हैं कि इस शुक्रवार रिलिज हुई है फिल्म 'कहानी 2'

    अखिल- दोस्तों, इस शुक्रवार को रिलिज हुई है 'कहानी 2' । यह फिल्म साल 2012 में आई फिल्म 'कहानी' का सीक्वल है। इस फिल्म में विद्या बालन दमदार अंदाज में नजर आ रही है। उनकी एक्टिंग जबरदस्त है। इस फिल्म में विद्या 'वॉन्टेड क्रिमिनल' के किरदार में नजर आ रही है। फिल्म में पुलिस विद्या को अपहरण और हत्या के मामले में ढूंढ रही है। सुजॉय द्वारा निर्देशित इस फिल्म में विद्या के साथ अर्जुन रामपाल और जुगल हंसराज भी लीड रोल में हैं। आइए.. हम आपको सुनवाते हैं इस फिल्म का ट्रेलर

    (Trailor- Kahani-2)

    सपना- तो दोस्तों, यह था फिल्म 'कहानी 2' का ट्रेलर, चलिए हंसी-खुशी की डबल डोज देने के लिए हम हर बार की तरह इस बार भी आपके लिए लेकर आए हैं कुछ मजेदार जोक्स, जिन्हें सुनकर आप जरूर हो जाएंगे लोट-पोट... आइए.. सुनते हैं ये कुछ मजेदार जोक्स

    (Music)

    1. तोताराम- ये पुलाव कैसा बनाया है? इसमें से अजीब-सी स्मैल आ रही है !

    बीबी- इतने खुल्ले पैसे नहीं थे कि लौंग, पुदीना और नमक ले आऊं, इसलिये पतंजलि टूथपेस्ट डाल दी, क्योंकि इस टुथपेस्ट में नमक, लौंग और पुदीना तीनों चीजें पड़ी हैं ! (हंसी की आवाज)

    2. पति-: क्या बात है देख रहा हूँ हफ्ते भर से बिना मेकप के घूम रही हो !!

    पत्नी- ओ हो बड़े आये मेकप देखने वाले एक हफ्ते से तुम्हारी माँ बन के सिनिअर सिटीजन की लाइन से पैसे बदलवा रहीं हूँ वो कुछ नहीं!!! (हंसी की आवाज)

    3. आज से 20 साल बाद,

    एक बच्चा अपने पापा से पूछता है- पापा, आप मम्मी से कैसे मिले?

    पापा ने जवाब दिया- बेटा, उन दिनों एटीएम की लाइन में खड़े थे, 5-6 घंटे बातें हुई और प्यार हो गया। (हंसी की आवाज)

    4. कल एक शादी में भोजन करने गया, आँखें नम हो गई। उनकी नई नवेली बहू, मँझली और बड़ी बहू सभी घूँघट में थी, वाह क्या संस्कार।

    बाद में पता चला - नोटो की समस्या से ब्यूटी पार्लर नहीं जा पाई थी। (हंसी की आवाज)

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