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महाकाव्य राजा गेसार सुनाने वाला कलाकार
2016-12-01 19:07:31 cri

 

चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में राजा गेसार का महाकाव्य सुनाना एक विशेष कलात्मक प्रदर्शन है । बूजोन महाकाव्य राजा गेसार सुनाने वाले लोक कलाकारों में से एक है ।

यूरोप के प्राचीन काल में जन्म होमर महाकाव्य (Homeric epics) विश्व प्रसिद्ध माना जाता है । यूनानी कवि होमर ने इस महाकाव्य का लेखन किया था और विश्व साहित्य का यह रत्न प्राचीन काल से आज तक फैल गया । चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में भी एक ऐसा महाकाव्य है जिस का नाम है राजा गेसार (King Gesar)। राजा गेसार होमर महाकाव्य से भी लम्बा है , राजा गेसार सुनाने वाले कलाकार कभी कभी कई दिनों के लिए इस का गाना गा सकते हैं ।

प्राचीन काल में अनेक देशों में काव्य गाने का व्यवसाय होता था । यूरोप में ट्रोबादूर (troubadour) रहता था , भारत में आज भी हाथ में खुरदल (Khurtal) नामक संगीत उपकरण लिए रामलीला गाते हुए मांगरिया दिखते है । लेकिन तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाग्छू प्रिफेक्चर (Nagqu Prefecture) में राजा गेसार महाकाव्य गाने वाला कलाकार बूजोन की हालत बिल्कुल अलग है । 33 वर्षीय बूजोन फैशनेबल कपड़े और चश्मा पहनते हैं , उन के कलाई पर प्रार्थना मोतियों की तार बंधी हुई है । देखते ही यह लगता है कि बूजोन दूसरे जवानों के जैसे एक आधुनिक लड़का है । लेकिन जभी महाकाव्य राजा गेसार की चर्चा करें, बूजोन का चेहरा एकदम गंभीर बन गया है , उन के हाथ व शरीर चलने का ढंग भी बदल गया है , मानव एक महान कलाकार अचानक आये हैं ।

राजा गेसार की कहानी हमेशा तिब्बती भाषा में सुनायी जाती है , और आम लोगों के लिए महाकाव्य के गाने का अर्थ समझने में थोड़ा मुश्किल है । बूजोन ने संवाददाताओं से इस महाकाव्य की जानकारी देते हुए कहा,"अभी आप ने जो सुना वह राजा गेसार के प्रथम अंश की कहानी है । जब राजा गेसार 13 साल के थे, तब उन्हें पड़ोसी देश के दबाव से पहाड़ों में रहने जाना पड़ा था। इसके बाद भगवान ने उन्हें पड़ोसी देश के घोड़ प्रतियोगिता में भाग लेने दिया और राजा गेसार ने इसमें अपना सिंहासन जीता ।"

सुनाया जाता है कि राजा गेसार 11वीं शताब्दी में आये एक महादेव थे । अपनी महान चरित्र से राजा गेसार को जनता का प्यार प्राप्त था । महाकाव्य राजा गेसार उन की पूरी आपबीती का वर्णन करने की एक रचना है । महाकाव्य राजा गेसार दो करोड़ शब्दों से गठित है जो विश्व का सबसे लम्बा महाकाव्य है । महाकाव्य राजा गेसार तिब्बती जातीय संस्कृति का जीवित जीवाश्म माना जाता है । वर्ष 2009 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने महाकाव्य राजा गेसार को मानव की सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल कराया ।

आम तौर पर तिब्बत में महाकाव्य सिखाने का तरीका ऐसा होता है कि छात्र अपने एक अध्यापक से सीखते हैं । लेकिन बूजोन की कहानी अलग है । सुना है कि बूजोन एक बार बीमार होकर बेहोश हुआ था , जगने के बाद उन की दिमाग में राजा गेसार की पूर्ण कहानियां अर्पित की गयी थीं ।

बूजोन ने अपनी कहानी सुनाते हुए कहा,"बचपन में जब मेरे सभी सहपाठी बात बोल सके, पर मैं बोलने में असमर्थ था । लेकिन एक दिन मैं मंदिर में प्रार्थना सुनने गया , इस के बाद मैं बात कर सका । 11 साल की उम्र में एक दिन मेरा एक सपना हुआ था जिसमें मुझे दो साधुओं से मिला । सपने में एक आदमी ने मुझे राजा गेसार की कहानी सुनायी । दूसरे दिन मंदिर के साधुओं ने मुझे प्रार्थना दी । इस के बाद मुझे राजा गेसार की पूर्ण कहानियों की याद हुई ।"

बूजोन ने कहा कि वे दिनों से राजा गेसार की कहानियां सुना सकते हैं और जभी राजा गेसार सुनाते हैं , वह दुनिया के सब कुछ भूल जा सकते हैं ।

उन्हों ने कहा,"राजा गेसार की कहानी सुनाते हुए गाना गा सकते हैं । पर कहानी की समाप्ति पर जरूर ही गाना गाते हैं । जब मैं राजा गेसार गाता हूं , तब मुझे यह लगेगा कि मैं दूसरी दुनिया में प्रविष्ट हो गया हूं । और राजा गेसार की कहानियों के दृश्य सचमूच मेरी आंखों के सामने दिख रहे हैं । यह अनुभव बहुत ही असाधारण है ।"

बूजोन ने कहा कि उन के दिल में महाकाव्य राजा गेसार की सर्वोच्चता प्राप्त है । बूजोन ने अपने 17 साल की उम्र से ही मंच पर राजा गेसार की कहानी सुनाना शुरू किया । पाँच साल बाद उन का नाम जाना गया । अब बूजोन आम तौर पर केवल कला केंद्र में राजा गेसार की कहानी सुनाते रहते हैं ।

बूजोन ने परिच्य देते हुए कहा,"मैं रोज़ कला केंद्र में राजा गेसार की कहानी सुनाता हूं । हमारे केंद्र में और कई कलाकार हैं । हम एक काउटी से आते हैं और मंच पर बारी बारी से प्रदर्शन करते हैं । दर्शक भी अपनी पंसद के अनुसार राजा गेसार कहानी का कोई अंश सुनने के लिए चुन सकते हैं । "

प्राचीन काल में यूरोप में भी ऐसा आदमी था जो विशेष तौर पर इधर उधर महाकाव्य सुनाने जाते रहते थे । उन का नाम था ट्रोबाडूर(Troubadour) । बूजोन भी एक आधुनिक ट्रोबाडूर हैं, उनके पैरों ने पूरे नाग्छू प्रिफेक्चर को नाप रखा है ।

"तिब्बती लोगों में राजा गेसार कहानी का बहुत स्वागत है । मैं ने कई काउटियों में लोगों के लिए कहानियां सुनायीं, उन्हें मेरा प्रदर्शन पसंद है । क्योंकि चरवाहों में अधिकांश लोगों ने बचपन से ही राजा गेसार की कहानियां सुनी हैं ।"

महाकाव्य राजा गेसार में तिब्बती जाति के इतिहास, कविता, मिथक, नीतिवचन और दंत कथा इत्यादि सब शामिल हैं । वास्तव में महाकाव्य राजा गेसार तिब्बती संस्कृति का विश्वकोश बताया जा सकता है । लेकिन महाकाव्य सिखाने का तरीका आम तौर पर ऐसा होता था यानी एक प्रशिक्षु अपने मास्टर से सीखता रहा था । आज महाकाव्य सीखने के प्रशिक्षु कम हो गये हैं । सन 1980 के दशक से ही तिब्बती स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने महाकाव्य राजा गेसार को बचाने के लिए भारी शक्ति डाली । विशेषज्ञों ने लेखन और वीडियो के जरिये इस महाकाव्य का अभिलेख कर दिया । साथ ही सरकार जवानों को महाकाव्य राजा गेसार सीखने और इस कलात्मक काम में लगने के लिए प्रोत्साहित करती है ।

बूजोन ने संवाददाता को अपना अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पदक दिखाया । यह पदक सरकार द्वारा उन लोगों को समर्पित किया जाता है जो परंपरागत संस्कृति के विरासत और विकास में विशेष योगदान पेश करते हैं ।

बूजोन ने गौरव के साथ कहा,"पहले मुझे यह पदक नहीं मिला । गत वर्ष स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने मुझे परंपरागत सांस्कृतिक विरासत का वारिस सम्मानित किया । इसने मुझे बहुत प्रेरित किया है और मैं ज्यादा जी-जान से महाकाव्य राजा गेसार सुनाऊंगा । बाद में मैं तिब्बत के कुछ और क्षेत्रों में प्रदर्शन करने जाऊंगा , और महाकाव्य राजा गेसार की एक पुस्तक और सीडी भी प्रकाशित करूंगा । भविष्य के प्रति मुझे काफी विश्वास है ।"

बूजोन हर हफ्ते थिएटर के मंच में पारंपरिक कपड़े पहनते राजा गेसार की कहानियां सुनाते रहते हैं । उन्हें पक्का विश्वास है कि जहां तिब्बती लोग रहते हैं , वहां महाकाव्य राजा गेसार के प्रशंसक भी हैं । इसलिए यह डरने की जरूरत नहीं है कि राजा गेसार सुनने वाले दर्शक कम होंगे ।

उन्हों ने कहा,"मुझे राजा गेसार की कहानियां सुनाने में सबसे ज्यादा खुशियां मिलती हैं । हमें हर रोज कभी न कभी परेशानी मिल सकती है, लेकिन जभी मंच पर बैठें और राजा गेसार सुनाना शुरू करें, तबतो सभी परेशानी एकदम छू मंतर हो जाएगी ।"

वर्ष 2014 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाग्छू प्रिफेक्चर में महाकाव्य राजा गेसार कलात्मक अड्डा स्थापित हुआ । नाग्छू प्रिफेक्चर के तहत सभी काउटियों में प्रति वर्ष घोड़ दौड़ उत्सव का आयोजन किया जा रहा है । उत्सव में राजा गेसार सुनाने वाला प्रदर्शन लोकप्रिय हैं । बूजोन जैसे लोक कलाकार कभी कभी ऐसे उत्सव में भाग लेते हैं और उन के प्रयास से राजा गेसार की कहानी हमेशा से प्रचलित रहेगी ।

 

नाग्छू प्रिफेक्चर के बारे में

नाग्छू प्रिफेक्चर चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के उत्तर में स्थित है जहां चीन की कई प्रमुख महा नदियां जैसे यांगत्सी नदी, पीली नदी और ल्हासा नदी का स्रोत माना जाता है । नाग्छू क्षेत्र की औसत ऊँचाई 4500 मीटर रहती है । मशहूर छींगहाई-तिब्बत राजमार्ग और छींगहाई-तिब्बत रेलवे लाइन भी इस क्षेत्र में से गुजरते हैं । नाग्छू प्रिफेक्चर 4.5 लाख वर्गमीटर विशाल है और इस के तहत कुल 11 काउटियां हैं । वर्ष 2010 की जनगणना से नाग्छू प्रिफेक्चर में 462382 लोग रहते हैं । नाग्छू प्रिफेक्चर को आम तौर पर एक चरवाहे क्षेत्र माना जाता है जहां 33 करोड़ हैक्टर चरागाह क्षेत्र फैलते हैं ।

नाग्छू का बहुत लम्बा इतिहास है । सातवीं शताब्दी में इस क्षेत्र को प्राचीन तिब्बत के राजवंश ने अपना भाग बना दिया । 13वीं शताब्दी में युवान राजवंश ने इस क्षेत्र में अपना शासन कायम किया । सन 1725 में छींग राजवंश ने इस क्षेत्र में अपना विशेष शासक नियुक्त किया । नये चीन की स्थापना के बाद उत्तरी तिब्बत का शासन पंचन लामा के हवाले वापस दिया गया । जनवादी रुपांतर होने के बाद केंद्र सरकार ने वर्ष 1960 के जनवरी में नाग्छू विशेष क्षेत्र स्थापित किया । सन 1970 में नाग्छू प्रिफेक्चर औपचारिक तौर पर स्थापित हुआ । अब नाग्छू प्रिफेक्चर के तहत कुल 11 काउटियां हैं ।

( हूमिन )

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