लेखक - अनिल आज़ाद पांडेय
दक्षिण पश्चिम चीन में स्थित युन्नान प्रांत प्राकृतिक खज़ाने से भरपूर है। यहां के तमाम शहर और क्षेत्र अपनी अलग पहचान रखते हैं, जहां चीन की तमाम अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं। उनमें पाई, ताई और नाशी जातियां प्रमुख हैं। ताली की सुंदरता और संस्कृति को करीब से देखने के बाद हम पहुंचे शी श्वांग पान्ना। जो युन्नान के दक्षिण में है, जाहिर है यहां का मौसम गर्म होता है। यह प्रिफेक्चर म्यांमार, लाओस की सीमा से सटा हुआ है। यहां पर लाओ, थाई संस्कृति का प्रभाव व्यापक तौर पर दिखता है। जिनमें खान-पान के अलावा भवन और पहनावा भी उक्त पड़ोसी देशों से मिलता जुलता है। शी श्वांग पान्ना की बात करूं तो वहां मौजूद हरियाली, फॉरेस्ट पार्क और बॉटेनिकल गार्डन ने सबसे अधिक प्रभावित किया। इसके अलावा वहां का भोजन और चीनी स्टाइल से अलग भवन भी आकर्षित करते हैं।
शी श्वांग पान्ना प्रिफेक्चर पहुंचने के बाद हमें वहां से लगभग 70 किमी. दूर मंग ला काउंटी में चायनीज़ एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ द्वारा संरक्षित ट्रॉपिकल बॉटेनिकल गार्डन जाने का अवसर मिला। यह गार्डन इतना विशाल और सुंदर है कि वहां पहुंचने वाला हर शख्स इसकी सुंदरता और विशालता में कहीं खो जाता है। यह चीन का सबसे बड़ा बॉटेनिकल गार्डन भी है, जो 1,100 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां हज़ारों किस्म के पौधे और फूल बहुतायत में मौजूद हैं। जिसमें चीन और दूसरे देशों के ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल पौधों की 13 हज़ार प्रजातियां हैं। यह किसी विशालकाय पर व्यवस्थित और संरक्षित जंगल से कम नहीं कहा जा सकता। इसके अलावा यहां बड़ी मात्रा में सुंदर और दुर्लभ किस्म के फूल और पौधे भी लगाए गए हैं, जो बरबस हर किसी को अपनी ओर खींच लेते हैं। यहां आने वाले पर्यटक खुद को प्रकृति के करीब पाकर बेहद प्रसन्न नज़र आते हैं। यह गार्डन साल भर हरा-भरा रहता है, जहां पौधों के अलावा पशु-पक्षी भी निवास करते हैं। पक्षियों की चहचहाहट इस गार्डन के माहौल को और भी रोमांचक बना देती है।
इतने बड़े इलाके में फैला गार्डन शहरी भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी से दूर शांति और सुकून का अहसास देता है। सुहावना मौसम और नीला आसमान देखकर पर्यटक यहां लंबा वक्त गुजारना चाहते हैं, शायद इतनी हरियाली लोगों को कहीं और दिखाई दे।
यहां साल भर में 1,560 मिमी. वर्षा होती है। यह खूबसूरत गार्डन लुव सुव नदी से घिरा हुआ है, जो कि मेकांग नदी की सहायक नदी है। अगर इस गार्डन के इतिहास की बात करें तो यह वर्ष 1959 में स्थापित किया गया था। जिसमें चीन के जाने-माने वनस्पति-विज्ञानी छाय सीथाव की प्रमुख भूमिका रही।
जैसा कि हम जानते हैं कि इसका संरक्षण आदि का काम चायनीज़ एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ करती है, यहां पर वैज्ञानिक रिसर्च, पौध विविधता संरक्षण का काम प्रमुखता से होता है। हां कई प्रयोगशालाएं, मॉनिटरिंग स्टेशन, लाइब्रेरी, म्यूज़ियम और पौधों के रखरखाव संबंधी अन्य सुविधाएं भी मौजूद हैं। यहां सैकड़ों शोधकर्ता और वैज्ञानिक काम करते हैं। जिनमें भारत, नेपाल, श्रीलंका और यूरोपीय देशों के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। वहां मौजूद भारतीय वैज्ञानिकों ने हमें बताया कि चीन सरकार के निमंत्रण पर वे यहां कई तरह के पौधों और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके साथ ही वैज्ञानिकों, पर्यटकों के ठहरने के लिए होटल, स्वीमिंग पूल, दुकानें आदि भी मौजूद हैं। हज़ारों की तादाद में पर्यटक यहां आकर प्रकृति की सुंदरता का आनंद उठाते हैं।
इसके अलावा भी शी श्वांग पान्ना में घूमने और देखने लायक कई जगहें हैं। जिनमें शी श्वांग पान्ना नेशनल पार्क प्रमुख है। यह पार्क भी बहुत बड़े क्षेत्र (2,854 वर्ग किमी.) में फैला हुआ है, यहां भी विभिन्न तरह के पेड़-पौधे मौजूद हैं। साथ ही दुर्लभ किस्म के पशु-पक्षी भी देखने को मिल जाते हैं। इस पार्क के आसपास भी पानी की कोई कमी नहीं है। टॉपिकल रेन फारेस्ट होने की वजह से यहां अच्छी बारिश होती है, जिसके चलते हरियाली हमेशा मौजूद रहती है। यहां तमाम वृक्ष ऐसे हैं, जो लंबे समय से मौजूद हैं, यहां तक कि यहां के पेड़-पौधे अनोखे ढंग से एक-दूसरे से लिपटे रहते हैं। इतना ही नहीं इन वृक्षों ने पुल और रास्ते का रूप भी ले लिया है। जो हर किसी को अचरज़ में डाल देता है। इसके साथ ही झील और फाउंटेन पार्क की सुंदरता में चार-चांद लगा देते हैं। इस पार्क में हाथी और मोर भी देखे जा सकते हैं। यहां पहुंचने पर एक झील के किनारे हमें मोर का डांस शो देखने का मौका मिला। स्थानीय ताई जनजाति की परंपरागत गीतों की धुन पर दो सौ मोर झील के किनारे मस्ती करते दिखे। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में मोरों को देखना हम सभी के लिए एक नया अनुभव था।
इसके अलावा हम शहर के बीच में मौजूद इम्मीरियल गार्डन भी गए। वहां के भवनों को देखकर लगा कि थाईलैंड और लाओस में पहुंच गए हों। जैसा कि हम जानते हैं कि थाईलैंड आदि देशों में हाथियों के शो(एलीफेंट शो) आयोजित होते हैं। उसी तर्ज पर यहां भी पार्क के भीतर हमें हाथियों को नजदीक से देखने और उनकी बुद्धिमानी का परिचय मिला। जो न केवल फुटबाल खेल सकते हैं, बल्कि बास्केट बॉल या फिर अन्य करतब दिखाने में भी सक्षम हैं। इस शो को देखने वालों में बच्चों की भी बड़ी तादाद थी और वे हाथियों को अपने करीब पाकर बहुत रोमांचित थे।
इसी इम्मीरियल गार्डन में देर शाम थियेटर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। हज़ारों लोगों की मौजूदगी में स्थानीय जातियों की परंपरा के साथ-साथ म्यांमार, थाईलैंड और लाओस आदि देशों व मेकांग नदी के तट पर बसे क्षेत्रों की संस्कृति और रीति-रिवाज की झलक देखने को मिली। स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति अद्भुत कही जा सकती है। जिसमें बैकग्राउंड, ड्रैस, प्रदर्शन, निर्देशन और कोरियोग्राफी सभी अव्वल दर्जे की थी।
सच कहा जाय तो शी श्वांग पान्ना की विविधता, प्राकृतिक सुंदरता और परंपरागत संस्कृति को भुलाया नहीं जा सकता है।