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    मेरी नज़र में चीन
    2016-11-28 15:33:39 cri
    लेखक - सुरेश अग्रवाल

    महोदय, मेरी नज़र में चीन एक ऐसी नायाब नवोदित शक्ति है, जिसने न केवल एशिया अपितु यूरोप और अमेरिका सहित विश्व की तमाम स्थापित महाशक्तियों को पीछे छोड़ दिया है। फिर चाहे वह व्यापार -व्यवसाय का क्षेत्र हो या कि भारी उद्योग, चिकित्सा अथवा वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास या फिर अन्तरिक्ष या कि खेल-कूद का, चीन द्वारा हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झण्डे गाड़े जा रहे हैं। परन्तु इन सब के बावज़ूद मेरा ध्यान चीन द्वारा तिब्बत में किये जा रहे अनवरत विकास कार्यों की ओर अधिक जाता है। विकास भी ऐसा जो लोगों की ज़रूरतों पर खरा उतरता हो। इस परिप्रेक्ष्य में तिब्बत के ताशूल गाँव की मिसाल दी जा सकती है।

    साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के तहत तिब्बत में ग्रामीण क्षेत्रों की कायापलट करने चीन सरकार द्वारा वर्ष 2011 में भेजे गये विशेष कार्यदल के प्रयासों पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई। इस परिप्रेक्ष्य में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की मांगकाम काउण्टी स्थित ताशूल गांव, जो कि एक कृषिप्रधान गांव है और जहां के लोग मुख्य तौर पर गेहूं, मक्का और आलू की खेती पर निर्भर हैं, कार्यदल के सदस्यों ने ताशूल गांव के सभी परिवारों से साक्षात्कार कर आसपास के बाजारों की जानकारी एकत्र की और कृषि वन-रोपण संरचना का समायोजन शुरू किया । कार्यदल का मानना है कि अधिक आय प्राप्त करने के लिए गांव में अंगूर और नारंगी आदि विशेष फलदार पेड़ों का रोपण करना चाहिये। उक्त योजना पर अमल किया गया और पाँच साल बाद गांववासियों को पता चला कि इससे उनकी आय में भारी वृद्धि हुई है।

    ताशूल गांव के मुखिया त्साईत्वई ने कहा,"पहले हम अपने खेतों में केवल अनाज की फ़सलें उगाते थे जिससे प्रति मू की आय केवल डेढ़ हजार युवान तक सीमित थी, परन्तु अंगूर का उत्पादन करने पर प्रति मू आय चार हजार युवान तक पहुँच गयी हैं। उन्होंने कहा -भविष्य में वे अधिक आय देने वाली काली मिर्च जैसी वस्तुओं की उपज पर ध्यान देंगे, जिससे उनकी आय में और इज़ाफ़ा होगा और प्रति व्यक्ति आय दस हजार युवान तक हो सकती है।

    कहा जाता है कि फ्रांस के एक मिशनरी 19वीं शताब्दी में प्रचार हेतु ताशूल गांव क्षेत्र में पधारे थे और उन्होंने तिब्बत में एक मात्र कैथोलिक चर्च का निर्माण कराया था। तिब्बत में फ्रांस के बोर्डो क्षेत्र की मशहूर वाइन बनाने वाली तकनीक के विस्तार का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। आज ताशूल गांव का हर परिवार अपने खेतों में अंगूर लगाता हैं, जिससे गांव में अंगूर की खेती का रक़बा 1200 मू विशाल है और जिससे गांववासियों को प्रति वर्ष कोई 60 लाख युवान की आय प्राप्त होती है ।

    मुखिया त्साईत्वई ने कहा,"मांगकाम काउन्टी में प्रति मू के अंगूर खेत को डेढ़ हजार युवान का भत्ता मिल सकता है और अंगूर के पौधे भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे हैं। हमारे यहां अंगूर की पैदावार काफी उन्नत है और इससे उत्पादित वाइन की गुणवत्ता भी बढ़िया है। मांगकाम काउन्टी और कार्यदल ने हमारे गांव को भारी सहायता प्रदान की है और गांववासियों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।"

    ताशूल गांव पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है जहां नहरों और जलाशयों के अभाव में सिंचाई की समस्या बनी हुई थी, कार्यदल ने गांव में आवश्यक नहर और जलाशयों का निर्माण करने के लिए अथक प्रयास किया। बकौल मुखिया, आज वर्ष 2012 में उनके गांव में 3800 मीटर लम्बी जल-नहर तथा 1400 वर्गमीटर जलाशय निर्मित हो चुके हैं। इस वर्ष में 6800 नहरों का निर्माणकार्य पूरा हो सकेगा। पहले गांववासियों को महीने में केवल एक दिन सिंचाई का मौका मिल पाता था, आज स्थिति काफी सुधर चुकी है और नहर निर्मित होने के बाद हर परिवार हफ्ते में एक बार सिंचाई कर सकेगा।"

    फसलों की पैदावार पूरी तरह सिंचाई पर निर्भर करती है, इसलिये बुनियादी कृषि उपकरणों के निर्माण से कृषि-उत्पादन और किसानों की आय-वृद्धि की नींव रखी गयी है। कृषि के बुनियादी ढांचे में सुधार कर किसानों की आय वृद्धि के लिए नींव रखी गयी है । कार्यदल के सदस्य त्साशी ने कहा -"पानी का सवाल सीधे गांववासियों के जीवन और आर्थिक खुशहाली से जुड़ा हुआ है। हम गांववासियों की मदद के लिए यहां आये हैं इसलिये हमें पानी के सवाल का अच्छी तरह समाधान करना ही चाहिये।"

    कई सालों के अनवरत प्रयासों से अब ताशूल गांव में पानी के अभाव की समस्या का समाधान लगभग हो चुका है। नहर और जलाशयों के निर्माण के बाद कार्यदल का ध्यान गरीबी उन्मूलन के सवाल पर केंद्रीत हुआ है। कार्यदल द्वारा पता लगाया गया कि है गांव में कुल 55 गरीब परिवार हैं और जिसके आधार पर उसने हर एक परिवार की स्थिति का सही ज़ायज़ा लेकर उसे आवश्यक मदद पहुंचायी गयी।

    कार्यदल सदस्य त्साशी ने कहा-"इन गरीब परिवारों में जिनके पास मकान नहीं हैं, उन्हें दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया जायेगा और उनके लिए मकान बनवाये जायेंगे। शेष गरीब परिवारों को या तो संतरा आदि फलदार पेड़ों के रोपण में मदद दी जायेगी या फिर उनके लिये बाहर काम करने की सिफारिश की जायेगी।

    ताशूल गांव में तीन ऐसे परिवार भी हैं जिनके पास श्रम-शक्ति, आर्थिक आमदनी और बच्चे कुछ भी नहीं हैं। कार्यदल द्वारा इन अत्यंत गरीब लोगों की मदद के लिए विशेष ध्यान दिया गया। त्साशी ने कहा-"हम कभी-कभी इन बूढ़े लोगों को देखने भी जाते हैं और यदि उन्हें खान-पान की समस्या हो, तो हम खुद भी पैसा निकालकर उनके लिए कपड़े आदि खरीद देते हैं।"

    ताशूल गांव की 71 वर्षीया रेनजंग छूत्सो अकेले ही किराए के मकान में रहती हैं और उनका जीवन पूरी तरह सरकार की सब्सिडी पर निर्भर है। संवाददाता से बातचीत के समय उन्होंने कार्यदल की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि -कार्यदल के सदस्य प्रत्येक त्योहार पर मुझे देखने आते हैं और चावल, चाय, आटा शूगर आदि भी पहुंचाते हैं। सरकार मुझे एक साल में चार हजार युवान देती है। कार्यदल द्वारा मुझे दवाइयां भी खरीद कर दी गयी हैं। मैं कार्यदल के सदस्यों को अपने बच्चों के रूप में देखती हूं।"

    कार्यदल का मिशन गांव वालों की कठिनाइयों को दूर करना है, इसलिये कार्यदल के सभी सदस्य हमेशा गांववासियों की भलाई और मांग के लिए चिंतित रहते हैं। त्साशी को उम्मीद है कि ताशूल गांव में एक फार्म का निर्माण भी किया जायेगा। त्साशी ने कहा, हमारे यहां पर्यटन क्षेत्र भी है। पर्यटकों को प्राकृतिक चिकन खाना चाहिये। एक तिब्बती चिकन दो सौ युवान का बिक सकता है और एक अंडा भी दो युवान का होता है, इस प्रकार पर्यटन से भी गांववासी अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है। कार्यक्रम में मांगकाम काउण्टी का संक्षिप्त परिचय भी कराया गया, जिसके अनुसार मांगकाम काउण्टी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के दक्षिण-पूर्व में स्थित है जो चीन के युन्नान प्रांत से जुड़ता है। मांगकाम काउण्टी का क्षेत्रफल 11 हजार 4 सौ वर्ग किलोमीटर है और जनसंख्या 73 हजार। काउण्टी के तहत दो नगर, 14 टाउनशिप और 60 गांव सुरक्षित हैं। मांगकाम काउण्टी के नागरिकों में 98 प्रतिशत तिब्बती जाति के हैं। इनके अलावा काउन्टी के निवासियों में हान, नाशी, बाई और थुच्या आदि जाति के लोग भी शामिल हैं। वर्ष 2014 के आंकड़ों के अनुसार मांगकाम काउण्टी में कुल 80 स्कूल स्थापित हैं, जिनमें कुल 12 हजार 6 सौ छात्र पढ़ रहे हैं। स्कूल में बच्चों की नामांकन दर 99 प्रतिशत तक जा पहुंची है। काउण्टी में कुल 16 टाउनशिप स्तरीय चिकित्सालय हैं और ग्रामीण एवं चरागाह क्षेत्रों में स्वास्थ्य बीमा कवरेज भी 98 प्रतिशत तक जा पहुंची है।

    मांगकाम काउन्टी में समृद्ध पर्यटन संसाधन उपलब्ध है और प्राचीन काल में मशहूर चाय-घोड़ा मार्ग भी यहीं से गुजरता था। काउण्टी में बर्फ़ीले पहाड़, महाघाटी, स्वर्ण बंदर संरक्षण क्षेत्र और स्पा आराम केंद्र आदि के ज़रिये पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है। मांगकाम काउण्टी में प्राकृतिक खारा कुआं से नमक बनाने का हस्त नमक उद्योग भी सुरक्षित हैं, जिसमें काउण्टी के 320 परिवार आज भी नमक उत्पादन में लगे हुए हैं।

    (सुरेश अग्रवाल)

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