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    टी टाइम 161124(अनिल और नीलम)
    2016-11-24 19:31:29 cri

    अनिलः दोस्तो, प्रोग्राम शुरू करते हैं। सबसे पहले बात करते हैं तकनीक की।

    दोस्तो, आपको यकीन करने में मुश्किल हो सकती है कि वैज्ञानिकों ने साधारण से पालक के पौधे से विस्फोटकों की पहचान करने में कामयाबी पाई है. पालक की पत्तियों में छोटे-छोटे ट्यूब लगाने के बाद ये पौधे उन रासायनिक पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित कर पाएंगे जो लैंड माइंस या जमीन के अंदर दफ़न विस्फोटकों में पाए जाते हैं। फिर इससे जुड़ी जानकारी वायरलेस के जरिए कहीं और फौरन भेजी जा सकेगी. मैसेचुसेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉज़ी के जर्नल 'नेचर मटीरियल्स' में इससे जुड़े रिसर्च को छापा गया है. वैज्ञानिकों ने पालक के पत्तों में नैनोपार्टिकल्स और कार्बन नैनोट्यूब लगाया है. इसके बाद पालक के पौधे की जड़ों में पानी के ज़रिए लैंड माइंस या ऐसे ही अन्य विस्फोटकों में पाए जाने रासायनिक पदार्थ पहुंचाए गए. ये पानी पालक की जड़ों के रास्ते इसकी पत्तियों तक पहुंचता है.

    पालक के पौधे के मामले में इस प्रक्रिया को पूरा होने में 10 मिनट का समय लगता है. सिग्नल पढ़ने के लिए शोधकर्ताओं ने पालक की पत्तियों पर किरणों की बौछार की. इससे पालक के पौधे में लगे नैनौट्यूब्स इंफ्रारेड फ्लॉरेसन्ट किरणें भेजता है. इसकी पहचान एक छोटे से इंफ्रारेड कैमरे से की जा सकती है, जिसे सस्ते से रासबेरी कम्प्यूटर से जोड़ा जा सकता है. इसके सिग्नल को स्मार्टफोन भी पकड़ सकता है।

    नीलमः रिसर्च पेपर के सह-लेखक प्रोफेसर माइकल स्ट्रैनो की लैब ने इससे पहले ऐसे कार्बन नैनोट्यूब्स विकसित किए हैं जिनका इस्तेमाल हाइड्रोजन पेरोक्साइड, टीएनटी और नर्व गैस सरीन की पहचान में किया जा सकता है.

    उन्होंने बताया, "इस पौधे का इस्तेमाल रक्षा मामलों के साथ-साथ सार्वजनिक जगहों पर आतंकी गतिविधियों की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है क्योंकि यह पानी के अलावा हवा में भी विस्फोटकों से जुड़े रसायनों की मौजूदगी की पहचान कर सकता है."

    रिसर्च पेपर में बताया गया है कि इसके सिग्नल को पौधे से एक मीटर की दूरी पर पकड़ा जा सकता है और शोधकर्ता अब इस फासले को बढ़ाने की दिशा में आगे काम कर रहे हैं।

    अनिलः उधर इटली से भारत घूमने आए 70 वर्षीय बुर्जुग दंपति को भारतीय परम्परा इतनी भा गई कि वो भी अपने आप को इस संस्कृति के रंग में सराबोर होने से नहीं रोक सके। उन्होंने हिंदू रीति रिवाज से शादी की। ये शादी पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी रही। दंपति ने भारतीय परम्परा की जमकर तारीफ की।

    वाकया आगरा के बटेश्वर क्षेत्र का है। यहां एक विदेशी जोड़े ने अपनी शादी की 75 वीं वर्षगांठ को शाही अंदाज़ में मनाने के बजाये हिन्दू परम्परा के मुताबिक विवाह किया। इटली के बिलोची शहर के रहने वाले रोज़ी और अमांडो की इस जोड़ी के विवाह का नज़ारा दिखने भी देखा वो बेहद खुश था। इस मौके पर इस जोड़ी के कुछ विदेशी दोस्त और रिश्तेदार भी मौजूद रहे।

    रोज़ी और अलमांडो ने भारतीय संस्कृति और हिन्दू रीती रिवाज़ के तहत सात फेरे लेते हुए अगले सात जन्मों तक साथ जीने-मारने का वादा किया। विवाह संपन्न होने के बाद इस जोड़े ने यमुना पर बोट राइड का आनंद उठाया।

    नीलमः अब लीजिए, दूसरी जानकारी से रूबरू करवाते हैं। कभी भारत को क़िस्से-कहानियों का देश कहा जाता था. यहां जीवन के हर अंग में कहानियां रक्‍त की तरह बसी रही हैं. फिर जीवन की प्राथमिकताएं बदलीं और कुछ समय का अभाव, हमने कहानियों से दूरी बना ली. भले ही हमने कहानियों को छोड़ दिया लेकिन कहानियों ने हम तक पहुँचने का नया रास्ता तलाश लिया है. थोड़े पारंपारिक और थोड़े आधुनिक अंदाज़ में कहानियां आपके दरवाज़े पर फिर से खड़ी हैं. कुंडी खोलिए या एक क्लिक कीजिए पहुंचेंगे आप उसी दुनिया में. मगर कैसे? आइए हम आपको आपको बताते हैं।

    कहानियों की पूरी दुनिया अब सिमट कर आपके फ़ोन में समा गई हैं. पढ़ने से ज्‍यादा लोगों में कहानियां सुनने का क्रेज़ है. रूहानी आवाज़ में जब एहसास भरे शब्‍द कानों के रास्‍ते दिल तक पहुंचते हैं तो आप उस अद्भुत संसार में प्रवेश कर जाते हैं जिसे कहानियों की दुनिया कहते हैं. इस वक़्त कई म्यूज़िक ऐप आपको कहानियों के इसी संसार की सैर करा रहे हैं.'सावन' और 'गाना' के म्‍यूज़िक ऐप पर महशूर आवाज़ें आपको कहानियों तक ले जाती हैं। 'सावन' पर आपको मिलेगा 'क़िस्‍सों का कोना' विद 'नीलेश मिश्रा' शो जहां रेडियो के ज़रिए लंबे समय तक श्रोताओं के दिलों पर राज करने वाले 'स्‍टोरी टेलर' नीलेश मिश्रा आपको अपनी राइटर मंडली की लिखी कहानियां रोज़ अपनी आवाज़ में सुनाते हैं. इन कहानियों में आपको मिलेंगी रिश्‍ते, प्‍यार, दोस्‍ती और तमाम एहसासों में लिपटी कहानियां लेकिन अगर आप थोड़े आध्यात्मिक हैं तो आपके लिए 'टाइम मशीन' का विकल्प भी मौजूद है.

    इसमें आपको पौराणिक कहानियां सुनने को मिलेंगी. इसके अलावा 'एक कहानी ऐसी भी' के नाम से अन्‍य शो चल रहा है जिसमें आरजे प्रवीण हॉरर कहानी सुनाते मिलेंगे. इसी तर्ज पर 'गाना' ऐप पर 'कहानीबाज' शो काफ़ी पसंद किया जा रहा है जिसमें अभिनेता आशीष विद्यार्थी कहानी पढ़कर सुनाते हैं।

    अनिलः आशीष का कहानी सुनाने का रोचक अंदाज़ श्रोताओं के रोंगटें खड़े कर देता है. युवा लेखकों की नई लेखन शैली लोगों को पसंद भी आ रही है. इन तमाम ऐप के ज़रिए आप कहानियां सुनते हैं जबकि इसके अलावा गूगल प्ले में कहानियों के कई ऐप आपका इंतज़ार कर रहे हैं, जहां आप अपनी पसंद की कहानियां कभी भी पढ़ सकते हैं. पंचतंत्र, बच्‍चों की कहानियां, अकबर बीरबल की कहानियों सहित तमाम तरह की कहानियों के ऐप यहां उपलब्‍ध हैं.

    आजकल ऑनलाइन पढ़ने का क्रेज़ काफ़ी बढ़ रहा है. कभी भी कहीं भी फ़ोन में पसंदीदा साइट खोली और पढ़ना शुरू. अच्‍छा और पठनीय साहित्‍य आम पाठकों तक पहुंचने की राह आसान करती यें साइट्स बेहद पसंद भी की जा रही हैं. www.hindisamay.com, www.gadhkosh.org, www.hindi.sahityasarita.org , www.laghukatha.com सहित कई ऐसी साइट्स हैं जहां हिंदी के मशहूर लेखकों और कवियों की लेखनी नई पीढ़ी तक पहुँच रही है.

    इन साइट्स पर विदेशी लेखकों की बेहतरीन रचनाओं का अनुवाद भी उपलब्‍ध है. लेखक विमल कुमार पांडेय कहते हैं, "किताबों का क्रेज कभी ख़त्म नहीं हो सकता लेकिन आज के समय में जब आपको दुनिया जहान के बारे में अच्‍छा लिखना पढ़ना होता हैं तो ये साइट्स आपके बेहद काम आती हैं जहां आप बड़े-बड़े लेखकों की अलग-अलग रचनाओं को बिना किसी अतिरिक्‍त ख़र्च के पढ़ सकते हैं. "

    नीलमः पेशेवर उषा चक्रवर्ती कहती हैं, "टीवी चैनल पर काटूर्न की बजाय बच्‍चे इन कहानियां को देखकर ज्‍यादा सीखते हैं. कई बार हम बच्‍चों को वो सब नहीं सिखा पाते जो ये कहानियां सिखा देती हैं.।कुछ कहानियां किताबों से निकल स्‍टेज पर चलती फिरती दिखती हैं. ऐसे ही सफ़र करती कहानियों का घर है स्‍टोरीघर.इसी विधा को दिल्‍ली का स्‍टोरीघर देश भर लोकप्रिय बनाने में जुटा है. क़रीब पांच साल पहले शुरू हुए लाइव कहानियों के इस सिलसिले को शुरू करने वाली जयश्री सेठी के मुताबिक़ लाइव कहानियों में ह्यूमन होता है. यहां सुनने और सुनाने वाले के बीच एक रिश्‍ता बनता है. दरअसल कहानियां लोगों को जोड़ती हैं. आज के माता-पिताओं के पास बच्‍चों के लिए वक़्त नहीं जबकि सच ये है कि कहानियां बच्‍चों की कल्‍पना शक्ति बढ़ाने के लिए बेहद ज़रूरी हैं.सोलह सालों तक थियेटर, रेडियो और टेलीविज़न से जुड़ी रही सेठी कहती हैं, "जब आप बच्‍चों को कहानियां सुनाते हैं तो वो आपके शब्‍दों के साथ एक तस्‍वीर बनाते चलते हैं इससे उनकी कल्‍पनाशक्ति बढ़ती है और वे खुद चीजों को गढ़ने लगते हैं. कहानियां 'सुनने की कला' का विकास करती हैं." स्‍टेज पर कहानी सुनाने में कई बार बच्‍चों से सवाल किए जाते हैं तो उनके जवाब और कल्‍पना से रची कहानी के अंश को सुन मैं हैरान रह जाती हूं."

    अनिलः लोगों में पढ़ने की रूचि जगाने के उद्देश्य से बेस्‍ट राइटर को सम्‍मानित भी करता है. डेढ़ साल पहले शुरू हुई इस साइट के शुरू होने की कहानी भी रोचक है. फाउंडर बिभुदत्‍त राउत बताते हैं, "मैं बेंकिग में था लेकिन लिखने का शौक़ था. पहली किताब लिखकर छपवाने गया तो प्रकाशक ने पैसे की मांग कर दी. तब मुझे समझ आया कि लिखनाभर काफी नहीं लिखा हुआ पढ़वाने में भी मशक्‍कत करनी पड़ती है. बस तभी से खुद की पब्लिकेशन शुरू करने की सोच ली."

    उन्होंने नौकरी छोड़ स्‍टोरी मिरर शुरू किया और देखते ही देखते आज तीस लाख लोग इनकी साइट को पढ़ रहे हैं जबकि 5000 स्‍टोरी राइटर और आर्टिस्‍ट इनके साथ जुड़े हैं. हिंदी अंग्रेजी के अलावा ओड़िया भाषा में यहां कहानी और कविताएं उपलब्‍ध हैं.राउत बताते हैं कि यह मंच सबके लिए खुला है कोई भी साइट पर जाकर अपना अकाउंट खोल अपनी रचनाएं पोस्‍ट कर सकता है.

    स्‍टोरी मिरर के सहसंस्थापक देवेन्‍द्र जयसवाल कहते हैं, "देश के विकास के लिए जरूरी है कि लोग पढ़ें. उन्‍होंने बताया जल्‍द ही मराठी सहित कई अन्‍य भाषाओं में भी रचनाओं भी शामिल किया जाएगा."

    नीलमः रांझणा और तनु वेड्स मनु जैसी फ़िल्‍मों में अभिनय करने वाले ज़ीशान अयूब ख़ान कहते हैं कि हज़ारों सालों से हम कहानियां सुन रहे हैं और कहानियों के ज़रिए ही हमने ज़िंदगी जीना सीखा है. ज़ीशान मुंबई में बीइंग एसोसिएशन नाम से एक ग्रुप चलाते हैं जहां हर महीने मंच से कहानी पाठ किया जाता है.

    वो कहते हैं कि हमारे ग्रुप में कोई भी व्‍यक्ति कहानी पाठ करने और सुनने के लिए आ सकता है. प्रत्‍येक महीने के आख़िरी शनिवार और रविवार को किए जाने वाले इस कहानी पाठ में ना केवल नामी लेखकों और कवियों को बल्कि ऐसे राइटरों को भी पढ़ा जाता है जिन्‍हें बेशक प्रसिद्धि के पैमाने पर ऊपर ना रखा जा सके लेकिन उनकी रचनाएं शानदार लेखन की मिसाल हैं.

    ऐसा ही एक और ग्रुप है जिसका नाम है 'अवंतिको'. इसे लेखक और अभिनेत्री विभा रानी चलाती हैं.

    अनिलः लीजिए अब बात करते हैं फिल्मों की।

    ऋतिक रोशन अपने काम को लेकर काफी अटेंटिव रहते हैं, चाहे वो फिल्म हो या फिर विज्ञापन की शूटिंग। ऋतिक रोशन अपने हर काम के मामले में बहुत मेहनती इंसान हैं। हाल ही में उन्होंने अपना एक काम 21 घंटे में खत्म कर लिया। पर उन्होंने ये किसी फिल्म के लिए नहीं किया बल्कि एक विज्ञापन के लिए किया है।

    ऋतिक रोशन ने एक विज्ञापन के लिए लगातार 21 घंटे तक काम किया है। आपको बता दें कि कई देशों में फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री को सप्लाई होने वाले प्लास्टिक पैकिंग ब्रांड के लिए ऋतिक को ब्रांड एम्बेसेडर बनाया गया है।

    पिछले दिनों जब इस ब्रांड के लिए ऋतिक को शूट करने के लिए कहा गया तो ऋतिक ने बिना रुके लगातार 21 घंटे तक शूटिंग पूरी कर डाली। ऋतिक फिलहाल बहुत व्यस्त चल रहे हैं। अगले साल 26 जनवरी को उनकी फिल्म 'काबिल' रिलीज होगी।

    दोस्तो, अब लीजिए अब आपको बताते हैं अभिनेत्री मीनक्षी शेषाद्री के बारे में।

    बॉलीवुड में मीनाक्षी शेषाद्री को एक ऐसी अभिनेत्री के रुप में शुमार किया जाता है जिन्होंने अपनी रूमानी अदाओं से लगभग दो दशक तक सिने प्रेमियों को अपना दीवाना बनाया। मीनाक्षी का जन्म 16 नवम्बर 1963 को झारखंड के सिंदरी में हुआ।

    मीनाक्षी शेषाद्री के पिता भारतीय खाद्य निगम में सिंदरी में कार्यरत थे। मीनाक्षी ने अपनी शिक्षा दिल्ली के मांउट कार्मेल स्कूल से पूरी की। वर्ष 1981 में मीनाक्षी को अखिल भारतीय सौंदर्य प्रतियोगिता 'मिस इंडिया' में काम करने का अवसर मिला जिसमें वह प्रथम चुनी गयी। इस बीच उन्हें कई विज्ञापन फिल्मों में मॉडलिंग काम करने का अवसर मिला। उन्होंने अपने सिने कैरियर की शुरूआत वर्ष 1983 में प्रदर्शित फिल्म 'पेंटर बाबू' से की लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म टिकट खिडक़ी पर बुरी तरह से नकार दी गयी।

    वर्ष 1983 में ही मीनाक्षी को सुभाष घई की फिल्म हीरो में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में मीनाक्षी शेषाद्री और जैकी श्राफ की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। वर्ष 1985 में मीनाक्षी को राजेश खन्ना के साथ 'आवारा बाप' में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में मीनाक्षी ने दोहरी भूमिका निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। वर्ष 1985 में ही मीनाक्षी को सुभाष घई के साथ 'मेरी जंग' में काम करने का अवसर मिला। यह फिल्म भी टिकट खिडक़ी पर सुपरहिट साबित हुर्इ। वर्ष 1988 में मीनाक्षी को सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ 'गंगा जमुना सरस्वती' में काम करने का अवसर मिला लेकिन कमजोर पटकथा निर्देशन के कारण यह फिल्म टिकट खिडक़ी पर कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी। इसी वर्ष मीनाक्षी की अमिताभ के साथ 'शहंशाह' प्रदर्शित हुयी जो सफल रही।

    नीलमः वर्ष 1990 में उन्होंने विनोद खन्ना के साथ 'जुर्म' में काम किया। इस फिल्म के लिये मीनाक्षी अपने कैरियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ फिल्म अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित की गयी। वर्ष 1990 में ही मीनाक्षी की 'घायल' और 'घर हो तो ऐसा' जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुयी।

    वर्ष 1993 में राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी फिल्म 'दामिनी' मीनाक्षी के कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए वह दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित की गर्इ।

    वर्ष 1995 में शादी करने के बाद मीनाक्षी ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया। वर्ष 1996 में मीनाक्षी की अंतिम फिल्म 'घातक' प्रदर्शित हुर्इ। मीनाक्षी ने अपने कैरियर में अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना, जैकी श्राफ, अनिल कपूर और सन्नी देओल समेत कई जाने-माने कलाकारों के साथ काम किया है। मीनाक्षी इन दिनों बॉलीवुड में सक्रिय नहीं है।

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