तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की मांगकाम काउटी स्थित ताशूल गांव एक कृषि गांव है जहां के लोग मुख्य तौर पर गेहूं, मक्का और आलू की खेतियों पर निर्भर हैं । गांववासियों को अमीर जीवन बिताने के लिए सरकार ने वर्ष 2011 में एक कार्य दल भेजा ।
कार्य दल के सदस्यों ने ताशूल गांव के सभी परिवारों का इंटरव्यू कर लिया और आसपास बाजारों की जानकारियां प्राप्त करने के बाद कृषि वन-रोपण संरचना का समायोजन शुरू किया । कार्य दल का मानना है कि अधिक आय प्राप्त करने के लिए गांव में अंगूर और नारंगी आदि विशेष फल पेड़ों का रोपण करना चाहिये । पाँच साल बाद गांववासियों को पता लगा है कि फल पेड़ लगाने से गांववासियों की आय में भारी वृद्धि संपन्न हो चुकी है ।
ताशूल गांव के मुखिया त्साईत्वई ने कहा,"पहले हम अपने खेतों में केवल अनाज फ़सलों का रोपण करते थे जिससे प्रति मू की आय केवल डेढ़ हजार युवान के भीतर सीमित रही । आज हम अंगूर लगाते हैं तो प्रति मू के लिए चार हजार युवान की आय प्राप्त करते हैं । और काली मिर्च आदि फ़सलों से और अधिक आय पाएगी । सुना है कि काली मिर्च के रोपण से प्रति व्यक्ति दस हजार युवान का इनकम मिल सकता है ।"
यह सुनाया गया है कि फ्रांस के एक मिशनरी 19वीं शताब्दी में उपदेश करने के लिए ताशूल गांव के आसपास क्षेत्र गये थे । उन्हों ने तिब्बत में एक मात्र ही कैथोलिक चर्च निर्मित किया था और तिब्बत में फ्रांस के बोर्डो क्षेत्र की वाइन बनाने वाली तकनीक फैलायी ।
आज ताशूल गांव में सभी परिवार अपने खेतों में अंगूर लगाते हैं । गांव में अंगूर खेतों का क्षेत्रफल 1200 मू विशाल है जिससे गांववासियों को प्रति वर्ष 60 लाख युवान की आय प्राप्त होती है ।
मुखिया त्साईत्वई ने कहा,"मांगकाम काउटी की तरफ प्रति मू के अंगूर खेत को डेढ़ हजार युवान की भत्ता मिल सकती है । अंगूर पौधे भी सरकार ने दिये हैं । हमारे यहां अंगूर का पैदावार उन्नत है और इससे उत्पादित वाइन का गुण भी बढ़िया है । मांगकाम काउटी और कार्य दल ने हमारे गांव की भारी सहायता प्रदान की है और गांववासियों के लिए असली योगदान पेश किया है ।"
ताशूल गांव पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है जहां नहरों और जलाशयों के अभाव से खेत सिंचाई की समस्या समाधित नहीं रही थी । कार्य दल ने गांव में आवश्यक जल नहर और जलाशय का निर्माण करने के लिए अथक प्रयास किया ।
मुखिया त्साईत्वई ने कहा,"हमारे गांव में वर्ष 2012 में 3800 लम्बा मीटर जल नहर और 1400 वर्ग मीटर जलाशय निर्मित किये गये । इस वर्ष में 6800 नहरों का निर्माण समाप्त हो सकेगा । पहले गांववासियों को एक महीने के लिए सिर्फ एक दिन सिंचाई करने का मौका मिल पाता था, आज स्थितियों का बहुत सुधार हो गया है । नहर निर्मित होने के बाद हर परिवार एक हफ्ते में एक बार सिंचाई कर सकेगा ।"
उपजों की पैदावार बिल्कुल सिंचाई पर निर्भर है । इसलिये बुनियादी कृषि उपकरणों के निर्माण से किसानों के उत्पादन और आय वृद्धि के लिए नींव रखी गयी है ।
कृषि के बुनियादी ढांचे में सुधार करने से किसानों की आय वृद्धि के लिए नींव रखी गयी है । कार्य दल के सदस्य त्साशी ने कहा,"पानी का सवाल गांववासियों के जीवन और आर्थिक आमदनी से संबंधित है । हम गांववासियों की मदद के लिए यहां आये हैं इसलिये हमें पानी के सवाल का अच्छी तरह समाधान करना ही चाहिये ।"
कई सालों के प्रयासों से अब ताशूल गांव में पानी अभाव का समाधान आम तौर पर किया गया है । नहर और जलाशय का निर्माण करने के बाद कार्य दल का केंद्र गरीबी उन्मूलन के सवाल पर केंद्रीत हुआ । कार्य दल को पता लगा है कि गांव में 55 गरीब परिवार हैं । कार्य दल ने हरेक परिवार की स्थितियों का सटीक तौर पर अनुसंधान किया और हरेक परिवार की ठोस स्थितियों के मुताबिक उन की मदद शुरू की ।
कार्य दल सदस्य त्साशी ने कहा,"इन गरीब परिवारों में जो सही मकान प्राप्त नहीं हैं , उन्हें दूसरे स्थानों में स्थानांतरित किया जाएगा और उन के लिए मकान तैयार किया जाएगा । शेष गरीब परिवारों को या तो उन्हें संतरा आदि फल पेड़ों का रोपण करने में मदद दी जाए, या बाहर में काम करने के लिए उन्हें सिफारिश की जाए ।"
ताशूल गांव में तीन ऐसे परिवार भी हैं जिन्हें श्रम शक्ति, आर्थिक आमदनी और बच्चे सब नहीं हैं । कार्य दल ने इन अत्यंत गरीब लोगों की मदद के लिए बहुत ध्यान लगा दिया ।
त्साशी ने कहा,"हम कभी कभी इन बूढ़े आदमियों को देखने जाते हैं । अगर उन्हें खान-पान की समस्या सामने आए तो हम खुद भी पैसा निकालकर उन के लिए कपड़े आदि खरीदेंगे ।"
ताशूल गांव की 71 वर्षीया रेनजंग छूत्सो अकेले किराए पर लेने के एक मकान में रहती हैं । उन का जीवन पूरी तरह से सरकार की सब्सिडी पर निर्भर है । संवाददाता से बातचीत के समय उन्हों ने कार्य दल की भुरि भुरि प्रशंसा की ।"कार्य दल के सदस्य हरेक त्योहार में मुझे देखने आते हैं और चावल, चाय, आटा और शुगर आदि भी पहुंचाये । सरकार मुझे एक साल चार हजार युवान देती है । कार्य दल ने भी मुझे दवाइयां खरीद दीं । मैं कार्य दल के सदस्यों को अपने बच्चों के रूप में देखती हूं ।"
कार्य दल का मिशन गांव वालों की कठिनाइयों को दूर करना है । इसलिये कार्य दल के सभी सदस्यों को हमेशा से गांववासियों की भलाई और मांग के लिए चिंतित होना चाहिये । त्साशी की उम्मीद है कि ताशूल गांव में एक फार्म का निर्माण किया जाए । त्साशी ने कहा, हमारे यहां पर्यटन क्षेत्र भी है । पर्यटकों को प्राकृतिक चिकन खाना चाहिये । एक तिब्बती चिकन दो सौ युवान बेच सकती है और एक अंडा भी दो युवान का होता है । इस तरह गांववासी आमदनी प्राप्त कर सकेंगे ।
मांगकाम काउटी के बारे में एक संक्षिप्त परिचय
मांगकाम काउटी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के दक्षिण-पूर्व में स्थित है जो चीन के युननान प्रांत से जुड़ता है । मांगकाम काउटी का क्षेत्रफल 11 हजार 4 सौ वर्ग किलोमीटर है और जनसंख्या 73 हजार तक रही है । काउटी के तहत दो नगर, 14 टाउनशिप और 60 गांव सुरक्षित हैं । मांगकाम काउटी के नागरिकों में 98 प्रतिशत तिब्बती जाति के हैं । इन के अलावा काउंटी के निवासियों में हान, नाशी, बाई और थुच्या आदि जातियों के भी हैं ।
वर्ष 2014 के आंकड़े के अनुसार मांगकाम काउटी में कुल 80 स्कूल स्थापित हुए जिन में कुल 12 हजार 6 सौ छात्र पढ़ रहे हैं । स्कूल में बच्चों की नामांकन दर 99 प्रतिशत तक जा पहुंची है । काउटी में कुल 16 टाउनशिप स्तरीय चिकित्सालय हैं और ग्रामीण और चरागाह क्षेत्रों में स्वास्थ्य बीमा कवरेज भी 98 प्रतिशत तक जा पहुंची है ।
मांगकाम काउटी में समृद्ध पर्यटन संसाधन प्राप्त है । प्राचीन काल में मशहूर चाय-हार्स रोड भी यहां से गुजरता था । काउटी में बर्फ़ीले पहाड़, महा घाटी, स्वर्ण बंदर संरक्षण क्षेत्र और स्पा आराम केंद्र आदि पर पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है । मांगकाम काउटी में प्राकृतिक खारा कुआं से नमक बनाने के हस्त नमक उद्योग भी सुरक्षित हैं । काउटी में 320 परिवार आज भी नमक उत्पादन में लगे हुए हैं ।
( हूमिन )