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    भारतीय महिलाएं नोट बदलने में व्यस्त हैं
    2016-11-19 14:18:07 cri

    दोस्तो, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को यह घोषणा की कि भ्रष्टाचार और काले धन की समस्या से निपटने के लिए 500 और 1000 रुपए के नोट बाजार से हटाए गए हैं। भारतीय वित्त मंत्रालय ने कहा कि मोदी का यह कदम काले धन व नकली मुद्रा के लिए एक बड़ा झटका है।

    भारत के सभी बैंक 9 नवंबर को बंद रहे। और सभी एटीएम मशीनें भी एक दिन बंद रही। भारतीय रिजर्व बैंक ने 10 नवंबर को 500 व 2000 रुपये के नए नोट जारी किए। हालांकि 500 व 1000 रुपये वाले पुराने नोटों का इस्तेमाल दुकानों में नहीं किया जा रहा। लेकिन अस्पताल, परिवहन, पेट्रोल पंप, गैस स्टेशन आदि जगहों पर 72 घंटों तक पुराने नोटों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

    मोदी ने कहा कि लोग पुराने नोटों को अपने खाते में जमा करा सकते हैं। या इस साल के अंत से पहले बैंक व डाकघर में नए नोटों के साथ बदल सकते हैं।

    इस ऐलान के बाद भारत में लोग बैंकों के सामने लाइन लगाकर नोट बदलने में व्यस्त हैं। उनमें सब से चिंतित गृहिणियां हैं। क्योंकि उनके सभी अपने स्वयं के पैसे खुले गये।

    भारत में तमाम गृहिणियों को पैसे जमाकर अपने पैसे इकट्ठे करने की आदत होती है। और वे पैसे मुख्य तौर पर अपने पति की सैलरी में से लिये गये होते हैं। ऐसे में उनके बहुत पुराने नोट बेकार हो गये।

    इंदू मेहरा दिल्ली के करोल बाग़ में रहती हैं। दस वर्षों से लगातार चुपके से अपने पास पैसे रखती आयी हैं। उनके पति एक कंपनी चला रहे हैं, और उन्हें नहीं पता कि उनकी पत्नी इस तरह से पैसे रखती है। अब उन्हें यह स्थिति मालूम है।

    मेहरा ने कहा कि दस वर्षों में मैं अकसर अपने मां-बाप से और मेरे पति से पैसे लेकर अपने स्वयं के पैसे रखती हूं। पर पैसे की रकम बड़ी नहीं है, जैसे बूंदा-बांदी है। इसलिये मेरे पति व बच्चे यह बात नहीं जानते। लेकिन अब वे सभी जानते हैं। मैं प्रधानमंत्री मोदी के कदम का समर्थन करती हूं। लेकिन मुझे कदम उठाने का यह तरीका पसंद नहीं है। उन्हें पहले से हमें यह सूचना देनी चाहिये, ताकि मैं अपने पैसों को बदल सकती। इस तरह मेरे पति को भी पता नहीं चलता। इसके अलावा कुछ दिन पहले मैंने कुछ दैनिक वेतन लेने वाले मजदूरों को देखा। वे खाना व दूध खरीदने के लिये बड़ी कोशिश कर रहे हैं। मुझे लगता है कि बैकों में भीड़-भाड़ की स्थिति जल्द नहीं बदलेगी।

    प्रिया रोहतान नामक एक गृहिणी नहीं चाहती हैं कि उनके पति को उनके पैसों का पता चले। उन्होंने कहा कि उनके पति को यह पता लगने पर बहुत आश्चर्य हुआ।

    उन्होंने कहा कि मैंने कभी इस बात को अपने पति नहीं बताया। क्योंकि मुझे चिंता थी कि वे इस पैसे का इस्तेमाल कर लेंगे। मैंने उनकी सैलरी में से कुछ पैसे निकालकर रख लिए। लेकिन मैं उन्हें नहीं बताना चाहती हूं। मैं अपने दो बच्चों के भविष्य के लिये ये स्वयं पैसे रखती हूं। बुधवार को जब मैंने अपने पति को बताया तो उन्हें आश्चर्य हुआ। उन्होंने नहीं सोचा था कि मैंने उनकी आय से कुछ पैसे लेकर अपने पास रखे हैं। पर इसके बारे में उन्हें कुछ भी नहीं पता। मैं तो भ्रष्टाचार की स्थिति और पुराने कागज पैसे को हटाने के कदम के बारे में कम जानती हूं। लेकिन मुझे इस पर बहुत गुस्सा आया।

    किरन राजपाल तथा उनकी बेटी दिल्ली में स्थित एक बैंक में अपने पैसे बैंक खाते में जमा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जब वे सफलता के साथ सभी पैसे बैंक खाते में जमा सकेंगी, तो वे अपने पति को यह बात बताएंगी।

    उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अगर मेरे पति को पता लगेगा, तो वे बहुत नाराज नहीं होंगे। वे समझते हैं कि ये पैसे हमारे बच्चों के भविष्य के लिये रखे हुए हैं। मुझे लगता है कि यह एक खराब बात नहीं है। हर भारतीय महिला के पास एक गुप्त बचत बॉक्स है। और इसमें रखे हुए सभी पैसे आपात स्थिति में काम आते हैं। उदाहरण के लिये जन्मदिन या शादी में। पर मन से मैं अपने पति को ये स्वयं पैसे नहीं बताना चाहती हूं। लेकिन मैंने इस बार मोदी के कदम की प्रशंसा की। क्योंकि हमारे पास सचमुच बहुत भ्रष्टाचार की स्थिति मौजूद हैं। उन्हें हटाना चाहिये।

    आशा छाबड़ा ने कहा कि हालांकि उनकी जिन्दगी में कोई संकट कभी नहीं आया, लेकिन वे अकसर स्वयं पैसे रखती हैं। उनके अनुसार लगभग 30 वर्षों से पहले जब मेरी शादी होने के बाद मैंने स्वयं पैसे रखना शुरू किया। मेरे पति एक परिवहन कंपनी चलाते हैं। हमारे पास पैसे की कोई कमी नहीं हैं। लेकिन मुझे स्वयं पैसे रखना बहुत पसंद है। मैंने परिजनों को यह बात नहीं बताई। लेकिन अब मेरे बैंक खाते को देखकर सभी जानते हैं कि मेरे पास पैसे हैं।

    उन्होंने कहा कि बैंक खाते में पैसे जमाने पर मुझे कोई चिंता नहीं है। क्योंकि सभी पैसे वैध हैं। मैंने कई सालों में पैसों को इकट्ठा किया है। हालांकि मैं नहीं जानती हूं कि मेरे पति इन पैसों के बारे में जानकर क्या प्रतिक्रिया करेंगे, पर मुझे लगता है कि कुछ भी नहीं होगा।

    सुनीता सहगल एक स्कूल की अध्यापिका हैं। वे सरकार के फैसले का बहुत समर्थन देती हैं। उन्होंने कहा कि क्योंकि यह कदम भ्रष्टाचार का विरोध कर सकता है। इसलिये उन्हें लाइन में खड़ी होकर पैसे बदलने की छोटी समस्या से चिंतित नहीं है। उनके अनुसार यह कोई बड़ी बात नहीं है। हालांकि मेरी तरह महिलाएं अपने स्वयं पैसे खुलाएंगी, लेकिन हम नहीं डरते। क्योंकि हम अपने परिवार के लिये यह काम करते हैं। मैंने भी कई बार अपने स्वयं पैसे लेकर अपने बच्चों या पति को दिए हैं। और मैं लगातार स्वयं पैसे रखूंगी। पर अब ये स्वयं पैसे एक गुप्त नहीं है।

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