यह सच है कि इंटरनेट आधुनिक और उच्च तकनीकी विज्ञान का आविष्कार है। यह दुनिया के किसी भी कोने से जानकारी प्राप्त करने की आश्चर्यजनक सुविधा उपलब्ध कराता है। इसके माध्यम से हम लोग आसानी से किसी एक जगह रखे कम्प्यूटर या मोबाइल फोन को किसी भी एक या एक से अधिक कम्प्यूटर या मोबाइल से जोड़कर जानकारी का आदान-प्रदान कर सकते है। इंटरनेट के द्वारा हम कुछ सेकेंडों में ही बड़ा या छोटा संदेश, अथवा किसी प्रकार की जानकारी किसी भी कम्प्यूटर या डिजीटल डिवाइस (यंत्र) जैसे टैबलेट, मोबाईल, पीसी पर भेज सकते है। ये जानकारियों का बड़ा संग्रह है जिसमें लाखों वेबसाइट है जैसे- घरेलू, व्यापारिक, शैक्षिक, सरकारी आदि। हम इसे नेटवर्कों का नेटवर्क कह सकते है।
चीन में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या पिछले साल करीब 70 करोड़ के आसपास थी। यह संख्या अमेरिका की आबादी की दोगुनी से अधिक है। चीन में आधी से अधिक आबादी इंटरनेट का उपभोग करती है।
चाइना इंटरनेट नेटवर्क इंफॉर्मेशन सेन्टर (सीएनएनआईसी) के मुताबिक पिछले छह महीने में कम से कम एक बार ऑनलाइन होने वालों के आधार पर एशिया के विशाल देश में इंटरनेट से जुड़े लोगों की संख्या को परिभाषित किया गया है। 2015 के अंत में यहां 68.8 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे जिसमें एक साल में 3.95 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश चीन की आबादी के आधे से अधिक लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
चीन का मानना है कि इंटरनेट का विकास देश की प्रभुसत्ता, सुरक्षा और हित के लिए एक चुनौती है। अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को समान रूप से इसका मुकाबला करना पड़ रहा है। चीन नेटवर्क निर्माण कर रहा है ताकि चीनी लोगों को इंटरनेट के विकास से लाभ मिल सके।
तीसरा वुजन सम्मेलन
अभी हाल ही में चीन के चच्यांग प्रांत के वुजन शहर में तीसरा विश्व इंटरनेट सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन को 'वुजन सम्मेलन' भी कहा जाता है। इस सम्मेलन का थीम है "सबके कल्याण के लिए नवीनता संचालित इंटरनेट का विकास- साइबरस्पेस में समान भविष्य के समुदाय का निर्माण"।
चीन आपसी सम्मान और विश्वास के आधार पर अन्य देशों के साथ सहयोग करना चाहता है, ताकि शांतिपूर्ण, सुरक्षित और खुला इंटरनेट वातावरण स्थापित हो सके। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने कहा कि इंटरनेट का विकास देश की प्रभुसत्ता, सुरक्षा और हित के लिए एक चुनौती है। अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को समान रूप से इसका मुकाबला करना पड़ रहा है। चीन नेटवर्क निर्माण कर रहा है, ताकि चीनी लोगों को इंटरनेट के विकास से लाभ मिल सके।
चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने कहा कि इंटरनेट का अच्छी तरह प्रबंध करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साइबर सहयोग को गहरा करना चाहिए और चीन को सूचना युग की विकास प्रवृत्ति को और अच्छी तरह पकड़कर एक साथ विभिन्न जोखिमों की चुनौतियों का सामना करना चाहिए, ताकि साइबर आपसी संपर्क को आगे बढ़ा सके। सम्मेलन में उपस्थित लोगों का मानना था कि हाल में विश्व का इंटरनेट विकास नये दौर में प्रवेश कर चुका है।
माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, अलीबाबा, टेंसेंट और पाइतु समेत 310 से ज्यादा तकनीकी कंपनियों के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए वुजन पहुंचे। करीब 110 देशों और 16 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से आए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अध्यक्षों, इंटरनेट उद्यमों के नेताओं, वेब हस्तियों, विशेषज्ञों और विद्वानों समेत 1600 सम्मानित अतिथियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने व्यापक इंटरनेट विषयों पर 16 मंचों में भाग लिया। इस सम्मेलन में 16 फोरम शामिल थे, जिसमें 20 मुख्य विषयों पर जैसे इंटरनेट अर्थतंत्र, इंटरनेट नवाचार, इंटरनेट संस्कृति, साइबरस्पेस में नियमन और इंटरनेट पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर चर्चा की गई। यह सम्मेलन एक साइबरस्पेस समुदाय बनाने का मंच प्रदान करता है, जिसमें पारस्परिक विकास तथा जोखिमों का सामना सामूहिक रूप से किया जाए।
एक छोटे-से वॉटरटाउन, वुजन ने अपने परिवर्तन, इंटरनेट के विकास के साथ नई जीवन शैली की प्रेरणा देने के रूप में विश्व को चकित किया है। अभी हाल में नया बनकर तैयार हुआ वुजन इंटरनेट इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर ने इस साल का सबसे महत्वपूर्ण इंवेट की मेजबानी की। इस नये कन्वेंशन सेंटर ने इंटरनेट की दुनिया में हो रहे ताजातरीन नवाचार और तकनीकी विकास से रूबरू होने का मौका दिया। यह सेंटर ग्लोबल इंवेंट्स का स्थायी स्थल बन गया है।
देखा जाए तो यह सवाल उठना स्वभाविक है कि इस सम्मेलन की मेजबानी करने का मौका वुजन को ही क्यों मिला, इसकी क्या वजह हो सकती है? जहां तक मुझे लगता है इसके पीछे तीन खास वजह है। पहला, यहां वुजन में इंटरनेट अर्थव्यवस्था अच्छी तरह से विकसित है और यहां इंटरनेट उद्योग काफी फलाफूला है। दूसरा, वुजन एक छोटा-सा खूबसूरत शहर है जिसके आकर्षण का उपयोग किया जाना बेहद सार्थक है। और तीसरा, यह छोटा शहर चीनी पारंपरिक संस्कृतियों से भरा हुआ है यहां आने वाला हर शख्स पारंपरिक संस्कृतियों से परिचित हो सकता है।
इंटरनेट की दुनिया में चीन और भारत
प्रौद्योगिकी के मामले में, बाज़ार में सस्ते स्मार्ट फोन उतरने से इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है। चीन में किसानों और कम-आय के शहरी लोगों तक स्मार्ट मोबाइल फोन की पहुंच ने आम लोगों को इंटरनेट से जुड़ने में काफी मदद की है। ठीक वैसे ही, भारत में भी, स्मार्ट फोन के इस्तेमाल ने इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को तेजी से बढ़ाया है और 250 मिलियन लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल की है। इन दिनों भारतीय बाज़ार में अच्छे और सस्ते भारतीय और चीनी स्मार्ट फोन आसानी से उपलब्ध हैं। दोनों देश अपनी पैठ जमाने के लिए सस्ते से सस्ते और अच्छे से अच्छे स्मार्ट फोन बेचने की होड़ में लगे हैं, जिससे ना सिर्फ मोबाइल कंपनियों को फायदा पहुंच रहा है, बल्कि इंटरनेट कंपनियां भी खूब मुनाफा कमा रही हैं। स्मार्ट फोन आने से भारतीय लोगों को इंटरनेट की सुविधा उठाने का फायदा तो हुआ ही है, साथ ही साथ भारत में मोबाइल इंटरनेट को भी बढ़ावा मिला है।
भारत का इंटरनेट उद्योग वैश्वीकृत है, इसका मतलब ये हुआ कि लगातार बढ़ रहे इंटरनेट उपभोक्ताओं का फायदा भारत में कोई भी कंपनी उठा सकती है। इस तथ्य का फायदा ना सिर्फ छोटी स्थानीय कंपनियां उठाती हैं बल्कि अमेरिका की बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए भी ये किसी सुनहरे मौके से कम नहीं है। यही वजह है कि भारतीय इंटरनेट उद्योग भारी दबाव में है। चीनी इंटरनेट उद्योग के अनुभव के मुताबिक, भारत में उद्यमियों के लिए सबसे कारगर रहेगी- अलग दिखने की रणनीति। आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत को ऐसे स्थानीय उत्पादों के विकास की जरूरत है जो अमेरिका की दिग्गज कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं से अलग हो।
चीन में 11 नवंबर, 2016 को राष्ट्रीय "शॉपिंग डे" या "शॉपिंग कार्निवल" मनाया गया। सिंगल्स डे की खरीदारी के दिन पहले सात मिनटों में चीनी ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी थाओपाओ की व्यापार रकम 10 अरब युआन यानी 1 अरब 47 करोड़ अमेरिकी डालर तक जा पहुंची। थाओपाओ की स्थापना मई 2003 में हुई, जब अमेरिका की सबसे बड़ी नीलामी और शॉपिंग वेबसाइट ईबे ने चीनी बाजार में प्रवेश किया और देखते ही देखते ऑनलाइन खरीददारी के क्षेत्र के दो-तिहाई शेयरों पर अपना कब्जा जमा लिया।
इस विशाल इंटरनेट कंपनी को पछाड़ने के लिए, थाओपाओ ने जैक मा के दिशानिर्देश में कई नए प्रयोग किए। स्टोर खोलने और नए और आधुनिक उत्पादों को बाज़ार में उतारने के प्रयास को चीनी लोगों ने खूब सराहा। ईबे चीन अपनी मुख्य कंपनी की विचारधारा को अपनाने के लिए मजबूर थी, जो कि चीनी ग्राहकों को लुभाने में नाकामयाब साबित हुई। ईबे का चीनी बाजार के लिए अनुकूल ना हो पाना ही थाओपाओ की सफलता का मुख्य कारण बना।
इसी तरह भारतीय इंटरनेट कंपनियों को भी अमेरिकी दिग्गजों की नकल नहीं करनी चाहिए। उन्हें भारत के अलग-अलग भागों में उपभोक्ताओं पर गहराई से अनुसंधान करना चाहिए। और जैसा कि थाओपाओ ने किया, वैसे ही भारतीय इंटरनेट कंपनियों को आम आदमी की जरूरत का ध्यान रखकर, उनकी मांग के हिसाब से वस्तुओं को बाज़ार में उतारने का रास्ता चुनना चाहिए। भारत के इंटरनेट उद्योग का विकास अभी भी अपनी प्राथमिक अवस्था में है। दोहन के लिए एक विशाल बाजार है। मुझे उम्मीद है कि, भारत भी चीन की थाओपाओ जैसी कंपनी से विकास के रास्ते पर बढ़ने की सीख लेगा और आने वाले समय में खुद भी इंटरनेट विकास को नए आयाम तक पहुंचाएगा।