ब्रिटिश कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग ने हाल में विश्वविद्यालय में आयोजित "भविष्य इंटेलिजेंस केंद्र"के खोलने की रस्म के दौरान फिर एक बार यह चिंता प्रकट की कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव जाति को नष्ट कर सकती है।
हॉकिंग ने अपने भाषण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में हाल में पैदा हुए तेज विकास का सिंहावलोकन किया, जिनमें ऑटो ड्राइवर कार प्रौद्योगिकी और मानव खिलाड़ी के साथ गो मेच में गूगल कंप्यूटर की विजय आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उपरोक्त उदाहरणों से हमें यह पता चला सकता है कि कंप्यूटर मानव जाति की बुद्धिमता से सीख सकता है और मानव से और स्मार्ट बन सकता है। साथ ही हॉकिंग ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास से मानव जाति रोगों से बचा सकती है, गरीबी उन्मूलन कर सकती है और जलवायु परिवर्तन को रोक सकती है। लेकिन संभवतः अप्रत्याशित परिणाम भी पैदा होंगे। हो सकता है कि वे स्वयं से हथियार बनाएंगे और मानव से लड़ने वाली मशीन का विकास भी करेंगे, जिससे बड़ा आर्थिक संकट पैदा होगा।
हॉकिंग ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का पुनरुत्थान संभवतः मानव जाति के लिए सबसे अच्छी बात हो और संभवतः सबसे खराब बात भी हो।"भविष्य इंटेलिजेंस केंद्र"का एक सरल मिशन है लोगों को स्पष्ट तौर पर बताना कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सचमुच मानव जाति को नष्ट कर सकती है।
इस विषय पर 50 साल से शोध कर रहे मशहूर विद्वान मेगी बोदन ने कहा कि वे मानव जाति के भविष्य पर चिंतित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मानव जाति इतनी जल्दी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य में नहीं प्रवेश कर सकती है। लेकिन वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होने वाले असर से चिंतित हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि जापान में कुछ लोग रोबोट के जरिए वृद्धों व बीमार लोगों की देख-भाल करने लगे हैं, वह इस बात से डरती हैं। उनके विचार में इसी तरह की कोशिश मानवता में कमी है, जिसे वह स्वीकार नहीं कर सकती।