चीनी पीएम का आठ दिवसीय यूरेशिया दौरा सफल कहा जा सकता है।
इसके साथ ही एससीओ और 16+1 बैठक में भी सहमति बनाने में ली खछ्यांग कामयाब रहे।
चीनी प्रधानमंत्री की हालिया यूरेशिया यात्रा और एससीओ बैठक के अलावा यूरोपीय नेताओं के साथ हुई वार्ता ने विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा है। वैश्विक आर्थिक मंदी और क्षेत्रीय चुनौतियों के बीच चीनी प्रधानमंत्री का दौरा खास मायने रखता है। यह न केवल चीन द्वारा शुरू की गयी 'एक पट्टी-एक मार्ग' योजना को पूरा करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा। बल्कि उक्त देशों के साथ चीन के राजनीतिक, आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते भी मजबूत करने में भी योगदान देगा। कुछ समय पहले हुई चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की एशिया यात्रा के बाद किसी बड़े चीनी नेता का यह पहला विशेष दौरा था।
गत् 2 नवंबर को शुरू हुए आठ दिवसीय दौरे का पहला पड़ाव किर्गिजस्तान था। जहां दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने को लेकर समझौते हुए, वहीं सांस्कृतिक क्षेत्र में रिश्ते मजबूत करने पर भी ज़ोर दिया गया। देखा जाय तो हाल के वर्षों में चीन और किर्गिजस्तान के बीच व्यापार में तेज़ इजाफ़ा हुआ है, जो कि 2016 में लगभग 993 मिलयन डॉलर पहुंच गया है। जिसमें पिछले वर्ष के मुक़ाबले सत्तर फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
इसके अलावा चीनी प्रधानमंत्री ने किर्गिजस्तान की राजधानी बिशकेक में शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शिरकत की। इस मंच के जरिए उन्होंने छह प्रस्ताव पेश किए, जिसमें समान, समग्र, सहयोगी और अनवरत सुरक्षा के मद्देनजर आपसी सहयोग बढ़ाने पर फ़ोकस किया गया।
इस बीच एससीओ नेताओं ने आतंकवाद से निपटने में भी साझा तौर पर काम करने में चीनी पीएम का साथ देने की बात कही। जिसके लिए सभी क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संस्थापन और व्यवस्था स्थापित करने पर एकमत हुए। ऐसे समय में जब पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में है, एससीओ नेताओं का यह क़दम क्षेत्रीय और वैश्विक तौर पर अहम साबित हो सकता है।
इसके बाद चीनी पीएम कज़ाखस्तान पहुंचे। जहां ली खछ्यांग और कज़ाख नेता उत्पादन क्षमता बढ़ाने, ऊर्जा, परिवहन, कृषि और नवोन्मेष आदि में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। जबकि चीनी प्रधानमंत्री ने कज़ाखस्तान की अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने के लिए मदद का आश्वासन भी दिया। यहां बता दें कि चीनी पीएम और उनके समकक्ष के बीच तीन साल में यह तीसरी मुलाक़ात थी।
इसके साथ ही चीनी प्रधानमंत्री की लातविया यात्रा, मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के नेताओं के साथ हुई चर्चा भी सफल कही जा सकती है। लातविया की राजधानी रीगा में 16+1 बैठक के दौरान ली खछ्यांग उक्त देशों को यह समझाने में कामयाब रहे कि यूरोप और एशिया के बीच की दूरी को 'एक पट्टी-एक मार्ग' योजना के जरिए पाटा जा सकता है। जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी, साथ ही आधारभूत ढांचे और परिवहन व्यवस्था सुधारने के लिए भी सार्थक प्रयास होंगे। इतना ही नहीं 1991 में सोवियत रूस से अलग होने के पश्चात यह किसी चीनी प्रधानमंत्री की पहली लातविया यात्रा थी।
अपने आठ दिवसीय दौरे के आखिर में चीनी पीएम रूस पहुंचे। जहां सेंट पीटर्सबर्ग ने चीनी और रूसी प्रधानमंत्रियों की 21वीं वार्ता हुई। फिर राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ चीनी प्रधानमंत्री की भेंट के बाद कई समझौते हुए। ली खछ्यांग ने 'एक पट्टी-एक मार्ग' योजना को रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ जोड़ने की अपील की। और गैस, परमाणु ऊर्जा और बिजली आदि क्षेत्रों में औद्यौगिक चेन बनाने पर ज़ोर दिया।
इन नेताओं की बैठक के बाद संयुक्त बयान जारी किया गया। जिसमें चीन और रूस के बीच 280 सीट वाले कमर्शियल एयरक्राफ्ट के विकास में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया गया। यह एयरक्राफ्ट चीन और रूस संयुक्त रूप से तैयार कर रहे हैं। 2020 में यह विमान अपनी पहली परीक्षण उड़ान भरेगा।
ध्यान रहे कि चीनी पीएम का दौरा उन देशों में हुआ, जो कि प्राचीन सिल्क मार्ग में स्थित हैं और आगामी वर्षों में इनकी भूमिका भी प्रमुख हो सकती है।
रूस में अहम समझौतों के साथ ही चीनी प्रधानमंत्री का दौरा संपन्न हो गया। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस यात्रा से चीन की यूरेशिया देशों के साथ संबंध और मजबूत होंगे।