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    किस को देना है ब्रिक्स बैंक के पैसे?
    2016-11-09 11:03:30 cri

    इस साल अक्तूबर में भारत के गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ। ब्रिक्स देशों की मौजूदा 60 से ज्यादा प्रणालियों में ब्रिक्स देशों का नया विकास बैंक सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जाती है। 2015 के 21 जुलाई को इसकी स्थापना की गयी।

    ब्रिक्स बैंक के प्रथम गर्वनर भारत का जाने माने बैंकर 69 वर्षीय के.वी. कामाथ हैं। हाल ही में उन्होंने पेइचिंग रिव्यू को दिये एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि ब्रिक्स बैंक विभिन्न सदस्य देशों के विकास की जबरदस्त इच्छा के अनुसार और कम समय के भीतर हरेक क्षेत्र की और ज्यादा पूंजी की मांग को पूरा करेगा।

    तो अन्य बहुपक्षीय संस्थाओं की तुलना में ब्रिक्स देशों के नये विकास बैंक की क्या विशेषता है? ब्रिक्स बैंक और कुछ समय पहले स्थापित एआईआईबी के बीच क्या फ़र्क है?

    ब्रिक्स बैंक पाँच ब्रिक्स देशों द्वारा एक साथ स्थापित किया गया है, जिसका मकसद नयी शताब्दी की विकास मांग से मेल खाने वाली एक संस्था बनाना है। यह ब्रिक्स बैंक के पाँच संस्थापक देशों की आशा ही है। इसलिए ब्रिक्स बैंक की शुरूआती पूंजी संस्थापक देशों द्वारा दी जाती है। एक वित्तीय संस्था होने के नाते ब्रिक्स देश सहयोग साझेदारी के मतों को सुनती है और उनके हित वाले क्षेत्रों में सहयोग करती है।

    2015 के 21 जुलाई को ब्रिक्स बैंक का उद्घाटन समारोह शांगहाई में आयोजित हुआ। ब्रिक्स बैंक के गर्वनर कामाथ, चीनी वित्तीय मंत्री लो चीवेई और शांगहाई नगर के मेयर यांग श्यों ने एक साथ समारोह में भाग लिया।

    पिछले एक साल में ब्रिक्स बैंक ने अनवरत ऊर्जा और हरित ऊर्जा क्षेत्र की कुछ परियोजनाओं के वित्तपोषण की पुष्टि की। हाल में ब्रिक्स बैंक ने चीनी बाजार में प्रथम आरएमबी का हरित वित्तीय बॉन्ड जारी किया और हरित व अनवरत बुनियादी संरचनाओं की निर्माण परियोजना का समर्थन देने लगा। ब्रिक्स बैंक गर्वनर कामाथ ने कहा कि अब ब्रिक्स बैंक अनेक देशों व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग साझेदारी संबंधों की स्थापना की है और सदस्य देशों के लिए सबसे अच्छे उत्पादक व सेवा प्रदान करने की कोशिश करेगा।

    उनके अनुसार भविष्य में ब्रिक्स बैंक और ज्यादा व्यवसाय करेगा। इधर के सालों में विकास बाधा दिन ब दिन तीव्र होता जा रहा है। अनेक विकासमान देशों और नवोदित आर्थिक इकाइयों को बुनियादी संरचनाओं का विकास करने की बड़ी आवश्यकता है। हर साल बुनियादी संरचनाओं के निर्माण में विकासमान देशों को अनेक पैसे की ज़रूरत है। अब बहुपक्षीय विकास बैंकों द्वारा दी गयी पूंजी केवल करीब 10-15 प्रतिशत की मांग को पूरा कर सकती है और करीब 10 खरब अमेरिकी डॉलरों का अभाव है। इस अभाव को पूरा करने के लिए ब्रिक्स बैंक एआईआईबी आदि अन्य संस्थाओं से सहयोग करेगा। इस वर्ष ब्रिक्स बैंक ने 91.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर ऋण की पुष्टि की। ब्रिक्स बैंक ब्राजिल के राष्ट्रीय आर्थिक व सामाजिक विकास बैंक के लिए 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ऋण देगा, जिसे सौर ऊर्जा एवं पन ऊर्जा आदि अनवरत ऊर्जा की बिजली परियोजनाओं के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा।

    साथ ही ब्रिक्स बैंक ने भारत में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा एवं पन ऊर्जा आदि नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को मदद देने के लिए भारत के कनारा बैंक को 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर की प्रभुसत्ता की गारंटी ऋण भी दी। चीन में ब्रिक्स बैंक ने शांगहाई लिंगकांग होंगबो नये ऊर्जा विकास कंपनी लिमिटेड को करीब 8.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का आरएमबी ऋण दिया और एक सौर ऊर्जा परियोजना का समर्थन किया। ब्रिक्स बैंक ने दक्षिण अफ्रीका और रूस को भी ऋण देकर वहां के संबंधित ऊर्जा परियोजनाओं की सहायता की।

    आंकड़े बताते हैं कि इस साल ब्रिक्स बैंक की पुष्टि में पाँच परियोजनाएं हरित ऊर्जा और अनवरत बुनियादी संरचनाओं के विकास के लक्ष्य से संबंधित है। अनुमान है कि ये परियोजनाएं हर साल करीब 40 लाख टन वाले ग्रीन हाऊस गैस की निकासी को कम कर सकती हैं। साथ ही ब्रिक्स के सदस्य देशों के नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति का विस्तार करने और हरित अर्थतंत्र की ओर स्थानांतरित करने में मदद दे सकती है।

    भविष्य की योजना की चर्चा में कामाथ ने कहा कि भविष्य में ब्रिक्स बैंक के चार्टर के नियम के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश ब्रिक्स बैंक के सदस्य बन सकते हैं। ब्रिक्स बैंक उचित मौके पर नये सदस्य देशों की भर्ती करेगा। ब्रिक्स बैंक सबसे अच्छी विकास सहायता प्रदान करने के साथ-साथ भविष्य में अन्य बहुपक्षीय विकास बैंक से सहयोग भी करेगा।

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