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    आजीवन श्रम व्यवस्था पेश की जापान ने
    2016-11-02 09:30:21 cri

    हाल ही में जापान ने आजीवन श्रम व्यवस्था पेश की, जिसके अनुसार जापानी लोग मरने तक काम करते रहेंगे। पहले जापानी उद्यमों ने कर्मचारियों के इस्तीफा देने से बचाने के लिए जीवन भर रोजगार देने की व्यवस्था बनायी, ताकि लोग जीवन भर में उद्यमों का लाभांश हासिल कर सकें। जापान में आर्थिक मंदी आने के बाद यह व्यवस्था मौजूद नहीं रही। लेकिन 4 अक्तूबर को जापानी मंत्रिमंडल ने कल्याण और श्रम श्वेत पत्र जारी किया, जिसमें निर्णय लिया गया कि जापान सरकार आजीवन श्रम व्यवस्था की स्थापना करने की कोशिश करेगी।

    जापान सरकार की इस रिपोर्ट के अनुसार जापान का एक वयोवृद्ध होने वाला समाज बनना अनिर्वार्य है। बुढ़ापे तक काम करने को जापानी श्रमिकों की सहमति है।

     इस श्वेत पत्र द्वारा जारी एक परिणाम से जाहिर है कि 40 से 59 की उम्र वाले जापानी लोगों में 70 प्रतिशत लोगों ने बुढ़ापे की सीमा को 65 से बढ़ाकर 70 बढ़ाने पर सहमति जताई है। वे रिटायर होने के बाद भी काम करना चाहते हैं।

    इस आंकड़े के अनुसार 39 प्रतिशत के लोगों ने आशा जताई कि उद्यम 65 से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को काम दे सकेंगे। जबकि 36 प्रतिशत के लोगों ने आशा जताई कि सरकार रिटायर होने के बाद पुनः रोजगार देने की प्रणाली बना सकेगी। 29 फ़ीसदी का मानना कि सरकार को वृद्धों की रोजगार परामर्श सेवा को मजबूत करना चाहिए।

       इस शताब्दी की शुरूआत में जापान की कुल 12 करोड़ आबादी में 20 प्रतिशत के लोगों की उम्र 65 से ऊपर थी। अभी अभी जारी श्रम श्वेत पत्र के अनुमान के अनुसार 2060 में हर 2.5 व्यक्तियों में एक बुजुर्ग होगा। श्वेत पत्र में जोर दिया गया कि जापान में बूढ़ेपन की गति विश्व में सबसे तेज़ है और यह भी एक विकास प्रवृत्ति रहेगी जो नहीं रोकी जा सकती है।

    साथ ही नये श्वेत पत्र से यह भी जाहिर है कि जापानी लोग बूढ़े होने के बाद के जीवन के प्रति निराश हैं। उन्हें चिंता है कि जापान सरकार द्वारा प्रदान की गयी नर्सिंग सेवा नहीं मिल पाएगी।

    इसके अलावा बूढ़े जापानियों का मानना है कि पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत किया जाना चाहिए, ताकि वे लोग एक दूसरे की देख-भाल कर सकें।

       जापानी मीडिया द्वारा जारी अन्य एक रिपोर्ट से जाहिर है कि जापान के ग्रामीण क्षेत्रों में बूढ़ेपन की स्थिति और गंभीर है। हाल में जापान में 20.9 लाख लोग खेती से जुड़े काम करते हैं, जो पाँच साल पहले की तुलना में 20 फीसदी कम है। किसानों की औसत उम्र 66.3 है। कई लोग बुढ़ापे की वजह से खेती आदि काम नहीं कर पाते हैं। कृषि आबादी के अभाव से जापानी कृषि की निर्यात नीति पर गंभीर असर पड़ा है।

      कृषि आबादी को संकट से बचाने के लिए जापान सरकार ने विदेशियों को खेती भूमि में काम करने का निर्णय लिया।

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