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    आप की पसंद 161022
    2016-10-30 16:00:48 cri

    22 अक्टूबर आपकी पसंद

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है .... मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज आलोट से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई, माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मनोरंजन (1974) फिल्म का गाना जिसे आशा भोंसले, लता मंगेशकर और ऊषा मंगेशकर ने गाया है गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 1. दुल्हन मैके चली ....

    हनी हंटर्स जो शहद के लिये लगाते हैं जान की बाज़ी

    पंकज - काठमांडू।मध्य नेपाल में रहने वाला गुरुंग समुदाय बेहद ही खतरनाक तरीके से हिमालय की ऊंची पहाड़ियों की चट्टानों से लटकते हुए मधुमक्खी के छत्तों से शहद इकठ्ठा करता है। ये छत्तें एपिस लेबोरिओसा मधुमक्खी के होते हैं जो कि विश्व की सबसे बड़ी मधुमक्खी कहलाती है। 03 सेंटीमीटर तक होती है मधुमक्खी की लंबाई...

    इन मधुमक्खियों की लंबाई 3 सेंटीमीटर तक होती है और इनका स्वभाव भी काफी गुस्सैल होता है। हालांकि, इसके बावजूद गुरुंग समुदाय के लोग शहद के लिए गुस्सैल मधुमक्खियों से भिड़ जाते हैं। ये काम जान जोखिम में डालने वाला है लेकिन शहद के लिए ये हनी हंटर्स किसी भी मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार होते हैं। ये हनी हंटर्स हजारों सालों से शहद के लिए ऐसा काम करते आ रहे हैं।

    सिर्फ एक प्रथा के लिए लगाते हैं जान की बाजी

    शहद की जद्दोजहद गुरुंग समाज की एक प्रथा है। इस समाज के लोग जिस मक्खी के छत्ते से शहद निकालते हैं वो दुनिया की सबसे बड़ी मधुमक्खियां होती हैं। इतना ही नहीं, ये लोग बिना किसी सुरक्षित पहनावे के छत्ता तोड़ने पहुंच जाते हैं। ऊंचाई भी कम नहीं होती। ये हनी हंटर्स हाथ से बनाई गई रस्सी की सीढ़ी से 200 से 300 फीट की ऊंचाई पर चढ़ जाते हैं। शहद के छत्तों के नीचे धुंआ करके ये मधुमक्खियों को भगाते हैं और उनका दंश गुरुंग लोगों के लिए आम बात है। छत्ता तोड़ने के लिए 8 साल बड़े बांस का इस्तेमाल करते हैं जिसे 'टंगोस' कहा जाता है।

    पंकज - इस जगह महिलाओं और बच्चों की एंट्री है बैन ... सिर्फ मर्द ही जा सकते हैं

    एथेंस। ग्रीस के माउंट एथॉस पर महिलाओं की एंट्री बैन है। यहां 20 मॉनेस्ट्री हैं, जिनमें सिर्फ मॉन्क रहते हैं। इसे "होली माउंटेन" के नाम से भी जाना जाता है। यहां पौराणिक मान्यताओं की वजह से बच्चों और मादा जानवरों की एंट्री भी बैन है। ऐसे में यहां सिर्फ पुरुष ही जा सकते हैं। 2 हजार से भी ज्यादा मॉन्क रहते हैं...

    अंजली – श्रोता मित्रों कार्यक्रम में अगला पत्र आया है देशप्रेमी रेडियो श्रोता संघ, ग्राम आसापुर, पोस्ट दर्शन नगर, फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश के राम कुमार रावत, गीता रावत, अमित रावत, ललित रावत, दीपक रावत, मनीष रावत और समस्त रावत परिवार का आप सभी ने सुनना चाहा है आकाशदीप (1965) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है चित्रगुप्त ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 2. मिले तो फिर झुके नहीं नज़र वही प्यार की ......

    पंकज - नॉर्दर्न ग्रीस के इस रिमोट एरिया को लाखों लोग दुनिया का सबसे पवित्र स्थान मानते हैं। यहां हर व्यक्ति को चर्च में 8 घंटे बिताना जरूरी होता है। सभी को ईश्वर और उससे जुड़ी चीजों के अलावा दुनिया में हर चीज से दूर रहना सिखाया जाता है। यह स्थान सेल्फ गवर्न्ड है और यहां समय भी सूर्योदय और सूर्यास्त के हिसाब से देखा जाता है। ज्यादातर मॉनेस्ट्री 10वीं शताब्दी में बनाई गई थीं।

    पंकज - अजीब तरह के समुद्री तट

    दुनियाभर में एक से बढ़कर एक खूबसूरत बीच हैं, जहां पर जाने की ख्वाहिश हर किसी की होती है। इनमें से किसी बीच में बहुत नीचे से गुजरती है फ्लाइट तो कहीं नीचे बिछा है कांच। आज हम आपको बताने का रहे हैं दुनियाभर के ऐसे ही 7 अजीबोगरीब बीचेस के बारे में। यहां सिर के 10 मीटर ऊपर से गुजरती हैं प्लेन...

    नार्थ अमेरिका के सेंट मार्टिन में मौजूद माहो बीच को दुनिया सबसे अजीबोगरीब बीचेस में सबसे ऊपर रखा जाता है। अपनी खूबसूरती के अलावा ये बीच टूरिस्ट्स का ध्यान किसी और वजह से भी खिंचती है। दरअसल, इस बीच पर आने वाले टूरिस्ट्स के सिर से मात्र 10 से 20 मीटर की ऊंचाई पर प्लेन्स गुजरते हैं। समुद्र की लहरों के किनारे खड़े लोगों के ठीक ऊपर से गुजरने वाले प्लेन्स इस जगह को और भी रोमांचक बना देते हैं।

    अंजली – श्रोता मित्रों हमारे कार्यक्रम में अगला पत्र हमें लिख भेजा है हरिपुरा झज्जर, हरियाणा से प्रदीप वधवा, आशा वधवा, गीतेश वधवा, मोक्ष वधवा और निखिल वधवा आप सभी ने सुनना चाहा है ऊंचे लोग (1965) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर और महेन्द्र कपूर ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है चित्रगुप्त ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. आ जा रे मेरे प्यार के राही ....

    पंकज - ग्लास बीच, कैलिफोर्निया

    US के कैलिफोर्निया के मौजूद है ग्लास बीच। 20th सेंचुरी से पहले इस जगह को डंप यार्ड की तरह इस्तमाल किया जाता था। लेकिन 1967 के बाद इसकी साफ सफाई करवा कर इसे टूरिस्ट प्लेस की तरह डेवेलप किया गया। आज इस जगह पर ढेर सारे शीशे के टुकड़े पड़े हैं। इन टुकड़ों को फिक्स्ड टाइम में पोलिश किया जाता है।

    व्हाइटहैवन बीच, ऑस्ट्रेलिया

    ऑस्ट्रेलिया के व्हीटसंडे आइलैंड के किनारे बसा ये 7 किलोमीटर लंबा बीच अपने व्हाइट सैंड की वजह से फेमस है। ये व्हाइट रेत 98% सिलिका से बनी है।

    ह्याम्स बीच, ऑस्ट्रेलिया

    सिडनी से 300 km दूर मौजूद ह्याम्स बीच अपने व्हाइट सैंड की वजह से जाना जाता है। दूर से देखने पर ये सैंड व्हिप्ड क्रीम की तरह नजर आता है।

    पिंक सैंड, बहामास

    कैरिबियन कंट्री बहामास के हार्बर आइलैंड पर है दुनिया का सबसे अनोखा बीच। यहां की रेत का रंग गुलाबी है। दरअसल, समुद्र में रहने वाले यूनीसेलुलर जीव बह कर किनारे आ जाते हैं। इससे यहां की रेत गुलाबी दिखने लगती है।

    सेआगेआ ओशन डोम, जापान

    अगर आप ट्रेडिशनल बीचेस से बोर हो गए हैं, तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट है। यहां सर्फिंग के लिए फेक वेव्स बनाए जाते हैं। व्हाइट सैंड के अलावा यहां कई तरह के वॉटर शोज भी होते हैं।

    लवर्स बीच, मेक्सिको

    मेक्सिको के मरिएट्स आइलैंड में मौजूद बीच के बारे में शायद किसी को पता नहीं चल पाता। इस आइलैंड पर कोई भी नहीं रहता। लेकिन इस खूबसूरत बीच पर कुछ कपल्स सुकून के पल बिताने जाते हैं।

    अंजली - मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं अंसार हुसैन और समीर मलिक और इनके ढेर सारे मित्रजन आप सभी ने हमें पत्र लिखा है दौलतबाग मुरादाबाद उत्तर प्रदेश से आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म एक राज़ (1963) का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी संगीत दिया है चित्रगुप्त ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 4. अगर सुन ले तू इक नग़मा हुरूरे यार लाया हूं.....

    पंकज - नोबेल विजेता क्यों हैं बूढ़े?

    अभी तक जितने भी नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा हुई है उनकी औसत उम्र 72 साल है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था.

    साल 2016 के भौतिक विज्ञान, चिकित्सा और रसायन शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता सभी पुरूष हैं और कम से कम 65 साल और अधिकांश 72 साल के हैं.

    20 वीं सदी के पहले छह महीने देखें तो नोबेल पुरस्कार विजेता औसतन 'केवल' 56 साल के थे. भौतिकी के पुरस्कार विजेता अब औसतन साठवें साल के अंतिम दौर में चल रहे पुरुषों का समूह है, जिनकी उम्र औसतन 47 साल हुआ करती थी.

    वास्तव में, परंपरागत विज्ञान में जीवन के बाद के वर्षों में नोबेल विजेता बनने की एक महत्वपूर्ण प्रवृति देखने को मिली है, जो 1950 से शुरू हुई थी और मौजूदा दौर तक जारी है.

    आप अक्सर कहानियों में सुनते हैं कि फलां लेखक या दार्शनिक सैकड़ों वर्ष पहले हर किताब को पढ़ने वाला अंतिम व्यक्ति था. हालांकि यह संदेहास्पद हो सकता है,

    निश्चित रूप से ज्ञान बढ़ा है. क्या आज इतनी जानकारी और सिद्धांत हो सकते हैं कि वैज्ञानिक सफलताएं बुढ़ापे में ही मिले पाए ?

    यही कारण है कि शायद इस सवाल का जवाब नहीं है.

    नोबेल संग्रहालय के एक वरिष्ठ क्यूरेटर गुस्ताव कालस्ट्रेंड ने हमें बताया है कि 100 साल पहले जहां केवल 1000 के आसपास भौतिकविद् थे. एक अनुमान के अनुसार आज ये दुनिया में 10 लाख हैं.

    उन्होंने कहा, " इसलिए यह एक महत्वपूर्ण कारक है. नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने का समय लंबा हो रहा है और आपको एक सफलता पाने के तुरंत बाद पुरस्कार नहीं मिलता है.''

    यहां तक कि अब वैज्ञानिक प्रारंभिक जीवन में ही खोजें कर लेते हैं, लेकिन दूसरे हजारों लोगों के साथ जो यह ही कर रहे होते हैं और नोबेल पुरस्कार समिति को एक उच्च स्तर के सत्यापन की जरूरत होती है, इसलिए एक पुरस्कार जीतने में कई साल लग जाते हैं.

    लेकिन ये सवाल अभी भी परेशान करता है. 100 साल पहले की तुलना में आज शांति के लिए काम करने वाले हजारों अधिक लेखक, अर्थशास्त्री और लोग भी हैं. हालांकि नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने में उनकी उम्र का रूझान बिल्कुल अलग है. और ये क्यों है कि भौतिकी का नोबेल प्राप्त करने वाले चिकित्सा के क्षेत्र के अपने नोबेल विजेता साथियों की तुलना में तेजी से बुढा रहे है ?

    ये सब 20 सदीं के प्रारंभ में आई क्वांटम यांत्रिकी के तेजी से बढ़ते क्षेत्र की वैज्ञानिक क्रांति से कम हो सका.

    अंजली - श्रोता मित्रों हमारे कार्यक्रम के अगले श्रोता हैं मुबारकपुर, ऊंची तकिया, आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश से दिलशाद हुसैन, फातेमा सोगरा, वकार हैदर, हसीना दिलशाद और इनके समस्त परिजन आप सभी ने सुनना चाहा है अदालत (1958) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं राजेन्द्रकृष्ण और संगीत दिया है मदन मोहन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 5 . ज़मीं से हमें आसमां पर ....

    पंकज - गुस्ताव लिखते हैं कि "सदी की पहली छमाही में भौतिक विज्ञान में एक तेजी से बढ़ता क्षेत्र था, कई भौतिकविद युवा थे और वे तेजी से खोजें कर रहे थे."

    और नोबेल समिति यह जानती थी.

    उन्होंने कहा, "समिति इस पर ध्यान दे रही थी. यह एक ऐसा क्षेत्र था जिसमें वे दिलचस्पी रखते थे और वे उपलब्धियों को तेजी से पहचान रहे थे."

    वर्नर हाइजेनबर्ग (बाद में ब्रेकिंग बैड के एक उपनाम के लिए प्रेरणा) और पॉल डिराक केवल 31 साल के थे जब वे 1930 के दशक में भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार विजेता बने थे. दोनों को क्वांटम यांत्रिकी पर काम करने के लिए नोबेल मिला था.

    यह एक नई टूलकिट की खोज जैसा था जो कि तेजी से खोजों की उपज कर सकता था. जैसा कि एक वैज्ञानिक ने कहा: "औसत दर्जे के भौतिकविद भौतिकी की महान खोज कर सकते थे."

    यही कारण है कि शांति पुरस्कार विजेता उम्र बढ़ाने के चलन का विरोध करते रहे हैं. गुस्ताव कहते हैं कि अब यह पुरस्कार बहुत अलग है.

    "शांति पुरस्कार समिति और अधिक आधुनिक होने की कोशिश करती हैं. वे ये देखने के लिए इंतजार नहीं करते कि शांति के उपाय पूरी तरह से सफल होंगे."

    उदाहरण के लिए वह ये नहीं देखते कि इंडोनेशिया में प्रजातंत्र कब तक रहेगा.

    विज्ञान और मानवीय कार्यों में इन सब बदलावों के बावजूद एक चीज जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं, नोबेल पुरस्कार विजेता जबर्दस्त तरीके से पुरुष ही होंगे.

    तेजी से बढ़ती वैज्ञानिकों की जनसंख्या पुरस्कार के लिए विजेताओं को सालों का इंतजार कराएगी. इसका ये भी मतलब है कि मौजूदा समय में पुरूषों की तुलना में महिलाओं का असंतुलित अनुपात ये दिखाता है दशकों पहले दुनिया कैसी दिखती थी.

    विज्ञान के क्षेत्र में पुरुषों का प्रतिनिधित्व अभी भी काफी हैं, लेकिन जैसे ही विविधता में सुधार आता है और पुरस्कार के लिए बैकलॉग साफ होता है. तो शायद नोबेल पुरस्कारों में प्रतिनिधित्व में बराबरी एक वास्तविकता बन सकती है.

    नोबेल संग्रहालय ने बीबीसी को आश्वासन दिया है कि वहाँ के पैनल का जानबूझकर महिलाओं के काम को अनदेखा करने का कोई रिकॉर्ड नहीं हैं.

    जब 1903 में मैरी क्यूरी को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित नहीं किया गया तो उनके पति और विकिरण में संयुक्त शोधकर्ता ने इसका विरोध किया और पुरस्कार स्वीकार करने से मना कर दिया. बाद में पैनल ने उनका नाम देर से जमा किया 1902 का सबमिशन स्वीकार किया और वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला बन गई.

    अंजली – मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं जुगसलाई टाटानगर से इंद्रपाल सिंह भाटिया, इंद्रजीतकौर भाटिया, साबो भाटिया, सिमरन भाटिया, सोनक भाटिया, मनजीत भाटिया, बंटी भाटिया, जानी भाटिया, लाडो भाटिया, मोनी भाटिया, रश्मि भाटिया, पाले भाटिया आप सभी ने सुनना चाहा है ये रात फिर ना आएगी (1966) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले और मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं एस एच बिहारी और संगीत दिया है ओ पी नैय्यर ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. यही वो जगह है यही वो फ़िज़ाएं ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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