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    चीनी विश्वविद्यालय में स्थित पाक प्राइमरी स्कूल
    2016-10-27 19:56:59 cri

    विदेश में युवा मां-बाप हमेशा अपने बच्चों की शिक्षा पर बड़ा ध्यान देते हैं। चीन के प्राचीन शीआन के उत्तर-पश्चिमी उद्योग विश्वविद्यालय में उचित अंतर्राष्ट्रीय स्कूल की कमी के चलते यहां के पाकिस्तानी छात्र खुद बच्चों को शिक्षा देते हैं। विश्वविद्यालय के संबंधित विभागों की मदद से उन्होंने विदेशी छात्रों के अपार्टमेंट में शीआन अंतर्राष्ट्रीय आपसी सहायता स्कूल की स्थापना की। इस स्कूल में केवल दो कक्षाएं लगती हैं। कुल 15 छात्र यहां अध्ययन करते हैं। लेकिन यहां की शिक्षा का स्तर कमज़ोर नहीं है।

    छात्र:नमस्ते। नमस्ते, अध्यापक, नमस्ते

    अध्यापक:बैठो।

    छात्रः धन्यवाद।

    अध्यापकः संख्या सीखो, एक...दो...तीन...चार...

    छात्रः एक...दो...तीन...चार...

    अभी आपने सुना कि इस स्कूल में पाकिस्तानी बच्चे चीनी भाषा सीख रहे थे। अध्यापक का नाम है शमील फ़रहान। उनका चीनी नाम भी है श्या मिंगहान।

    शमील उत्तर-पश्चिमी उद्योग विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे हैं। तीन साल पहले वे अपनी पत्नी व दो बेटियों के साथ शीआन आए। शीआन आने से पहले वे अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर सबसे अधिक चिंतित थे। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय आपसी सहायता स्कूल देखते ही उनकी चिंता दूर हो गयी। शमील की दो बेटियां इस स्कूल में पढ़ रही हैं। वह भी शिक्षा कार्य में भाग लेते हैं।

    तीन साल पहले जब मैं यहां आया था, तो मेरी बड़ी बेटी स्कूल की पहली कक्षा में पढ़ती थी, और छोटी बेटी भी स्कूल में प्रवेश करने वाली थी। उत्तर-पश्चिमी उद्योग विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा कॉलेज प्रबंधन को इस बारे में पता है कि हम परिवार के साथ यहां आते हैं। लेकिन भाषा व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि कारणों से शीआन में हमारे बच्चों के लिये उचित स्कूल नहीं मिलता। इसलिये अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा कॉलेज ने हमारे लिये जगह देने की अनुमति दी। ताकि हम अपने बच्चों को खुद पढ़ा सकें। जिससे वर्ष 2010 में यह कॉलेज औपचारिक रूप से स्थापित हुआ। इस तरह मैं टीचर बना।

    शमील ने हमें बताया कि स्कूल में कुल दो कक्षाएं हैं। एक छोटे बच्चों के लिये, और एक बड़े बच्चों के लिये है। सभी प्राइमरी स्कूल की हैं। इसमें चीनी भाषा, अंग्रेजी, उर्दू, गणित, कंप्यूटर आदि शामिल हुए हैं। हम मानक शिक्षण सामग्री का प्रयोग करते हैं, ताकि बच्चे पाकिस्तान में वापस लौटकर वहां की शिक्षा से भी मेल खा सकें। उनके अलावा हर सेमेस्टर में हम अंतर्राष्ट्रीय स्कूल के विद्यार्थियों को आमंत्रित कर प्रतियोगिता व कार्यक्रम आदि गतिविधियों का आयोजन करते हैं। उन्होंने कहा,हम बच्चों के लिये ऑक्सफोर्ड पुस्तकों का इस्तेमाल करते हैं। कुछ बच्चे पाकिस्तान लौटे हैं। उन्हें पढ़ाई में कोई मुश्किल नहीं हुई। उदाहरण के लिये अंग्रेजी की क्लास में हमने बच्चों के लिये अंग्रेजी में भाषण प्रतियोगिता आयोजित की। बच्चे सभी तैयारी खुद ही करते हैं। उर्दू की क्लास में हम लिखने पर बड़ा ध्यान देते हैं। यहां तक कि पाक स्कूलों से भी गंभीर है।

    शमील अब शीआन अंतर्राष्ट्रीय आपसी सहायता स्कूल के प्रबंधक हैं। उन्होंने हमें बताया कि यह स्कूल बिना किसी लाभ के लिए चलाया जाता है। इसलिये अध्यापक बच्चों से कुछ नहीं लेते। वे केवल पुस्तकों का खर्च लेते हैं। निष्पक्षता के लिये स्कूल में अध्यापकों के प्रबंध में कुछ नियम शुरू हुए। उन्होंने कहा,हमने कुछ नियम बनाए। अगर किसी का एक बच्चा यहां शिक्षा लेता है, तो उसे कम से कम चार क्लास में पढ़ाना होगा। अगर दो बच्चे यहां शिक्षा लेते हैं, तो छह से आठ कक्षाएं देनी पड़ेंगी। अगर तीन बच्चे, तो आठ से 12 कक्षाएं तक लेनी पड़ सकती हैं।

    शमील ने कहा कि वर्तमान में शीआन में ऐसे स्कूल नहीं हैं। इसलिये कई पाकिस्तानी अपने बच्चों को यहां लाना चाहते हैं। लेकिन हमारा स्कूल बहुत छोटा है, इसलिये उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा सकता। अपने स्कूल के तरीके के बारे में शमील ने कहा,मैं यह कहना चाहता हूं कि एक तो एक है, पर दो एक ग्यारह बन सकेंगे। अगर मैं केवल घर में अपने बच्चों को शिक्षा देता हूं, तो शायद बहुत अच्छा नहीं होगा। पर यहां बच्चों को ज्यादा ज्ञान प्राप्त होगा। वे एक साथ पढ़ते हैं, खेलते हैं, और स्कूल जीवन बिताते हैं।

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