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    आपका पत्र मिला 2016-10-12
    2016-10-20 08:47:02 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओडिसा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 9 अक्तूबर को ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "सन्डे की मस्ती" के तहत 'सन्डे स्पेशल' में उत्तरी चीन के भीतरी मंगोलिया प्रान्त में रहने वाली आदिम जनजाति ओलनछुंग, जिसकी आबादी महज़ 8659 है, पर सपनाजी द्वारा पेश विशेष रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण लगी। सदियों से जंगल और पहाड़ों में रहने वाली चीन की इस अल्पसंख्यक जाति के लोग अव्वल दर्ज़े के घुङसवार और अचूक निशानेबाज़ होते हैं, पर ओलनछुंग भाषा की अपनी कोई लिपि न होने के कारण उसे अन्य भाषा-लिपि का सहारा लेना पड़ता है। कार्यक्रम में ओलनछुंग जाति की मोरिगन कला मण्डली तथा कू ली कस्बे की विशेषता पर भी महती जानकारी हासिल करने का मौक़ा मिला। सच कहूँ, तो मुझे ओलनछुंग और हमारे ओड़िशा प्रान्त के पश्चिमी हिस्से में रहने वाले 'कुई' जाति के लोगों में काफी साम्य नज़र आया, जो कि अब भी यहाँ जंगल और पहाड़ों में बसते हैं।

    कार्यक्रम में आगे चीन में एक गर्लफ्रैण्ड द्वारा हार्ले डैविडसन में सवार होकर अपने ब्वॉयफ्रैन्ड को प्रपोज करने की बात रईसों के चोंचले जैसी लगी। हाँ, मकान का किराया देने में असमर्थ दम्पत्ति द्वारा चौदह साल से गुफ़ा में रहते हुये अपने चार बच्चों की परवरिश करने की बात दमदार लगी। उस 77 / 81 वर्षीय दम्पत्ति को हमारा सैल्यूट। चीन ही में किसी स्थान पर मून बैलून के गिरने से दहशत फैलने की बात स्वाभाविक लगी। जर्मनी में नदी के ऊपर से नदी को गुज़ारने हेतु बनाया गया ख़ास ब्रिज आधुनिक इंजीनियरिंग की मिसाल कहा जायेगा। अखिलजी द्वारा पेश प्रेरक कहानी -'कुएं का मेंढ़क' वास्तव में, प्रेरक लगी। और हाँ, इस शुक्रवार रिलीज़ हुई हिन्दी फ़िल्म "तोतक तोतक तोतिया" की चर्चा के साथ उसका प्रोमो सुनवाया जाना हर बार की तरह हमारे सिने-ज्ञान में वृध्दि कर गया। जब कि हंसी की डबल-डोज़ में 'सब से चतुर जानवर हिरण होता है' तथा 'कल छुट्टी है कल छुट्टी है' चुटकुले डबल ही नहीं, ओवरडोज़ लगे। धन्यवाद् फिर एक शानदार प्रस्तुति के लिये। इसके साथ ही यह भी बतलाइएगा कि मेरी रोज़ाना की त्वरित टिप्पणी आपके लिये क्या महत्व रखती है। धन्यवाद्।

    रोज़मर्रा की चीनी-भाषा पाठ्यक्रम के तहत मैडम श्याओ थांग तथा राकेश वत्सजी द्वारा आज भी बैंक सम्बन्धी कुछ चीनी वाक्यों का अभ्यास कराया जाना अच्छा लगा। धन्यवाद्।

    हैया:सुरेश जी आगे लिखते हैं.... 8 अक्तूबर को साप्ताहिक "आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी लाज़वाब रहा। पंकज और अंजलि द्वारा श्रोताओं के पसन्दीदा फ़िल्म -तेरी क़सम, विधाता, बेमिसाल, डिस्को डान्सर, नमकीन तथा शौक़ीन के छह फड़कते हुये गानों के साथ दी गई जानकारी काफी उपादेय और ज्ञानवर्द्धक लगी। व्हाट्सएप्प के नये वीटा संस्करण के फ़ीचर्स की विशेषताओं के बारे में जान कर उस शख़्स के प्रति आभार प्रकट करने का मन हुआ, जिसने इस आले की ईज़ाद की। सचमुच, व्हाट्सएप्प के उपकारों का बदला हम कभी नहीं चुका सकते। इसी प्रकार गुणकारी हल्दी पर दी गई विस्तृत जानकारी भी जीवनोपयोगी कही जायेगी। हल्दी में एन्टीबायोटिक औषधीय गुणों के बारे में तो हमने सुना था, परन्तु इसकी वज़न नियंत्रित करने से लेकर अल्ज़ाइमर और कैंसर तक का ख़तरा कम करने की खूबियों के बारे में जानकारी आज के कार्यक्रम से हासिल हुई। धन्यवाद् इस महत्वपूर्ण प्रस्तुति के लिये।

    अनिल:सुरेश जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है पश्चिम बंगाल से मॉनिटर रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है..

    8वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन - भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए एक सुनहरा मौका

    दुनिया के पांच देशों के प्रभावशाली समूह, ब्रिक्स का आठवां सम्मेलन आगामी 15 और 16 अक्टूबर को भारतीय पर्यटन शहर गोवा में आयोजित होगा और इसकी अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच इस बार का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो गया है। इस सम्मेलन में सदस्य देश भारत, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रिका और ब्राजील के नेताओं ने हिस्सा लेंगे। भारत की अध्यक्षता में होने वाले इस सम्मेलन में भारत ने बिम्सटेक समूह (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) के देशों के नेताओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया है जिनमें बंगलादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाइलैंड है। ब्रिक्स समूह के पांच देशों का दुनिया की आबादी में 42 फीसदी हिस्सा है और इनका कुल सकल घरेलू उत्पाद 16,000 अरब डॉलर से अधिक है। होने वाली ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करेंगे। भारत और चीन के रिश्तों के लिहाज से यह बैठक अधिक महत्वपूर्ण होगा।

    अब ब्रिक्स समूह ने एक नई राजनीतिक-कूटनीतिक इकाई है जो ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के अलावा वैश्विक आर्थिक नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्तमान समय में बदलते आर्थिक हालात में ब्रिक्स समूह भूमंडलीय राजनीतिक और विश्व आर्थिक विकास के एक इंजन के रूप में देखा जाता है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के शब्दों में : "ब्रिक्स देश जी -20 के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। ब्रिक्स देश नवोदित बाजार देशों और विकासशील देशों के नेता हैं। हमें अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के अनुसार समन्वय और सहयोग को मज़बूत करना, एक साथ ब्रिक्स देशों और जी-20 दोनों महत्वपूर्ण मंचों के निर्माण, रक्षा और विकास अच्छी तरह से करना, अंतर्राष्ट्रीय मामलों में नवोदित बाजार देशों और विकासशील देशों की भूमिका ज्यादा से ज्यादा निभानी चाहिये।" बदलते आर्थिक हालात में ब्रिक्स के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा : "ब्रिक्स देश अंतरराष्ट्रीय मामलों में महत्वपूर्ण और रचनात्मक भूमिका निभा रहे हैं। भारत ब्रिक्स सहयोग व्यवस्था पर बड़ा ध्यान देता है"। भारत और चीन पड़ोसी हैं, बड़े विकासशील देश भी हैं। ब्रिक्स देश विश्व की आर्थिक वृद्धि का अहम इंजन हैं। 28 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की महानिदेशक क्रिस्टीना लगार्ड (Christine Lagarde ) ने कहा कि चीन ने श्रेष्ठ नेतृत्व करके जी-20 हांगचो शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन किया, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में सक्रिय शक्ति डाली गई।उन्होंने कहा कि चीन और भारत की आर्थिक वृद्धि अच्छी है। अनुमान है कि इस साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6 प्रतिशत होगी और भारत की वृद्धि दर 7 प्रतिशत तक पहुंचेगी। ब्राजील, रूस की अर्थव्यवस्था बहाल होने के आसार नजर आ रहे हैं। इस भविष्यवाणी से हम आशा करते हैं कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग दोनों देश के बीच आर्थिक सहयोग को और मजबूत कर संबंधों का नया अध्याय जोड़ेंगे। भारत और चीन के बीच सहयोग दोनों देशों की जनता के हितों के लिए लाभकारी होगा।

    भारतीय विदेश मंत्रालय के न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, गोवा शहर आठवां ब्रिक्स सम्मेलन के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत ने ब्रिक्‍स की अध्यक्षता रूस से इस साल के 15 फरवरी को ग्रहण की जो 31 दिसंबर तक बरकरार रहेगी। इस बार के ब्रिक्स सम्मेलन की थीम है, 'उत्तरदायी, समावेशी तथा सामूहिक समाधान निरूपित करना'। सम्मेलन का प्रतीक चिह्न कमल है, जिसमें सभी पांच देशों के रंग हैं और इसके बीच में पारंपरिक नमस्ते लिखा है। भारत अपनी ब्रिक्स अध्यक्षता के दौरान पंचमुखी दृष्टिकोण अपनाएगा :1. ब्रिक्स देशों के बीच मजबूत संबंध और उसे बनाये रखने के लिये संस्थागत व्यवस्था, 2. जो वर्तमान में सहयोग तंत्र है उसका एकीकरण, 3. नये सहयोग तंत्र विकसित करना, 4. मौजूदा सहयोग तंत्र का एकीकरण और 5. निरंतरता सम्मत मौजूदा ब्रिक्स सहयोग तंत्रों को जारी रखना। इस सम्मेलन का उदेश्य ब्रिक्स सदस्य देशों के लोगों के बीच आपसी संबंध बढ़ाने पर केंद्रित होगा। इस संदंर्भ में भारत ने युवा शिखर सम्मेलन, फिल्म महोत्सव, और अंडर 17 फुटबॉल टूर्नामेंट की योजना बनाई है। हमने देखा है कि मेजबान देश के रूप में इस वर्ष भारत ब्रिक्स ढांचे के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और चीन ने सक्रिय रूप से उनमें भाग लिया है।

    ब्रिक्स ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका का संयुक्त मंच है। ब्रिक्स का आइडिया सबसे पहले इनवेस्ट बैंक गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) के चेयरमैन जिम ओ नील (Jim O'Neill) ने 2001 में दिया था।अब तक सात ब्रिक्स सम्मेलन हो चुके हैं।16 जून 2009 को पहला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन रूस के येकेटरिनबर्ग शहर (Yekaterinburg) में हुआ।दूसरा सम्मेलन साल 2010 में ब्राजील में हुआ। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तीसरी बैठक 2011 में चीन के हाइनान प्रांत के सानया शहर में आयोजित हुई। इस सम्मेलन में दक्षिण अफ्रिका को आधिकारिक तौर पर इस संगठन का सदस्य बनाया गया था। दक्षिण अफ्रिका के इस मंच में शामिल होने से यह सही रूप में विश्व मंच बन गया है। चौथा (2012) भारत, पांचवां (2013) दक्षिण अफ्रीका, छठा (2014) ब्राजील, जुलाई 2015 में 7वां ब्रिक्स शिखर-सम्मेलन रूस के उफा नगर में आयोजित किया गया था। अगले साल, चीन 9 वीं ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में ब्रिक्स देशों के पांचों देश की हिस्सेदारी 21 फ़ीसदी के करीब है। बीते 15 सालों में दुनिया भर की जीडीपी में इनकी हिस्सेदारी तीन गुना बढ़ी है। ब्रिक्स देशों में दुनिया भर की करीब 43 फ़ीसदी आबादी रहती है।ब्रिक्स देशों के पास कुल मिलाकर करीब 44 खरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है।ब्रिक्स देशों के बीच आपसी कारोबार लगभग 300 अरब डॉलर तक पहुँच गया है।

    दो बड़े पड़ोसी देशों के रूप में भारत और चीन ब्रिक्स देशों के भीतर दो सबसे महत्वपूर्ण शक्तियां हैं।दोनों देश अब दुनिया के लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्य है। हाल के वर्षों में भारत -चीन संबंधों का बेहतर विकास हुआ है। गत् 13 अगस्त को दिल्ली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की। वांग यी ने कहा कि हाल ही में चीन-भारत संबंध बेहतर हुए हैं। दोनों देशों के नेताओं की आपसी आवाजाही के जरिए द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा दिया गया। चीन और भारत के बीच मतभेद की तुलना में समान हित अधिक हैं। विश्व शांति और विकास को बनाए रखने के लिए चीन और भारत की समान जिम्मेदारी है। चीन भारत को अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में और सकारात्मक भूमिका निभाने का समर्थन देता है। मोदी ने कहा कि भारत चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बहुत महत्व देता है। उन्होंने माना कि भारत और चीन के बीच सहयोग बढ़ने से विकासशील देशों को प्रोत्साहन मिलेगा।

    वहीं 4 सितम्बर को जी-20 के नेताओं की बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी चिनफिंग के बीच हांगचो वेस्ट लेक स्टेट गेस्टहाउस में एक द्विपक्षीय बैठक हुई। बीबीसी हिंदी न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार (5 सितंबर 2016), दोनों नेताओं के बीच इस बैठक में पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध किए जाने, चीन द्वारा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता रोकी जाने और 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का कई विवादित मुद्दों पर चर्चा हुई।मोदी ने शी चिनफिंग से कहा कि आप विश्व का नेतृत्व तो करना चाहते हैं। लेकिन जहां चरमपंथ का सवाल है, ख़ासकार जिस देश के साथ आपके सबसे घनिष्ठ संबंध है, वहां से जो चरमपंथ आ रहा है उस पर आप कुछ नहीं कर रहे हैं। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत उनके लिए बहुत अहम और इस क्षेत्र का सबसे बड़ा देश है और उसकी बात को हम गंभीरता से लेते हैं।

    बहरहाल गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन और भारत-चीन शिखर वार्ता पर दुनिया की नजर बनी रहेगी। हम आम लोगों का मानना है कि भारत और चीन को आपसी लाभ के लिए एक दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए। हां ,यह बिलकुल सच है कि कि दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद हैं, यहां तक प्रादेशिक भूमि या सीमा विवाद मौजूद हैं। गत 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना की छावनी पर हुए आतंकवादी हमले के पृष्ठभूमि में हर साधारण भारतवासी चाहता है कि आतंकवाद के खतरे को खत्म करने के लिए चीन को भारत के साथ खड़ा होना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में चीन का भारत के साथ हाथ मिलाने का अपना असर होगा। ब्रिक्स का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है लेकिन जिस प्रकार से आतंकवादियों ने भारतीय सेना के उरी स्थित सैन्य शिविर पर धोखे से हमला करके 20 जवानों को मार दिया, इस पर भी प्रमुखता से चर्चा की संभावना है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी आतंकवाद के विरुद्ध ब्रिक्स सदस्य देशों का समर्थन किया है। इस सम्मेलन में 'आतंकवाद' और पाकिस्तानी घुसपैठ के खिलाफ नये विगुल फूंके जाने की पूरी संभावना है।

    हैया:बसु जी आगे लिखते हैं....भारत-चीन संबंध 21वीं सदी में सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक हैं। एक आम भारतीय के रूप में मैंने देखा है कि दो साल पहले नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत -चीन द्विपक्षीय संबंधों के अनेक क्षेत्रों में सहयोग के एक नए स्तर शुरू हुआ है। मोदी ने सक्रिय रूप से भारत और चीन के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दे रहा है। कई चीनी कंपनियों और स्थानीय सरकारों ने सक्रिय रूप से "मेक इन इंडिया", "स्मार्ट सिटी", "स्किल इंडिया" और "स्वच्छ भारत " जैसे कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। 500 से अधिक चीनी कंपनियों ने भारत में बिजली, दूरसंचार, पुल व मार्ग, रेल परिवहन, हवाई अड्डे और बंदरगाह जैसे बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में पूंजी निवेश किया है। एशिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के हितों को ध्यान में रखकर सहयोग बढ़ा रही हैं। भारत और चीन की आर्थिक वृद्धि दर अपेक्षाकृत तेज हैं। वित्तीय संकट में हुए परिवर्तनों की परीक्षाओं में खरे उतर चुके हैं। विश्व की आर्थिक वृद्धि को बढाने का इंजन बन चुके हैं। आशा है कि ब्रिक्स सम्मेलन से हमारे दोनों देशों के शीर्ष नेताओं को आम जनता के बीच स्थायी दोस्ती बनाने के कोशिश करना चाहिए क्योंकि हम दोनों देशों के जनता आम पहाड़ों और नदियों से जुड़े हुए हैं।हम, भारत और चीन के आम लोगों ने चाहते है भारत-चीन मैत्री सदा रहे- ZHONG GUO-YINDU YOU HAO WAN SUI 中国-印度 友好万岁 !!!

    अनिल:दोस्तो, हाल ही में भारत में 'चीन पर्यटन वर्ष'के उपलक्ष्य में सीआरआई ने 'मैं और चाइना'शीर्षक लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया। कई लोगों ने हमें ईमेल और पत्र भेजे। पिछले सप्ताह की तरह इस बार के आपका पत्र मिला कार्यक्रम के अंत में हम लेख शामिल करेंगे। अगला लेख है ओडिसा से सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है......

    भारत में "चीन पर्यटन वर्ष" महोत्सव-2016 के उपलक्ष्य में चाइना रेडियो इन्टरनेशनल द्वारा आयोजित "मैं और चाइना" शीर्षक रचनाओं की प्रतियोगिता में भाग लेते हुये मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। क्यों कि आप मुझे चीन-यात्रा का मौक़ा दे चुके हैं, इसलिये मैं अपनी उसी यात्रा को केन्द्रित कर "मेरी चीन यात्रा" विषय पर अपने अनुभव साझा करते हुये प्रतियोगिता हेतु अपनी प्रविष्टि प्रेषित कर रहा हूँ। धन्यवाद।

    तेरह नवम्बर 2015 की तिथि मेरे जीवन की एक यादगार घटना के तौर पर सदैव के लिये अंकित होकर रह गयी है। जी हाँ, इसी दिन चाइना रेड़ियो इण्टरनेशनल के आमंत्रण पर मुझे चीन जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। चार दशक से लगातार सीआरआई हिन्दी से जुड़ा होने के कारण चीन के बारे में यूँ तो मुझे बहुत सी बातों की जानकारी थी, फिर भी एक नया देश और उसकी आब-ओ-हवा को देखने, जानने की गहन उत्कण्ठा मन में बनी थी। साथ में थीं कुछ भ्रान्तियाँ भी। चीन जाने से पूर्व उसकी जो तस्वीर ज़हन में उभर रही थी और जो मिथक मन में पल रहे थे, वहां पहुँचने के बाद उन सभी का अवसान घटित हो गया।

    जहाँ एक ओर चीन देखने की उत्कट इच्छा थी, तो वहीं दूसरी ओर वहां की भाषा और खान-पान की समस्या मन में अनेक प्रश्न खड़े कर रही थी। अन्ततः साढ़े पांच घण्टे की लम्बी उड़ान के बाद विमान शांगहाई के पुदोंग हवाई अड्डे पहुंचा, जहाँ से उड़ान बदल कर मुझे पेइचिंग जाना था। सुरक्षा जाँच आदि की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद स्थानीय समयानुसार दोपहर बाद 2.25 बजे उड़ान में सवार होकर पेइचिंग पहुंचा तो शाम के चार बज चुके थे और काफी सर्दी महसूस होने लगी थी। अब जो बात मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ, वह पेइचिंग में कदम रखते ही मेरी चीन यात्रा का ऐसा अनुभव है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। नई दिल्ली से उड़ान भरते समय मैं ने लगेज तौर पर जो ट्रॉली-बैग ज़मा कराया था, किसी ग़लतफ़हमी के चलते वह शांगहाई से पेइचिंग हेतु बदली गई उड़ान में नहीं रखा गया और पेइचिंग पहुँचने पर जब मुझे मेरा सामान नहीं मिला, तो मैं कितना हैरान-परेशान था, बयान करना मुश्किल है। मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था कि क्या किया जाये। तभी मन में ख्याल आया कि क्यों न हिन्दी विभाग के किसी सहयोगी को फ़ोन किया जाये। मैंने एयरपोर्ट पर एक सम्भ्रान्त चीनी महिला से एक फ़ोन कॉल मिलाने का आग्रह किया, तो वह तुरन्त सहमत हो गयी और मैंने हिन्दी विभाग के सहयोगी को पूरा माज़रा कह सुनाया। सहयोगी ने बतलाया कि श्याओ थांग जी बाहर आपका इन्तज़ार कर रही हैं, आप तुरन्त उन से मिल लीजिये। प्रश्न उठता है कि यदि वह सम्भ्रान्त चीनी महिला सहयोग न करतीं तो न जाने मुझे और कितना परेशान होना पड़ता ! मैं ने तो उन भद्र महिला का शुक्रिया भर अदा किया और वह मुस्कुरा कर चल दीं। मैंने उनके चेहरे पर अहसान नहीं, संतोष का भाव देखा।

    तनाव के इन क्षणों में एयरपोर्ट पर मुझे जो सहयोग मिला, उसे भी शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिये सम्भव नहीं और चीन के प्रति मन में समायी पहली भ्रान्ति यहीं टूट गयी। मैं प्रशंसा करना चाहूँगा एयरपोर्ट कर्मचारियों और अधिकारियों की, जो कि भाषा कठिनाई के बावज़ूद मेरी बात पर पूरा ध्यान दे रहे थे और जिन्होंने मेरी शिकायत पर तुरन्त शांगहाई एयरपोर्ट से सम्पर्क स्थापित कर मेरा सामान वहां सुरक्षित होने की पुष्टि की। यहाँ मैं इतना स्पष्ट ज़रूर करना चाहूँगा कि यदि इस काम में चाइना रेडियो की ओर से मुझे एयरपोर्ट लेने पहुंचीं मैडम श्याओ थांग जी मदद न करतीं, तो शायद ही मुझे मेरा खोया सामान मिल पाता ! एयरपोर्ट अधिकारी पूरा सहयोग कर रहे थे, परन्तु चीनी भाषा न आने के कारण मैं उन्हें अपनी बात सही ढंग से नहीं समझा पा रहा था, इसलिये बात आगे नहीं बढ़ पा रही थी। श्याओ थांग जी ने पूरी बात समझायी, तो समस्या सुलझ गयी और मैं ख़ुशी-ख़ुशी उनके साथ अपने होटल की ओर चल दिया। यहाँ पहुँच कर मैंने यह भी अनुभव किया कि चीन में केवल अंग्रेज़ी भाषा से काम नहीं चलाया जा सकता और चीनी लोग अपनी भाषा से बहुत प्यार करते हैं।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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