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    आपका पत्र मिला 2016-10-05
    2016-10-20 08:46:56 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, पश्चिम बंगाल से मॉनिटर रविशंकर बसु का। उन्होंने लिखा है......

    क्या हुआ था वह इतिहास नहीं है बल्कि जो हुआ था इतिहास उसकी कहानी है। इतिहास काल का वह दर्पण है जहां हम अतीत को वर्तमान में देखते हैं। इतिहास एक विषय नहीं अपितु अस्तित्व बोध है, जहां अतीत वर्तमान में जीवित है और इतिहास का विषय मृत्यु नहीं है ,जीवन है। इतिहास हमें "अतीत में ले जाकर, भविष्य के प्रति सचेत रहने का संदेश देता है।" दरअसल, अगर हम इतिहास से कुछ सीखना चाहते है तो इतिहास हमें राष्ट्र की वर्तमान स्थिति को देखने के लिए मदद करते है साथ ही हमें बेहतर भविष्य के लिए योजना बनाने में बुद्धिमान मार्गदर्शन दे सकते हैं। जब मैं एक माध्यमिक स्कूल में छात्र था तब मैंने अपनी किताब में ऐतिहासिक लांग मार्च के अनकही कठिनाई और बलिदान के बारे में पढ़ा था और उस समय लांग मार्च के Golden Fishing Hook की कहानी पढ़कर मैं आंसू रोक नहीं पाया। चेयरमैन माऔ त्से तुंग ने लांग मार्च के असाधारण अभियान में लाल सेना का नेतृत्व किया। मशहूर लाल सेना ने 8000 मील (12,500 किलोमीटर ) का अभियान किया। पिछली शताब्दी के लांग मार्च की महिमा, कठिनाई और बलिदान चीनी लोगों के सामूहिक स्मृति में आज भी बरकरार है। इस साल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में लाल सेना की लांग मार्च की जीत की 80 वीं वर्षगांठ है जो ऐतिहासिक दृष्टि से चीन के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। जब हम 80 वर्ष पहले दो साल के लंबे इस ऐतिहासिक घटना को देखते है, यह हमारे लिए आज कल्पना करना लगभग असंभव है कैसे माओ त्से तुंग के नेतृत्व में चीनी सैनिक ,गरीब किसान और मजदूरों ने 1934 से 1936 के दौरान जापानी आक्रमणकारियों का मुकाबला करने और देश की घरेलू सैन्य शक्तियों के बीच अनावश्यक लड़ाई से बचने के लिए सभी प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति से सम्पन्न थे। निस्संदेह अभी भी लांग मार्च का सहयोग और निर्भयता की भावना एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता है।

    अमेरिकी पत्रकार हैरिसन इवांस सेलिसबरी ने कहा कि "1934 के चीन का लांग मार्च कोई प्रतीक नहीं था। यह एक महान मानव महाकाव्य जो चीनी लाल सेना के पुरुषों और महिलाओं की इच्छाशक्ति, साहस और ताकत का परीक्षण था।" 80 साल पहले, चीनी लाल सेना ने लांग मार्च जीता। 10 अक्टूबर, 1934 को चीनी लाल सेना दक्षिण पूर्वी चीन के च्यांग शी प्रांत के Ruijin में अविश्वसनीय लांग मार्च शुरू किया और दो साल बाद यह अभियान 12,500 किलोमीटर लंबी दूरी तय करने के बाद उत्तर चीन के शान शी प्रांत में समाप्त हुआ। सभी के लिए समानता के आदर्श से प्रेरित होकर, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के माओ त्से तुंग ,चाओ एन लाई आदि नेताओं के नेतृत्व में हजारों हजारों किसानों ने एक प्राचीन कठोर वर्ग प्रणाली के उन्मूलन और एक भ्रष्ट सरकार को हटाने के अभियान में हिस्सा लिया। इस असाधारण अभियान के दौरान, लाल सेना के सैनिकों न केवल क्वोमिंगतांग(Kuomintang) सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी ,बल्कि वे दिन और रात प्राकृतिक कठिनाई से भी लड़ाई लड़ी। लाल सेना के सामने जब-जब मुश्किलें आई, चेयरमैन माओ ने आगे बढ़कर उसका नेतृत्व किया। इसके कारण कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों का भी उन्हें पूरा समर्थन मिलने लगा। लांग मार्च की शुरुआत में चीनी जन मुक्ति सेना में लगभग 2 लाख सैनिक थे, जबकि लांग मार्च के बाद लाल सेना में केवल 20 या 30 हजार सैनिक ही बचे। कई ने लांग मार्च के दौरान अपनी जान न्योछावर कर दी। लांग मार्च के दौरान, माओ त्से तुंग ने बार-बार सैनिकों की मृत्यु और आम जनता के गहरे प्रेम की भावना से अभिभूत होकर अनेक कविताएं लिखी थी। माओ ने लिखा है: "... . लांग मार्च के बिना कैसे व्यापक चीनी जनता इतनी जल्दी अस्तित्व के महान सत्य के बारे में सीखा जा सकता था जो लाल सेना ने रोपन किया था ? लांग मार्च एक बीज बोने की मशीन भी है। ग्यारह प्रांतों में कई बीज बोये गये , जो अंकुरित होंगे और भविष्य में फसल निकलेगी।"

    लांग मार्च की विजय चीनी क्रांति और चीनी राष्ट्र के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखी गई है। 80 से ज्य़ादा वर्ष चीनी लोगों ने अविस्मरणीय लांग मार्च की कहानी को एक प्रेरणा शक्ति के रूप में देखा है। वर्ष 1949 में नए चीन की स्थापना के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की शक्ति और लचीलापन के लिए लांग मार्च को एक प्रतीक के रूप में माना जा रहा है। पूर्व चीनी राष्ट्रपति हू चिन थाओ के मुताबिक, लाल सेना के लांग मार्च कम्युनिस्ट पार्टी, सेना और चीनी राष्ट्र के विकास के लिए महान और गहरा महत्व है। चीन की नई पीढ़ी के नेता ,वर्तमान चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग कम्युनिस्ट मूल्यों और विचारधारा जो लांग मार्च से प्राप्त हुआ ,उसको बढ़ावा देते है। उन्होंने कहा कि चीन की विभिन्न जातियों की जनता को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में मार्क्सवादी, माओ त्सेतुंग विचार और तंग श्याओफिंग विचारधारा, तीन प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण विचारधारा और वैज्ञानिक विकास की विचारधारा पर बने रहकर चीनी विशेषता वाले समाजवाद की राह पर चलते रहना होगा। राष्ट्रपति शी चिन फिंग राष्ट्रीय शक्ति और समृद्धि के लिए एक "चीनी सपना" की घोषणा की है और वह कम्युनिस्ट विचारधारा की पुनरुद्धार करने में लांग मार्च की कई स्थलों का दौरा भी किया। एक "चीनी सपना" एक ऐतिहासिक अनुभव है जो असंख्य निजी बलिदान की कीमत पर हासिल हुआ है।

    हैया:बसु जी आगे लिखते हैं.... 80 साल विश्व को यह याद दिलाते हैं कि लांग मार्च वास्तव में हुआ था, और यह केवल एक किंवदंती या कहानी नहीं थी। लांग मार्च के दौरान जो बीज लाल सेना ने बोये थे उनके फल आधुनिक चीन में मिल रहे हैं। चीनी लाल सेना के लांग मार्च की भावना ने चीनी लोगों में कड़ी मेहनत से काम करने की भावना जागृत की। चीन की वर्तमान प्रगति लांग मार्च की विरासत है जो आज के चीन में हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है। लाल सेना के सैनिकों के बलिदान की कहानियां आज बारीकी से चीनी स्कूलों में पढ़ायी जाती हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उसके नेताओं ने पश्चिमी देशों द्वारा चीन के चारों ओर बनवाये "bamboo curtain" को नीचे उतारने के लिए मजबूर कर दिया है। वर्तमान में दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चीन को एक सम्मानित और प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में स्वीकार किया जो चीन की ताकत का एक संकेत है। पिछले कुछ वर्षों में चीन के आर्थिक व सांस्कृतिक कार्य में तेज़ प्रगति आई। वर्ष 2003 में चीन का प्रथम समानव अंतरिक्ष यान शङचो नम्बर पांच का प्रक्षेपण,वर्ष 2008 में पेइचिंग ओलंपिक के सफल और बेहतरीन आयोजन, और 2016 में "लांग मार्च नम्बर 7" रॉकेट का सफल प्रक्षेपण चीनी लोगों की राष्ट्रीय गौरव का प्रदर्शन था जो लांग मार्च की भावना का सुदूर प्रसारी परिणाम है। मई 2008 में आये सछ्वान प्रांत में विनाशकारी भूकंप हमारे दिल को झटका दिया लेकिन उस समय भूकंप पीड़ितों के प्रति हरेक चीनी ने अभूतपूर्व संवेदना प्रकट की और उन्हें सहायता देने के लिए अपनी शक्ति अर्पित की थी जो लाल सेना की भावना के साथ एकजुट हुआ।

    हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि युद्ध का इतिहास समय बीतने के साथ फीका हो जायेगा लेकिन लांग मार्च में भाग लेने वाले लोगों की अदम्य भावना हमेशा ताज़ा रहेगी। लांग मार्च न केवल चीनी जनता के दिलों में बसा हुआ है, बल्कि दुनिया भर में भी प्रशंसनीय है। वैश्वीकरण के इस युग में,अभी भी चीनी जनता एक "सुंदर चीन" के निर्माण के लिए लाल सेना के लांग मार्च से साहस, शक्ति और ज्ञान प्राप्त करती है और वही स्वर्गीय महान नेता माओ का सपना था।

    अनिल:लीजिए अब पेश है ओडिसा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का पत्र। उन्होंने लिखा है..

    1 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद आज मैंने त्वरित टिप्पणी के बजाय सीआरआई हिन्दी की वेबसाइट लगी उस रिपोर्ट पर अपने विचार प्रेषित करना उचित समझा, जिसमें भारत स्थित चीनी दूतावास द्वारा 30 सितंबर की रात दिल्ली के ली मेरिडियन हॉटल में चीन की स्थापना की 67वीं वर्षगांठ मनाने और चीनी राजदूत लुओ जाओ हुई के पद संभालने के सत्कार समारोह का आयोजन था। उक्त समारोह में भारतीय पक्ष की तरफ से मुख्य अतिथि रहे भारतीय युवा व खेल मामलों के मंत्री विजय गोयल ने भाषण दिया। कार्यक्रम में लगभग 550 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिससे यह ज़ाहिर होता है कि चीन के नये राजदूत का भारत में कितनी गर्मजोशी से स्वागत किया गया है।

    राजदूत लुओ जाओ हुई ने भारत में आये बड़े बदलावों पर विचार व्यक्त करते हुये अपने उद्बोधन में पिछले कुछ वर्षों में चीनी आर्थिक समाज में प्राप्त नयी उपलब्धियों का भी परिचय दिया। उन्होंने कहा कि पिछले 20 से अधिक वर्षों में भारत में बड़ा बदलाव आया है। चीन और भारत के बीच संबंध का भविष्य काफी उज्ज्वल है। इस अवसर पर चीनी उप राजदूत ल्यू जिनसोंग ने चीन की आर्थिक स्थिति और मौजूदा चीन-भारत संबंध का परिचय दिया।

    भारतीय मंत्री विजय गोयल ने भाषण दिया और चीन की स्थापना की 67वीं वर्षगांठ पर बधाई दी। साथ ही उन्होंने चीन और भारत के बीच संबंधों का सकारात्मक मूल्यांकन किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच और घनिष्ट विकास भागीदारी के संयुक्त निर्माण के लिये भारत चीन के साथ प्रयास करना चाहता है। दोनों पक्षों के इतने आशावादी विचार सुन कर मन प्रसन्नता से भर गया। आशा है कि नये राजदूत के कार्यकाल में चीन-भारत नई ऊँचाइयों पर पहुंचेंगे। धन्यवाद्।

    अनिल:दोस्तो, हाल ही में भारत में 'चीन पर्यटन वर्ष'के उपलक्ष्य में सीआरआई ने 'मैं और चाइना'शीर्षक लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया। कई लोगों ने हमें ईमेल और पत्र भेजे। पिछले सप्ताह की तरह इस बार के आपका पत्र मिला कार्यक्रम के अंत में हम लेख शामिल करेंगे। अगला लेख है पश्चिम बंगाल से उदित शंकर बसु का। उन्होंने लिखा है......

    चीन की महान मूथ्यानयू लम्बी दीवार पर चढ़ाई : एक रोमांचक अनुभव

    नमस्कार। मैं उदितशंकर बसु कक्षा आठ में पढ़ता हूं। मेरी उम्र 12 वर्ष है। पिछले 26 जून से 2 जुलाई तक चीनी विदेश मंत्रालय के निमंत्रण पर मैं अपने माता पिता के साथ 7 दिनों की चीन यात्रा पर गया था। यात्रा के दौरान, मुझे दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग शहर स्थित शीलिन स्टोन फोरेस्ट यानि पत्थरों का जंगल (Shilin Geopark) ,वेस्ट माउंटेन ड्रैगन गेट (West Mountain Dragon Gate), तियांची लेक (Dianchi Lake) के अलावा चीन की राजधानी पेइचिंग स्थित समर पैलेस,फॉरबिडेन सिटी,बर्ड्स नेस्ट स्टेडियम,वॉटर क्यूब,थ्येनआनमन चौक,लम्बी दीवार,स्वर्ग मंदिर,मिंग राजवंश का समाधि ,कैपिटल म्यूजियम का दर्शन करने का मौका मिला।

    यहां मैं चीन की महान मूथ्यानयू दीवार ((Mutianyu) घूमने का मेरा अनुभव बता रहा हूं। हम लोग 1 जुलाई,2016 सुबह पेइचिंग की मूथ्यानयू दीवार घूमने गए थे। मूथ्यानयू ग्रेट वाल सुंदर वास्तुकला और वनाच्छादित परिदृश्य के लिए जाना जाता है। महान दीवार को चीनी भाषा में छांग-छंग (changcheng) कहते हैं। इस विशाल दीवार को देखकर मन में शांति और खुशी का एहसास होता है। राजधानी पेइचिंग के उत्तर पूर्व करीब 45 मील दूर पहाड़ पर मूथ्यानयू दीवार स्थित है जो चीन की गौरवशाली सभ्यता- संस्कृति का प्रतीक है और विश्व भवनों के करिश्मों में भी एक है। मैंने सी आर आई के प्रोग्राम के माध्यम से दुनिया की सबसे लंबी दीवार ग्रेट वाल ऑफ चाइना के बारे में बहुत कुछ सुना है; मैंने यह भी सुना है कि चांद से भी विशाल दीवार को देखा जा सकता है। लेकिन 1 जुलाई को इस विशाल दीवार को खुद आँखों से देखा और चढ़ा जिसका अनुभव मेरे लिये बहुत अच्छा रहा।

    1400 साल पहले मूथ्यानयू दीवार उत्तरी छी राजवंश (Northern Qi Dynasty ) द्वारा बनायी गयी थी।

    यह दीवार मिंग राजवंश के समय में मजबूत की गयी। मूथ्यानयू लंबी दीवार को 1983 में पुनर्निर्मित किया गया था और चीन सरकार द्वारा 1987 में चीन में सबसे सुंदर 16 स्थानों में एक के रूप में नामित किया गया। मेरे पापा ने मुझे बताया कि राजधानी पेइचिंग के यानछिंग क्षेत्र में स्थित पातालिंग लंबी दीवार की तुलना में मूथ्यानयू दीवार में कम भीड़ है और चलने के लिए आसान है।

    बस से जैसे ही हमें महान दीवार दिखाई दी वैसे ही हम सभी उत्साह से भर उठे और अपने कैमरों में इस दीवार के फोटों खींचने शुरु कर दिया। मैं जब पहाड़ियों के ऊपर स्थित केबल कार (cable car) से जा रहा था तब मुझे बहुत डर लग रहा था। केबल कार से वहां जाना बहुत ही जोखिम भरा काम है। लेकिन दीवार पर पहुंचने के बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मूथ्यानयू दीवार के दृश्य बहुत ही शानदार हैं। हर पहाड़ी की चोटी, पास या दूर, दीवार का एक टुकड़ा है अविश्वसनीय लग रहा था। मैंने जगह जगह दीवार पर वॉच टावॅर (watch tower) देखा ; पापा ने मुझे बताया कि प्राचीन समय में सैन्य टुकड़ियों में संदेशों का आदान-प्रदान करने और दुश्मनों की हलचल पर नज़र रखने के उद्देश्य से बुर्ज और बैरकों का निर्माण किया गया था। एक वॉच टावॅर दूसरे वॉच टावॅर से बहुत दूर है। मूथ्यानयू दीवार पर लगभग 23 वॉच टावॅर है। मिट्टी और पत्थर से बनी दीवार के सीढ़ियों पर दौड़ते हुए मैं दीवार की कुछ ऊंचाई वाली जगह पर चला गया। यह सोच कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि मैं चीन की महान दीवार पर खड़ा हूं।

    हैयाः आगे लिखते हैं कि पूरी मूथ्यानयू दीवार 2.2 किलोमीटर लंबी है। आम तौर पर मूथ्यानयू की सतह चिकनी है। दीवार पर मेरे पापा की सांसें फूल गयी। हम लोग महान दीवार से स्लाइडिंग के ज़रिये नीचे आये । toboggan एक अल्युमीनियम धातु ट्रैक है जिससे दीवार से नीचे आया जा सकता है। 1998 में टोबोग्गन सवारी शुरू हुआ थी। इसकी कुल लंबाई 1580 मीटर है और यह एक सांप की तरह लगता है।

    वाकई टोबोग्गन बहुत मज़ेदार और सुरक्षित है और निश्चित रूप से दीवार पर अपनी यात्रा समाप्त करने के लिए सही तरीका है। यह एक बहुत लंबा स्लाइड है और सुपर फास्ट भी है। लेकिन मेरे आगे एक व्यक्ति की वजह से मुझे अपनी गति धीमी करनी पड़ी थी। टोबोग्गन की सवारी से पहले मुझे लग रहा था कि यह बहुत ही खतरनाक है लेकिन असल में वह बहुत ही सुंदर और आनंददायक था। मेरी चीन की महान दीवार की यात्रा मेरी जिंदगी का अविस्मरणीय याद बनकर रहेगा।चीन यात्रा का आनंद लेने का मौका देने के लिए हम सभी चीन सरकार के आभारी हैं।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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