विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में कहा कि विश्व में 10 लोगों में 9 लोग खराब हवा में सांस लेते हैं। हर साल 60 लाख से ज्यादा मौतों के मामले वायु प्रदूषण से संबंधित हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल के 27 सितंबर को जारी एक रिपोर्ट में बताया कि पृथ्वी पर 92 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के निवास स्थान में वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किये गये न्यूनतम स्तर से अधिक है। उल्लेखनीय बात यह है कि शहरों में वायु प्रदूषण अति गंभीर है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी वायु गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं है।
इस रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण से 90 प्रतिशत के मृतक मामले मध्यम व नीची आमदनी वाले देशों में हुए हैं, जो मुख्यतः मलेशिया व वियतनाम जैसे दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत सागर क्षेत्रीय देश हैं।
आंकड़े बताते हैं कि विश्व में हर साल 60 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह वायु प्रदूषण से संबंधित है। खुले स्थानों में वायु प्रदूषण घरेलू वायु प्रदूषण से कहीं गंभीर रहा है। हर साल करीब 30 लाख से ज्यादा लोग बाहरी वायु प्रदूषण से मरते हैं।
लेकिन घरेलू वायु प्रदूषण की समस्या कुछ अपेक्षाकृत गरीब विकासशील देशों में भी बहुत गंभीर रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सार्वजनिक स्वास्थ्य व पर्यावरण ब्यूरो के प्रधान नाइरा ने वक्तव्य जारी कर कहा कि गरीब देशों में वायु गुणवत्ता विकसित देशों से और खराब है, लेकिन वायु प्रदूषण विश्व के सभी देशों के हरेक सामाजिक वर्ग पर असर डाल सकता है। नाइरा ने विभिन्न देशों से सड़कों पर गाड़ियों की संख्या को कम करने, कचरे के प्रबंधन में सुधार करने, स्वच्छ गैस का इस्तेमाल करने आदि कदम उठाकर वायु प्रदूषण सवाल का हल करने का आह्वान किया।
वायु प्रदूषण का निपटारा करने के लिए विभिन्न देशों द्वारा उठाये गये कदमों की चर्चा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य व वातावरण ब्यूरो के समन्वयक दोरा ने कहा कि एयर पूर्वानुमान जारी करने, मास्क पहनने जैसे मौजूदा कदम भूमिका अदा नहीं कर पाते हैं। अभी तक स्पष्ट सबूत नहीं है कि मास्क पहनने से लोग गंदी वायु से सुरक्षित हो सकते हैं।
पेइचिंग का उदाहरण लें, दोरा का मानना है कि हालांकि पेइचिंग नागरिकों के लिए वायु गुणवत्ता का पूर्वानुमान देता है, फिर भी पूर्वानुमान लोगों को यथार्थ मदद नहीं दे पाता है।
गंभीर धुंध वाले दिनों में नागरिकों को घर में ठहरने का सुझाव भी काम नहीं चलेगा। दोरा ने कहा कि अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास स्पष्ट सबूत नहीं है कि मास्क गंदी हवा से रोकने का कारगर उपाय है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट के आंकड़े विश्व के 3000 से ज्यादा मानव बस्तियों से इकट्ठे किए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वायु गुणवत्ता के मापदंड के अनुसार पीएम 2.5 को हर घन मीटर 10 माइक्रोग्राम से कम होना चाहिए। नहीं तो वायु प्रदूषण होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस साल के मई माह में जारी अन्य एक रिपोर्ट से जाहिर है कि विश्व की शहरी आबादी में 80 प्रतिशत के लोग रोज गंदी हवा में सांस लेते हैं, जबकि गरीब देशों में 98 प्रतिशत के लोग गंदी हवा लेते हैं।