मधुर आवाज़ वाली 18 वर्षीय छूयुन को ओरोछन जाति के ऊलैंमूछी नामक कला मंडल में शामिल किया गया। यह कला मंडल घास के मैदान पर स्थित फार्महाउसों व यूर्टों में बहुत लोकप्रिय है। और छूयुन इस कला मंडल में लगातार 40 वर्षों से गाने गा रही हैं। वे चीन की प्रथम स्तरीय कलाकार व ओरोछन की प्रसिद्ध जातीय गायिका बन गयीं। उन की मधुर आवाज़ की प्रस्तुति से कई जातीय गीत लोकप्रिय हो गये। वर्ष 2014 में छूयुन सेवानिवृत हो गयी। लेकिन उन्होंने नहीं सोचा था कि सेवानिवृत होने के बाद वे ज्यादा व्यस्त हो गयीं। नये गीतों के अभ्यास और प्रस्तुति के अलावा उन के लिये और एक महत्वपूर्ण बात है छात्रों को पढ़ाना। उन छात्र कला स्कूलों के विद्यार्थी नहीं हैं, केवल सामान्य स्कूलों के छोटे बच्चे हैं।
गीत गाने वाले सभी छात्र ओरोछन जातीय क्षेत्र के आलीहो प्राइमरी स्कूल के दूसरे वर्ष के विद्यार्थी हैं। वे ऊंचा ऊंचा शिंगआन पहाड़ नामक ओरोछन का जातीय गीत गा रहे हैं। और उन की शिक्षक ओरोछन जातीय गायिका छूयुन हैं। केवल कई बार की शिक्षा के बाद विद्यार्थी पूरी तरह से इस गीत को गा सकते हैं।
छूयुन के अनुसार संगीत के प्रति उनकी समझ बहुत अच्छी है। वे बहुत बुद्धिमान हैं। पिछली बार मैं ने प्राइमरी स्कूल के तीसरे वर्ष के छात्रों को शिक्षा दी। इस बार दूसरे वर्ष के छात्र हैं। इस बार मैंने ओरोछन जाति के कई बाल गीत चुने। पहले मैंने उनके अध्यापकों को यह गीत सिखाया, फिर बच्चों को सिखाने लगी।
वर्ष 1972 में छूयुन ने ओरोछन जाति के ऊलैंमूछी कला मंडल में काम करना शुरू किया। ऊलैंमूछी मंगोलियन भाषा है, जिसका अर्थ होता है लाल पौधा। इस कला मंडल की स्थापना वर्ष 1957 में भीतरी मंगोलिया में हुई। स्थापना के बाद वह सक्रिय रूप से घास के मैदान पर स्थित फार्महाउसों व यूर्टों में कला प्रस्तुति करता है। ऊलैंमूछी जातीय क्षेत्र का एक कला मंडल है। इसलिये वह लंबे समय में किसानों व चरवाहों के लिये सेवा करता है। घास का मैदान तो उन की प्रस्तुति का मंच है। छूयुन के अनुसार ऊलैंमूछी में काम करते समय उनके विचार बहुत सरल होते हैं, वे केवल किसानों व चरवाहों के लिये सेवा करना चाहती हैं। चाहे उन के सामने कितने दर्शक हों, यहां तक कि केवल एक दर्शक हो, तब भी वे अच्छा प्रदर्शन करती हैं।
समय बहुत जल्द ही बीत गया। काम करते करते 40 से अधिक वर्ष बीत चुके हैं। शिक्षक छूयुन हमेशा से जातीय संगीत के विकास में मेहनत कर रही हैं। उन्होंने ओरोछन के लगभग 60 जातीय गीतों को इकट्ठा करके अनुवाद किया, और उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त कीं। क्योंकि उन्होंने बहुत मूल्यवान जातीय कला के विरासतों की रक्षा की। वर्ष 2014 में छूयुन सेवानिवृत हो गयीं। पर उन्होंने कला को नहीं छोड़ा। उनके दिमाग में एक नया विचार पैदा हुआ। उन्होंने कहा, हाल के कई वर्षों में एक नया विचार मेरे दिमाग में पैदा हुआ। क्योंकि इससे पहले मैं हमेशा से मंच में प्रस्तुति करती थी। ज्यादा सोचने का मौका नहीं मिलता था। अब मेरे पास 40 से अधिक वर्षं का अनुभव प्राप्त हैं। मैं लगातार ओरोछन समेत जातीय गीत गाती थीं। अब मेरा एक नया विचार है। यह विचार पिछले वर्ष से पैदा हुआ। तो मैंने जातीय क्षेत्र के नेता को यह बात कही।
शिक्षक छूयुन का नया विचार तो जातीय गीतों की शिक्षा देना है। उन्होंने अपनी योजना जातीय क्षेत्र के नेता को बतायी। खुशी की बात है कि उन की योजना को क्षेत्रीय सरकार का बड़ा समर्थन मिला। स्थानीय सरकार ने जल्द ही शिक्षक छूयुन के लिये पियानो खरीद लिया, और अभ्यास के लिये विशेष कक्षा भी तैयार की। छूयुन ने कहा, मेरी कक्षा खुलने के बाद एक साल हो गया। अब दस विद्यार्थी हैं। सब से छोटे बच्चे की उम्र केवल पांच साल की है। और सब से बड़े वाले की उम्र दस साल है। वे सभी ओरोछन जाति के बच्चे हैं। एक वर्ष में मैंने उन्हें ओरोछन के छै जातीय गीत सिखाये हैं।
छूयुन के विचार में आलीहो प्राइमरी स्कूल में वे केवल सामान्य शिक्षा देती हैं। लेकिन उन के दस ओरोछन विद्यार्थियों को वे व्यावसायिक शिक्षा देती हैं। क्योंकि आलीहो प्राइमरी स्कूल के छात्र ओरोछन जाति के नहीं हैं। उन्हें ओरोछन जातीय गीत की शिक्षा देना केवल प्रचार-प्रसार है, ताकि वे जातीय गीतों की सुन्दरता को महसूस कर सकें। पर ओरोछन जाति के बच्चों को शिक्षा देने में छूयुन ने ओरोछन भाषा सीखने से शुरू किया। धीरे धीरे उन के बीच जातीय भावना गहन हो गयी। भाषा के अलावा व्यावसायिक शिक्षा, प्रशंसा शिक्षा, संगीत सिद्धांत शिक्षा और फ़िज़िकल शिक्षा भी होती हैं। गौरतलब है कि चाहे आलीहो प्राइमरी स्कूल की, या ओरोछन बच्चों की सभी शिक्षा के लिये कोई खर्च नहीं है। छूयुन नि: शुल्क रूप से सभी शिक्षा देती हैं। उन के सभी विद्यार्थियों को पैसे देने की ज़रूरत नहीं है।
छूयुन की मेहनत बेकार नहीं हुई। एक साल के प्रशिक्षण के बाद छूयुन के विद्यार्थी मंच पर प्रस्तुति दे सकते हैं। शिक्षक छूयुन के नेतृत्व में उन के विद्यार्थियों ने चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की राजधानी होहहोट में एक प्रस्तुति की। सुन्दर प्रस्तुति के बाद छूयुन ने और कुछ उपलब्धियां प्राप्त कीं। उन्होंने कहा, प्रस्तुति से लोग प्रभावित हुए। वे हमें पूंजी देना चाहते हैं, और एक तीस विद्यार्थियों वाली कक्षा की स्थापना करना चाहते हैं। इस कक्षा में न सिर्फ़ ओरोछन जाति, बल्कि एवेंकी व डावूर समेत इस क्षेत्र में रहने वाली दसेक जातियों के विद्यार्थी शामिल हो सकते हैं। इस कक्षा में हम उन्हें जातीय गीतों को सीख सकते हैं।
भीतरी मंगोलिया के वाणिज्य कॉलेज ने पूजी निवेश डालने की योजना पेश की। जिससे शिक्षक छूयुन की कक्षा और विस्तृत हो सकती है। और अन्य अल्पसंख्यक जातियों के ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को भी व्यावसायिक संगीत शिक्षा मिल सकती है। इस के प्रति छूयुन को बहुत खुशी हुई। वे समझती हैं कि यह एक जाति की बात है, व्यक्तिगत बात नहीं है।
छूयुन के विचार में शिक्षा के लिये सबसे महत्वपूर्ण बात तो अपने काम पर कायम रहना है। काम तो हर दिन मेहनत से करना पड़ता है, लेकिन इसकी उपलब्धियां शायद दस या बीस वर्षों के बाद मिल पाती हैं। जब ये बच्चे बड़े होंगे, तो उन्हें ओरोछन के जातीय गीत सीखने के अनुभव से लाभ मिलेगा। अपनी जातीय भाषा से अपने जातीय गीत गाना और भावना दिखाना, एक ओरोछन वाले के रुप में वे अपनी जाति पर गौरव महसूस करेंगे। धीरे धीरे वे ओरोछन की जातीय संस्कृति का विकास करेंगे, और शिक्षक छूयुन की तरह जातीय संस्कृति का प्रसार-प्रचार करेंगे।