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संडे की मस्ती 2016-09-25
2016-09-25 19:44:26 cri

अखिल- दोस्तों, यह था हमारा संडे स्पेशल। चलिए... अभी हम आपको ले चलते हैं हमारी अजीबोगरीब और चटपटी बातों की तरफ।

अखिल- दोस्तों, अब तक आपने दोस्ती के कम ही ऐसे किस्से सुने होंगे, जब किसी मुस्लिम ने हिंदू मित्र का अंतिम संस्कार कर दोस्ती का फर्ज निभाया हो, मगर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में अब्दुल रज्जाक ने अपने दोस्त संतोष सिंह ठाकुर का पूरे हिंदू रिति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर दोस्ती की मिसाल कायम की है।

ऑटो रिक्शा चलाने वाले रज्जाक का अजीज दोस्त था संतोष। उनकी इस दोस्ती में धर्म कभी बाधा नहीं बना। रज्जाक ऑटो चलाता था और संतोष मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करता था। दोनों के परिवार सोनाघाटी क्षेत्र में रहते हैं। संतोष का स्वास्थ्य करीब 12 दिन पहले बिगड़ गया। उसे टीबी और पीलिया बताया गया। अस्पताल में भर्ती संतोष की मौत हो गई।

संतोष और रज्जाक दोनों ही पेशे से मजदूर हैं, इसलिए उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह अंतिम संस्कार कर सकें। लेकिन रज्जाक और संतोष की पत्नी छायाबाई नहीं चाहती थी कि संतोष को लावारिस की तरह दफनाया जाए। उन्होंने यह बात जिला अस्पताल में पदस्थ अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ. रूपेश पद्माकर को बताई। डॉ. रूपेश पद्माकर ने सामाजिक संगठन 'जनआस्था' के संजय शुक्ला से संपर्क किया। जनआस्था की टीम के महेश साहू और उनके दोस्तों ने अंतिम संस्कार की सभी व्यवस्था करा दी।

संतोष के अंतिम संस्कार के लिए सामग्री का इंतजाम होने के बाद समस्या थी कि मुखाग्नि कौन दे। संतोष का कोई बेटा नहीं था। रिश्तेदार भी मौजूद नहीं थे। इसलिए रज्जाक ने खुद अपने दोस्त को मुखाग्नि देने का फैसला किया। गंज स्थित मोक्षधाम में हिंदू रीति-रिवाज से संतोष को रज्जाक ने मुखाग्नि देकर दोस्ती का फर्ज निभाया।

रज्जाक का कहना है कि उसकी और संतोष की दोस्ती किसी धर्म पर टिकी नहीं थी, लिहाजा उसने तो उसे मुखाग्नि देकर दोस्ती का धर्म निभाया है। वह श्राद्धकर्म भी हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक करेगा।

जनआस्था के संस्थापक संजय शुक्ला ने बताया कि लावारिस शवों और गरीबों के अंतिम संस्कार में सहयोग करने वाली उनकी संस्था ने संतोष के अंतिम संस्कार में सहयोग कर अपनी जिम्मेदारी निभाई है। शुक्ला ने कहा कि रज्जाक ने संतोष का अंतिम संस्कार कर जाति-धर्म के बंधनों की परवाह किए बगैर दोस्ती की मिसाल कायम की है। वह सच्चा इंसान है।

सपना- चलिए दोस्तों, मैं बताती हूं कि 30 वर्षीय महिला अपनी जांघों से तरबूज फोड़ने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुकी हैं।

जी हां दोस्तों, यूक्रेन की राजधानी कीएव में रहने वाली 30 वर्षीय महिला ओल्गा लियासचुक सबसे कम समय में अपनी जांघों से तरबूज फोड़ने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुकी हैं। उन्होंने एक टीवी कार्यक्रम के दौरान अपनी यह क्षमता प्रदर्शित की और इस दौरान गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डस, 2016 का संस्करण जारी किया है. उन्हें आईटी के कार्यक्रम 'दिस मॉर्निग' में अपनी प्रतिभा से लोगों का साक्षात्कार कराने के लिए आमंत्रित किया गया था.

इस कार्यक्रम के दौरान फिलिप स्कोफील्ड और हॉली विलोबी ने आश्र्चय जाहिर किया. इन तरबूजों को तोड़ने के लिए उसने आसानी से यह काम दिखाया, लेकिन तीसरा तरबूज उसकी जांघों से निकलकर छिटक गया था। मेल ऑनलाइन की खबर के मुताबिक, यह एक प्रभावी लेकिन कुछ हद तक विचित्र क्षण था जबकि एक महिला ने तीन तरबूजों को अपनी जांघों में फंसाकर तोड़ दिया.

इस घटना का सीधा प्रसारण भी किया जा रहा था. हंसी मजाक के क्षणों में महिला ने तीन बड़े तरबूजों में से एक को जांघों के बीच रखा और लोगों से पूछा कि क्या वे अपना काम शुरू कर सकती हैं. उन्होंने तरबूज को बड़ी आसानी ने दबा दिया और इस पर कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ताओं, फिलिप स्कोफेल्ड और होली विलौबी ने आश्र्चय जाहिर किया.

इस दौरान साल्ट ऐंड पेपा का एक गीत बजता रहा. इसके बाद ओल्गा ने एक तौलिए से अपनी टांगों को सुखाया ताकि अगला तरबूज जांघों से फिसल न जाए. इसके साथ ही, ओल्गा में दूसरा तरबूज भी तोड़कर दिखा दिया. तीसरा तरबूज प्रारंभ में उनकी जांघों के बीच से फिसल गया लेकिन उन्होंने जमीन पर बैठकर इसे भी तोड़ दिया. और इससे साथ ही कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ताओं ने नया रिकॉर्ड बनने की घोषणा कर दी.

अखिल- चलिए, मैं अब बताता हूं कि चीन में रहता है ओबामा का हमशक्ल। जी हां... दोस्तों, दुनिया में हर किसी का कोई नो कोई हमशक्ल होता है जो बिल्कुल उस आदमी की तरह दिखाई देता है पर उसकी कुछ आदतें उससे अलग होती हैं जो उन दोनों को पहचानने में मदद करती हैं। चीन का बराक ओबामा कहलाने वाले 29 साल के शियाओ चिकुओ एक साधारण परिवार से संबंधित है जिनकी शक्ल अमरीका के राष्ट्रपति से मिलती हैं और यही नहीं उनका बोलने का ढंग बराक ओबामा जैसा ही है और वो भाषण भी वैसा ही देता हैं लेकिन ये बात अलग है उसका भाषण किसी को भी समझ नहीं आता ।

शियाओ कहते हैं, "मेरी अंग्रेज़ी खराब है। जब मैं स्टेज पर जाकर बोलता हूं तो कुछ असल अंग्रेजी तो कुछ फर्जी अंग्रेजी को मिला-जुला कर बोलता हूं। ऐसे बोलता हूं जैसे बिल्कुल सही बोल रहा हूं,लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आता।"शियाओ बताते हैं कि उनका और बराक ओबामा दोनों का ब्लड ग्रुप एक ही है, इसके अलावा दोनों के जन्मदिन में भी सिर्फ एक दिन का अंतर है । 2012 में एक टीवी टैलेंट हंट शो में हिस्सा लेने वाले शियाओ दस साल तक फैक्ट्री में काम कर चुका हैं।अब शियाओ छोटे बजट की फिल्म में दिखाई देंगे जिसमे एक छोटे-मोटे गैंगस्टर का किरदार निभा रहे हैं।

सपना- दोस्तों, मैं अब जो खबर बताने जा रही हूं, उसे सुनकर हर लड़की चाहेगी ऐसा पति। वो भला क्यों, सुनिए...

दोस्तों, चीन में एक शख्स ने शादी के दिन अपनी दुल्हन को ऐसा सरप्राइज दिया कि वह हैरान रह गई। जानकारी मुताबिक जियाओ वांग नाम का दुल्हा अपनी दुल्हन लिउ को शादी के दिन सरप्राइज देना चाहता था। इसलिए उसने साल भर की सैलरी 99,999 गुलाब के फूलों को खरीदने में खर्च कर दी। चीन के चोंगछिंग शहर में शादी के मंडप की हर चीज को गुलाब के फूलों से सजाया गया।

शादी समारोह में आने वाली 30 कारों को भी गुलाब के फूलों से सजाया गया। पत्नी लिउ ने गुलाब से लदी कारों को देखा तो वह हैरान रह गई। जियाओ के मुताबिक गुलाब के फूलों का ये आइडिया एकदम सही रहा। इस सारी सजावट से लिउ के चेहरे पर आई एक मुस्कान से मेरे सारे पैसे वसूल हो गए। यह शादी पूरे चीन मे चर्चा का विषय बना हुआ है।

अखिल- चलिए दोस्तों, अजीबोगरीब और चटपटी बातों के इस सेगमेंट से बाहर निकलकर, अभी हम सुनते हैं यह हिन्दी गाना... उसके बाद हम आपको ले चलेंगे हमारे मनोरंजन के दूसरे सेगमेंट की तरफ...

(Hindi Song)

सपना- चलिए, अभी हम अखिल जी से सुनते हैं एक प्रेरक कहानी.. कहानी का शीर्षक है 'प्रोफ़ेसर की सीख' उम्मीद करते हैं कि आपको जरूर पसंद आएगी।

(Music)

अखिल- दोस्तों, प्रोफ़ेसर साहब बड़े दिनों बाद आज शाम को घर लौटते वक़्त अपने दोस्त से मिलने उसकी दुकान पर गए। इतने दिनों बाद मिल रहे दोस्तों का उत्साह देखने लायक था। दोनों ने एक दुसरे को गले लगाया और बैठ कर गप्पें मारने लगे। चाय-वाय पीने के कुछ देर बाद प्रोफ़ेसर बोले, "यार एक बात बता, पहले मैं जब भी आता था तो तेरी दुकान में ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी और हम बड़ी मुश्किल से बात कर पाते थे। लेकिन आज बस इक्का-दुक्का ग्राहक ही दिख रहे हैं और तेरा स्टाफ भी पहले से कम हो गया है..!"

दोस्त मजाकिया लहजे में बोला, "अरे कुछ नहीं, हम इस मार्केट के पुराने खिलाड़ी हैं। आज धंधा ढीला है, कल फिर जोर पकड़ लेगा!" इस पर प्रोफ़ेसर साहब कुछ गंभीर होते हुए बोले, "देख भाई, चीजों को इतना हलके में मत ले, मैं देख रहा हूँ कि इसी रोड पर कपड़े की तीन-चार और दुकाने खुल गयी हैं, कम्पटीशन बहुत बढ़ गया है...और ऊपर से..."

प्रोफ़ेसर साहब अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही, दोस्त उनकी बात काटते हुए बोला, "अरे ये दुकाने आती-जाती रहती हैं, इनसे कुछ फरक नहीं पड़ता।"प्रोफ़ेसर साहब कॉलेज टाइम से ही अपने दोस्त को जानते थे और वो समझ गए कि ऐसे समझाने पर वो उनकी बात नहीं समझेगा। इसके बाद उन्होंने अगले रविवार, बंदी के दिन; दोस्त को चाय पे बुलाया। दोस्त, तय समय पर उनके घर पहुँच गया। कुछ गपशप के बाद प्रोफ़ेसर साहब उसे अपने घर में बनी एक प्राइवेट लैब में ले गए और बोले, "देख यार! आज मैं तुझे एक बड़ा ही इंटरस्टिंग एक्सपेरिमेंट दिखता हूँ.."

प्रोफ़ेसर साहब ने एक जार में गरम पानी लिया और उसमे एक मेंढक डाल दिया। पानी से सम्पर्क में आते ही मेंढक खतरा भांप गया और कूद कर बाहर भाग गया। इसके बाद प्रोफ़ेसर साहब ने जार से गरम पानी फेंक कर उसमे ठंडा पानी भर दिया, और एक बार फिर मेंढक को उसमे डाल दिया। इस बार मेंढक आराम से उसमे तैरने लगा। तभी प्रोफ़ेसर साहब ने एक अजीब सा काम किया, उन्होंने जार उठा कर एक गैस बर्नर पर रख दिया और बड़ी ही धीमी आंच पर पानी गरम करने लगे। कुछ ही देर में पानी गरम होने लगा। मेंढक को ये बात कुछ अजीब लगी पर उसने खुद को इस तापमान के हिसाब से एडजस्ट कर लिया। इस बीच बर्नर जलता रहा और पानी और भी गरम होता गया, पर हर बार मेढक पानी के टेम्परेचर के हिसाब से खुद को एडजस्ट कर लेता और आराम से पड़ा रहता, लेकिन उसकी भी सहने की एक क्षमता थी! जब पानी काफी गरम हो गया और खौलने को आया तब मेंढक को अपनी जान पर मंडराते खतरे का आभास हुआ और उसने पूरी ताकत से बाहर छलांग लगाने की कोशिष की, पर बार-बार खुद को बदलते तापमान में ढालने में उसकी काफी उर्जा लग चुकी थी और अब खुद को बचाने के लिए न ही उसके पास शक्ति थी और न ही समय, देखते-देखते पानी उबलने लगा और मेंढक की मौत हो गयी।

एक्सपेरिमेंट देखने के बाद दोस्त बोला- यार तूने तो मेंढक की जान ही ले ली... खैर, ये सब तू मुझे क्यों दिखा रहा है? प्रोफ़ेसर बोले, "मेंढक की जान मैंने नहीं ली। उसने खुद अपनी जान ली है। अगर वो बिगड़ते हुए माहौल में बार-बार खुद को एडजस्ट नहीं करता बल्कि उससे बचने का कुछ उपाय सोचता तो वो आसानी से अपनी जान बचा सकता था। और ये सब मैं तुझे इसलिए दिखा रहा हूँ क्योंकि कहीं न कहीं तू भी इस मेढक की तरह बिहेव कर रहा है। तेरा अच्छा-ख़ासा बिजनेस है पर तू चेंज हो रही मार्केट कंडीशनस की तरफ ध्यान नहीं दे रहा, और बस ये सोच कर एडजस्ट करता जा रहा है कि आगे सब अपने आप ठीक हो जाएगा…पर याद रख अगर तू आज ही हो रहे बदलाव के ऐकौर्डिंग खुद को नहीं चेंज करेगा तो हो सकता है इस मेंढक की तरह कल को संभलने के लिए तेरे पास ना एनर्जी हो और ना ही समय!"

प्रोफ़ेसर की सीख ने दोस्त की आँखें खोल दीं, उसने प्रोफ़ेसर साहब को गले लगा लिया और वादा किया कि एक बार फिर वो मार्केट लीडर बन कर दिखायेगा।

दोस्तों, प्रोफ़ेसर साहब के उस दोस्त की तरह बहुत से लोग अपने आस-पास हो रहे बदलाव की तरफ ध्यान नहीं देते। लोग जिन skills के कारण job लिए चुने जाते हैं बस उसी पर अटके रहते हैं खुद को update नहीं करते और जब company में layoffs होते हैं तो उन्हें ही सबसे पहले निकाला जाता है। लोग जिस ढर्रे पर 10 साल पहले business कर रहे होते हैं बस उसी को पकड़कर बैठे रहते हैं और देखते-देखते नए players सारा market capture कर लेते हैं!

यदि आप भी खुद को ऐसे लोगों से relate कर पा रहे हैं तो संभल जाइए और इस कहानी से सीख लेते हुए proactive बनिए और आस-पास हो रहे बदलावों के प्रति सतर्क रहिये, ताकि बदलाव की बड़ी से बड़ी आंधी भी आपकी जड़ों की हिला न पाएं!

सपना- तो दोस्तों, यह थी अखिल जी द्वारा प्रस्तुत एक प्रेरक कहानी। चलिए, हम आपको बताने जा रहे हैं इस शुक्रवार रिलिज होने वाली फिल्मों के बारे में। इस शुक्रवार को रिलिज हुई फिल्म का नाम है ''बैंजो"

(Music)

अखिल- दोस्तों, इस शुक्रवार को रिलिज हुई फिल्म का नाम है बैंजो। इस फिल्म में रितेश देशमुख, नरगिस फाखरी, धर्मेश येलांडे, मोहन कपूर आदि कलाकार हैं। इस फिल्म में रितेश देशमुख बैंजो बजाते हुए दिख रहे हैं। इस फिल्म को संगीत दिया है विशाल-शेखर ने, और निर्देशक हैं रवि जाधव।

बैंजो फिल्म में कहानी के बजाय एक यात्रा दिखाई गई है। इस यात्रा में कोई सात समुंदर पार कर अपने सपनों को पूरा करने आता है। कुछ की यात्रा उनके दिलों तक होती है जहां वे खुद से मुलाकात करते हैं। नियति द्वारा तय की गई इस यात्रा में एक डीजे अमेरिका से मुंबई आती है और मुंबई की बैंजो पार्टी से मुलाकात करती है। इसके बाद वे साथ छलांग लगाते हैं, उड़ते हैं, ऊंचा उठते हैं, ठोकर खाकर धूल में गिर जाते हैं और फिर से खड़े हो जाते हैं। चलिए, हम आपको इस फिल्म का ट्रेलर सुनवाते हैं।

(Trailor- Banjo)

सपना- दोस्तों, यह था फिल्म "बैंजो" का ट्रेलर, चलिए हंसी-खुशी की डबल डोज देने के लिए हम हर बार की तरह इस बार भी आपके लिए लेकर आए हैं कुछ मजेदार जोक्स, जिन्हें सुनकर आप जरूर हो जाएंगे लोट-पोट... आइए.. सुनते हैं ये कुछ मजेदार जोक्स

(Music)

1. मां अपने बेटे से बोली: बेटा तू बाल क्यों नहीं कटवाता?

बेटा बोला: लंबे बालों का फैशन है मां

मां ने कहा: बेशर्म वो तेरी बहन को देखने आए थे और तुझे पसंद कर गए... (हंसी की आवाज)

2. बंता ने संता पूछा : अरे भाई, तेरा रेस्टोरेंट कैसा चल रहा है?

संता बड़ा निराश होकर बोला: यार क्या बताउं, कुछ खास नहीं चल रहा

बंता ने कहा : मैं दो बार वहां आया था पर हर बार ताला लगा हुआ देखा।

संता ने कहा : तू जरूर लंच या डिनर के वक्त आया होगा, उस वक्त हम खाना खाने बाहर जाते हैं। (हंसी की आवाज)

3. प्रेमिका अपने प्रेमी से कह रही थी : मैं तुम्हारे लिए आग पर चल सकती हूं, नदी में कूद सकती हूं।

प्रेमी ने कहा : मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं, क्या तुम अभी मुझसे मिलने आ सकती हो?

प्रेमिका बोली : पागल हो गए हो क्या, इतनी धूप में कैसे आउं, मैं काली नहीं हो जाउंगी... (हंसी की आवाज)

4. छह महीने से संता सिंह की बीवी उससे बात नहीं कर रही थी। संता सिंह ने वकील को कहा- मुझे मेरी बीवी से तलाक चाहिए।

वकील ने पूछा- क्यों ऐसा क्या हो गया?

संता सिंह बोला - वो मुझसे 6 महीने से बात तक नहीं कर रही है।

वकील बोला - पगले, ऐसा मत कर ऐसी बीवी नसीब वालों को मिलती है। (हंसी की आवाज)

(Music)

अखिल- दोस्तों, चलिए... अब हम आपसे विदा लेते हैं। अब हमारा जाने का वक्त हो चला है... अगले हफ्ते हम फिर लौटेंगे, इसी समय, इसी दिन अपनी मस्ती की पाठशाला लेकर। आप हमें लेटर लिखकर या ई-मेल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया, चुटकुले, हंसी-मजाक, मजेदार शायरी, अजीबोगरीब किस्से या बातें भेज सकते हैं। हमारा पता है hindi@cri.com.cn। अभी के लिए मुझे और सपना को दीजिए इजाजत। गुड बॉय, नमस्ते।


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