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    आप की पसंद 160827
    2016-09-20 14:45:08 cri

    27 अगस्त आपकी पसंद

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है .... मुजाहिदपुर पूरब टोला, भागलपुर, बिहार से मोहम्मद खालिद अंसारी, मोहम्मद ताहिर अंसारी, कादिर, मुन्ना खान मुन्ना, नूरुलहोदा, शब्बीर ज़फ़र और एम के नाज़ ने इनके साथ ही नवगछिया मुमताज मोहल्ला, भागलपुर से हमें पत्र लिखा है ज़फ़र अंसारी, शौकत अंसारी और मास्टर अतहर अंसारी ने, आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म हम किसी से कम नहीं (1977) का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 1. चांद मेरा दिल चांदनी हो तुम .....

    पंकज - ब्रेक के बाद फिर से कैसे पाएं नौकरी

    महंगाई बढ़ने के साथ ही ज़रूरतें भी बढ़ गई हैं, लिहाज़ा मर्द और औरत दोनों का कमाना ज़रूरी हो गया है. लेकिन कई बार हम अपने काम से कुछ देर के लिए ब्रेक लेते हैं. अपने परिवार पर ध्यान देने के लिए औरतें तो अक्सर ही ऐसा करती हैं.

    तो क्या इस ब्रेक के साथ ही उनकी पेशेवर ज़िंदगी का अंत हो जाता है? और अगर वो फिर से इस ज़िंदगी में लौटना चाहें तो क्या उनकी वापसी की राह आसान होगी?

    एक बार ब्रेक लेने के बाद फिर से नौकरी बिल्कुल मिल सकती है. रियूनियन, यानी पुराने साथियों से मेल-मुलाक़ात इसके लिए बेहतरीन ज़रिया है. ज़िंदगी की भागदौड़ और उलझनों में हम अक्सर लोगों से मिलना-जुलना कम कर देते हैं, लेकिन ये सही नहीं है. काम से ब्रेक आपने लिया है, आपके बाक़ी साथी अपने करियर में आगे बढ़ रहे हैं. यही लोग आपको काम दिलाने में आपकी मदद भी करेंगे.

    अपने स्कूल-कॉलेज के दोस्तों, यहां तक कि जो लोग आपको पसंद नहीं हैं, उनसे भी एक दोस्ताना रिश्ता तो रखिए ही. साथ ही पुराने ऑफ़िस के साथियों वग़ैरा के साथ मिलते-जुलते रहिए. इससे आपकी याद और आपकी ख़ूबियां उनके ज़हन में ताज़ा रहेंगी. लिहाज़ा रियूनियन एक अच्छा ज़रिया है.

    ईसेड बिज़नेस स्कूल बार्सिलोना के पूर्व करियर एक्सपर्ट इयान मैक्लॉगिन कहते हैं कि पुराने दोस्तों से मिलना बड़े काम का होता है. ख़ास तौर से उनके लिए जो करियर में ब्रेक ले रहे हैं, ऐसे लोगों को पुराने दोस्तों से ज़्यादा से ज़्यादा मेल-जोल रखना चाहिए.

    अंजली – जी हां श्रोता मित्रों, हमें हमेशा अपने मित्रों और जानकार लोगों से मेलजोल बढ़ाना चाहिये, इसीलिये हमें सामाजिक प्राणी कहा जाता है, हम एक समुदाय के रूप में रहते हैं, फिर चाहे वो समुदाय व्यापारी वर्ग का हो, या नौकरी पेशा या फिर मेहनत मज़दूरी करने वाला, हमारे बहुत सारे काम सिर्फ़ सामाजिक ताने बाने में बने रहने के कारण ही पूरे हो जाते हैं, इनमें नई नौकरी ढूंढना भी शामिल है, यहां तक कि अगर आप अपना खुद का कोई नया व्यवसाय शुरु करना चाहते हैं तो भी आपको अपनी नई और पुरानी मित्र मंडली से बहुत सारी जानकारी मिल सकती है, मसलन आपके द्वारा बनाए गए उत्पाद का बाज़ार कहां है और कितना बड़ा बाज़ार है, आप उम्दा किस्म का और किफायती कच्चा माल कहां से खरीद सकते हैं, इसी तरह की और भी बहुत सी जानकारी आपको मिल सकती है, इसके अलावा आपको तकनीकी पक्ष पर भी ढेर सारी जानकारी मिल सकती है। कहने का मतलब ये है कि सिर्फ अपने मतलब के लिये ही नहीं हमें हर समय अपने मित्रों के संपर्क में रहना चाहिए। तो इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज, आलोट से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है हम सब उस्ताद हैं (1965) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं असद भोपाली और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं .....

    सांग नंबर 2. क्या तेरी ज़ुल्फ़ें हैं ....

    पंकज - अमरीकी प्रोफ़ेशनल कैरोल फ़िशमेन कोहेन ने इस रियूनियन का बख़ूबी फ़ायदा उठाया. कैरोल ने अपने चार छोटे बच्चों की देखभाल के लिए काम से ब्रेक लिया था. लेकिन उन्होंने लोगों से मिलना नहीं छोड़ा. वो हार्वर्ड बिज़नेज़ स्कूल के रियूनियन में अपने पुराने साथियों से मिलीं. बहुत से लोगों से उनकी मुलाक़ात हुई और इस रियूनियन के एक साल बाद ही उन्हें ग्लोबल इनवेस्टमेंट फर्म में नौकरी मिल गई. आज उन्होंने आई-रिलॉन्च नाम की करियर कंस्लटेंसी कंपनी खोली है. उनकी कंपनी ब्रेक के बाद काम पर लौटने वालों की मदद करती है.

    कैरोल कहती हैं रियूनियन के ज़रिए आपको अपने आपको पहचानने का मौक़ा भी मिलता है, जब आप अपने पुराने साथियों से मिलते हैं, बातें करते हैं तो आपको और बहुत से विकल्पों के बारे में पता चलता है. आप अपनी ख़ूबियों और क़ाबिलियत को खुद अपनी नज़र से देख पाते हैं. अगर आप अपना करियर बदलना चाहते हैं तो आपको इसमें मदद भी मिलती है.

    कामयाबी की शर्त है खुद को हर मौक़े और हर लिहाज़ से तैयार रखना. आज सोशल मीडिया का ज़माना है. आप व्यक्तिगत तौर पर किसी से नहीं भी मिलें, तो भी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहें. खुद को अपने पेशे से जुड़े लोगों से संपर्क में बनाए रखने के लिए लिंक्ड इन एक बेहतरीन जगह है.

    इमेज कंसलटेंट डोरिन डोव कहती हैं सबसे पहले अपनी प्रोफ़ाइल पिक्चर ऐसी लगाइए जैसे अभी आप नज़र आते हैं और जैसा आप अपनी ज़िंदगी में नज़र आना चाहते हैं. दूसरी बात ये कि आपका मक़सद सामने वाले को इम्प्रेस करने का होना चाहिए. क्योंकि आप नौकरी के मौक़े की तलाश में हैं.

    अंजली – श्रोता मित्रों आपने ये अंग्रेज़ी की ये कहावत तो ज़रूर सुनी होगी कि The First Impression is the Last Impression.... यानी पहली बार आपके द्वारा छोड़ा गया प्रभाव ही अंतिम होता है... इसलिये जब भी आप कहीं पर साक्षात्कार के लिये जाएं तो पूरी तैयारी के साथ जाएं, अपने विषय वस्तु के बारे में पूरी तरह से पढ़ लें, साथ ही अपने कपड़ों और बायो डेटा पर भी पूरा फोकस रखें, जितनी ज़रूरत हो उतना ही बोलें, सिर्फ विषय पर गंभीरता और शालीनता के साथ बात करें, अपनी चाल और body language में आत्मविश्वास रखें.... तो चलिये मित्रों इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिखा है ग्राम महेशपुर खेम, ज़िला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से तौफ़ीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके तमाम मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है लहु के दो रंग (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं फारुख कैसर, संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 3. चाहिये थोड़ा प्यार .....

    पंकज - अपने बारे में जो भी लिखें छोटा और साफ-साफ लिखें. डोरेन डोव के मुताबिक़ आपके पास अच्छा सा बिज़नेज़ कार्ड होना चाहिए. अपने बिज़नेज़ कार्ड पर अपनी अच्छी तस्वीर भी लगाएं ताकि लोग आपको नाम के साथ आपका चेहरा भी याद रखें.

    आपके कपड़ों का भी आपकी शख्सीयत पर खासा असर पड़ता है. डोव का मानना है लड़कियां अक्सर ऐसे कपड़े पहन कर इंटरव्यू के लिए चली जाती हैं, जिसमें वो अपनी उम्र से ज़्यादा लगती हैं, यही हाल मर्दों का है. वो कुछ ज़्यादा ही ढ़ीले कपड़े पहन कर चले जाते हैं. इससे उनकी शख्सीयत ही ख़त्म हो जाती है. अगर आप अच्छे फिट वाले कपड़े पहनते हैं तो आप ज़्यादा कॉन्फिडेंट लगते हैं. सामने वाले पर भी इसका अच्छा असर पड़ता है.

    डोव, मर्दों को ख़ास तौर पर सलाह देती है कि वो जब भी किसी इंटरव्यू के लिए जाएं तो अपने जूतों का ख़ास ख़्याल रखें. वो अच्छी तरह से पॉलिश होने चाहिए. आपके कपड़े आगे और पीछे दोनों तरफ़ से अच्छी फ़िटिंग वाले होने चाहिए. तैयार होने के बाद आईने के सामने खड़े होकर अच्चे से ख़ुद का मुआयना ज़रूर कर लें. क्योंकि जब आप लोगों की तरफ़ जा रहे होते हैं तो लोग आप कम देखते हैं. वो घूरकर देखने से बचना चाहते हैं. लेकिन जब आप वापस जा रहे होते हैं, तो लोग आपको सिर से पांव तक देखते हैं.

    एक और बात का ख़्याल रखें, अपने ब्रीफ़केस को तमाम ज़रूरी काग़ज़ात और चीज़ों के साथ पहले ही तैयार करके रखें. आख़िरी वक्त की भागदौड़ से बचने के लिए ज़रूरी है, ताकि कोई ज़रूरी काग़ज़ छूट ना जाए।

    अंजली – मित्रों ज़रूरी सामान को पहले से ही अपने बैग, या फोल्डर में संभालकर रख लें क्योंकि अंत समय में आप जल्दीबाज़ी में रहते हैं इसलिये कुछ सामान के छूटने की आशंका रहती है, अपने दिमाग को शांत रखें, साथ ही इंटर्व्यू में जो भी बोलें वो आराम से सोच समझकर आत्मविश्वास के साथ बोलें। साथ ही आप उन्हें ये बताने से भी नहीं चूकें कि आप उनकी संस्था के लिये कितने ज़रूरी हैं। मित्रों हमारे पास अगला पत्र आया है परमवीर हाउस, आदर्श नगर, बठिंडा, पंजाब से अशोक ग्रोवर, परवीन ग्रोवर, नीति ग्रोवर, पवनी ग्रोवर, विक्रमजीत ग्रोवर और इनके साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है बसेरा (1981) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं गुलज़ार संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 4. आऊंगी एक दिन आ जाऊं .....

    पंकज - ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एलुमनी रिलेशन डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर गाय कोलैंडर कहते हैं अगर आप सोशल नेटवर्किंग से दूर रहते हैं तो फिर आप यूनिवर्सिटी के रियूनियन में होने वाले पैनल डिस्कशन का फ़ायदा उठाएं. कोलैंडर खुद भी अपने पुराने छात्रों के लिए तीन दिन का ऑक्सफोर्ड एलुमनी वीक एंड आयोजित करते हैं.

    2006 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटेशनल बायोकेमेस्ट्री में पीएचडी करने वाली छात्रा शिवा आमिरी का कहना है कि एलुमनी वीकएंड रियूनियन का उन्हें बहुत फ़ायदा हुआ है. यहां उन्हें अपने कारोबार में पैसा लगाने के लिए अच्छे और भरोसेमंद निवेशक मिल गए.

    आमिरी कहती हैं वो यूनिवर्सिटी की रियूनियन में इसलिए भी जाती हैं, क्योंकि वो खुद को जज़्बाती तौर पर उस यूनिवर्सिटी से हमेशा वाबस्ता रखना चाहती हैं. साथ यहां आने से उन्हें ये भी पता चलता रहता है कि क्या नए रिसर्च हो रहे हैं।

    अंजली – मित्रों हमें अगला पत्र लिका है आज़ाद नगर, लक्सर बिहार से ताज मोहम्मद अंसारी, गुलाब साबिर राही, मेहराज जहां और इनके ढेर सारे साथियों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मुस्कुराहट (1992) फिल्म का गाना जिसे गाया है कुमार शानू और साधना सरगम ने, गीतकार हैं सूरज सनिम ने, संगीत दिया है रामलक्ष्मण ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 5. गुन गुन करता आया भंवरा .....

    पंकज - रियूनियन, अपने तजुर्बों साझा करने का भी एक अच्छा ज़रिया हैं. अमरीकन यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस में फाइन आर्ट के प्रोफेसर मूर्तिकार और फ़नकार जोनाथन शिमोनी कहते हैं कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रियूनियन में वो अपने पुराने साथियों से मिले.

    इस रियूनियन के कुछ ही समय बाद उन्हें न्यूयॉर्क की एक मशहूर आर्ट गैलरी में अपनी पेंटिंग की नुमाइश लगाने का न्यौता मिल गया.

    शिमोनी ने आर्ट के शौक़ीनों के लिए प्रिंट मेकिंग वर्कशॉप शुरू की. दिलचस्प बात ये रही कि इस वर्कशॉप में क़रीब 20 लोग शामिल हुए. जिन लोगों ने इस वर्कशॉप में हिस्सा लिया था, उनमें से बहुत से वकील के पेशे से थे, कुछ व्यापारी थे. अपने अपने पेशे में उन्हों ने तरक्क़ी की बुलंदियों को तो छू लिया था. लेकिन स्कूल में जो कल्चरल चीजें उन्हों ने सीखीं थी, उनसे वो दूर हो गए थे. अलबत्ता ललक बाक़ी थी.

    कैरोल कोहेन कहती हैं कभी भी अपनी प्रतिभा को कम मत आंकिए. हमेशा अपना आत्मविश्वास मज़बूत रखिए. आपके पास जो भी जानकारियां हैं उन्हें दूसरों से खुलकर बांटिए. जहां तक औऱ जैसे भी आप अपने दोस्तों और साथियों की मदद कर सकते हैं उनकी मदद कीजिए.

    अंजली – श्रोता मित्रों कार्यक्रम का अगला पत्र हमारे पास आया है आदर्श श्रीवास रेडियो श्रोता संघ ग्राम लहंगाबाथा, पोस्ट बेलगहना, जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से पारस राम श्रीवास और इनके ढेर सारे साथियों का आप सभी ने सुनना चाहा है मस्त (1999) फिल्म का गाना जिसे गाया है सोनू निगम और सुनिधि चौहान ने गीतकार हैं नितिन रायकवार और संगीत दिया है संदीप चौटा ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. रुकी रुकी सी ज़िंदगी ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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