वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2008 के वित्तीय संकट से अभी पूरी तरह उभरना है। हाल के वर्षों में, वैश्विक व्यापार विकास वैश्विक आर्थिक विस्तार की तुलना में कमजोर हो गया है। 2015 में, विश्व अर्थव्यवस्था के विकास में 3.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि विश्व व्यापार विकास केवल 2.8 प्रतिशत रहा। ज्यादा चिंता इस बात की है कि व्यापार संरक्षणवाद की काली छाया बढ़ोतरी पर है। 2008 के बाद से, जी-20 देशों ने 1,583 नए व्यापार-प्रतिबंधात्मक उपाय पेश किए, जबकि पहले से मौजूद केवल 387 उपायों को हटाया गया। इसके अलावा, 2015 में पहली बार विकासशील देशों में व्यापार का विकास उनके विकसित समकक्षों से बेहतर रहा, जो कि विकासशील देशों के व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव दिखाता है।
इसके अलावा 2016 की शुरुआत से ही वैश्विक बाजार को कई अनिश्चितताओं से जूझना पड़ा, जिसमें वस्तुओं की कीमतें और मुद्राओं का उतार-चढ़ाव प्रमुख रहा। उस पर भू-राजनीतिक संघर्ष ने भी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा प्रभाव डाला। बार-बार होने वाले आतंकी हमले और शरणार्थी संकट से कई उबरती हुई अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा प्रभाव पड़ा, और तो और यह तुर्की में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ाने का कारण भी बना। यूरोपीय संघ छोड़ने के लिए ब्रिटेन के वोट ने भी विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और ज्यादा बढ़ाई। अब लोगों को चिंता है कि फ्रांस भी यूरोपीय संघ से हटने का दावा कर सकता है। प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा हाल ही में फ्रांसीसी नागरिकों पर किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 61 प्रतिशत लोग यूरोपीय संघ के लिए नकारात्मक रहे, और 66 प्रतिशत लोगों ने जवाब में यही कहा कि उन्हें आर्थिक मुद्दों पर यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया से निराशा हुई।
निश्चित तौर पर, वैश्वीकरण को दुनिया के हर कोने में चुनौती मिल रही है, क्योंकि ज्यादातर लोगों का मानना है कि वे इस प्रक्रिया में हार का सामना कर रहे हैं। जनता के गुस्से का मूल कारण धीमा आर्थिक विकास है। इसके मद्देनज़र बीजिंग आगामी हांगचो शिखर सम्मेलन में इस बात पर ज़ोर देगा कि सिर्फ मौद्रिक नीति और राजकोषीय नीति पर निर्भर होकर विकास को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को ढांचागत सुधारों को गंभीरता से लेना होगा। चीनी सरकार का मानना है कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं को श्रम बाजार में लचीलापन बढ़ाने, निवेश में तेजी और उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास जारी रखने की जरूरत है, जबकि उनके समकक्ष उभरती अर्थव्यवस्थाओं को आर्थिक लचीलेपन में सुधार, विनियमन में ढील और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों में सुधारों के लिए बढ़ावा देने की जरूरत है।
पुनर्गठन पर जोर देने के इस रुझान पर छंगतू बैठक में एक नई उम्मीद हासिल की, जिसमें संरचनात्मक सुधारों के नौ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और मार्गदर्शक सिद्धांत पर सहमति बनी। विज्ञप्ति के अनुसार "जी-20 देशों ने संरचनात्मक सुधारों और चुनौतियों में मदद और प्रगति करने के साझा प्रयासों को समय के साथ बढ़ाने पर सहमति बनाई है"। इसका मतलब यह है कि सुधार लाने के लिए एक रूपरेखा तैयार कर ली गई है जिसे जी-20 में बढ़ावा मिलेगा, जो समन्वय बढ़ाने और जी-20 देशों के विभिन्न प्रयासों में सुधार लाने में मददगार होगा, और उसके अनुसार ही संरचनात्मक सुधारों से सकारात्मक प्रभाव को भी बढ़ाया जा सकेगा।
चीन भी वैश्विक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जी-20 के एजेंडे के लिए जोर दे रहा है। अब भी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और रोजगार सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे के निवेश को बढ़ाना ही एक प्रभावी तरीका माना जाता है। 2014 में ब्रिसबेन जी-20 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर पहल की शुरुआत हुई। इस साल की शुरुआत में पहले ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर फोरम की मेजबानी द्वारा दुनिया भर में बुनियादी सुविधाओं के अंतर को खत्म करने के लिए वर्ल्ड बैंक ने एक नया प्रतिमान बनाया।
चीन को उम्मीद है कि आगामी हांगचो सम्मेलन से वैश्विक बुनियादी ढांचे में संयुक्तता से फायदा होगा, जिसमें सीमा पार से बुनियादी सुविधाओं के नेटवर्क के निर्माण की उम्मीद भी शामिल है। इस संबंध में चीन बहुपक्षीय विकास बैंकों के समर्थन के लिए संयुक्त कार्रवाई की अपेक्षा करेगा। चीन द्वारा शुरू किए गए एशियाई बुनियादी ढांचे के निवेश बैंक ने जनवरी में अभियान शुरू कर दिया और अप्रैल में विश्व बैंक के साथ 1.2 अरब डॉलर के सह-वित्तपोषण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
छंगतू बैठक में विश्व बैंक सहित प्रमुख वैश्विक बहुपक्षीय उधारदाताओं ने इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश का समर्थन किया और संयुक्त घोषणा में अपनी प्रतिबद्धताएं बनाकर बुनियादी ढांचे के निवेश की जी-20 की पदोन्नति का जवाब दिया।
ऐसा अनुमान है कि हांगचो में जी-20 शिखर सम्मेलन में आर्थिक विकास दर हासिल करने के लिए विस्तृत कार्य योजना भी शामिल है। अपनी अर्थव्यवस्था में शुरुआती आधे साल में 6.7 प्रतिशत के विस्तार के साथ, चीन दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण विकास का इंजन बना हुआ है। चीन की अर्थव्यवस्था भी संरचनात्मक सुधारों के साथ आगे बढ़ने के प्रयास कर रही है।
कहा जा रहा है कि बीजिंग अपने अनुभव को साझा करने और हांगचो शिखर सम्मेलन में आम सहमति बनाने को तैयार है ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को सही दिशा में बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
(फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, बीजिंग) Khabarindiatv की वेबसाइट पर प्रकाशित