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    भारत पर जी-20 का क्या असर हो सकता है
    2016-09-05 14:08:02 cri

     

    भारत ब्रिक्स देशों का सदस्य देश है, साथ ही एशियाई बुनियादी संस्थापन निवेश बैंक का संस्थापक देश भी है। चीन व भारत किस तरह एक दूसरे से सीखकर अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्म पर एक साथ नवोदित देशों के प्रभाव को उन्नत कर सकते हैं?

    12 जुलाई को चीन के युन्नान प्रांत के वित्तीय विश्वविद्यालय के हिन्द महासागर क्षेत्र के अनुसंधान केंद्र, दक्षिण एशियाई अनुसंधान पत्रिका के प्रकाशन गृह और सोशल साइंस प्रकाशन गृह द्वारा संयुक्त रूप से जारी हिन्द महासागर क्षेत्र की विकास रिपोर्ट 2016 नामक नीले पत्र में कहा गया कि चीन व भारत के सामने बराबर चुनौतियां मौजूद हैं। सहयोग व समान उदार को साकार करने से विश्व भौतिक राजनीति और दोनों देशों के आर्थिक विकास पर सक्रिय व गहरा असर पड़ेगा।

    पत्र में बताया गया कि भारत में कम समय में 7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर बरकरार रखना कठिन होगा। कारण यह है कि भारत को देश विदेश की चुनौतियों का सामना करना है। वैश्विक आर्थिक मंदी खास तौर पर विश्व की प्रमुख आर्थिक इकाइयों के आर्थिक विकास में कमी आने से भारत पर असर पड़ेगा।

    13 अगस्त को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने जी-20 सम्मेलन पर रणनीतिक संपर्क किया। भारतीय अर्थशात्री शोम पार्थसारथी का मानना है कि जी-20 वैश्विक बचत से सक्रिय रूप से बुनियादी संरचनाओं के निर्माण को आगे बढ़ा सकेगा, ताकि वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, अनाज सुरक्षा, जल सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि जी-20 प्रणाली के जरिए भारत विदेशी पूंजी आकर्षित कर सकेगा और वैश्विक दायरे में प्रतिस्पर्द्धा शक्ति को उन्नत कर सकेगा। इसलिए भारत सरकार जी-20 और चीन व अन्य विभिन्न देशों के साथ आपसी विश्वास को प्रगाढ़ कर अनवरत विकास के लिए विदेशी पूंजी आकर्षित करना चाहती है।

    भारत सरकार ने विदेशी व्यापार की पूंजी, कर वसूली आदि क्षेत्रों में उदार नीतियां शुरू की हैं।

    भारतीय विश्व मामला कमेटी के चीनी मुद्दे संबंधी अनुसंधानकर्ता संजीव कुमार ने कहा कि चीन व भारत दो सबसे बड़े विकासशील देश हैं और तेज़ आर्थिक गति से बढ़ने वाले बड़े देश भी। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर दोनों की महत्वता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। जी-20 शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष देश होने के नाते चीन ने एशियाई बुनियादी संस्थापन निवेश बैंक(एआईआईबी) की स्थापना का आह्वान किया और ब्रिक्स देशों के विकास बैंक में नेतृत्व भूमिका अदा की है। साथ ही भारत चीन से मिलकर विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने में प्रयास करेगा और नवोदित देशों के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाएगा। यह है चीन-भारत सहयोग का मुख्य मुद्दा भी है।

    कुमार ने कहा कि हालिया वैश्विक आर्थिक मंदी की पृष्ठभूमि में जी-20 ने विभिन्न देशों के समन्वित विकास और वैश्विक बैंकिंग बाजार की स्थिरता की रक्षा करने के लिए अच्छा मौका दिया है। जी-20 को विभिन्न देशों के वैश्विक बुनियादी संरचनाओं की पूंजी को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। एशियाई क्षेत्र में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण का बड़ा अभाव है, इसलिए गरीबी व असमानता की स्थिति को कम करने के लिए एआईआईबी को विश्व बैंक आदि विकास संस्थाओं के साथ हाथ मिलकर प्रयास करना चाहिए।

    कुमार ने आगे कहा कि भारत आशा करता है कि सप्लाई क्षेत्र में चीन का सुधार सफल हो सकेगा। चीन की 13वीं पंचवर्षीय योजना में कुछ नयी विचारधाराएं प्रस्तुत की गयी हैं। चीन व भारत की अनेक समानताएं भी हैं। भारतीय राष्ट्रपति मुखर्जी की चीन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने चीन व भारत की समानताएं पेश कीं। मिसाल लें कि चीन का इंटरनेट प्लस और भारत का डिजटल इंडिया और मेड इन चाइना 2025 और मेक इन इंडिया। कुमार ने कहा कि जी-20 जैसे अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही प्लेटफार्म के जरिए देश व देशों के बीच अच्छा संपर्क स्थापित हो सकेगा और एक दूसरे से सीखा जा सकेगा। भारत को उम्मीद है कि एआईआईबी इस प्लेटफार्म के जरिए चीन के साथ रेल मार्ग आदि बुनियादी संरचनाओं के निर्माण के सहयोग को बढ़ाएगा।

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