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    G-20: वो अहम जानकारी जो बताती है कि चीन कैसे बड़ा सोचता है?
    2016-09-02 15:49:00 cri

    दुनिया के बीस विकसित देशों के प्रतिनिधि 4-5 सितम्बर को चीन के हांगचो शहर में इकट्ठे होंगे. मौका होगा जी-20 शिखर सम्मेलन का. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. चीन और भारत के रिश्तों के लिहाज से यह बैठक बेहद अहम है. इस बैठक में पीएम मोदी की मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से होने की भी संभावना है.

    भारत में अक्सर यह बात करते हैं कि पड़ोसी चीन आखिर इतना बड़ा कैसे सोच लेता है, इतना बड़ा कैसे कर लेता है? यह बड़ा सोचना और बड़ा करना ही चीन को बड़ा बनाता है. लेकिन चीन को चीन बनाने के पीछे कई चीज़ें हैं जो हम भारत में नज़रअंदाज़ कर देते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी चीज़ है लीडरशिप की इच्छाशक्ति और चुस्त-दुस्त प्रशासनिक मशीनरी. इसकी एक झलक हम जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए चीन द्वारा की गई तैयारियों में देख सकते हैं. यह सम्मेलन 4 और 5 सितंबर को पहली बार चीन में हो रहा है और इसके लिए चीन ने बहुत कम समय में अपने शहर हांगचो की सूरत बदल दी है.

    हांगचो शहर चीन के पूर्वी प्रांत च्चयांग की राजधानी है. यहीं 4 सितंबर को दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए जुटेंगे. चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग पहली बार इसकी मेज़बानी करेंगे. चीन के लिए वैश्विक मामलों में नेतृत्व की भूमिका पेश करने का यह एक सुनहरा मौका है और चीन इस मौक़े को लपकने के लिए इस कदर लालायित है कि उसने होंगचो शहर को सालभर के भीतर ही एक मॉडल शहर में तब्दील कर दिया है.

    जी-20 शिखर सम्मेलन को अब तक का सबसे अनूठा आयोजन बनाने के लिए चीन ने सालभर से सब कुछ झोंका हुआ है. हांगचो शहर में प्रदूषणरहित नीले आसमान और साफ हवा को सुनिश्चित करने के लिए इस साल की शुरुआत से ही कार्बन के इस्तेमाल को कम से कम करने की मुहिम शुरू की गई.

    एक तरफ जहां ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का सड़कों पर प्रतिबंध लगा दिया गया, वहीं दूसरी ओर स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया गया. इसके अंतर्गत आने वाले दिनों में अपनी 1500 स्वच्छ ऊर्जा बसों के नेटवर्क में 500 बसें और जोड़ी जा रही हैं. इतना ही नहीं, शहर में बिजली के लिए कोयले का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा और सभी इस्पात कारखाने भी बंद कर दिए गए हैं.

    हालांकि हांग्चो में शिखर सम्मेलन के लिए नई इमारतों का निर्माण नहीं किया गया है, लेकिन पिछले साल ही हर तरह की मरम्मत का काम पूरा किया जा चुका है. जिसमें वेस्ट लेक, ग्रेट कैनन और छियनथांग नदी जैसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल शामिल हैं. इन तीनों क्षेत्रों में रोशनी के अच्छे इंतजाम किए गए हैं. ऐतिहासिक इमारतों की मरम्मत भी की गई है और यह सब सालभर के भीतर बहुत ही युद्धस्तर पर हुआ.

    सबसे अहम बात ये है कि हांगचो शहर में कई व्यवस्थाओं को चीन ने स्थानीय लोगों के हवाले किया है. इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 7.5 लाख से ज्यादा स्थानीय निवासी अपनी सेवाएं देंगे. वे अपने हाथ पर बंधी लाल पट्टियों से पहचाने जाएंगे और आगंतुकों के मार्गदर्शन या मदद के लिए तत्पर रहेंगे. वे सुरक्षा नियमों के उल्लंघन पर भी कड़ी नजर रखेंगे.

    चीन का लक्ष्य होता है कि ऐसे बड़े मौकों पर अपना सर्वश्रेष्ठ दिया जाए. इसकी मिसाल हम बीजिंग ओलंपिक में देख चुके हैं. तब अब तक का सबसे जबर्दस्त आयोजन करके चीन ने पूरी दुनिया को चौंधिया दिया था. जी-20 शिखर सम्मेलन चीन के लिए एक और बड़ा मौक़ा है और कम समय में जबर्दस्त तैयारियां करके चीन ने बता दिया है कि अगर ठान लें तो नामुमकिन कुछ भी नहीं.

    By: अखिल पाराशर, फॉरेन कॉरेस्पॉन्डेंट, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, बीजिंग (एबीपी न्यूज की वेबसाइट पर प्रकाशित)

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