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    20160830 चीन-भारत आवाज़
    2016-08-29 13:40:05 cri

    शिखर सम्मेलन के आयोजन से चीन-भारत संबंध मज़बूत होंगे

    जी-20 का 11वां शिखर सम्मेलन 4 और 5 सितंबर को दक्षिण-पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत की राजधानी हांगचो में आयोजित होगा। इसके बाद अक्तूबर के मध्य में भारत में ब्रिक्स देशों के नेताओं की भेंटवार्ता होगी। दुनिया में दो सबसे बड़े विकासशील देश और नवोदित आर्थिक शक्तियां होने के नाते शिखर सम्मेलन के आयोजन में एक दूसरे का समर्थन करना वर्तमान चीन-भारत सहयोग का मुख्य बिन्दु बन गया है। जी-20 और ब्रिक्स व्यवस्था में चीन और भारत के बीच सहयोग विश्व आर्थिक पुनरुत्थान और वैश्विक स्थिरता और विकास को क्या महत्व देता है? शिखर सम्मेलन के आयोजन से चीन-भारत संबंधों पर किस तरह की सक्रिय भूमिका निभाई जाएगी? आज हम एक साथ भारत स्थित अस्थाई चीनी कार्यवाहक ल्यू चिनसोंग के विचार जानेंगे।

    वर्तमान जी-20 के हांगचो शिखर सम्मेलन का विषय है सृजन, जीवन शक्ति, संपर्क और सहिष्णुता वाली विश्व अर्थव्यवस्था का निर्माण करना। विश्व आर्थिक वृद्धि के धीमी होने और मुख्य आर्थिक शक्तियों की मुद्रा नीति में भिन्नता होने की स्थिति में भारत स्थित अस्थाई चीनी कार्यवाहक ल्यू चिनसोंग ने कहा कि इस बार के जी-20 शिखर सम्मेलन का विषय वर्तमान स्थिति के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में विकास की कार्यसूचि, सुधार के मुद्दे और चीन-भारत सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी।

    "चीन शिखर सम्मेलन में विकास के महत्व पर ज़ोर देगा। आशा है कि जी-20 के सदस्य देश वर्ष 2030 संयुक्त राष्ट्र संघ अनवरत विकास कार्यसूचि के कार्यांवयन में पहले स्थान पर रहेंगे, ताकि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई जा सके। क्योंकि विकास दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र संघ में कहा था कि सभी देशों के लोगों के लिए विकास अस्तित्व और उम्मीद को बांधता है और गौरव व अधिकार का प्रतीक भी है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि विकास ग़रीब लोगों को शक्तिशाली बनाने का एकमात्र उपाय है। उन्होंने विकास से संबंधित सिलसिलेवार सुझाव भी पेश किए। इन सबको हम वर्तमान शिखर सम्मेलन में शामिल करेंगे।"

    ल्यू चिनसोंग ने कहा कि वर्तमान जी-20 शिखर सम्मेलन में ढांचागत सुधार के महत्व पर भी ज़ोर दिया जाएगा। आशा है कि इससे अर्थव्यवस्था में मौजूद समस्याओं का समाधान होगा। अब चीन और भारत दोनों देशों के नेता आर्थिक सुधार बढ़ाने पर बड़ा ध्यान दे रहे हैं। लोग भी इसका समर्थन करते हैं। यह जी-20 की सुधार कार्यसूचि के लिए महत्वपूर्ण योगदान होगा।

    "चीन चतुर्मुखी रूप से आर्थिक सुधार कर रहा है, भारत भी ऐसा कर रहा है। हाल ही में भारत की लोकसभा ने जीएसटी पारित किया, जिससे केन्द्र और राज्यों की कर वसूली व्यवस्था की सरलता के कार्यक्रम में भारी प्रगति हुई। इसलिए सुधार मध्यम और दीर्घकालीन समस्याओं का निपटारा करने और श्रम उत्पादकता उन्नत करने का महत्वपूर्ण तरीका है।"

    जी-20 के हांगचो शिखर सम्मेलन के बाद अक्तूबर के मध्य में भारत ब्रिक्स देशों के नेताओं की भेंटवार्ता का आयोजन करेगा। ल्यू चिनसोंग ने कहा कि दोनों शिखर सम्मेलन चीन और भारत द्वारा आयोजित होने वाले सबसे महत्वपूर्ण कूटनीतिक कार्यक्रम हैं, जिसपर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान केन्द्रित होता है। ल्यू चिनसोंग ने कहा कि चीन और भारत के एक दूसरे का समर्थन करने से न केवल आपसी रणनीतिक विश्वास मज़बूत होंगे, बल्कि यह बहुपक्षीय व्यवस्था के विकास के लिए भी लाभदायक है।

    "इन सम्मेलनों का सफल आयोजन विकासशील देशों की एकता और सहयोग मज़बूत करने और नवोदित आर्थिक शक्तियों के स्थान और भूमिका उन्नत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अब दुनिया में ब्रिक्स देशों की भूमिका कम करने और वैश्विक संचालन की आलोचना की आवाज़ आती रहती है। इसी स्थिति में जी-20 और ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए हमारा योगदान है। यह नवोदित बाज़ारों और विकासशील देशों का अधिकार और विश्वास बहाल करने का महत्वपूर्ण अवसर भी है।"

    पिछले 12 से 14 अगस्त तक चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत की यात्रा की। उन्होंने कहा कि चीन और भारत का समान विचार है कि मोदी सरकार के गठबंधन के बाद दो साल से अधिक समय में इससे पहले प्राप्त उपलब्धियों के आधार पर चीन-भारत संबंध विभिन्न क्षेत्रों में विकसित हुए हैं। चीन और भारत द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर संतुष्ट हैं। वांग यी ने यह भी कहा कि चीन और भारत के बीच समान लाभ मतभेद से ज़्यादा है, सहयोग की इच्छा भी प्रतिस्पर्द्धा से अधिक है। दोनों देशों को संबंधित मुद्दों का उचित समाधान करना चाहिए, ताकि मतभेदों का असर चीन-भारत मित्रता पर न पड़े। इसपर ल्यू चिनसोंग ने कहाः

    "हमें सहयोग का विस्तार करने के ज़रिए द्विपक्षीय संबंधों के विकास को बढ़ावा देना चाहिए। हमें आदान-प्रदान, विशेषकर सांस्कृतिक आवाजाही कायम रखने के ज़रिए लोगों के बीच मित्रता को गहराना चाहिए।"

    ल्यू चिनसोंग ने कहा कि चीन और भारत दोनों परंपरागत सभ्यता वाले देश हैं और बड़े विकासशील देश भी हैं। बहुध्रुवीय दुनिया में चीन और भारत महत्वपूर्ण शक्तियां हैं। विकासशील देशों के लाभ की रक्षा करने में दोनों का साझा हित है। चीन और भारत की स्थिरता और विकास विकासशील देशों के पुनरुत्थान, यहां तक कि पूरी दुनिया की स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    "चीन और भारत की जनसंख्या दुनिया की कुल जनसंख्या का करीब एक तिहाई हिस्सा बनता है। वैश्विक जीडीपी की वृद्धि में हमारे योगदान का अनुपात भी एक तिहाई के बराबर है। इसलिए चीन और भारत दुनिया में बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमें विश्व शांति और स्थिरता, विशेषकर विकास में अपनी ज़िम्मेदारी पूर्ण रूप से समझना चाहिए।"

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    गरीब बच्चों के लिए लांच हुआ अभियान

    अलीबाबा समूह ने हाल में भारत में "मिशन मिलयन बुक्स" अभियान लांच किया, जिसके तहत लोगों को आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों के लिए पुस्तकें और शैक्षणिक सामग्री दान करने को आमंत्रित किया गया।

    मिशन मिलयन बुक्स पैन इंडिया अभियान है, जिसका मकसद समाज में कमज़ोर वर्ग के छात्रों को गुणवत्ता वाली पाठ्य सामग्री मुहैया करवाना है, ताकि उनका भविष्य संवर सके।

    यहां बता दें कि अलीबाबा ग्रुप कॉसवर्ड और रत्ना निधि चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से पुस्तकें एकत्र कर देश भर के ढ़ाई हज़ार से अधिक शैक्षणिक संस्थानों में पहुंचाई जाएंगी। अभियान के अंतर्गत 18 अगस्त से 16 सितंबर तक पुस्तकें और शैक्षणिक सामग्री दान की जा सकती है।

    अलीबाबा ग्रुप के ग्लोबल मैनजिंग डिरेक्टर गुरु गोवरप्पन ने कहा कि गुणवत्ता वाला शिक्षा प्रत्येक बच्चे का अधिकार है, जो कि चरित्र निर्माण और बौद्धिक स्तर सुधारने में अहम भूमिका निभाता है। अंततः इससे बेहतर देश का निर्माण होता है।

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