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    क्या बच्चों से घर के कामकाज करवाना चाहिये ?
    2016-08-24 10:11:59 cri

    वास्तव में बच्चों को बचपन से ही घर के कामकाज करवाने का उद्देश्य मां-बाप की मदद करना नहीं है, यह बच्चों के भविष्य के लिये एक परीक्षा और प्रशिक्षण है। साथ ही बच्चों के प्रति यह मां-बाप की जिम्मेदारी भी है।

    एक बार जब मैं एक दोस्त के वहां काम करती थी तब दोपहर के बाद दोस्त के सात वर्षीय बेटे ने उन्हें फ़ोन किया। बातचीत में बेटे ने मां से कहा कि उसने चावल पकाया है। अब सब्ज़ियां पकाने की तैयारी कर रहा है। पर फ़्रिज़ में टमाटर नहीं है।

    मैं यह बातें सुनकर वो बहुत आश्चर्यचकित हुई। केवल सात वर्ष का बच्चा कैसे जानता है कि मां के बिना अपने आप भोजन कैसे बनाना है ? तो मैंने दोस्त से पूछा। उन्होंने जवाब दिया कि उनके बेटे के प्राइमरी स्कूल में जाने के बाद, भोजन बनाते समय वे अक्सर उसे रसोईं घर में बुलाती हैं, और उसे बताती हैं कि भोजन कैसे बनाया जाता है। कभी कभार वो देर से घर वापस आती हैं। तो वे अपने बेटे को फ़ोन करके भोजन बनाने के लिये कहती हैं। तो उनका बेटा भोजन बनाकर मां का इंतजार करता है, और वे एक साथ भोजन खाते हैं। धीरे धीरे उनके बेटे की यह आदत बन गई जब भी मां घर में नहीं होती हैं, तो वह अपने आप भोजन बनाता है।

    दोस्त ने मुझे यह भी बताया कि उनका बेटा न सिर्फ़ अपने आप भोजन बना सकता है, बल्कि अगर मां की तबीयत ठीक नहीं है, तो वह मां की देखभाल भी कर सकता है। एक बार मेरी दोस्त के सिर में दर्द हुआ, तो वो सोफ़े पर लेटी हुई थी। उनका बेटा उनके लिये पानी लेकर आया। फिर एक कंबल लेकर उनके शरीर पर डाल दिया। इसके बाद बेटे ने होमवर्क लिखना शुरू किया।

    यह दोस्त पारिवारिक शिक्षा से जुड़ा काम करती हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई रहस्य नहीं है। अगर तुम अपने बच्चों से घर के कामकाज करवाओगे तो वे इसे जल्दी ही करना सीख जाएंगे। यानी तुम्हें बच्चों को मां के लिये कुछ काम करने का मौका देना चाहिये, ताकि बच्चों को स्वतंत्रता के साथ जीवन बिताने की क्षमता और जिम्मेदारी का प्रशिक्षण दिया जा सके।

    मेरी और एक दोस्त की बेटी हमेशा अपने जूते को गंदा करती है। तो उसे साफ़ करने में बहुत मुश्किल आती है। तो दोस्त ने अपनी बेटी को अपने आप से जूते साफ़ करने को कहा। दोस्त ने मुझे बताया कि उनकी बेटी ने जूते साफ़ करते समय बारी बारी से कहा कि न जाने जूते साफ़ करना इतना मुश्किल क्यूं है। बाद में उनकी बेटी बहुत ध्यान से जूते का प्रयोग करती है। और पहले की तरह जूते को गंदा नहीं करती है।

    वास्तव में बचपन से बच्चों को घर के कामकाज करवाने का उद्देश्य मां-बाप की मदद करना नहीं है। वह बच्चों के शरीर से मन तक सिलसिलेवार अभ्यास ही है। जो भविष्य में बच्चों के विकास के लिये बहुत लाभदायक है।

    पहले, वह बच्चों की काम करने की क्षमता को उन्नत कर सकता है। सक्षम बच्चे हमेशा घर के कुछ कामकाज कर सकते हैं। विभिन्न कामकाज करने से बच्चे शरीर के विभिन्न भागों का प्रयोग कर सकते हैं। जैसे:कपड़े को तह करने से बच्चों की छोटी मांसपेशी का अभ्यास किया जा सकता है, और फ़्लोर को साफ़ करने से बच्चों की बड़ी मांसपेशी का अभ्यास किया जा सकता है।

    दूसरा, घर के कामकाज करने से बच्चों की वस्तुओं का वर्गीकरण करने की क्षमता उन्नत हो सकती है। यह क्षमता न सिर्फ़ जीवन बिताने में बल्कि पढ़ाई में भी बहुत महत्वपूर्ण है। घर की वस्तुओं का वर्गीकरण करना चाहिये, साथ ही पढ़ाई में ज्ञान का वर्गीकरण भी करना चाहिये। ऐसा करके बच्चे अच्छी तरह से ज्ञान का प्रयोग कर सकते हैं। इसलिये बच्चे बचपन से वर्गीकरण करने की आदत बनाते हैं, तो इस आदत से उन्हें जीवन भर लाभ मिल सकता है।

    तीसरा, वह बच्चों की जिम्मेदारी का प्रशिक्षण कर सकता है। तुम यह कर सकते हो कि बच्चे सबसे पहले अपने काम से शुरू कर सकते हैं, फिर अन्य परिजनों की मदद कर सकते हैं। बच्चों को यह समझना चाहिये कि उन्हें बचपन से घर के लिये कुछ काम करना और योगदान देना पड़ेगा। जिससे परिवार के प्रति उनकी जिम्मेदारी पैदा हो सकती है। ऐसा करके वे अपने घर को ज्यादा प्यार करेंगे, परिजनों के श्रम पर ज्यादा ध्यान देंगे, और ज्यादा जिम्मेदारी भी उठाएंगे।

    चौथा, वह बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ा सकता है। घर के कामकाज करने में बच्चों को आत्मविश्वास और सफलता मिल सकती है। हालांकि उनकी उम्र बहुत कम है, शायद काम करने में बहुत अच्छा नहीं है। लेकिन धीरे धीरे अभ्यास करने के दौरान बच्चे यह देख सकते हैं कि उनके पास बहुत काम करने की क्षमता होती है। और काम करने से उनका आत्मविश्वास भी बढ़ गया है।

    पांचवां, घर के कामकाज करने से बच्चों की समस्या का समाधान करने की क्षमता उन्नत होगी। जब बच्चे शुरू में घर के कामकाज करते हैं, तो ज़रूर बहुत अच्छा नहीं करेंगे। उसी समय मां-बाप को चिंता नहीं करना चाहिए। केवल बच्चों के लिये व्याख्यान और प्रदर्शन करना चाहिये। अभ्यास करने के दौरान बच्चे मां-बाप के तरीके देख सकते हैं और सीख सकते हैं। मां-बाप की नकल करने में बच्चे यह भी सोचते हैं कि कैसे यह काम अच्छी तरह से किया जा सकेगा ?बाद में वे अपने आप से समस्या का समाधान करने का तरीका ढूंढ़ पाएंगे।

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