बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, मुर्गी की गंध मलेरिया से आपका बचाव कर सकती है। इथिओपिया और स्वीडन के वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक़ मलेरिया फैलाने वाले मच्छर चिकन और दूसरे पक्षियों से दूर भागते हैं।
पश्चिमी इथिओपिया में किए गए एक शोध में मच्छरदानी में सोए हुए एक शख़्स के पास पिंजड़े में मुर्गी रखी गई।संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ अफ्रीक़ा में पिछले साल मलेरिया से चार लाख लोगों की मौत हुई।
मलेरिया के पैरासाइट ख़ून में फैलने से पहले लीवर में छुपे होते हैं। मलेरिया के मच्छर संक्रमित व्यक्ति का ख़ून पीते हैं और फिर उस पैरासाइट को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। 'मलेरिया जरनल' में प्रकाशित शोध के मुताबिक़ वैज्ञानिकों इस परिणाम पर पहुंचे हैं कि मच्छर अपना शिकार महक से ढूंढते हैं, तो हो सकता है कि मुर्गी की महक में कुछ ऐसा हो जो उन्हें पसंद न आता हो।
इस शोध में शामिल अडीस अबाबा यूनिवर्सिटी के हाब्ते तेकी ने कहा कि मुर्गी की महक से कुछ रसायन निकालकर उन्हें मच्छर दूर रखने वाली क्रीम में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बीबीसी को बताया कि आगे शोध के फ़ील्ड ट्रायल किए जाएंगे। स्वीडिश यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर साइन्सेज़ के शोधकर्ता भी इस अध्ययन में शामिल थे।
इस प्रयोग में मुर्गी के पंखों से निकाले गए रसायनों और जीवित मुर्गियों का इस्तेमाल किया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि मुर्गी और इन रसायनों से मच्छरों की संख्या में काफ़ी कमी आई थी।