
वहीं भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने आशा जताई कि रेल मंत्रालय "बौद्ध धर्म स्थलों का भ्रमण" नामक लग्ज़री ट्रेन लाइन चलाएगा, ताकि चीन व जापान के बौद्ध धर्म अनुयाइयों को भारत की यात्रा के लिए आकर्षित किया जा सके।
बताया जाता है कि इस विशेष लाइन को खोलने का मकसद चीन और जापान जैसे देशों के बौद्ध श्रद्धालुओं और धनी पर्यटकों को आकर्षित करना है। भारतीय रेल कंपनी की शाखा कंपनी----भारतीय रेल मार्ग रेस्तरां व पर्यटन कंपनी ने मार्च 2007 में "भारतीय बौद्ध धर्म स्थलों का भ्रमण" नामक रेल चलानी शुरू की। लेकिन चीन व जापान ने शिकायत की कि इस रेल गाड़ी में वाईफाई और ब्रॉडबैंड सेवा बहुत खराब है, लग्जरी होटल नहीं है और हवाई अड्डे जाने के लिए अच्छी सुविधा भी नहीं है। साथ ही ट्रेन में साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखा गया है और गर्म पानी भी उपलब्ध नहीं है। पर्यटक अपनी मर्जी से खाना नहीं चुन सकते और वेटिंग रूम में लग्ज़री लाउंज भी नहीं है इत्यादि। भारत सरकार को लगता है कि इस तरह की ट्रेन पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर सकती, इसलिए भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने इस कंपनी से चीन या जापान के सहयोग से बौद्ध धर्म स्थलों का भ्रमण करने की परियोजना का विकास करने की मांग की।
भारतीय समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र संघ के सर्वेक्षण के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 50 करोड़ बौद्ध अनुयायी हैं। जबकि भारत की यात्रा करने वाले विदेशी बौद्ध अनुयाइयों की संख्या केवल 0.005 प्रतिशत रही। बौद्ध अनुयाइयों को आकर्षित करने में भारत का प्रयास पर्याप्त नहीं है। भारत बौद्ध धर्म का जन्मस्थल है। इसलिए भारत में बौद्ध धर्म पर्यटन के विकास की व्यापक संभावना है।









