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    टी टाइम 160721(अनिल और नीलम)
    2016-07-21 18:32:37 cri

    अनिल- टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं, आपका मनोरंजन करने। जी हां ... आपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा, 25 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

    दोस्तो, आज के प्रोग्राम में आप सुनेंगे, खुनमिंग जातीय विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की अध्यक्ष चीनी अध्यापिका प्रिया के साथ बातचीत।

    दोस्तो, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि

    चीनी छात्रों में हिंदी सीखने के प्रति रुझान धीरे-धीरे ही सही पर बढ़ रहा है। चीन में बीजिंग सहित कई शहरों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। जहां सैंकड़ों छात्र-छात्राएं भारतीय भाषा और संस्कृति का अध्ययन कर रही हैं। वे न केवल चीन में हिंदी सीखते हैं, बल्कि भारत जाकर भी हिंदी की पढ़ाई करते हैं। भारत और चीन के रिश्ते बेहतर होने के साथ-साथ लोगों में भारतीय भाषाएं और चीनी सीखने की ललक बढ़ रही है। दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग में भी हिंदी पढ़ाई जा रही है।

    हाल के वर्षों में कई चीनी छात्रों ने हिंदी की पढ़ाई की और उसके पश्चात हिंदी पढ़ाने, अनुवाद या भारत से जुड़े काम कर रहे हैं। ऐसी ही एक छात्रा छाव छन रवेई(हिंदी नाम प्रिया) हैं, साल 2010 में शीआन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुई। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से भी हिंदी का अध्ययन किया। वर्ष 2010 से युन्नान जातीय विश्वविद्यालय से जुड़ी हैं, जबकि सितंबर 2011 में हिंदी विभाग शुरू होने पर हिंदी पढ़ाने का काम कर रही हैं। वर्तमान में वह हिंदी विभाग की अध्यक्ष हैं।

    अब लीजिए सुनिए, खुनमिंग स्थित विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाने वाली चीनी शिक्षिका छाव छन रवेई के साथ बातचीत...

    .........बातचीत जारी है............

    जैसा कि हम जानते हैं कि युन्नान प्रांत चीन, भारत, बांग्लादेश, थाइलैंड और म्यांमार आदि देशों का गेटवे है। ऐसे में वर्ष 2011 में खुनमिंग स्थित युन्नान जातीय विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की स्थापना हुई। हाल ही में बांग्ला विभाग भी खोला गया है। उम्मीद है कि इससे चीनी युवाओं की भारत के प्रति समझ बढ़ेगी।

    ...बातचीत...................

    अभी आप सुन रहे थे बातचीत.....

    अनिलः अब लीजिए जानकारी देने का सिलसिला शुरू होता है। आजकल सोशल मीडिया में एक कौवे ने धूम मचा रखी है। इस कौवे के कारनामों के चलते ही इसके फॉलोवर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। दरअसल इस कौवे की समझदारी से सभी लोग काफी प्रभावित हुए है। आपको बता दें कि इसी वजह से इस कौवे के फेसबुक में ही 22000 फॉलोवर बन गए हैं।

    हमने बचपन में प्यासे कौवे की कहानी सुनी थी। इस बात में कोई भी संदेह नहीं है कि कौवा एक समझदार पक्षी होता हैं। लेकिन कानुक नाम इस कौवे ने सोशल मीडिया में धूम मचा रखी है। इस कौवे के कारनामों के चलते ही इसके फॉलोवर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।

    दरअसल, बीते दिनों एक घटना स्थल पर कनाडा की पुलिस पहुंची। पुलिस के अधिकारियों ने यहां पर पहुंचकर देखा कि एक कार पूरी तरह जल चुकी थी और कार के ही पास के आदमी के हाथों पर चाकू था। पुलिस ने उस व्यक्ति के हाथों पर से चाकू लेकर उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पुलिस चाकू और आदमी को गाड़ी के पास ले जा रही थी कि अचानक तभी आसमान से उड़ता हुआ एक कौआ कानुक आया और पुलिस अधिकारियों के हाथों से चाकू को अपनी चोंच में दबाकर उड़ चला।

    पुलिस वालों ने उसका काफी दूर तक पीछा किया तब जाकर उन्हें घटना में प्रयुक्त हथियार मिल सका। लेकिन जो भी कानुक की ये बात सुन रहा है, वो वह हैरान होकर यही सोच रहा है कि आखिर एक कौवा ऐसे कैसे कर सकता है।

    इस कौवे ऐसे कारनामें से कई लोग बेहद प्रभावित हुए है। आपको बता दें कि इस कौवे के फेसबुक पर ही 22000 फॉलोवर बन गए है। इतने फॉलोवर बनाने के लिए आम आदमी को काफी लंबे समय का इंतजार करना पड़ता है। वहीं, कानुक को सोशल मीडिया पर सभी के द्वारा खूब पसंद और सर्च किया जा रहा है।

    वहीं

    ब्रिटेन में ट्रांसजेंडर बच्चों की जेंडर कैटेगरी को नया नाम दिया गया है। ऐसे बच्चों को अब 'ही' या 'शी' की बजाय 'जी' कहकर बुलाया जाएगा। ब्रिटेन आवासीय स्कूल एसोसिएशन ने इस बाबत नई गाइडलाइंस जारी की हैं।

    ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि ताकि बच्चे असहज महसूस न करें। एसोसिएशन ने स्कूलों को आदेश जारी कर कहा है कि वे ट्रांसजेंडर बच्चों को 'जी' कहकर बुलाएं। ऐसे छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये 'ही' या 'शी' के तौर पर खुद को पुकारा जाना पसंद नहीं करते। शिक्षकों से कहा गया कि इसलिए 'नई भाषा' सीखने की जरूरत है।

    गाइडलाइंस के अनुसार, स्कूलों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि समानता कानून के मुताबिक सभी छात्रों से बराबर का सलूक किया जाए। उनसे अच्छा व्यवहार हो। साथ ही बच्चे खुद को अलग न महसूस करें और मुख्यधारा में शामिल रहें। बता दें कि ब्रिटेन के स्कूलों में ट्रांसजेंडर बच्चे पैरेंट्स मीटिंग के दौरान ही या शी पुकारने पर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं।

    अब तक ब्रिटेन समेत समूचे यूरोप के स्कूलों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों व नौकरियों के आवेदन में थर्ड जेंडर का कॉलम होता है। अब इसकी जगह जी का कॉलम होगा। स्कॉटलैंड के कई स्कूलों ने नए सत्र के दौरान इस कॉलम की शुरुआत भी कर दी है।

    प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यही संपन्न होता है।

    अब समय हो गया है, श्रोताओं की टिप्पणी शामिल करने का।

    नीलमः पहला पत्र हमें आया है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का।

    वह लिखते हैं,"टी टाइम" के अन्तर्गत आज आपने चोरी का जो किस्सा सुनाया, वह विरल है। जी हाँ, तमिलनाडु में चेन्नई से चार सौ किलोमीटर दूर स्थित विरुधुनगर के मरिअम्मन मंदिर से 45 लाख के बालों की चोरी होना एक आश्चर्यजनक समाचार है, जहाँ शातिर चोरों ने मंदिर से 800 किलो इंसानों के बालों की चोरी की है। यह भी पता चला कि- इस मंदिर में भक्त अपने बालों को मुंडवा उन्हें भगवान को अर्पण कर देते हैं। जानकारियों के क्रम में बेंगलुरु के समीप पुत्तेनाहली में स्थित महालक्ष्मी मंदिर में एक कुत्ते का रोजाना सुबह 4 बजे से 10 बजे तक यानि पूरे 6 घंटे तक चक्कर लगाना और फिर बाद में अपने घर चला जाना काफी कौतूहलपूर्ण लगा। कहते हैं कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और ब्राज़ील के कद से बौने पाउलो गैब्रियल डी-सिल्वा बैरस और कत्युसिया होशिनो की प्रेमकहानी सुन कर यह कहावत बिलकुल सत्य प्रतीत होती है। ये एक-दूसरे से इतना प्यार करते हैं कि दूसरों के लिए मिसाल बन गये हैं। धन्य है सोशल मीडिया कि जिसके ज़रिये इनकी मुलाक़ात हुई। ख़ुशी की बात है कि इनकी शादी को लगभग 8 साल हो चुके हैं। हम दुआ करते हैं कि इनकी जोड़ी हमेशा सलामत रहे। आज के कार्यक्रम में पेश तीनों जोक्स भी काफी उम्दा लगे।

    कार्यक्रम में तिब्बत के दौरे पर गये भारत के वरिष्ठ पत्रकार सीताराम मेवाती के साथ की गई बातचीत काफी महत्वपूर्ण लगी। चीन और तिब्बत के बेमिसाल ढांचागत विकास पर उनके विचार काफी प्रशंसनीय लगे। और हाँ, तिब्बत को लेकर जो मिथ्या भ्रांतियां सुनने को मिलती हैं, उन पर भी मेवातीजी का कटाक्ष काफी अच्छा लगा।

    अब मैं आपका ध्यान एक सामान्य त्रुटि की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ, जो कि आप लगातार दो सप्ताह से करते आ रहे हैं और आपको उसका अहसास भी नहीं है। जी हाँ, विगत दो अंकों की शुरुआत में आप कहते हैं कि -पूछे जायेंगे सवाल भी....... पर पूछना भूल जाते हैं। इस पर गौर फरमाइयेगा। धन्यवाद।

    धन्यवाद। सुरेश जी, हमें पत्र भेजने के लिए।

    अनिलः

    अगला पत्र हमें भेजा है, पश्चिम बंगाल से देबाशीष गोप ने। वह लिखते हैं कि टी-टाइम प्रोग्राम सुना। इसमें शामिल पत्रकार सीताराम जी का इंटरव्यू बहुत अच्छा लगा। उनके बातचीत के जरिए, हमें तिब्बत की असली तस्वीर जानने को मिली। आम तौर पर हमें तिब्बत के बारे में जानकारी नहीं होती है। धन्यवाद यह इंटरव्यू सुनवाने के लिए। इसके साथ ही प्रोग्राम में दी गयी दूसरी जानकारियों ने भी मेरे ज्ञान में इजाफा किया। शुक्रिया शानदार प्रोग्राम पेश करने के लिए।

    धन्यवाद देबाशीष जी, आगे भी हमारे साथ पत्र व्यवहार करते रहें।

    श्रोताओं की टिप्पणी यही संपन्न होती है। आपका एक बार फिर से धन्यवाद।

    अब समय हो गया है जोक्स यानी हंसगुल्लों का।

    पहला जोक... बच्चा - दादी जी टें.... बोलकर दिखाओ दादी - टें... बच्चा - एक बार फिर बोलकर दिखाओ दादी - टें... बच्चा - आप कितना अच्छा बोलती हैं, फिर भी मम्मी कल पड़ोसन से कह रही थी कि पता नहीं बुढिय़ा टें कब बोलेगी।

    दूसरा जोक....

    संता के हाथ में नया फोन देखकर बंता बोला: नया फोन कब खरीदा? संता : नया नहीं, गर्लफ्रेंड का है! बंता : गर्लफ्रेंड का फोन क्यूँ ले आया? संता :रोज कहती थी, मेरा फोन नहीं उठाते..! आज मौका मिला, तो उठा लाया!

    तीसरा और अंतिम जोक

    टीचर- बताओ ऐसे कौन से 2 प्राणी है जिन्हें ठंड नहीं लगती। बिट्टू- जी एक तो पेंगुइन और दूसरी शादी में आई हुई लड़कियां।

    दोस्तो, आज के प्रोग्राम में जोक्स यही संपन्न होते हैं।

    दोस्तो, आपको आज का प्रोग्राम कैसा है। हमें जरूर बताइएगा। हमें आपके सुझावों और टिप्पणी का इंतजार रहेगा। हमारा ईमेल है.. hindi@cri.com.cn, हमारी वेबसाइट का पता है...hindi.cri.cn.......

    अनिलः टी टाइम में आज के लिए इतना ही, अगले हफ्ते फिर मिलेंगे चाय के वक्त, तब तक के लिए नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर, चाय च्यान।

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