Web  hindi.cri.cn
    आपका पत्र मिला 2016-06-29
    2016-07-19 15:59:17 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद एक श्रोता के साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश पेश किए जाएंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त जी का। उन्होंने लिखा है......

    चाइना रेडियो इंटरनेशनल के सभी प्यारे दोस्तों को चुन्नीलाल कैवर्त का सादर सप्रेम नमस्कार। आशा है, आप सब मंगलमय होंगे। आजकल भारतीय युवा प्रतिनिधि मण्डल पेइचिंग, शांगहाई, शीआन, नानचिंग, क्वांगचओ आदि शहरों की यात्रा पर हैं। यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि भारत स्थित चीनी दूतावास ने यात्रा के पूर्व अर्थात 16 जून को चीन की यात्रा करने वाले भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल के लिए सत्कार समारोह आयोजित किया।इस समारोह में भारत स्थित चीनी दूतावास के कार्यवाहक दूत ल्यू चिनसोंग, भारतीय युवा और खेल मंत्रालय की सहायक सचिव किरण सोनी गुप्त और 200 से अधिक भारतीय युवा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसी प्रकार भारतीय युवा प्रतिनिधि मण्डल के चीन पहुँचने पर, अखिल चीन युवा संघ (ऑल चाइना यूथ फेडरेशन) ने 17 जून को इनके लिए शानदार स्वागत-समारोह आयोजित किया।इस समारोह में अखिल चीन युवा संघ के उपाध्यक्ष प्रोफेसर शू थाओ, प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख व नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के उप-निदेशक विष्णु शर्मा, भारतीय दूतावास के डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर बाला भास्कर और प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों ने हिस्सा लिया।यह अच्छी बात है कि चीन-भारत आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत चीन पहुंचे युवा प्रतिनिधिमंडल में भारत की विभिन्न जगहों के युवा कार्यकर्ता, उद्यमी, डॉक्टर, शिक्षक, विद्वान, कलाकार, मीडियाकर्मी और कॉलेज के छात्र शामिल हैं।

    चीन और भारत एशिया के देशों के साथ साथ मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश हैं। वर्तमान में दोनों देशों के युवा लोग द्वपिक्षीय मैत्री को आगे बढ़ाने के लिए अधिकाधिक कार्य कर रहे हैं। उम्मीद है कि हमारे युवा चीन-भारत मैत्री के सुनहरे भविष्य के लिए बड़ी शक्ति प्रदान करेंगे।प्राचीन सभ्यता वाले देशों के रूप में भारत और चीन के बीच कई समानताएं मौजूद हैं, इसके साथ ही दोनों के पास अपनी-अपनी विशेषताएं और श्रेष्ठताएं भी हैं। मौजूदा चीन यात्रा भारतीय युवाओं के जीवन में अविस्मरणीय याद बन जाएगी और भारत-चीन मित्रवत आदान-प्रदान का एक और मील का पत्थर होगी।आशा है कि चीन की इस यात्रा से भारतीय युवा चीन और चीनी जनता से जुड़ेंगे और एक-दूसरे के प्रति अच्छी समझ का विकास कर, दोनों देशों के विकास को बढ़ावा देने में सफल हो सकेंगे।हाल के वर्षों में चीनी और भारतीय युवाओं ने एक-दूसरे देशों की यात्रा की है, जिससे सकारात्मक उपलब्धियां हासिल हुईं है। उनके बीच एक-दूसरे के प्रति समझ व मैत्री बढ़ी है। इसने द्विपक्षीय संबंधों के विकास में भारी योगदान दिया है। चीन और भारत एक-दूसरे से कई क्षेत्रों में सीख सकते हैं, युवाओं का आदान-प्रदान इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। दोनों देशों के युवकों की आपसी यात्रा की व्यवस्था से ज़्यादा से ज़्यादा युवा एक-दूसरे को जानने लगे हैं और भविष्य में चीन-भारत मैत्रीपूर्ण संबंध के विकास के लिए आधार तैयार हो रहा है।युवा चीन-भारत मैत्री का भविष्य हैं। युवाओं के एक-दूसरे देशों की यात्रा वाली व्यवस्था पारस्परिक आदान-प्रदान, एक-दूसरे से सीखने, मैत्री की गहराई तथा सहयोग की मज़बूती का महत्वपूर्ण मंच है। दोनों देशों के युवा चीन-भारत मैत्री को आगे बढ़ाने के गैर-सरकारी दूत हैं और चीन-भारत संबंधों के विकास को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देंगे।

    दिल्ली से बहन वनिता और पेइचिंग से श्री अखिल पाराशर की रिपोर्ट सार्थक और सटीक लगी। इसके लिए चाइना रेडियो इंटरनेशनल का हार्दिक धन्यवाद। आशा है, अगले कार्यक्रमों में इन युवाओं की चीन यात्रा एवं अन्य गतिविधियों के बारे में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

    हैया:चुन्नीलाल कैवर्त जी, हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। चलिए, अगला पत्र मेरे हाथ आया है ओडिसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है...... केसिंगा दिनांक 25 जून। प्रतिदिन की तरह मैंने आज भी अपनी ड्यूटी बखूबी निभायी और सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण शाम ठीक साढ़े छह बजे नियत समय पर अपने तमाम परिजनों के साथ मिलकर शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर सुना और अब मैं उस पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया आप तक पहुँचाने की क़वायद पूरी करने कम्प्यूटर के समक्ष बैठा हूँ। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी लाज़वाब रहा। बेशक़ीमती जानकारी के साथ "तीन देवियाँ", "क़ुदरत","आम्रपाली","मेरा साया" तथा "देवर" फ़िल्मों के नायाब मधुर गाने सुन कर लाज़वाब मध्ययुगीन सिनेमा की याद ताज़ा हो उठी।

    जानकारियों के क्रम में भारत द्वारा गत 22 जून को एकसाथ 20 उपग्रहों को अपने PSLV सी 34 रॉकेट वाहक के ज़रिये अन्तरिक्ष में भेजे जाने का समाचार एवं उक्त प्रक्षेपण से जुड़ी दस ख़ास बातों का उल्लेख किया जाना काफी महत्वपूर्ण लगा। जब कि हवाई-यात्रा से सम्बन्धित दस मिथकों अथवा पलने वाले भ्रम पर दी गई जानकारी तो इतनी सूचनाप्रद थी, कि जिसे सुन कर हमारा तमाम भ्रम दूर हो गया। एक सार्थक प्रस्तुति हेतु हार्दिक धन्यवाद।

    रोज़मर्रा के चीनी-भाषा पाठ्यक्रम के तहत मैडम श्याओ थांग तथा राकेश वत्स जी द्वारा प्रतिदिन नया पाठ शुरू करने से पूर्ण पुराने पाठ का दोहराया जाना अभ्यासकर्ताओं के लिये काफी सहायक जान पड़ता है। आज भी नया पाठ आरम्भ करने से पूर्व -"क्या ये बस तुंग फांग सोसायटी जायेगी" को चीनी भाषा में कैसे कहा जायेगा, का अभ्यास कराया गया। धन्यवाद।

    26 जून को ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों में 25 जून की शाम आठ बजे चीन के लांग मार्च नम्बर 7 रॉकेट का प्रथम प्रक्षेपण दक्षिणी चीन के हाईनान प्रांत में सफलतापूर्वक किये जाने तथा प्रक्षेपण के महज़ 603 सैकेंड बाद रॉकेट पर लगे वाहक का अनुसूचित कक्षा में स्थापित होना और फिर 25 जून को प्रक्षेपित लांग मार्च नम्बर 7 पर लगे बहुउद्देशीय अंतरिक्ष यान का एक दिन की उड़ान के बाद अपना मिशन समाप्त कर 26 जून को पृथ्वी पर सकुशल वापस लौट आने का समाचार काफी उत्साहवर्द्धक लगा। इस असाधारण सफलता पर चीनी जनता और वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई !

    साप्ताहिक "सण्डे की मस्ती" के तहत शुरुआत में मशहूर गायक सुन हाउ की मधुर आवाज़ में सुनवाया गया चीनी लोकगीत बहुत कर्णप्रिय लगा। सण्डे विशेष में - विश्व की एक संवेदनशील कहानी क्रम में सपनाजी द्वारा पेश यूगोस्लावियायी कहानी 'एक सैनिक और काम आ गया' सुनी, काफी मर्मस्पर्शी लगी। रामू, कालू और मुनिया को तो यह भी नहीं पता कि युध्द क्या होता है, कोई कैसे मर जाता है,आत्मा क्या है और काम आना क्या है। 'काश' इन मासूमों की इस मासूमियत को दुनिया के रक्तपिपासु समझ पाते ! अजीबोग़रीब और चटपटी बातों की कड़ी में आज कैसे चीन में एक बारह वर्षीय लड़की याओ कुआलिंग के सिर में घुसा चाकू और कैसे डॉक्टरों द्वारा उसे बचाया गया, ख़बर वास्तव में, आश्चर्यजनक है। चीन में इंजीनियरों द्वारा विकसित एलिवेटेड बस, जिसमें बारह सौ यात्री एकसाथ यात्रा कर सकते हैं और वह ट्रैफ़िक समस्या से निज़ात दिलाने में कैसे कारगर भूमिका निभा सकती है, जानकारी काफी महत्वपूर्ण लगी। वैसे यह जानकारी भारतीय मीडिया में एक सप्ताह पहले ही आ चुकी थी। चीन के सछवान प्रान्त में छह साल के विद्यार्थियों द्वारा सत्रह खड़ी चट्टानें पार कर स्कूल जाने का समाचार हमें यह सोचने पर विवश करता है कि -चाहे हम चाँद-सितारों को छूने में सफल हो गये हों, आज भी हमारे लोग बुनियादी ज़रूरतों से बुरी तरह जूझ रहे हैं। अब क्या नाम दिया जाये इस विकास का ?

    प्रेरक कहानी क्रम में -"अच्छे व्यवहार का रहस्य" संत तुकाराम की महत्वपूर्ण सीख से बख़ूबी समझ में आ जाता है। मनोरंजन खण्ड में इस शुक्रवार रिलीज़ हुई अनुराग कश्यप निर्मित और नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी अभिनीत फ़िल्म "रमन राघव 2.0" की चर्चा के साथ उसका प्रोमो सुनवाया जाना हमारे फ़िल्मी ज्ञान में वृध्दि कर गया। और हाँ, आज के तमाम जोक्स भी काफी उम्दा लगे। धन्यवाद फिर एक सुन्दर प्रस्तुति हेतु।

    अनिल:सुरेश अग्रवाल जी, पत्र भेजने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आगे पेश है, पश्चिम बंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु जी का पत्र। उनहोंने लिखा है

    दिनांक 3 जून को "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम और "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम सुना।

    आज साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम में हुमिन जी ने ग्यारहवें पंचन लामा का ल्हासा दौरा समाप्त करने के बाद जाशिलून्पो मठ वापस जाने को लेकर एक रिपोर्ट हमें सुनाई जो मुझे बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक लगी। "चीन का तिब्बत" कार्यक्रम मुझे बहुत प्रिय है। इस कार्यक्रम से मुझे तिब्बत के बारे में बहुत सी नई नई जानकारियां मिली ।

    रिपोर्ट ध्यान से सुनकर पता चला कि जाशिलून्पो मठ तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाजा शहर के पश्चिमी भाग में स्थित है। वर्ष 1447 में तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग संप्रदाय के गुरू चोंगखापा के शिष्य गेन्डुन ज़ुबा यानी पहले दलाई लामा ने इस मठ का निर्माण करवाया। तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग संप्रदाय के सुप्रसिद्ध मठ के रूप में जाशिलून्पो मठ चौथे पंचन लामा और उन के परवर्ती पंचन लामाओं का निवास स्थान बन गया। जाशिलून्पो मठ पंचन लामा के निवास भवन, कानपू सम्मेलन इमारत यानी शिकाजा व आली क्षेत्र की उच्चतम सरकारी संस्था, पंचन लामा के स्तूप और सूत्र संस्थान चार भागों में बंटा हुआ है। पहाड़ के पास निर्मित इस मठ का क्षेत्रफल तीन लाख मीटर है। विभिन्न भवन पंक्तिबद्ध खड़े हुए है और प्रमुख भवन में अद्भुत अलंकृत खंभे और स्तंभ बनाए गए हैं, देखने में पूरा निर्माण समूह अत्यंत भव्य व आलिशान लगता है। इस मठ तिब्बत में ल्हासा में स्थित पोटाला महल के बाद दूसरा बड़ा निर्माण समूह माना जाता है। इस मठ का सबसे शानदार वास्तु निर्माण मैत्रेय बुद्ध भवन और विभिन्न पंचन लामा के स्तूप भवन हैं। जाशिलून्पो मठ के पश्चिमी भाग में स्थित मैत्रेय बुद्ध भवन में बैठे हुए मैत्रेय बुद्ध की मूर्ति है,जिस की ऊँचाई 26.2 मीटर है। नौवें पंचन लामा द्वारा निर्मित यह बुद्ध मूर्ति के निर्माण में एक लाख किलो से ज्यादा पीतल, 335 किलो सोने का प्रयोग किया गया था। यह विश्व में पीतल से बनी सब से बड़ी बैठी बुद्ध मूर्ति मानी जाती है।जाशिलून्पो मठ में विभिन्न पंचन लामाओं के स्तूपों का आकार अलग-अलग है,जिन में चौथे पंचन लामा का स्तूप सबसे शानदार होता है।

    पिछले 27 मई को जब पंचन लामा जाशिलून्पो मठ के गेट पर पहुंचे तब मंदिर के लामाओं ने रंग-बिरंगे झंडे लहराते हुए पंचन लामा का स्वागत किया। पंचन लामा ने मंदिर के सामने खड़े पचास हजार अनुयायियों को आशीर्वाद दिया। तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों से आये अनुयायियों ने पंचन लामा का गर्मजोशी से स्वागत किया और प्रेम की भावना व्यक्त की। रिपोर्ट में बताया गया है कि धर्मग्रंथ के संदर्भ में पंचन लामा बहुत शिक्षित हैं। उन्होंने बौद्ध धर्म के सभी ग्रंथों का अध्ययन समाप्त किया है। इतिहास और संस्कृति के अलावा पंचन लामा चीनी भाषा और अंग्रेज़ी बोलने में भी निपुण हैं। जाशिलून्पो मठ का विस्तृत विवरण मुझे मुग्ध किया। अगर मुझे कभी मौका मिले तो मैं जाशिलून्पो मठ को देखना चाहूंगा।

    आज "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम में पंकज श्रीवास्तव जी ने हाल ही में भारतीय राष्ट्रपति प्रणब कुमार मुखर्जी की चीन यात्रा, विशेषकर मशहूर पेइचिंग विश्वविद्यालय का दौरा करने वक्त पेइचिंग विश्वविद्यालय के दो शोध विद्यार्थियों से बात की। उन्होंने अपने अलग अलग अनुभव हमारे साथ साझा किया। विश्वविद्यालय के मैन ऑफ़ केमिस्ट्री विभाग के भारतीय छात्र मनीश कुमार प्रियदर्शी ने बताया कि दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के छात्रों के बीच आवाजाही और सहयोग मजबूत किया जाना चाहिए।

    पेइचिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ता विकास ने कहा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मौजूदा चीन यात्रा दोनों देशों के बीच एक और महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय आवाजाही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में भारत और चीन के रिश्तों में परिपक्वता आयी है, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, वित्तीय, व्यापार, सामाजिक, संस्कृति आदि बहुत क्षेत्रों में सहयोग आगे बढ़ रहा है। विकास जी का मानना है कि अनेक क्षेत्रों में दोनों देश एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। उदाहरण के लिए,आई.टी.,सूचना तकनीक और सॉफ्टवेयर में भारत के अनुभव कहीं अधिक परिपक्व है। वहीं चीन हार्डवेयर के क्षेत्र में अपेक्षाकृत विकसित है। अगर दोनों देश एक साथ मिलकर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करें तो हमें पश्चिमी देशों से कहीं आगे निकल सकते हैं।

    राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान 10 भारतीय विश्वविद्यालयों ने शिक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए चीनी विश्वविद्यालयों के साथ जो समझैता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए है ,इस बारे में टिपण्णी करते हुए विकास जी ने कहा कि चीन और भारत को शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने की बहुत ज़रूरत है। विकास जी की इस बात से मैं पूर्ण सहमत हूं कि हस्ताक्षर करना और उस पर अमल करना - दो बातें होती है। यह सही है कि भारत में सरकारी विभागों में लालफीताशाही बदतर है। उन्होंने आशा जताई कि चीन और भारत के बीच मौजूद मतभेदों को हटाकर दोनों देशों की सरकारें एक दूसरे को सहयोग करते रहे तो एक समृद्ध व पुनर्जीवित एशिया की सदी जल्द ही साकार होगी।

    वाकई यह सच है कि भारतीय बुद्धिमत्ता और चीनी ऊर्जा का मिलन हो जाए तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। भारत और चीन के पारस्परिक सहयोग के बारे में मैं यहीं कहना चाहूंगा कि भारत निवेश चाहता है और चीन के पास धन है। यह दोनों ही देशों के लिए फायदे का सौदा है। अगर भारत और चीन को 21वीं सदी में एक अहम और रचनात्मक भूमिका निभानी है तो दोनों देशों के विभिन्न विभागों और स्तरों पर बेहतरीन समन्वय स्थापित करके अपने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाना चाहिए।

    पंकज जी और विकास जी को धन्यवाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की चीन की यात्रा पर भारत-चीन संबंधों के विभिन्न पहलुओं को हमें सुनाने के लिए।

    हैया:अब सुनिए योग गुरु मृतुंजय जी के साथ हुई बातचीत।

    ---- INTERVIEW-----

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040