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    महिला ड्राइवर छांग होंगश्या की कहानी
    2016-07-12 16:00:46 cri

    पेइचिंग का वसंत ऋतु बहुत ही सर्दी भरा है, तापमान शून्य डिग्री के लगभग है। सुबह साढ़े 6 बजे हालांकि आकाश में थोड़ा बहुत उजाला दिखाई देने लगा है, लेकिन पश्चिमी पेइचिंग में स्थित लाओशान बस स्टॉप के नियंत्रण कक्ष में लोगों की भीड़-भाड़ उमड़ गई है। यहां पेइचिंग शहर के नंबर-1 बस का पहला स्टेशन है। महिला बस ड्राइवर छांग होंगश्या अपने दिन भर के काम के लिये तैयार हो रही हैं। उन्होंने कहा, मैं हर दिन तय समय से आधे घंटे या 40 मिनट पहले बस स्टेशन पहुंच जाती हूं। मेरी यह एक आदत बन गयी है। फिर मैं ड्राइवर की साफ़ सुथरी वर्दी पहनती हूं। देखने में काफी सुन्दर लगती है। इसके बाद मैं कंडक्टर के साथ बस साफ़ करती हूं, और बस के उपकरणों की जांच करती हूं, ताकि बस रास्ते में खराब न हो। कभी कभार हम एक साथ नाश्ता भी करते हैं, फिर अपना काम शुरू करते हैं।

    छांग होंगश्या द्वारा चलायी जाने वाली बस पेइचिंग के मशहूर छांगआन सड़क से होते हुए गुजरती है। इसके अलावा शीतान, थ्येनआनमन चौक, वांगफ़ूचिंग व क्वोमाओ समेत भीड़-भाड़ वाले इलाकों से भी गुजरती है। बस का आखिरी स्टॉप पूर्वी पेइचिंग का सीह्वेई परिवहन केंद्र है। इस रास्ते की कुल लंबाई 27.1 किलोमीटर है। रास्ते में कुल 24 स्टॉप पड़ते हैं। बस को पूरा एक सफर तय करने में कुल 71 से 74 मिनट का समय लगता है। अगर रास्ते में कोई समस्या नहीं आती है, तो छांग होंगश्या आखिरी स्टॉप पर कई मिनटों का आराम कर लेती हैं। पर अगर रास्ते में ट्रैफ़िक जाम मिलता है, तो उन्हें शौचालय जाने का वक्त भी नहीं मिलता है। दोपहर का भोजन भी वे अकसर आनन-फानन में करती हैं। कभी कभार वे केवल कुछ बिस्कुट और एक बोतल दही खाकर ही अपने दोपहर का भोजन करती है। पेइचिंग के पश्चिम से पूर्व तक छांग होंगश्या को हर दिन तीन बार चक्कर लगाना होता है। यानी हर दिन वे 163 किलोमीटर बस चलाती हैं। वर्ष 2001 से लेकर अब तक छआंग होंगश्या को ड्राइवरी करते हुए 15 साल हो गये हैं।

    उन्होंने कहा, बचपन में मैं जब भी अपने माता-पिता के साथ बाहर घूमने जाती थी, तो बड़ी बस देखकर मुझे बहुत आनंद आता था। उस समय मैंने सोचा कि अगर किसी दिन मैं भी एक ड्राइवर बनकर इतनी बड़ी बस को चलाने लगूं, तो कितना अच्छा होगा। इसलिये जूनियर हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद मैंने व्यावसायिक उच्च विद्यालय में पेशेवर कंडक्टर का विषय चुना और बचपन का सपना पूरा किया। स्नातक होने के बाद मैंने सार्वजनिक यातायात कंपनी में प्रवेश किया। सबसे पहले मैं एक कंडक्टर बनी। बस में सेवा करते हुए मैं अकसर ड्राइविंग सीखती थी। मुझे यकीन था कि एक न एक दिन मैं ड्राइवर बनूंगी।

    वर्ष 1998 में युवा छांग होंगश्या ने तीन साल कंडक्टर का काम करने के बाद बेझिझक होकर बस ड्राइविंग स्कूल में बस चलाने की ट्रेनिंग ली। उन्होंने कहा, उस दौरान मैं हर दिन सुबह पाँच बजे उठा करती थी। सबसे पहले मैं अपना काम पूरा करती थी। फिर दोपहर के दो बजे के बाद मैं ड्राइविंग स्कूल जाकर अभ्यास करती थी। उसी समय मैं ड्राइविंग टीचर की हमेशा मदद करती थी। टीचर का कहना था कि मैं बहुत पतली हूं। उस समय मेरा वज़न केवल 40 किलोग्राम था। अभी के मुकाबले बहुत ज्यादा पतली।

    वर्ष 2001 की 10 अप्रैल को छांग होंगश्या अपना सपना पूरा कर एक महिला बस ड्राइवर बन गयी। ठीक उसी साल में उन्होंने पेइचिंग मज़दूर संघ द्वारा आयोजित बस की व्यावसायिक तकनीक की प्रतियोगिता में भाग लिया और आठ हजार से अधिक प्रतियोगियों में उनका नौवां स्थान रहा, जो पहले दस पुरस्कार विजेताओं में एकमात्र महिला ड्राइवर हैं। छांग होंगश्या को अभी तक इसकी याद ताजा है। उनके अनुसार,  मेरे लिये सबसे मुश्किल काम तो टायर बदलना था। बस टायर का वज़न लगभग 50 से अधिक किलोग्राम था। उसी समय वह वज़न मेरे वज़न के बराबर था। प्रतियोगिता के नियम के अनुसार हमें दस मिनट के अंदर ही जैक लगाकर टायर बदलना था। साथ ही टायर की सतह और पेंच की जांच-पड़ताल की जाती थी। उस समय मैंने बड़ी कोशिश करके इस प्रतियोगिता को पूरा किया।

    अपना सपना पूरा करके महिला बस ड्राइवर छांग होंगश्या की ताकत और मजबूत हो गयी। वे हर दिन विश्व में सबसे लंबे व सबसे चौड़े रास्ते पर बस का चक्कर लगाती हैं, और खेप दर खेप वाले यात्रियों को सेवा देती हैं। उन्होंने सच्चे दिल से कहा कि एक महिला के रूप में बस ड्राइवर का काम करने में सचमुच कुछ दिक्कतें आती हैं। उन्होंने कहा कि, हर दिन बहुत जल्दी उठना पड़ता है, और बहुत देर से घर वापस लौटना पड़ता है। मैं अन्य लड़कियों की तरह सुन्दर कपड़े नहीं पहन सकती हूं। हमें हमेशा दूसरे लोगों की तुलना में ज्यादा कपड़े पहनने होते हैं। शायद अन्य लोग शर्ट पहन सकते हैं, लेकिन हमें तो स्वेटर पहनना होता है। क्योंकि सुबह बहुत जल्दी घर से निकलना पड़ता है।

    पर छांग होंगश्या ने कहा कि हालांकि काम बहुत कठोर है, लेकिन उनकी सेवा के प्रति यात्रियों द्वारा की गयी प्रशंसा हमेशा उन्हें प्रोत्साहन देती है। उन्होंने कहा कि, इस साल वसंत त्योहार में रास्ते की स्थिति बहुत अच्छी है। और बस में यात्रियों की संख्या भी बहुत अधिक नहीं है। पर एक चाची मेरे पास खड़ी होकर कई स्टेशनों तक सवारी की। उन्होंने अपने गंतव्य पहुंचने से पहले अपनी जेब से दो कैंडी निकालकर मुझे दी और कहा कि तुम ये कैंडी ले लो। वसंत त्योहार में तुम भी काम करती हो, घर वालों से नहीं मिल सकती। तुम बहुत मेहनती हो। मैंने चाची की दयालुता को स्वीकार करते हुए कैंडी ले ली। शायद ऐसी बात अन्य लोगों के प्रति कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन मेरे लिये यह एक बहुत खुशी की बात है।

    छांग होंगश्या के ख्याल से वे बहुत सौभाग्यशाली हैं। उनके काम करने के इन सालों में बस की स्थिति लगातार सुधर रही है। खास तौर पर पेइचिंग में लागू की गयी सार्वजनिक बस के विशेष रास्ते से जुड़ी नीति-नियम ने उन जैसे सार्वजनिक बस के ड्राइवरों को बड़ी सुविधा दी। उनके अनुसार, मुझे लगता है कि बस चलाने में मेरी तकनीक ज्यादा से ज्यादा अच्छी हो रही है। और यात्रियों के प्रति ज्यादा से ज्यादा आरामदायक वातावरण भी तैयार होता है। पहले समय में बस में एसी नहीं था, तो सर्दी के दिनों में मुझे तीन या चार मोज़े पहनने पड़ते थे। एक दिन के काम के बाद दोनों पैर सर्दी के कारण लाल हो जाते थे। लेकिन हाल के कई वर्षों में बस की गुणवत्ता में लगातार सुधार हो रहा है। गर्मी के दिनों में एसी होता है, और सर्दी के दिनों में हीटर होता है। हमारे ड्राइवरों व कंडक्टरों के प्रति काम करने का वातावरण भी अच्छा हो गया है। बहुत सर्दी के दिनों में हम भी सूट और टाई पहनकर काम कर सकते हैं, जो देखने में बहुत सुन्दर लगता है। दूसरी तरफ़ यात्री भी आराम से बस में बैठ सकते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को सार्वजनिक बस का प्रयोग करने का आकर्षण पैदा होता है। अब सार्वजनिक बस के विशेष रास्ते जाल की तरह हर क्षेत्र में फैले हुए हैं। जो हमारे ड्राइवर के प्रति बहुत सुविधा देता है, और हमें बहुत अच्छा लगता है।

    वास्तव में पेइचिंग के नंबर एक सार्वजनिक बस के ड्राइवरों में छांग होंगश्या जैसी और 16 महिला ड्राइवर सेवा देती हैं। वे हर दिन बड़ी बस चलाकर छांगआन सकड़ पर चक्कर लगाती हैं, जो एक विशेष सुन्दर दृश्य बनता है।

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