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    छिंगहाई-तिब्बत रेलवे से तिब्बती अर्थव्यवस्था में नयी जान आयी
    2016-07-01 15:35:10 cri

    इस साल चीन के छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के उद्घाटन की 10वीं सालगिरह है। पिछले एक दशक में, छिंगहाई प्रांत की राजधानी शीनिंग से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा तक 2000 किमी लम्बी रेलवे लाइन जुड़ने से तिब्बत के जन जीवन में काफी बदलाव आया है।

    वर्ष 2006 में जब दुनिया की सबसे ऊंची और लंबी पठार रेलवे संचालित हुई, तब से तिब्बत की अर्थव्यवस्था कई गुना बढ़ रही है। तिब्बती सरकार ने आंकड़े जारी करते हुए दिखाया है कि तिब्बत की सकल घरेलु उत्पाद वर्ष 2005 में 25 बिलियन युआन से बढ़कर वर्ष 2015 में 100 बिलियन युआन से अधिक हो गई है।

    उत्तरी तिब्बत में नागछु क्षेत्र जो स्वायत्त क्षेत्र में एक सबसे बड़ा प्रीफेक्चर है, तिब्बत के आर्थिक विकास का प्रतिनिधित्व करता है। नागछु विकास और सुधार आयोग डिवीजन के चीफ जोंग लियांग ने कहा, "रेल यातायात ने स्थानीय उद्योगों के विकास में बहुत मदद की है। गत वर्ष इस क्षेत्र का सकल उत्पादन मूल्य पाँच अरब युवान तक रहा । क्योंकि रेलवे के खुलने से स्थानीय अर्थतंत्र के विकास में नयी जान डाली गयी है और देश के दूसरे क्षेत्रों से अधिक पूंजीनिवेशकों को भी आकर्षित किया जा रहा है ।"

    छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के उद्घाटन के सिर्फ तीन साल बाद नागछु क्षेत्र में एक रसद केंद्र स्थापित किया गया था जिसका पूंजीनिवेश भी 23 करोड़ युवान तक रहा । लेकिन इस केंद्र में सिर्फ परिवहन व भंडारण सेवा ही नहीं , बल्कि प्रसंस्करण आदि सेवाएं भी प्राप्त होती है । जोंग लियांग का कहना है कि छिंगहाई -तिब्बत रेलवे लाइन और रसद केंद्र की स्थापना से न सिर्फ नागछु क्षेत्र के आर्थिक विकास को गति मिली है , बल्कि स्थानीय लोगों के जन जीवन का काफी सुधार भी आया है । उन्होंने कहा , "छिंगहाई -तिब्बत रेलवे लाइन और रसद केंद्र की स्थापना से नागछु क्षेत्र में आर्थिक विकास का उल्लेखनीय विकास होने लगा है । अब यहां प्रसंस्करण उद्योग का बड़ी तेज़ी से विकास किया जा रहा है । और अधिक रोजगार मिलने से स्थानीय लोगों के जीवन में भी सुधार हो रहा है ।"

    जोंग लियांग ने यह भी कहा कि छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के खुलने से परंपरागत विमानन उद्योग पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है । इसके विपरीत क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के विकास से सभी उद्योगों को पहले से अधिक मौके सामने आ रहे हैं । क्योंकि अधिक रोजगार मिलने से लोगों की आय में भारी वृद्धि हुई ही , इसलिए लोगों की बाहर की यात्रा करने की इच्छा भी बढ़ी है । उन्होंने कहा, "छिंगहाई-तिब्बत रेलवे स्थापित होने के बाद इधर के वर्षों में नागछु क्षेत्र में रोजगार की संख्या में तेज वृद्धि देखने को मिली है । वर्ष 2015 में हमारे क्षेत्र में 2071 लोगों को नयी नौकरी मिली है । रोजगार बढ़ने से लोगों की आय में भी इजाफा हुआ है।"

    छिंगहाई-तिब्बत रेलवे की स्थापना से तिब्बत से बाहर जाने की परिवहन क्षमता में भी स्पष्ट सुधार हुआ है । इन वर्षों में छिंगहाई-तिब्बत रेलवे कंपनी ने छिंगहाई व तिब्बत के पर्यटन विभागों के साथ मिलकर कई पर्यटक ट्रेनें चलायी हैं। रेलवे की बड़ी परिवहन क्षमता और सुविधाजनक फायदे से पठार का पर्यटन लोकप्रिय हो रहा है। इसके साथ इन क्षेत्रों में जाने वाले पर्यटकों , व्यापारियों, तीर्थयात्रियों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

    आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 2015 की गर्मियों में छिंगहाई-तिब्बत रेलवे की तिब्बत जाने-आने की कुल 598 रेल गाड़ियां चलीं और कुल 20 लाख लोगों ने इनमें यात्रा की, जो पहले के मुकाबले 67 प्रतिशत अधिक है।

    छिंगहाई प्रांत और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के संचालन के 10 सालों में कार्गो एक्सप्रेस गाड़ियां भी जारी रही हैं। जो मुख्य रूप से शीनिंग, गोलमुद, ल्हासा, शिकाजे, डलिनहा पाँच क्षेत्रों में सेवाएं देती हैं। कार्गो एक्सप्रेस ने इन क्षेत्रों में कंपनियों और कार्गो मालिकों के लिए सुरक्षित, सुविधाजनक, कम कार्बन व पर्यावरण संरक्षण वाला कॉरिडोर पेश किया।

    छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के उद्घाटन की 10वीं वर्षगांठ पर इस पठार पर रह रहे जंगली पशुओं और पर्यावरण संरक्षण की स्थिति भी पहले से और मजबूत हुई है । विशेषज्ञों के मुताबिक छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के निर्माण से इस पठार पर जंगली पशुओं और परिणाम पर जो प्रभाव पड़ा है, वह लोगों की चिन्ताओं से बहुत हल्का है ।

    चीन की राजधानी पेइचिंग स्थित गैर-सरकारी संगठन - प्रकृति संरक्षण केंद्र के पर्यावरण संरक्षण विशेषज्ञ चाओ श्यांग ने कहा कि मैंने कुछ दिनों से पहले तिब्बती पठार पर जाकर वहां दो जंगली गधे देखे जो छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के ट्रैक से सिर्फ 15 मीटर की दूरी पर घूम रहे थे । जब एक ट्रेन उनके पास तेज गति से गुजर रही थी , तब उनमें घबराहट नज़र नहीं आयी । इसका मतलब है कि अब तिब्बती पठार पर रह रहे जंगली पशु वातावरण में हुए बदलाव के लिए अनुकूल हो चुके हैं । जंगली पशु आम तौर पर अशांति के प्रति संवेदनशील है, पर उन्हें पर्यावरण परिवर्तन का सामना करने के लिए सीखने की क्षमता भी प्राप्त है ।

    छिंगहाई-तिब्बत रेलवे 1,956 किलोमीटर लंबा और इसकी अपने उच्चतम बिंदु पर ऊंचाई समुद्र स्तर से ऊपर 5,072 मीटर है । पिछले दशक में पशुओं के लिए 33 क्रॉसिंग सुरंग बनाये गये हैं । रेलवे कंपनी के डिजाइन विभाग के इंजीनियर तुंग वेईछी ने बताया कि वर्ष 2006 में जब छिंगहाई-तिब्बत रेलवे का परिचालन शुरू हुआ था तब जंगली गधे और हिरण केवल भीड़ में आते थे और उन्हें क्रॉसिंग सुरंग के माध्यम से धीरे धीरे ट्रैक के दूसरी ओर पार करते थे । बाद में वे रेलवे मार्ग की आवाज़ सुनने के आदी हो गये और अब वे काफी तेज़ी से रेलवे मार्ग पार कर लेते हैं ।

    प्रति वर्ष की जून महीने में सैकड़ों तिब्बती हिरण, जो तिब्बत में संरक्षित जानवर है, अपने उनके वार्षिक प्रवास शुरू करते रहे हैं । वास्तव में वे प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र में अपने शिशु जन्म देने जा रहे हैं । वर्ष 2006 में केवल दो हजार तिब्बती हिरण इन क्रॉसिंग सुरंग के माध्यम से अपना प्रजनन क्षेत्र की ओर पार कर गये थे । अब यह संख्या पाँच हजार तक जा पहुंची है । और अब पठार पर तिब्बती हिरणों की कुल संख्या 60 हजार तक बढ़ी है ।

    वातावरण की दृष्टि से छिंगहाई-तिब्बत पठार अपनी ऊंचाई के कारण बहुत ही नाजुक है और इसका पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिये । केल्सांग ताशी, तिब्बत नागछु क्षेत्र में एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक ने कहा कि आज पूरे प्रदेश में बच्चों और चरवाहों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता के लिए सिखाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए अब लोगों को प्लास्टिक की थैलियां जैसे कचरे का निपटारा करने की जानकारी प्राप्त हुई है । उन्हें मालूम है कि गैर-घुलनशील प्लास्टिक चीज़ें छोड़ने से वातावरण को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

    रेलवे कंपनी के डिजाइन विभाग के इंजीनियर च्यांग ज़ हाई ने कहा कि कंपनी के सहपाठियों ने रेलवे लाइन के 41 प्रतिशत तटस्थ क्षेत्रों में पेड़ लगाये हैं जिस का कुल क्षेत्रफल 7.7 करोड़ वर्ग मीटर है । रेलवे के तटस्थ क्षेत्र में जल व्यवस्था की रक्षा करने के लिए कुल 15 सीवेज ट्रीटमेंट केन्द्रों की स्थापना भी की गयी है । छिंगहाई-तिब्बत रेलवे के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण का काफी सख्त मानक स्थापित किया था और इससे इस रेलवे के सही संचालन की गारंटी की जा रही है ।

    ( हूमिन )

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