पुत्र:पापा, क्या पढ़ाई सचमुच बहुत महत्वपूर्ण है?
पापा:बेशक, ऐसा क्यों पूछ रहे हो ?
पुत्र:मेरे सहपाठी ने कहा था कि हम अच्छी तरह से सीखने के बाद विश्वविद्यालय में प्रवेश कर सकते हैं। फिर भविष्य में अच्छा काम मिलेगा, और खूब पैसे कमा सकेंगे। पर आपने कहा था कि पैसे कमाना जिन्दगी का एकमात्र उद्देश्य नहीं है। ठीक है न?
पापा:हांहां, पैसे कमाना ज़रूर जिन्दगी का एकमात्र उद्देश्य नहीं है।
पुत्र:तो हम क्यों सीखते हैं?
पापा:सीखने की प्रथम भूमिका तो जानकारियों को स्वीकारना है। अगर तुम बहुत सारी जानकारी प्राप्त करते हो, तो तुम स्वतंत्रता से विचार कर सकते हो। साथ ही काफ़ी जानकारियां प्राप्त करके तुम बहुत बुद्धिमान और समझदार बन जाओगे, जो तरह तरह के मामलों और मुश्किलों में सही रास्ता ढूंढ़ पाओगे। सीखने की दूसरी भूमिका है हम ज्ञान सीखकर इसका विकास कर सकते हैं। मानव सभ्यता को ज्ञान का विकास चाहिये। यह कर्तव्य तुम लोगों के कंधों पर है।