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    18 जून आपकी पसंद
    2016-06-21 16:00:24 cri

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है ....हरिपुरा झज्जर से प्रदीप वधवा, आशा वधवा, गीतेश वधवा, मोक्ष वधवा, निखिल वधवा और इनके मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है परख (1960) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं शैलेन्द्र संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 1. ओ सजना बरखा बहार आई .....

    आपका हो सकता है वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट

    आपने बहुत से बड़े लोगों के निजी सहायक देखे होंगे. जो उनके हर काम का ध्यान रखते हैं. मसलन, उनका दिन का रूटीन प्लान करते हैं. किस किससे मिलना है?

    कहां और कब मिलना है? दिन में कौन से काम निपटाने हैं. ये पर्सनल असिस्टेंट बड़े लोगों को मीटिंग का वक़्त याद दिलाते हैं. उनके कहने पर लोगों को फ़ोन लगाते हैं. फ्लाइट के टिकट बुक करते हैं. इस तरह वो बड़े लोगों की ज़िंदगी आसान करते हैं.

    ये देख-देखकर आपको भी रश्क होता होगा. आप सोचते होंगे कि काश! आपके पास भी पर्सनल असिस्टेंट होते.

    तो, आप आहें भरना बंद कीजिए. अब आप भी पर्सनल असिस्टेंट रख सकते हैं. हां, वो हाड़-मांस का बना इंसान नहीं होगा. वो आपका वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट होगा. जिसे आप आवाज़ देकर काम ले सकेंगे. ये पर्सनल असिस्टेंट आपके फ़ोन पर उपलब्ध है. आपके लैपटॉप पर मौजूद है. ज़रूरत है, बस उससे काम लेने का तरीक़ा जानने की.

    तकनीक की दुनिया में रोज़ नई क्रांति आ रही है. आज एपल के सीरी से लेकर माइक्रोसॉफ्ट के कोर्टाना और अमेज़न के अलेक्सा से लेकर गूगल के नाऊ तक तमाम डिजिटल वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट आ गए हैं.

    अंजली - तकनीक की दुनिया में नित नए आविष्कार होते रहते हैं, आप आज कोई मोबाइल फोन खरीदिये तो अगले एक वर्ष में ही बाज़ार में इतने नए मोबाइल ढेर सारे नए फीचर्स के साथ आ जाएंगे कि आपको लगने लगेगा कि मेरा मोबाइल अब बेचने लायक हो गया है। वैसे इन मोबाइल और लैपटॉप के नए फीचर्स के साथ ही हम बहुत हद तक इनपर निर्भर भी रहने लगे हैं, हालांकि हम ये नहीं कह सकते कि हमें इनकी ज़रूरत नहीं होती बल्कि आने वाले समय में हम इनपर पूरी तरह से निर्भर रहने लगेंगे। मित्रों इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है ग्राम महेशपुर खेम, ज़िला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से तौफ़ीक अहमद सिद्दीकी, अतीक अहमद सिद्दीकी, मोहम्मद दानिश सिद्दीकी और इनके साथियों ने, आप सभी ने सुनना चाहा है कसमें वादे (1978) फिल्म का गाना जिसे गाया है राहुल देव बर्मन ने गीतकार हैं गुलशन बावरा और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 2. कल क्या होगा .....

    पंकज - हां इस मामले में एपल का सीरी का नंबर पहला है. इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने कोर्टाना के नाम से वर्चुअल निजी सहायक बाज़ार में उतारा. इसके बाद तो मानो वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट को बनाने की होड़ लग गई.

    सब दावा करते हैं कि वो आपका काम, आपकी ज़िंदगी आसान कर देंगे. लेकिन आज भी लोग वर्चुअल दुनिया के इन निजी सहायकों से काम लेने में हिचकते हैं. ये आसान काम है भी नहीं. तो चलिए, आपको वर्चुअल सहायकों की दुनिया में ले चलते हैं. और जानने की कोशिश करते हैं कि कैसे इनकी मदद से आपकी भागदौड़ भरी ज़िंदगी को थोड़ा आसान बनाया जा सकता है.

    शुरुआत में अपने फ़ोन को आवाज़ देकर कोई काम करने के लिए कहना बड़ा अजीब लगता है. फिर लहजे का मसला खड़ा होता है. आप कहते कुछ हैं, आपका वर्चुअल सहायक समझता कुछ और है. कई बार खीझ होती है, ग़ुस्सा भी आता है. और, कई बार हंसी भी आती है.

    कुछ वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट वाक़ई बड़े काम के होते हैं. एपल का सीरी पिछले पांच सालों से बाज़ार में है.

    तकनीक के बड़े-बड़े उस्ताद भी उससे ठीक से काम नहीं ले पाते. जैसे कि, 'कल्ट ऑफ मैक' के संपादक लिएंडर काने.

    वो काफ़ी दिनों से कोशिश कर रहे हैं कि एपल के सीरी सॉफ्टवेयर को अपना सच्चा निजी सहायक बना लें. लेकिन ये काम है बड़ा मुश्किल.

    लिएंडर कहते हैं कि जब तक आप ज़बरदस्ती ख़ुद को वर्चुअल सहायक से काम लेने को मजबूर नहीं करते, तब तक आप इसका फ़ायदा नहीं उठा सकते.

    अंजली – वैसे तकनीकी काम सीखना भी कुछ लोगों के लिये बहुत मुश्किल होता है, लेकिन कुछ लोगों के लिये ये बच्चों के खेल से कम नहीं है। हालांकि नई तकनीक को सीखने में समय भी लगता है और इसे याद करना भी कुछ लोगों के लिये मुश्किलों भरा काम है, वैसे मोबाइल और लैपटॉप बनाने वाली कंपनियां कोई भी नया सॉफ्टवेयर बनाने से पहले उसपर कई बार परीक्षण करती हैं और इस बात का खास तौर पर ध्यान भी रखती हैं कि उपभोक्ता को इसे इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिये। बावजूद इसके कुछ उम्र दराज लोग नई तकनीक को समझने में परेशानी महसूस करते हैं। खैर जो लोग वर्चुअल असिस्टेंट का इस्तेमाल अपने लैपटॉप और मोबाइल में करते हैं उनके लिये सबसे बड़ी बात ये होती है कि बिना किसी अतिरिक्त खर्च के उनके पास ऐसा उपकरण मौजूद है जो उनके बहुत से कामों को आसान बना देता है। भले ही वो हाड़ मांस का इंसान न होकर एक रोबोट सरीखी मशीन होती है लेकिन आपका काम तो इससे चलता ही है। चलिये मित्रों इसी के साथ हम उठाने जा रहे हैं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है शिवाजी चौक, कटनी मध्यप्रदेश से अनिल ताम्रकार, अमर ताम्रकार, संतोष शर्मा, रज्जन रजक, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा, रविकांत नामदेव, इनके साथ ही पवन यादव, सत्तू सोनी, अरुण कनौजिया, संजय सोनी, लालू, सोना, मोना, हनी, यश, सौम्या और इनके मम्मी पापा ने आप सभी ने सुनना चाहा है काला सोना (1975) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी और संगीत दिया है आर डी बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 3. कोई आया आने भी दे कोई गया जाने भी दे ....

    पंकज - सबसे बड़ा मसला होता है बोली समझने का. अंग्रेज़ी में ही वॉयस कमांड देते वक़्त बहुत से लोगों का लहजा अलग-अलग होता है.

    जैसे कि ये लेख लिखने वाले सज्जन को ही लीजिए. वो ब्रिटेन से अमरीका के मिशिगन शहर पहुंचे तो उन्होंने अपने फ़ोन को कहा कि मेरा ई-मेल चेक करो.

    इसके जवाब में सीरी साहब ने फ़ौरन ही उनके सामने मिशिगन शहर का नक्शा, वहां टर्की का मांस परोसने वाले बढ़िया रेस्टोरेंट के नाम, उनके खुलने-बंद होने का वक़्त सब तलाशकर निक के सुपुर्द कर दिए.

    इन साहब के आई फ़ोन के वर्चुअल असिस्टेंट सीरी ने कई बार और भी गड़बड़ की. एक बार तो मीटिंग का वक़्त एक दिन बाद का तय कर दिया! तो इन वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट महाशय पर ऐतबार करना इन साहब को बहुत महंगा पड़ा।

    ये साहब कहते हैं कि कुछ कामों के लिए वर्चुअल पीए काफ़ी काम का हो सकता है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आप ज़ोर-ज़ोर से कोई काम अपने वर्चुअल पीए को बताते हैं और वो समझता कुछ और है. फिर आप झल्लाहट में हाथ-पैर पटकते हैं.

    फोन के मालिक ने सीरी से परेशान होकर अपने एंड्रॉयड फ़ोन पर गूगल नाऊ की मदद ली. मगर इस मामले में भी तजुर्बा मिला-जुला ही रहा.

    अंजली – हालांकि लहजा बोलने का तरीका उच्चारण सभी कुछ आज एक मुश्किल ज़रूर साबित हो सकता है लेकिन आपको यहां पर ये बताना बहुत ज़रूरी है कि पहले जब हमारे पास मोबाइल फोन नहीं था तब भी हमारा काम चल जाता था और जब इससे भी अधिक स्मार्ट सॉफ्टवेयर बाज़ार में आ जाएंगे जिससे अभी उच्चारण और बोलने के तरीके में होने वाली दिक्कतें भी दूर हो जाएंगी। हालांकि हर मोबाइल कंपनी और लैपटॉप बनाने वाली कंपनी में एक शोध गृह यानी रिसर्च एंड डवलप्मेंट सेक्शन होता है जो छोटे बड़े तकनीकी सुधारों के साथ साथ नए नए ऐप्लीकेशन्स बनाता रहता है और ऐसे ही धीरे धीरे वैज्ञानिक विकास का काम आगे बढ़ता रहता है। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं चंदा चौक अंधराठाढ़ी, ज़िला मधुबनी बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन, इनके साथ ही मेन रोड मधेपुर, ज़िला मधुबनी से ही प्रमोद कुमार सुमन, रेनू सुमन और इनके साथी आप सभी ने सुनना चाहा है सलाम ए इश्क (2007) फिल्म का गाना जिसे गाया है कैलाश खेर ने संगीत दिया है शंकर एहसान लॉय ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 4. या रब्बा .....

    पंकज - हालांकि कुछ काम हैं जिनमें ये वर्चुअल पीए काफ़ी मददगार हो सकते हैं. जैसे किसी को फ़ोन लगाना हो तो आप अपने फ़ोन के वर्चुअल सहायक को आवाज़ देकर कह सकते हैं कि फलां को फ़ोन लगाओ.

    काम सही ढंग से हो, इसलिए अपने वाक्य छोटे ही रखिए. जैसे कि आप कहें कि, 'राकेश को फ़ोन लगाओ'. आपका वर्चुअल पीए फ़ौरन कॉल करेगा. वरना, फ़ोनबुक में पहले नाम खंगालिए, फिर कॉल कीजिए. इसके बदले सिर्फ़ एक छोटी सी बात ज़ुबान से अदा करनी है.

    आप अपने फ़ोन को ये भी सिखा सकते हैं कि रंजीत आपके बॉस का नाम है. फिर आप अपने वर्चुअल सहायक को आदेश दे सकते हैं कि फ़ोन लगाओ. या ये कह सकते हैं कि बॉस को मैसेज करो कि मुझे दफ़्तर पहुंचने में देर होगी.

    आप वर्चुअल पीए को ये भी बता सकते हैं कि ये मैसेज एसएमएस से भेजा जाए या फिर व्हाट्सऐप से. ये कमांड आप मेट्रो पकड़ने के लिए भागते वक़्त भी अपने फ़ोन को दे सकते हैं. सोचिए, हड़बड़ी में मैसेज टाइप करके भेजने से ये कितना आसान होगा. फिर किसी ग़लत आदमी को संदेश जाने का डर भी नहीं होगा.

    अगर आपको जल्दी-जल्दी कुछ लोगों को ई-मेल भेजना हो तो भी ये वर्चुअल पीए काफ़ी काम आ सकता है. हां, इस बात का ख़याल रखना होगा कि ई-मेल का टेक्स्ट छोटा रहे. वरना, इतने सवाल करेंगे ये वर्चुअल सहायक महोदय कि आप खीझ उठेंगे. अब भी तकनीक को इंसान की आवाज़ सही से समझकर उस पर अमल करना सीखना बाक़ी है. सबसे बड़ी दिक़्क़त बात कहने के लहजे को समझने की होती है.

    आप अपने वर्चुअल असिस्टेंट की मदद से लोगों से मिलने का, मीटिंग का या फिर दूसरे काम निपटाने का वक़्त तय कर सकते हैं. आपको छोटा सा आदेश देना होगा: मेरा कैलेंडर तैयार करो. कल का लंच, रौशनी के साथ, दोपहर एक बजे रिवॉल्विंग रेस्तरां में. अपने सहायक को पूरी जानकारी दीजिए. वरना वो अपनी तरफ़ से कुछ जोड़-घटाकर सारा गुड़-गोबर कर देगा.

    आप अपने फ़ोन पर रिमाइंडर भी सेट कर सकते हैं, वो भी वॉयस कमांड देकर. बस आपको अपने वर्चुअल सहायक को बताना कि, 'मुझे याद दिलाना कि कल शाम मुझे मिस मूडी को फ़ोन करना है'. या फिर, 'मुझे याद दिलाना कि कल कपड़े सिलने को देना है'.

    इस काम में थोड़ी दिक़्क़त आ सकती है. क्योंकि कई बार आपके आने-जाने का रास्ता अलग होता है. फिर भी थोड़ी कोशिश करके, आप अपने वर्चुअल असिस्टेंट से ये काम ले सकते हैं.

    आपका वर्चुअल सहायक, आपके लिए टाइमर सेट करने का काम भी आसानी से कर सकता है. बस आपको छोटे से वाक्य में उसको बताना है कि, 'मेरे लिए एक घंटे का टाइमर सेट कर दो'.

    आप अपने वर्चुअल सहायक से किसी ख़ास दिन के लिए पोशाक चुनने में भी मदद मांग सकते हैं. मज़े के सुझाव मिलेंगे!

    अंजली – श्रोता मित्रों हम आगे भी अपनी बातें जारी रखेंगे लेकिन यहां पर एक छोटा सा संगीत ब्रेक लेते हैं और आपको आपकी पसंद का अगला गाना सुनवाते हैं। हमारे अगले श्रोता हैं संतोषराव बाकड़े, ज्योतिताई बाकड़े, दिपाली बाकड़े, पवन कुमार बाकड़े और समस्त बाकड़े परिवार आप सभी ने सुनना चाहा है जुर्माना फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने, गीतकार हैं आनंद बख्शी संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 5. छोटी सी एक कली खिली थी बाग में ...

    पंकज - अगर आपने कोई कैलेंडर सेट किया है, तो सोने से पहले आप इस वर्चुअल पीए से पूछ सकते हैं कि कल का मेरा क्या एजेंडा है? फिर आप नया कमांड दे सकते हैं कि मुझे वक़्त-वक़्त पर याद दिलाते रहना. यक़ीन जानिए, जैसे-जैसे आप इस वर्चुअल सहायक पर यक़ीन बढ़ाएंगे, ये आपका मददगार होता जाएगा.

    ये छोटे-छोटे काम आपकी ज़िंदगी को काफ़ी आसान बना देंगे. हां, इससे किसी इंसान की कमी तो नहीं पूरी हो सकती. इसके लिए तकनीक को अभी लंबा सफ़र तय करना होगा.

    कनाडा के तकनीकी एक्सपर्ट हुसैन राहनामा कहते हैं कि वैज्ञानिक 1950 के दशक से ही वर्चुअल सहायक बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हर साल कुछ बेहतर चीज़ ही सामने आई है. इस मामले में सबसे बड़ी दिक़्क़त ये रही है कि ये बनावटी अक़्ल, या आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, अक्सर इंसानी एहसासों को समझने में नाकाम रही है.

    जैसे कि निक क्लेटन का ही तजुर्बा लीजिए. वो शाकाहारी हैं. ऐसे में अगर उनका निजी सहायक कोई इंसान होता तो वो ये पहले से जानता होता कि अमरीका पहुंचकर वो टर्की का मांस नहीं तलाशेंगे.

    लेकिन, राहनामा ये भी कहते हैं कि तकनीक की दुनिया तेज़ी से बदल रही है. तो इसमें भी जल्द ही कुछ और बेहतर सामने आएगा.

    आज आपके फ़ोन में बीस से चालीस सेंसर लगे हुए होते हैं. जो आपकी तमाम हरकतों पर नज़र रखते हैं. उसमें जो प्रोसेसर लगा होता है वो पचास के दशक के कंप्यूटर से करोड़ों गुना बेहतर है.

    अभी कुछ दिन पहले ही गूगल ने एक ऐसा ऐप बनाने का एलान किया है जो आपके ठिकाने, आपके काम, आपके आस-पास के मौसम पर निगाह रखेगा. यही नहीं ये ऐप ये भी पता लगा लेगा कि आपने हेडफ़ोन पहना है कि नहीं.

    इसका मतलब ये कि अगर आप मीटिंग में है तो इस ऐप को पता होगा कि आपको अभी तंग नहीं करना है. हां, मीटिंग के बाद ये आपको पास की क़िताब की दुकान या किसी कॉफी शॉप में जाने का मशविरा दे सकता है.

    आज नए नए ऐप बनाने में, तकनीक को बेहतर करने में अरबों रुपए ख़र्च किए जा रहे हैं. गूगल, फ़ेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट और एपल जैसी कंपनियां आपकी हर हरकत पर निगाह रखना चाहती हैं. तो जल्द ही हर इंसान की जेब में एक वर्चुअल पीए होगा. और अगर आप अपनी प्राइवेसी को बहुत अहमियत नहीं देते, तो आप इससे अपने राज़ साझा कर सकेंगे. ये आपको तमाम मसलों पर मशविरे भी देगा.

    हो सकता है कि आगे चलकर ये वर्चुअल निजी सहायक आपकी डेट तय करने में भी मददगार हो।

    अंजली – श्रोता मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं मस्जिद मेराज वाली गली, दौलत बाग, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से अंसार हुसैन, समीर मलिक और इनके ढेर सारे साथी आप सभी ने सुनना चाहा है एक राज़ (1963) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार ने गीतकार हैं मजरूह सुल्तानपुरी, संगीत दिया है चित्रगुप्त ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. पायलवाली देखना ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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