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    आप की पसंद 160611
    2016-06-21 15:58:43 cri

    11 जून आपकी पसंद

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है .... मनकारा मंदिर, बीडीए कॉलोनी, करगैना, बरेली उत्तर प्रदेश से पन्नीलाल सागर, बेनी सिंह मासूम, धर्मवीर मनमौजी, ममता चौधरी, आशीष कुमार सागर, कुमारी रूबी भारती, अमर सिंह, कुमारी एकता भारती, कुमारी दिव्या भारती, श्रीमती ओमवती भारती और बहिन रामकली देवी ने आप सभी ने सुनना चाहा है स्वामी (1977) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं अमित खन्ना संगीत दिया है राजेश रौशन ने और गीत के बोल हैं ----

    सांग नंबर 1. पल भर में ये क्या हो गया .....

    मित्रों हम किसी भी विषय में जानकारी पाने के लिये आजकल इंटरनेट का रुख करते हैं और उसमें भी हम विकिपीडिया पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं लेकिन सवाल ये उठता है कि हम विकिपीडिया पर आखिर कितना भरोसा कर सकते हैं ? इस विषय को आज हम खंगालते हैं और आपको भी इस बात से रूबरू कराते हैं कि आखिर हम कितना भरोसा कर सकते हैं विकिपीडिया पर ....

    विकिपीडिया! जब भी ऑनलाइन जानकारी ढूंढ़नी हो, तो विकिपीडिया पर जाकर कई तरह की जानकारी हाथ लग जाती है।

    लेकिन कई बार विकिपीडिया पर मिली जानकारी पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि विकिपीडिया के पेज को कोई भी एडिट कर सकता है और जानकारी डाल सकता है.

    कई बार इस एडिटिंग को ऑनलाइन रोबोट या बॉट से भी किया जाता है. इसलिए, अगर आप दफ़्तर का कोई काम कर रहे हैं, तो पूरी तरह से विकिपीडिया पर निर्भर नहीं करना बेहतर होगा।

    अंजली – वैसे ये बात तो काफी हद तक गौर करने वाली है कि जब कोई भी व्यक्ति विकिपीडिया पर जानकारी को एडिट कर सकता है यानी अपने हिसाब से जानकारी को घटा या बढ़ा सकता है तो उसे पढ़ने वाले विकिपीडिया पर कितना भरोसा करें ? लेकिन इसका एक तरीका ये भी हो सकता है कि आप एक ही जानकारी को इंटरनेट पर अलग अलग जगहों से चेक कर सकते हैं जिससे आप इस बारे में आश्वस्त हो सकते हैं कि जो जानकारी आप पढ़ रहे हैं वो सही है। मित्रों इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है हमारे चिर परिचित पुराने श्रोता पंडित मेवालाल परदेशी जी और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने हमें पत्र लिखा है अखिल भारतीय रेडियो श्रोता संघ, महात्वाना, महोबा, उत्तर प्रदेश से और आप सभी ने सुनना चाहा है रजनीगंधा (1974) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं योगेश और संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 2. रजनीगंधा फूल तुम्हारे .....

    पंकज - लेकिन विकिपीडिया पर सभी कुछ जो लिखा ही उसके बारे में ऐसा नहीं कह सकते हैं. अगर विकिपीडिया के किसी भी पेज पर आपको हरे रंग का क्रॉस दिखाई देता है, तो उस पर ज़्यादा भरोसा किया जा सकता है. इसकी जानकारी को ऐसी जगहों से लिया जाता है, जो विश्वसनीय मानी जाती हैं. सिर्फ ऐसे ही लेख पर आपको ये हरा क्रॉस मिलेगा.

    कभी कभी विकिपीडिया पर आपको ऐसे भी पेज मिलेंगे जहां एक स्टार बना होता है. इन्हें विकिपीडिया के सबसे बढ़िया पेजिस में माना जाता है. इनकी एडिटिंग में काफी समय लगता है और किसी भी आम पेज के मुक़ाबले जब आप इन्हें पढ़ेंगे तो फ़र्क साफ़ दिखाई देगा.

    विकिपीडिया पर जानकारी लेते समय एक और परेशानी हो सकती है. कई वेबसाइट और अख़बार विकिपीडिया से जानकारी लेते हैँ और फिर वही जानकारी आपको वापस विकिपीडिया पर मिल जाती है. ऐसा अक्सर अनजाने में ही होता है.

    लेकिन अगर आप जानकारी के लिए विकिपीडिया का फिर भी इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो किसी भी लेख के अंत में साइटेशन ज़रूर देखिये. साइटेशन से आपको ये पता चलता है कि जानकारी का स्रोत क्या है. विकिपीडिया पर कोई भी जानकारी जिसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जा सकता है, उसके बारे में साइटेशन ज़रूरी है.

    विकिपीडिया पर आप हिस्ट्री या रिवीज़न के पेज को भी देख सकते हैँ. कभी कभी आप किसी भी जानकारी में आ रहे बदलाव को भी देख सकते हैँ. उसके लिएयहां पढ़ सकते हैं.

    विकिपीडिया पर दुनिया भर की 293 भाषाओँ में जानकारी के लिए इनसाइक्लोपीडिया तैयार किया जा चुका है. ये दुनिया का सबसे बड़ा इनसाइक्लोपीडिया है.

    अंजली – वैसे आप मानें या न मानें इंटरनेट का जाल ढेर सारी जानकारियों से भरा पड़ा है यहां पर हम जानकारियां भी पा सकते हैं और कई बड़ी बड़ी किताबें डाउनलोड भी कर सकते हैं, जिससे अगर हम कभी इंटरनेट पर नहीं भी रहें तो भी हमारे पास वो जानकारी हमारे कम्प्यूटर में मौजूद रहे जिसकी हमें ज़रूरत पड़ती है। आने वाले दिनों में इंटरनेट की स्पीड को और गति दी जाने वाली है और हर जगह पर इंटरनेट की सुविधा देने की बात पर वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं जिससे कि आप कहीं भी रहें लोगों से जुड़े रहें। इन दिनों वैज्ञानिक कम्प्यूटर, मोबाइल फोन, बैटरी, चार्जिंग और इंटरनेट की बेहतरीन सेवाओं को मुहैया कराने पर शोध कर रहे हैं। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं मेहर रेडियो श्रोता संघ सगोरिया, ज़िला मंदसौर, मध्यप्रदेश से श्याम मेहर, निकिता मेहर, आयुष, संगीता, ललिता, दुर्गाबाई और समस्त मेहर परिवार आप सभी ने सुनना चाहा है राजू बन गया जेन्टिलमैन (1992) फिल्म का गाना जिसे गाया है अलका याग्निक और कुमार शानू ने गीतकार हैं महेन्द्र देहलवी और संगीत दिया है जतिन ललित ने और गीत के बोल हैं .....

    सांग नंबर 3. तू मेरे साथ साथ आसमां से आगे चल ....

    पंकज - सिलिकॉन वैलीः चांद पर धंधा करने का सपना

    नवीन जैन ने सिलिकॉन वैली में कई सॉफ़्टवेयर कंपनियां खड़ी कीं और अरबों डॉलर भी कमाए हैं, लेकिन इन दिनों वो धरती से दूर चांद पर व्यापार करने की कोशिश में हैं.

    उनका कहना है कि सिर्फ़ एक ग्रह के सहारे रह गए तो इंसानों की हालत डायनासोर जैसी होगी, तो फिर क्यों न नए आसरे तलाश किए जाएं, नए भंडारों की खोज की जाए.

    पिछले महीने चांद पर ले जाने वाले उनके विमान ने सफल उड़ान भरी.

    उत्तर प्रदेश में मेरठ के सामान्य से परिवार में जन्मे नवीन का इरादा चंद्रमा से हीलियम-3 लाने का है.

    कैलिफ़ोर्निया के नासा रिसर्च सेंटर के कैंपस में एक उजाड़ से वेयरहाउस से उनकी नई कंपनी मून एक्सप्रेस इस ख़्वाब को हासिल करने की तैयारी में लगी है.

    मक़सद है चांद पर एक रोबोटिक मिशन भेजकर ये पता लगाया जाए कि वहां से संसाधनों को ज़मीन तक कैसे लाया जा सकता है.

    पिछले महीने पहली बार वो अपना स्पेसक्राफ़्ट उड़ाने में कामयाब रहे।

    अंजली – मुझे लगता है ये शुरुआत चांद से हो रही है लेकिन मामला जुपिटर और सैटर्न तक जाता दिख रहा है, वैसे मंगल ग्रह पर भी खोज अभियान जारी है जहां पर पानी मिलने के संकेत आए हैं, अंतरिक्ष वैज्ञानिक ऐसे ग्रहों का पता लगाने में जुटे हुए हैं जहां का वातावरण पृथ्वी के वायुमंडल से मिलता जुलता हो। क्योंकि जिस तरह से हम अपनी धरती को गंदा कर रहे हैं उससे साफ़ हो जाता है कि बहुत लंबे समय तक ये धरती रहने के काबिल नहीं रहने वाली। अगर हम वैज्ञानिकों की सोच पर भरोसा करें तो हो सकता है कि अगले चार पांच सौ वर्षों में हम रहने के लिये आशियाना किसी एक ग्रह पर बनाएं और अपने ज़रूरत के सामान को बनाने के लिये किसी दूसरे ग्रह पर उद्योग धंधे लगाएं जिससे हम साफ सुथरे वातावरण में रहते हुए भी अपनी सभी ज़रूरतें पूरी कर सकें। वैसे ये तो समय ही बताएगा कि वैज्ञानिकों की इस सोच को पूरा होने में कितना समय लगेगा। मित्रों हमारे कार्यक्रम के अगले श्रोता हैं मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज, आलोट से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके समस्त मित्र जन आप सभी ने सुनना चाहा है परिन्दा (1989) फिल्म का गाना जिसे गाया है आशा भोंसले और सुरेश वाडकर ने गीतकार हैं खुर्शीद हल्लौरी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 4. प्यार के मोड़ पे ....

    पंकज - उनका कहना है, "ये इतिहास में पहली बार था जब कोई प्राइवेट कंपनी ने अपना हार्डवेयर, अपना सॉफ़्टवेयर लगाकर एक स्पेसक्राफ़्ट उड़ाया जो चांद तक जाने की क्षमता रखता है."

    मून एक्सप्रेस चांद तक एक प्राइवेट रोबोटिक मिशन भेजने की रेस में सबसे आगे चल रही कंपनियों में से एक है।

    चांद का सपना

    एक मक़सद तो है दो करोड़ डॉलर की इनाम राशि जीतना जो गूगल और एक्स-प्राइज़ की तरफ़ से रखा गया है और विजेता को 2016 से पहले चांद पर अपना स्पेसक्राफ़्ट उतारना होगा.

    लेकिन नवीन जैन की नज़र इससे कहीं बड़े इनाम पर है.

    उनके अनुसार चांद पर खरबों डॉलर का प्लैटिनम और हीलियम-3 मौजूद है और अगर हीलियम-3 का एक छोटा सा हिस्सा लाने में भी कामयाबी मिल गई तो पीढ़ियों की तो नहीं, लेकिन कई दशकों की ऊर्जा समस्या का हल निकल जाएगा और वो भी प्रदूषण रहित.

    कहते हैं, "वो वक़्त ज़्यादा दूर नहीं है जब हनीमून का मतलब सही मायने में होगा कि आप अपनी हनी को मून पर ले जा सकेंगे."

    नई चुनौती

    चांद तक की इस रेस में पिट्सबर्ग स्थित ऐस्ट्रोबॉटिक और भारत की एक कंपनी टीम इंडस से उनका कड़ा मुक़ाबला है.

    उनके स्पेसक्राफ़्ट के मॉडल को देखकर यक़ीन करना थोड़ा मुश्किल सा लगता है कि वो सचमुच चांद तक जा सकेगा.

    उनकी अपनी ट्रेनिंग भी सॉफ़्टवेयर के क्षेत्र में है फिर वो स्पेस के क्षेत्र में इतनी दूर कैसे पहुंच पाए.

    अंजली – हम इंसानों ने हर वस्तु को बांट लिया है अब ये बात धरती से आगे निकलती दिखाई देती है, अब बारी है चांद के बंदरबांट की, हम अपनी ऊर्जा की ज़रूरतें पूरी करने के लिये चांद पर खुदाई करेंगे, हालांकि अभी तक वहां पर जीवन के कोई संकेत अभी तक मौजूद नहीं हैं लेकिन फिर भी हमने अपनी ज़रूरत का सामान दूसरे ग्रहों पर खोजना शुरु कर दिया है, इसका एक सकारात्मक पहलू ये है कि जिस ग्रह पर जीवन नहीं है वहां से प्राकृतिक संसाधन लाने में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि इसका कोई भी दुष्परिणाम हम नहीं झेलेंगे। मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं मल्थोने, ज़िला सागर, मध्यप्रदेश से धर्मेन्द्र सिंह और इनके सभी मित्र जिन्होंने सुनना चाहा है तराना (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है शैलेन्द्र सिंह ने गीतकार हैं रवीन्द्र रावल और संगीत दिया है राम लक्ष्मण ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 5. गुंचे लगे हैं कहने .....

    पंकज - उनका जवाब है, "कोई भी व्यक्ति जो अपनी फ़ील्ड का माहिर हो वो उसी दायरे में रहकर शायद कुछ नई चीज़ें सोच सके. लेकिन सही मायने में क्रांतिकारी आइडियाज़ उन्हीं से आते हैं जो उस क्षेत्र के एक्सपर्ट नहीं होते. और मेरा पलड़ा स्पेस के मामले में इसलिए भारी है क्योंकि मुझे स्पेस के बारे में कुछ नहीं पता."

    नवीन जैन का कहना है कि वो मेरठ के एक बेहद साधारण परिवार में पैदा हुए जहां परिवार का भरण-पोषण के लिए पिता की सरकारी नौकरी की आय पूरी नहीं पड़ती थी और इसलिए उनकी मां को छोटे-मोटे काम करने पड़ते थे.

    ख़्वाहिश पूरी हुई

    वो कहते हैं कि उन दिनों को वो भूले नहीं हैं और इसलिए उनके अंदर की एक ख़्वाहिश ये भी है कि उनकी कामयाबी भारत में लोगों को प्रेरित करेगी.

    उन्होंने भारत में नए आविष्कारों और आइडियाज़ को बढ़ावा देने के लिए उद्योगपति रतन टाटा और एक्स-प्राइज़ के संस्थापक के साथ मिलकर एक इंसेटिव फ़ंड की भी शुरुआत की है.

    उन्हें पूरा यक़ीन है कि अगला गूगल और फ़ेसबुक भारत से आ सकता है, लेकिन इसके लिए दो चीज़ों की ज़रूरत होगी.

    वो कहते हैं, "एक तो लोगों से कहना होगा कि इतना बड़ा ख़्वाब देखो कि लोग तुम्हें पागल समझें और दूसरा कि नाकामी से मत डरो."

    अंजली – मित्रों हमारे कार्यक्रम के अगले श्रोता हैं कुरसेला तिनधरिया से ललन कुमार सिंह, श्रीमती प्रभा देवी, कुमार केतु, मनीष कुमार मोनू, गौतम कुमार, स्नेहलता कुमारी, मीरा कुमारी और एल के सिंह, आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म दो झूठ (1975) का गाना जिसे गाया है ऊषा मंगेशकर और किशोर कुमार ने गीतकार हैं एम जी हश्मत और संगीत दिया है शंकर जयकिशन ने गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 6. छतरी न खोल उड़ जाएगी ....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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