अगर आप के बच्चा पढ़ने में सक्रीय नहीं है, तो शायद आप इन चारों प्रश्नों का अच्छा जवाब नहीं दे पाएंगे। ये चार प्रश्न इस प्रकार हैं:
पहला, क्या आपने यह वास्तविकता स्वीकारी है कि आपका बच्चा एक विलक्षण या एक अतिमानव बच्चा नहीं है ?
दूसरा, जब बच्चे को मुश्किल होती है, तो क्या आप उसे समझ सकते हैं और उसके प्रति सहानुभूति रखते हैं ?
तीसरा, क्या आप अपने बच्चे की सहायता करने के लिये अपने समय को समर्पित करते हैं ? यानी आपका जीवन शायद टुकड़ों में बंट जाएगा।
और चौथा, अगर आपका बच्चा सचमुच पढ़ने में असक्षम है, तो आप निराशा के साथ उसे छोड़ेंगे ? या सहनशीलता के साथ उसे स्वीकार करेंगे ?
इन चारों सवालों पर अब हम आपको सुनवाते हैं कि एक चीनी मां ने क्या कहा ? इसकी चर्चा में वे बच्चे की शिक्षा में प्राप्त अपना अनुभव सभी माता-पिता के साथ साझा करना चाहती हैं। पहले प्रश्न पर उन्होंने कहा कि एक मां के रूप में मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि मेरा बच्चा बहुत बुद्धिमान है, एक कमाल भी है। हालांकि प्राइमरी स्कूल में मेरे बेटे की पढ़ाई ठीक-ठाक थी, मेहनत के बिना उसने अच्छे अंक भी प्राप्त किया। लेकिन माध्यमिक स्कूल जाने के बाद हालत बदल गयी। उसकी पढ़ाई का स्तर तेजी से गिरने लगा। उसी समय मैंने दुःख के साथ इस वास्तविकता को स्वीकार किया कि मेरा बेटा केवल एक साधारण बच्चा है। इसलिये मैंने उससे अन्य विद्यार्थियों की अपेक्षा और मेहनत से पढ़ने का आग्रह किया।
दूसरे सवाल के जवाब में इस मां ने ऐसा कहा कि क्योंकि मैंने इस वास्तविकता को स्वीकार कर लिया है, इसलिये मैं पढ़ाई में उसके दुःख को खूब समझती हूं और उससे सहानुभूति भी रखती हूं। माध्यमिक स्कूल के पहले साल में मेरे पति ने गणित पढ़ाने में बेटे की सहायता की थी, और मैंने चीनी और अंग्रेज़ी पढ़ाने में। अगर होमवर्क करते समय उसे कोई मुश्किल हुई, तो हम उसकी मदद करते हैं।
तीसरे सवाल पर इस मां ने कहा कि शायद हर मां-बाप के विचार में बच्चे का समय काफ़ी नहीं है, तो उसकी मदद करने के लिये हम 24 घंटों के ड्राइवर या नौकरानी बन गये। लेकिन बच्चे के समय की किफायत में मां-बाप ने अपना बहुत सारा समय समर्पित किया।
और चौथे सवाल के बारे में इस मां ने कहा कि सभी विद्यार्थी पढ़ाई में अवश्य कुछ आगे और पीछे हैं। शायद आपके बच्चे के अधिक अंक नहीं आए हैं, लेकिन अगर उसे पढ़ने की इच्छा होती है, पढ़ने का शौक होता है। तो आप को शांति से उसकी मदद करनी चाहिये, और उसे कभी नहीं छोड़ना चाहिये।