क्योटो समाचार एजेंसी के मुताबिक, ये रक़म तीन घंटे के अंदर जापान के विभिन्न शहरों के 1400 एटीएम मशीनों से निकाली गई।
रक़म निकालने के लिए 7-इलेवन कैश मशीनों को निशाना बनाया गया, जो जापान की अधिकांश कैश मशीनों से उलट विदेशी कार्ड को स्वीकार करती हैं।
पैसे निकालने वालों ने दक्षिण अफ़्रीकी बैंकों से डाटा चुराकर उनके जाली एटीएम बनाए थे।
दक्षिण अफ़्रीका के स्टैंडर्ड बैंक का अनुमान है कि उसे 192.4 लाख डॉलर (क़रीब 1.30 अरब रुपये) का नुक़सान हुआ है।
क्योटो के अनुसार, पुलिस को संदेह है कि इस घटना में जापान के अलग अलग हिस्सों में मौजूद 100 से ज़्यादा लोग शामिल थे। यह घटना 15 मई की है।
जांच एजेंसियों के सूत्रों का हवाला देते हुए समाचार एजेंसी ने कहा है कि 1400 निकासियों में हर बार क़रीब एक लाख येन (क़रीब 61 हज़ार रुपये) निकाले गए।
स्टैंडर्ड बैंक ने इस जालसाजी को बहुत ही चालाकी भरा संगठित फर्जीवाड़ा बताया है, जिसमें बैंक खातों के जाली कार्ड बनाए गए थे।
बैंक का कहना है कि ये कार्ड बहुत 'थोड़ी संख्या' में बनाए गए थे।
लेकिन बैंक ने कहा है कि उपभोक्ताओं को इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है।
बयान जारी कर बैंक ने कहा है, "स्टैंडर्ड बैंक ने इस मामले को नियंत्रित करने के लिए क़दम उठाए हैं।"
जापानी पुलिस संदिग्धों की शिनाख़्त के लिए सीसीटीवी फ़ुटेज खंगाल रही है। इसके अलावा दोनों देशों की पुलिस इंटरपोल के साथ मिलकर जांच कर रही है कि बैंक डाटा कैसे चोरी हुई और इतने संगठित तरीक़े से जालसाजी कैसे हुई।
अभी तक मामले में किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है।