चीन व भारत पड़ोसी देश हैं, दोनों का प्राचीन सांस्कृतिक आदान-प्रदान का इतिहास है। 1300 वर्ष पहले थांग राजवंश में चीन के महा भिक्षु ह्वेन सांग ने भारत के नालंदा विश्वविद्यालय आकर पढ़ाई की। ह्वेन सांग की कहानी अब तक चीन व भारत की जनता की जुबान पर है। चीन के मिंग राजवंश के मशहूर लेखक वू छनअन ने ह्वेन सांग की कहानी पर एक प्रसिद्ध उपन्यास लिखा। जो प्राचीन चीन के चार प्रसिद्ध उपन्यासों में से एक"पश्चिम की तीर्थ यात्रा" है।
"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"में महा भिक्षु ह्वेन सांग और उनके तीन शिष्य बहादुर वानरराज सुन ऊखोंग, शूकरराज चु पाच्ये और रेतात्मा साधु शा की रक्षा में पश्चिम लोक यानी प्राचीन भारत में बौद्ध सूत्र लेने की कहानी का वर्णन है। उपन्यास में प्राचीन चीनी समाज के बारे में वर्णन किया गया है, साथ ही कई भारतीय तत्व भी शामिल हैं। मिसाल के लिए प्राचीन भारतीय जनता की वेशभूषा, खान-पान और रीति-रिवाज आदि। इस उपन्यास का जापानी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और जर्मन समेत कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है और यह दुनिया भर में विख्यात है।
हाल ही में टीवी श्रृंखला"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"का नेपाली संस्करण पूरा हो गया। 18 मई को नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुए प्रीमियर समारोह में चीन व नेपाल के कई सौ लोग उपस्थित थे। विश्व में सबसे लोकप्रिय टीवी श्रृखंला होने के नाते"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"सबसे पहले देश के बाहर जाने वाली टीवी श्रृखंला थी। 2014 के मई से यह टीवी श्रृखंला म्यांमार के निजी टीवी स्टेशन स्काईनेट में प्रसारित करना शुरू किया। म्यांमार के उपराष्ट्रपति एवं विदेश मंत्री दोनों इसे पसंद करते हैं। बहादुर वानरराज सुन ऊखोंग के अभिनेता ल्यो श्याओलिंगथोंग म्यांमार में बहुत लोकप्रिय हैं।
गत 90 के दशक की शुरूआत में वियतनाम में भी टीवी श्रृंखला"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"का प्रसारण किया गया। वह वियतनाम में सबसे पसंदीदा विदेशी टीवी श्रृंखलाओं में से एक है। कहा जाता है कि जब"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"का प्रसारण होता था, तो वियतनाम की सड़कों पर चोर एवं पुलिस भी नहीं होती थी। सब लोग घर वापस लौटकर यह टीवी प्रोग्राम देखते थे। वियतनाम में सरकारी अधिकारियों से आम जनता तक सब लोग टीवी श्रृंखला"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"के टीम गीत गा सकते थे। वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महा सचिव गुयेन फू त्रांग एवं वियतनामी राष्ट्राध्यक्ष ट्रोंग तान सांग भी इस टीवी श्रृखंला के फैन हैं। चीन यात्रा के दौरान वे अभिनेता ल्यो श्याओलिंगथोंग से भी मिले।
थाईलैंड टीवी श्रृंखला"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"का एकमात्र विदेशी शूटिंग स्थल है। इसमें पश्चिम लोक के दृश्य थाईलैंड के मशहूर दर्शनीय स्थल ग्रांड पैलेस में शूटिंग किये गये थे। इससे यह टीवी श्रृंखला थाईलैंड के पर्यटन का प्रसार करने वाला पहला चीनी प्रोग्राम भी बना।
दक्षिण पूर्वी एशिया के अलावा घाना सहित कई अफ्रीकी देशों में इस टीवी श्रृंखला का गर्म स्वागत भी किया गया। कई अफ्रीकी लोगों ने इस टीवी श्रृंखला से शीफू( गुरु) और वूखोंग(वानरराज) आदि चीनी शब्द भी सीख लिये।